‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना’ की दूसरी वर्षगांठ मनाई गई
- प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की परिकल्पना ग्रामीण संसाधनों और त्वरित गति से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देकर ग्रामीण विकास के उद्देश्य के लिए को आत्मनिर्भर भारत के एक उपकरण के रूप में परिकल्पना की थी।
- इस योजना का मुख्य आदर्श वाक्य मत्स्य पालन क्षेत्र में ‘सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन‘ है।
- इन 3 स्तंभों में श्रृंखला के विभिन्न पहलू, सतत उत्पादन प्रथाएं, पर्याप्त प्रसंस्करण अवसंरचना का सृजन, अंतिम उपभोक्ता के लिए लक्ष्य विपणन समावेशी नीतियां और अपनाने के पर्याप्त नियामक ढांचे भी शामिल हैं।
- भारत सरकार ने ‘आत्मनिर्भर भारत‘ पैकेज के हिस्से के रूप में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना शुरुआत की 20,050 करोड़ रुपये के निवेश से शुरू की थी जो इस क्षेत्र में अब तक का सबसे अधिक निवेश है।
- मत्स्य पालन क्षेत्र ने 2019-20 से 2021-22 तक3 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि दर्शाई है।
- 2021-22 के दौरान मछली उत्पादन 87 लाख टन के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचा जो 2019-20 के दौरान 141.64 लाख टन तक रहा था।
- मत्स्य पालन क्षेत्र में अब तक का सबसे अधिक निर्यात64 लाख टन रहा, जिसका मूल्य 57,587 करोड़ रुपये है, जिसमें झींगा मछली के निर्यात का सबसे अधिक योगदान है।
- समुद्री मात्स्यिकी के विकास के लिए गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले 276 जहाजों को खरीदने की मंजूरी दी गई है और खरीदारी शुरू कर दी गई है।
- पीएमएमएसवाई से 22 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों में बीमा कवरेज के तहत47 लाख किसानों को मदद मिली है।
- पीएमएमएसवाई के माध्यम से 2024-25 के अंत तक अनुमानित 68 लाख रोजगार सृजित होने की परिकल्पना की गई है।
Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के GS -3, के “खाद्य सुरक्षा के मुद्दे” वाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।