भारत में पवन ऊर्जा परियोजना 2024 तक चरम पर पहुंच जाएगी
- ग्लोबल विंड एनर्जी काउंसिल (GWEC) और MEC+ द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में नई पवन ऊर्जा परियोजनाओं की वार्षिक स्थापना 2024 तक चरम पर होगी और इसके बाद गिरावट की संभावना है।
- जीवाश्म ईंधन से दूर जाने के अपने उदेश्य के रूप में, भारत ने 2030 में गैर–जीवाश्म ईंधन स्रोतों से अपनी आधी बिजली प्राप्त करने और 2022 तक 60 गीगावाट (GW) पवन ऊर्जा स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध किया है।
- अभी तक केवल 40 गीगावाट पवन ऊर्जा क्षमता स्थापित की जा सकी है।
- 2017 के बाद से भारत में पवन उद्योग की स्थापना धीमी हो रही है।
- 2021 में केवल45 GW पवन परियोजनाएं स्थापित की गईं, जिनमें से कई COVID-19 की दूसरी लहर और आपूर्ति श्रृंखला से संबंधित व्यवधानों के कारण विलंबित थीं।
- रिपोर्ट के अनुसार, परंपरागत रूप से, भारत में 2022 में2 GW, 2023 में 4.1 GW, 2024 में 4.6 GW तक बढ़ने की उम्मीद है, इसके बाद अगले दो वर्षों में क्रमशः 4 GW और 3.5 GW तक घटने की उम्मीद है।
Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के GS -3, के “आर्थिक विकास एवं पर्यावरण चुनौती” वाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।
Source: The Hindu