पवन ऊर्जा
पिछले हफ्ते, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने कहा कि यह रिवर्स नीलामी की प्रथा को खत्म कर देगा – जब कंपनियां पवन ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना के लिए अनुबंध प्रदान करते हुए सबसे कम कीमत की पेशकश करने के लिए बोली लगाती हैं।
- हालांकि, पवन उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि यह अकेले इस क्षेत्र की किस्मत में सुधार नहीं करेगा।
- भारत ने 2022 तक 60,000 मेगावाट पवन ऊर्जा परियोजनाओं को स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध किया है, लेकिन लक्ष्य का केवल दो-तिहाई ही पूरा किया है।
- जबकि 2015 से सौर और पवन परियोजनाओं सहित सभी नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए रिवर्स नीलामियां आदर्श थीं, सरकार के रुख में बदलाव से संकेत मिलता है कि स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं से जुड़ी रॉक-बॉटम कीमतें – प्रति यूनिट सौर ऊर्जा लागत घटकर ₹ 2.40 प्रति यूनिट हो गई है – पर यह अक्षय ऊर्जा की वास्तविक लागत को प्रतिबिंबित न करें।
- पवन टर्बाइनों को स्थापित करने के लिए आवश्यक भूमि के बड़े हिस्से की लागत क्षेत्र के घटते स्वास्थ्य के लिए उद्धृत कारणों में से है।
क्या है पवन ऊर्जा?
- गतिमान वायु से उत्पन्न की गई ऊर्जा को पवन ऊर्जा कहते हैं।
- पवन ऊर्जा के उत्पादन के लिये हवादार स्थानों पर पवन चक्कियों की स्थापना की जाती है। इन चक्कियों द्वारा वायु की गतिज ऊर्जा यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है।
- इस यांत्रिक ऊर्जा को जनित्र (Dynamo) की मदद से विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।
- इसका उपयोग पहली बार स्कॉटलैंड में 1887 में किया गया था।
भारत में पवन ऊर्जा क्षेत्र का दायरा :
- भारत में वर्ष 2021 में 4 GW से अधिक पवन ऊर्जा क्षमता स्थापित की गई जो पिछले वर्ष प्राप्त 1.1 GW की क्षमता से अधिक थी।
- सरकार ने वर्ष 2022 तक 5 GW अपतटीय क्षमता तथा वर्ष 2030 तक 30 GW स्थापित क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है।
- भारत को अभी अपनी अपतटीय पवन ऊर्जा सुविधा और विकसित करनी है।
- भारत अपनी 7,600 किमी. की तटरेखा के साथ 127 गीगावाट अपतटीय पवन ऊर्जा का उत्पादन कर सकता है।
- तटवर्ती पवन ऊर्जा उन टर्बाइनों को संदर्भित करती है जो भूमि पर स्थित हैं तथा विद्युत उत्पादन हेतु पवन का उपयोग करती हैं।
- अपतटीय पवन ऊर्जा समुद्र में हवा से उत्पन्न एक ऊर्जा है।
- वर्ष 2022 और वर्ष 2023 के लिये भारतीय पवन बाज़ार क्रमशः 2 GW और 4.1 GW तटवर्ती पवन तक विस्तारित होने का अनुमान है।
- राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति : राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति, 2018 का मुख्य उद्देश्य बड़े ग्रिड से जुड़े पवन-सौर फोटो-वोल्टेइक हाइब्रिड प्रणाली को बढ़ावा देने हेतु एक ढाँचा प्रदान करना है।
- राष्ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति : राष्ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति को अक्तूबर, 2015 में भारतीय अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में 7600 किलोमीटर की भारतीय तटरेखा के साथ अपतटीय पवन ऊर्जा विकसित करने के उद्देश्य से अधिसूचित किया गया था।
SOURCE-THE HINDU
PAPER-G.S.3