पाकिस्तान के आतंकवादियों द्वारा प्राकृतिक आपदा का आतंकवाद के वित्तपोषण एवं प्रसार के लिए उपयोग
- पाकिस्तान में बाढ़ पीड़ितों की मदद की आड़ में प्रतिबंधित जमात–उद–दावा अपनी आतंकी गतिविधियों के लिए वित्तीय ऑक्सीजन और कैडर जुटाने में लगा है। लश्कर–ए–तैयबा ही जमात–उद–दावा का जिहादी संगठन है।
- लश्कर के सभी प्रमुख कमांडर और मौलवी बाढ़ पीड़ितों के लिए चंदा जमा करने के अलावा कश्मीर में जिहाद के नाम पर भर्ती करने में जुटे हैं।
- यह काम लश्कर और जमात–उद–दावा के नाम पर नहीं बल्कि अल्लाह–ओ–अकबर तहरीक के बैनर तले किया जा रहा है। इसका संचालन लश्कर प्रमुख हाफिज सईद का बेटा हाफिज तलहा सईद कर रहा है।
- इसमें पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी आइएसआइ भी उसे परोक्ष रूप से सहयोग कर रही है।
- इसका असर आने वाले समय में कश्मीर में लश्कर की गतिविधियों में बढ़ोतरी के रूप में नजर आने की आशंका है।
- उल्लेखनीय है कि अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने लश्कर को प्रतिबंधित कर रखा है। पाकिस्तान सरकार ने भी कथित तौर जमात और लश्कर की गतिविधियों पर रोक लगाने के अलावा उसके कई बैंक खातों को फ्रीज कर उसके द्वारा कश्मीर में जिहाद के नाम पर चंदा जमा करने पर प्रतिबंध लगा रखा है।
- अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते लश्कर की कश्मीर में आतंकी गतिविधियां सीमित हो चुकी हैं।
- इसी कारण वह अपने हिट स्क्वाड द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के जरिए सिर्फ टार्गेट कीलिंग को अंजाम दे रहा है।
- पहले भी जमात–उद–दावा प्राकृतिक आपदा का जिहादी मंसूबों के लिए इस्तेमाल करता आया है। वर्ष 2005 के भूकंप और 2010 की बाढ़ के दौरान भी उसने चंदा जमा करने के अलावा कैडर की भर्ती की थी।
- उसका असर बाद में जम्मू कश्मीर में आतंकी हिंसा में तेजी में देखा गया था।
- वर्ष 2014 में जब कश्मीर में बाढ़ आई थी तो उस समय भी हाफिज सईद ने कश्मीर में अपने ओवरग्राउंड वर्कर को बाढ़ प्रभावित इलाकों से नया कैडर भर्ती करने को कहा था। इसके बाद कुलगाम, शोपियां और पुलवामा में लश्कर में स्थानीय लड़कों की भर्ती तेज हुई थी।
Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के GS-2, के “भारत और उसके पड़ोसी संबंध” एवं GS -3 के “आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियां पैदा करने में बाहरी राज्य और गैर–राज्य तत्वों की भूमिका” वाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।