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ठोस अपशिष्ट आधारित गोबर-धन संयंत्र

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के इंदौर में गोबर-धन संयंत्र का उद्घाटन किया, इस बायो गैस प्लांट पर हर दिन 550 मीट्रिक टन गीले कचरे का निपटान किया जाएगा।

मध्य प्रदेश के इंदौर में कचरे से निपटने के लिए एशिया के सबसे बड़े बायो गैस प्लांट का उद्घाटन किया गया। इस संयंत्र का उद्घाटन करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आने वाले दो वर्षों में देश के 75 बड़े नगर निकायों में इस प्रकार के गोबरधन बायो सीएनजी प्लांट बनाने पर काम किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अपने शहरों को प्रदूषण मुक्त रखने, और गीले कचरे के निस्तारण के लिए आज का ये प्रयास बहुत अहम है। शहर में घरों से निकला गीला कचरा हो, गांव में पशुओं-खेतों से मिला कचरा हो, ये सब एक तरह से गोबरधन ही है। शहर के कचरे और पशुधन से गोबरधन, फिर गोबरधन से स्वच्छ ईंधन, फिर स्वच्छ ईंधन से ऊर्जाधन, ये श्रृंखला जीवनधन का निर्माण करती है। इस श्रृंखला की हर कड़ी कैसे एक दूसरे से जुड़ी हुई है, उसके प्रत्यक्ष प्रमाण के तौर पर इंदौर का ये गोबरधन प्लांट अब दूसरे शहरों को भी प्रेरणा देगा।

गोबरधन बायो गैस प्लांट की क्या हैं खासियतें यह प्लांट एशिया में जैविक अपशिष्ट से बायो BIO CNG बनाने का बसे बड़ा और देश का पहला प्लांट है। यहां हर दिन 550 मीट्रिक टन गीले कटरे का निपटान किया जाएगा। बायो सीएनजी प्लांट पीपीपी मॉडल पर आधारित है, इस प्लांट की स्थापना पर जहां एक ओर नगर निगम, इन्दौर को कोई वित्तीय भार वहन नहीं करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर प्लांट को स्थापित करने वाली एजेंसी IEISN नई दिल्ली द्वारा नगर निगम, इन्दौर को हर साल ढाई करोड़ रुपये प्रीमियम के रूप में दिये जाएंगे। इस प्लांट में हर रोज 550 मीट्रिक टन गीले कचरे का निपटान किया जाएगा, इससे 17 हजार 500 किलो बायो CNG गैस और 100 टन जैविक खाद बनायी जाएगी। इस प्लांट से उत्पन्न होने वाली बायो सीएजी में से 50 प्रतिशत गैस नगर निगम, इन्दौर को लोक परिवहन की संचालित बसों के उपयोग के लिए उपलब्ध होगी। बाकी 50 फीसदी गैस अलग-अलग इंडस्ट्रीज और कमर्शियल कस्टमर को बेची जा सकेगी। इस प्लांट में जो सीएनजी बनेगी उससे इंदौर शहर में हर रोज करीब-करीब 400 बसें चलाई जा सकेंगी। इस प्लांट से सैकड़ों युवाओं को किसी ना किसी रूप में रोज़गार भी मिलने वाला है, यानि ये ग्रीन जॉब्स को बढ़ाने में भी मददगार होगा।

ठोस अपशिष्ट का अर्थ प्राय: घरों एवं व्यावसायिक संस्थाओं से निकलने वाले कचरे से है, जो कि प्लास्टिक की बोतलें, कपडे, डब्बे, प्लास्टिक की थैलिया आदि के रूप में घर से बाहर फेंका जाता है, अथवा कचरापात्र में डाला जाता है। इसी को ठोस अपशिष्ट कहा जाता है।

ठोस अपशिष्ट को कम करने एवं नष्ट करने के लिए नगरपालिका द्वारा विभिन्न प्रकार के प्रबन्ध किये गए है, जिसके अंतर्गत अपशिष्ट पदार्थों का निपटान, पुनर्चक्रण, निकास एवं भस्मीकरण आदि पद्धतियों का सहारा लिया गया है। ठोस अपशिष्ट पदार्थों के अंतर्गत खाद्य अपशिष्ट जैसे बचा हुआ खाना, अंडे, छिलके, मांस, हड्डियों के टुकड़े, एवं अन्य ठोस वस्तुएं जैसे कोई धातु, लकड़ी, प्लास्टिक के डब्बे, कांच की बोतलें आदि सम्मिलित है।

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन :

पर्यावरण को सुरक्षित रखने एवं मानव स्वास्थ्य हेतु ठोस अपशिष्ट का प्रबंधन अनिवार्य है, इसीलिए सरकार द्वारा इस दिशा में विभिन्न प्रयास किये जाते है। ठोस अपशिष्ट को नष्ट करने के लिए जिन प्रणालियों का उपयोग किया जता है, वह इस प्रकार है:-

  • कचरे को विभिन्न स्थानों से इकट्ठा करके उसका निपटान किया जाता है।
  • ठोस अपशिष्ट पदार्थों को नष्ट करने के लिए भस्मीकरण प्रणाली के द्वारा जलाकर राख कर दिया जाता है।
  • प्लास्टिक एवं कांच की बोतलों को पुन:परिष्करण प्रणाली के द्वारा फिर से उपयोग के काबिल बनाया जाता है।
  • गीले कचरे एवं खाद्य अपशिष्ट एवं जैविक अपशिष्ट पदार्थों को मिलाकर जैविक खाद तैयार की जाती है, जो मिट्टी को उपजाऊ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।
  • विभिन्न धातु कचरे को फिर से उपयोग के लिए उसमें से सीसा, पारा आदि निकाल लिए जाते है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

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