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‘नेट जीरो’ उत्सर्जन बनने की दौड़ में शामिल हुई दिग्गज सरकारी ऊर्जा कंपनियां

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नेट जीरोउत्सर्जन बनने की दौड़ में शामिल हुई दिग्गज सरकारी ऊर्जा कंपनियां

  • पीएम नरेन्द्र मोदी ने दिसंबर, 2021 में ग्लास्गो (ब्रिटेन) में भारत को वर्ष 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन इकोनोमी बनाने का ऐलान किया था तो कई विशेषज्ञों ने यह कहा था कि इस लक्ष्य की राह में सबसे बड़ी अड़चन भारत की विशाल पेट्रोलियम सेक्टर व ऊर्जा सेक्टर की कंपनियां ही बनेंगी।
  • लेकिन पीएम की घोषणा के सात-आठ महीने के भीतर ही जिस तरह की तैयारी की घोषणा इंडियन आयल कारपोरेशन (IOC), गेल लिमिटेड, एनटीपीसी की तरफ से की गई है उससे साफ है कि देश को पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त बनाने में इन कंपनियों की तरफ से ही तरफ से ही बड़ी भूमिका निभाई जाएगी।
  • देश की सबसे बड़ी रिफाइनरी क्षमता वाली और पेट्रोल पंपों के सबसे बड़े नेटवर्क वाली कंपनी आइओसी ने वर्ष 2046 तक अपने नेट जीरो उत्सर्जन कंपनी बनने का लक्ष्य रखा है। इंडियन आयल के चेयरमैन एस एम वैद्य का कहना है कि वर्ष 2046 में नेट जीरो उत्सर्जन कंपनी बनने के लिए कई स्तरों पर काम करना होगा जो कई स्तरों पर चुनौतीपूर्ण होगा। कंपनी को इसके लिए दो लाख करोड़ रुपये का निवेश करना होगा। कंपनी ग्रीन हाइड्रोजन, बायो फ्यूल, रिनीवेबल ऊर्जा के इस्तेमाल पर खास तौर पर ध्यान देगी।

  • देश की एशिया की सबसे बड़ी गैस कंपनी गेल लिमिटेड वर्ष 2040 तक ही यह लक्ष्य हासिल करेगी।
  • देश की सबसे बड़ी बिजली कंपनी एनटीपीसी नीति आयोग के साथ मिल कर अपना रोडमैप बना रही है लेकिन लक्ष्य वर्ष 2050 से पहले का तय होगा।
  • पेट्रोलियम सेक्टर की दो अन्य बड़ी कंपनियों एचपीसीएल और बीपीसीएल ने भी वर्ष 2040 तक नेट जीरो उत्सर्जन करने वाली कंपनी बनने का लक्ष्य रखा है।
  • उक्त चारों कंपनियों की योजना अपने स्तर पर ग्रीन हाइड्रोजन का निर्माण करने की है।

नेट जीरो उत्सर्जन:

  • नेट जीरो उत्सर्जन का मतलब यह होता है कि पर्यावरण में जितना कार्बन उत्सर्जन किया जाता है उतना ही कार्बन पर्यावरण से बाहर निकालने की व्यवस्था होती है
  • इसका अर्थ है ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को यथासंभव शून्य के करीब लाना, अगर कुछ उत्सर्जन बचा भी हो तो वह भी समुद्र या पर्यावरण के द्वारा अवशोषित कर लिया जाए।

Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के GS -3, के समावेशी विकास और इससे उत्पन्न होने वाले मुद्दे और पर्यावरण संरक्षणवाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।

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