कोयला क्षेत्र से संबंधित मुख्य प्रदर्शन संकेतक केपीआई साझा करने के लिए कोयला मंत्रालय के सचिव डॉ. अनिल कुमार जैन ने आज एक पोर्टल “कोयला दर्पण” का शुभारंभ किया।
इस पोर्टल में प्रारंभिक चरण के रूप में निम्नलिखित केपीआई शामिल किये गए हैं –
- कोयला/लिग्नाइट उत्पादन,
- कोयला/लिग्नाइट की कुल खरीद,
- अन्वेषण डाटा,
- केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएं,
- ताप विद्युत संयंत्रों में कोयला भंडार की स्थिति,
- बुनियादी ढांचा परियोजनाएं,
- कोयला ब्लॉकों का आवंटन (सीएमएसपी/एमएमडीआर),
- प्रमुख कोयला खदानों की निगरानी (सीआईएल),
- कोयला मूल्य।
कोयला
कोयला एक ठोस कार्बनिक पदार्थ है जिसको ईंधन के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। ऊर्जा के प्रमुख स्रोत के रूप में कोयला अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। कुल प्रयुक्त ऊर्जा का 35% से 40% भाग कोयलें से प्राप्त होता हैं। कोयले से अन्य दहनशील तथा उपयोगी पदार्थ भी प्राप्त किए जाते हैं। ऊर्जा के अन्य स्रोतों में पेट्रोलियम तथा उसके उत्पाद का नाम सर्वोपरि है। विभिन्न प्रकार के कोयले में कार्बन की मात्रा अलग-अलग होती है।
- ऐन्थ़्रसाइट (Anthracite)
यह सबसे उच्च गुणवत्ता वाला कोयला माना जाता है क्योंकि इसमें कार्बन की मात्रा 94 से 98 प्रतिशत तक पाई जाती है। यह कोयला मजबूत, चमकदार काला होता है। इसका प्रयोग घरों तथा व्यवसायों में स्पेस-हीटिंग के लिए किया जाता है।
- बिटुमिनस (Bituminous)
यह कोयला भी अच्छी गुणवत्ता वाला माल्ना जाता है। इसमें कार्बन की मात्रा 77 से 86 प्रतिशत तक पाई जाती है। यह एक ठोस अवसादी चट्टान है, जो काली या गहरी भूरी रंग की होती है। इस प्रकार के कोयले का उपयोग भाप तथा विद्युत संचालित ऊर्जा के इंजनों में होता है। इस कोयले से कोक का निर्माण भी किया जाता है।
- लिग्नाइट (Lignite)
यह कोयला भूरे रंग का होता है तथा यह स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक हानिकारक सिद्ध होता है। इसमें कार्बन की मात्रा 28 से 30 प्रतिशत तक होती है। इसका उपयोग विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
- पीट (Peat)
यह कोयले के निर्माण से पहले की अवस्था होती है। इसमें कार्बन की मात्रा 27 प्रतिशत से भी कम होती है। तथा यह कोयला स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यधिक हानिकारक होता है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.1PRE