देश में पिछले एक दशक में सल्फर डाइऑक्साइड के स्तर में कमी आई है: आईआईटी खड़गपुर
- भारत में पिछले एक दशक में उससे पहले के तीन दशकों के मुकाबले सल्फर डाईऑक्साइड (एसओ2) के स्तर में उल्लेखनीय कमी आई है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह दावा किया गया है।
- संस्थान के सागर, नदी, वायुमंडल भू विज्ञान केंद्र (कोरल) के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में कहा गया कि वायुमंडल में SO2 के स्तर में आई कमी की वजह पर्यावरण नियमन और ‘स्क्रबर’ और ‘फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन’ जैसी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाना है।
- अध्ययन में यह रेखांकित किया गया है कि सल्फर डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में 51 प्रतिशत योगदान ताप विद्यृत संयंत्रों का है, जबकि 29 प्रतिशत के लिए निर्माण क्षेत्र जिम्मेदार है।
- अध्ययन में यह कहा गया है कि भारत में कोयले के दहन और उत्सर्जन को सीमित करने वाली प्रौद्योगिकी के अभाव के चलते 1980 से 2010 के बीच SO2 का उत्सर्जन बढ़ा।
- इसमें कहा गया है कि SO2 और ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने के लिए नयी प्रौद्योगिकियों को अपना कर आर्थिक विकास तथा वायु प्रदूषण नियंत्रण साथ–साथ किया जा सकता है।
Note: सल्फर डाइऑक्साइड एक वायुमंडलीय प्रदूषक है और यह नमी आर्द्रता वाली परिस्थितियों में सल्फेट एयरोसेल में तब्दील हो सकता है। ये एयरोसोल अम्ल वर्षा और क्षेत्रीय जलवायु को प्रभावित कर सकते हैं
Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के GS -3, के “पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट” वाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।