तारापुर स्थित भारत का पहला परमाणु बिजलीघर (TAPS)
- महाराष्ट्र के तारापुर (पालघर) स्थित यह परमाणु संयंत्र लगभग आधी शताब्दी का सफर पूरा कर चुका है।
- यह न सिर्फ भारत, बल्कि पूरे एशिया का पहला परमाणु बिजलीघर (Atomic Power Station) है।
- अमेरिका और जर्मनी जैसे विकसित देशों ने अपने गर्म पानी के रिएक्टर (बीडब्ल्यूआर) को 30 साल बाद ही बंद कर दिया था। वहीं, तारापुर में 1969 में शुरू हुए ब्वायलिंग वाटर रिएक्टर के 60 साल से भी ज्यादा चलने की उम्मीद वैज्ञानिकों को है।
- डा. होमी जहांगीर भाभा का स्वप्न चरितार्थ करते हुए मुंबई से करीब 100 किलोमीटर दूर तारापुर में समुद्र के किनारे देश का पहला बॉयलिंग वाटर रिएक्टर यानी गर्म पानी की भाप से चलने वाले रिएक्टर की शुरुआत फरवरी, 1969 में हुई थी।
- 1954 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से अनुमति मिलते ही डा. भाभा ने तारापुर में देश का पहला परमाणु बिजलीघर लगाने की योजना पर काम शुरू कर दिया था। इन रिएक्टरों में संवर्धित यूरेनियम और हल्के पानी का उपयोग किया जाना था।
- अमेरिका की कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) को इन दोनों रिएक्टरों के निर्माण की जिम्मेदारी इस समझौते के साथ सौंपी गई थी कि अमेरिका इन रिएक्टरों के लिए 30 साल तक संवर्धित यूरेनियम उपलब्ध कराता रहेगा।
- 1974 में भारत ने जैसे ही शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए अपना पहला परमाणु परीक्षण किया, अमेरिका ने यूरेनियम की आपूर्ति बंद कर दी। बिजलीघर के दोनों रिएक्टरों में आने वाली तकनीकी खामियों से भी पल्ला झाड़ लिया। तकनीकी खामियां दूर करने का बीड़ा भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) ने उठाया। ये खामियां दूर करते-करते हमारे विज्ञानी इतने निपुण हो चुके हैं कि आज परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत कार्यरत न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआइएल) द्वारा देशभर में 22 परमाणु बिजली घरों के माध्यम से देश को 6,780 मेगावाट बिजली प्राप्त हो रही है।
- अगले एक दशक में देश की परमाणु विद्युत उत्पादन क्षमता तीन गुनी से भी ज्यादा 22,480 मेगावाट तक पहुंचने की संभावना है।
Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के GS -3, के “नाभिकीय ऊर्जा एवं प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण” वाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।