प्रधानमंत्री ने कोच्चि में भारत के पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत को राष्ट्र–सेवा में समर्पित किया
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 02 सितंबर, 2022 को कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) में स्वदेशी निर्माण में देश की बढ़ती शक्ति और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक प्रमुख पड़ाव के प्रतीक के रूप में देश के पहले स्वदेशी वायुयान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत को राष्ट्र की सेवा में समर्पित किया।
- इस कार्यक्रम के दौरान औपनिवेशिक अतीत से अलग, प्रधानमंत्री ने नये नौसेना ध्वज का अनावरण किया और उस निशान को छत्रपति शिवाजी के प्रति समर्पित किया।
आईएनएस विक्रांत:
- आईएनएस विक्रांत का डिजाइन भारतीय नौसेना की अपनी संस्था वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया है तथा इसका निर्माण पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र की शिपयार्ड कंपनी, कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है।
- विक्रांत अत्याधुनिक स्वचालित विशेषताओं से लैस है और वह भारत के समुद्री इतिहास में अब तक का सबसे विशाल निर्मित पोत है।
- 5 मीटर लंबा और 61.6 मीटर चौड़ा विक्रांत का विस्थापन क्षमता लगभग 43,000 टन है।
- यह पोत वायुयान संचालन की क्षमता रखता है और इसके तहत 30 वायुयान आते हैं, जिनमें मिग-29के युद्धक विमान, कामोव-31, एमएच-60आर बहुउद्देशीय हेलीकॉप्टर शामिल हैं। इनके अलावा स्वदेशी स्तर निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर और हल्के युद्धक विमान (नौसेना) को भी शामिल किया गया है।
- शॉर्ट टेक–ऑफ बट एरेस्टेड रिकवरी (स्टोबार) नामक एक नई वायुयान संचालन प्रणाली का इस्तेमाल किया जाता है। इसी तरह आईएनएस विक्रांत को लॉन्चिंग एयरक्राफ्ट के लिये एक स्की–जम्प तथा विमानों के पोत पर ही रोकने के लिये ‘अरेस्टर वायर्स’ से भी लैस किया गया है।
नौसेना का नया निशान
- औपनिवेशिक अतीत के बोझ से छुटकारा पाने के क्रम में देश के वर्तमान प्रयासों के मद्देनजर इस बात की जरूरत महसूस की गई कि अपने इतिहास से प्रेरित कोई नया डिजाइन तैयार किया जाये।
- सफेद निशान नौसेना की राष्ट्रव्यापी उपस्थिति का प्रतीक है। अब इसमें दो प्रमुख घटक जुड़ गये हैं– ऊपर बाईं तरफ राष्ट्रीय ध्वज, बीच में गहरा नीला– स्वर्ण अष्टभुजा आकार (स्तंभ से हटकर) बना है।
- अष्टभुजा आकार में दो दोहरे स्वर्ण अष्टकोणीय छोर बने हैं, जो स्वर्ण राष्ट्रीय चिह्न (अशोक का सिंहचतुर्मुख स्तम्भशीर्ष) स्थित है। नीले रंग में देवनागरी लिपि में ‘सत्यमेव जयते’ अंकित है। इसे एक ढाल पर अंकित किया गया है।
- ढाल के नीचे, अष्टभुजाकार के भीतर, सुनहरे किनारे वाला रिबन बना है, जो गहरे नीले रंग के ऊपर है। वहां सुनहरे अक्षरों में भारतीय नौसेना का ध्येय–वाक्य ‘शं नो वरुणः’ लिखा है।
- डिजाइन के तहत अष्टभुजाकार के भीतर भारतीय नौसेना की कलगी, लंगर बना था, जो औपनिवेशिक अतीत से जुड़ा था। इसके स्थान पर अब स्पष्ट लंगर बना है, जो भारतीय नौसेना की दृढ़ता का प्रतीक है।
Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के GS -3, के “रक्षा प्रौद्योगिकी से संबंधित मुद्दे” वाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।