भारतीय नौसेना के स्वदेश में डिजाइन और निर्मित की गई गाइडेड (दिशानिर्देशित) मिसाइल विध्वंसक आईएनएस कोच्चि ने रूस की नौसेना के आरएफएस एडमिरल ट्रिब्यूट्स के साथ 14 जनवरी 2022 को अरब सागर में पैसेज अभ्यास (पासेक्स) किया। इस अभ्यास ने दोनों नौसेनाओं के बीच सामंजस्य और आपसी क्रियाशीलता का प्रदर्शन किया। इसमें सामरिक कार्य-नीति, क्रॉस-डेक हेलीकॉप्टर परिचालन और पोत कौशल से संबंधित गतिविधियां शामिल थीं।
आईएनएस कोच्चि
आईएनएस कोच्चि को 30 सितंबर, 2015 को तैनात किया गया, परियोजना 15ए (कोलकाता-क्लास) मिसाइल नियंत्रित विध्वंसक दूसरा स्वदेशी अभिकल्पित एवं निर्मित पोत है। आईएनएस कोच्चि का निर्माण माझगांव डॉक लिमिटेड, मुंबई द्वारा किया गया।
परियोजना 15ए विध्वंसक, प्रसिद्ध परियोजना 15 ‘दिल्ली’ क्लास के बाद का विध्वसंक है जिसे 1990 के उत्तरार्द्ध में सेवा में शामिल किया गया। भारतीय नौसेना अभिकल्पना निदेशालय द्वारा कल्पित एवं अभिकल्पित इस पोत का नाम भारत के प्रमुख बंदरगाह यथा कोलकाता, कोच्चि एवं चेन्नई पर रखा गया है। कोच्चि पोत को 25 अक्तूबर, 2005 को समुद्र में उतारा गया था एवं इस पोत का शुभारंभ 18 सितंबर, 2009 को किया गया था। कोच्चि पोत कोलकाता क्लास का दूसरा भाग है एवं भारत में निर्मित सतही युद्धक पोतों में से सबसे शक्तिशाली युद्धपोत है। सम्मानित इस पोत की लंबाई 164 मीटर एवं चौड़ाई लगभग 17 मीटर है एवं फुल लोड डिस्प्लेसमैंट 7500 टन है। इस पोत में एक कंबाइंड गैस एवं गैस (सीओजीएजी) प्रणोदन प्रणाली विद्यमान है जिसमें चार शक्तिशाली प्रतिवर्ती गैस टर्बाइन सम्मिलित हैं एवं 30 समुद्री मील से अधिक की गति से काम कर सकता है। इस पोत की इलेक्ट्रिक ऊर्जा चार गैस टर्बाइन जनरेटर एवं एक डीजल एल्टरनेटर द्वारा उपलब्ध कराई जाती है जो एक साथ मिलकर 4.5 मेगा वाट बिजली पैदा करते हैं जो एक छोटे शहर को रोशन करने के लिए पर्याप्त है। इस पोत में 40 अधिकारी एवं 350 नौसैनिक अपनी सेवाएं दे सकते हैं।
आईएनएस कोच्चि में रडार से बच निकलने की नये डिजाइन की अवधारणा शामिल है एवं इसके खाते में स्वदेशी प्रतिरोधी कक्ष के बहुत बड़ा घटक सहित कई बातें सर्वप्रथम में शामिल हैं। यह पोत सतह से लंबी दूरी से वायु में चलने वाली मिसाइल (एलआरएसएएम) लंबवत प्रक्षेपण एवं एमएच-स्टार बहु-कार्यात्मक सक्रिय चरणबद्ध व्यूह रचना वाले रडार जो केवल कोलकाता क्लास के पोतों में ही विद्यमान है, सहित सबसे परिष्कृत अत्याधुनिक हथियार एवं सेंसर से लैस है। यह पोत उन्नत सुपरसोनिक एवं सतह से सतह में मार करने वाली लंबी दूरी की मिशाइल ब्रह्मोस – भारत-रूस का संयुक्त उद्यम से लैस है। 76 मिमी सुपर रैपिड गन माउंट (एसआरजीएम) एवं एके 630 सीआईडब्ल्यूएस, दोनो स्वदेश में ही निर्मित, वायु एवं सतह के लक्ष्यों को भेद सकते हैं। पूरी तरह से पनडुब्बी रोधी हथियार एवं पोत पर स्थित सेंसर कक्ष जिसमें स्वदेशी रॉकेट प्रक्षेपक (आईआरएल), स्वदेयी ट्विन-ट्यूब टारपीडो प्रक्षेपक (आईटीटीएल) एवं नई पीढ़ी का धनुयुक्त अश्वारोही हमसा सोनार पानी के अंदर होने वाले युद्ध के क्षेत्र में भारत के स्वदेशी प्रयासों के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। सेंसर कक्ष में सतह से हवा में निगरानी करने वाले अन्य उन्नत रडार एवं स्वदेशी इलेक्ट्रोनिक युद्ध प्रणाली शामिल है। अत्याधुनिक प्रतिरोधक प्रबंधन प्रणाली को हथियारों एवं सेंसरों के साथ एकीकृत किया गया है। इस पोत से दो सी किंग अथवा चेतक हेलीकॉप्टर परिचालित किया जा सकता है।
आईएनएस कोच्चि में रडार से बच निकलने की नये डिजाइन की अवधारणा शामिल है एवं इसके खाते में स्वदेशी प्रतिरोधी कक्ष के बहुत बड़ा घटक सहित कई बातें सर्वप्रथम में शामिल हैं। यह पोत सतह से लंबी दूरी से वायु में चलने वाली मिसाइल (एलआरएसएएम) लंबवत प्रक्षेपण एवं एमएच-स्टार बहु-कार्यात्मक सक्रिय चरणबद्ध व्यूह रचना वाले रडार जो केवल कोलकाता क्लास के पोतों में ही विद्यमान है, सहित सबसे परिष्कृत अत्याधुनिक हथियार एवं सेंसर से लैस है। यह पोत उन्नत सुपरसोनिक एवं सतह से सतह में मार करने वाली लंबी दूरी की मिशाइल ब्रह्मोस – भारत-रूस का संयुक्त उद्यम से लैस है। 76 मिमी सुपर रैपिड गन माउंट (एसआरजीएम) एवं एके 630 सीआईडब्ल्यूएस, दोनो स्वदेश में ही निर्मित, वायु एवं सतह के लक्ष्यों को भेद सकते हैं। पूरी तरह से पनडुब्बी रोधी हथियार एवं पोत पर स्थित सेंसर कक्ष जिसमें स्वदेशी रॉकेट प्रक्षेपक (आईआरएल), स्वदेयी ट्विन-ट्यूब टारपीडो प्रक्षेपक (आईटीटीएल) एवं नई पीढ़ी का धनुयुक्त अश्वारोही हमसा सोनार पानी के अंदर होने वाले युद्ध के क्षेत्र में भारत के स्वदेशी प्रयासों के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। सेंसर कक्ष में सतह से हवा में निगरानी करने वाले अन्य उन्नत रडार एवं स्वदेशी इलेक्ट्रोनिक युद्ध प्रणाली शामिल है। अत्याधुनिक प्रतिरोधक प्रबंधन प्रणाली को हथियारों एवं सेंसरों के साथ एकीकृत किया गया है। इस पोत से दो सी किंग अथवा चेतक हेलीकॉप्टर परिचालित किया जा सकता है।
पोत की अनूठी विशेषता देश के भीतर से ही अधिकांश प्रणालियों से हासिल स्वदेशीकरण का उच्चतम स्तर है। आईएनएस कोच्चि पोत पर इकुछ अन्य प्रमुख स्वदेशीकृत प्रणालियों में इलेक्ट्रोनिक वारफेयर स्यूट, फोल्डेबल हैंगर डुअर, हेलो ट्रेवर्सिंग सिस्टम एवं पोत के स्टैबलाइजर शामिल हैं। चालक दल का आराम आईएनएस कोच्चि की प्रमुख विशेषता है एवं इसे कर्मचारी की परिस्थिति के अनुसार अभिकल्पित आवास एवं मॉड्यूलर अवधारणा के आधार पर पोत के डिब्बों के माध्यम से सुनिश्चित किया गया है।
आईएनएस कोच्चि का नाम कोच्चि के जीवंत पत्तन शहर से लिया गया है। यह शहर के विशिष्ट समुद्री चरित्र और संस्कृति का सम्मान है एवं भारतीय नौसेना व कोच्चि शहर के बीच विशेष बंधन का प्रतीक है। इस पोत के ऊपरी हिस्से पर नीली व सफेद समुद्री तरंगों पर स्नेक बोट सवार के साथ ढाल व तलवार दर्शाया गया है जो मालाबार क्षेत्र की समुद्री विरासत एव मार्शल परंपराओं का प्रतीक है। पोत का चालक दल संस्कृत के आदर्श वाक्य “जाही शतरून महाबाहो” का पालन करता है जिसका अर्थ है “ओ। शक्तिशाली शस्त्रों में से एक … दुश्मन पर विजय हासिल कर।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.1PRE