पूरी दुनिया में कोरोना वायरस (Corona virus) की तीसरी लहर अभी सही से खत्म नहीं हुई कि अब एक और जानलेवा पुरानी बीमारी उबरकर सामने आ गई है। इस खतरनाक बीमारी को लासा बुखार (Lassa Fever) के नाम से जाना जाता है। चिंता की बात यह है कि यह कोई नॉर्मल या वायरल बुखार नहीं है बल्कि यह चूहों से फैलने वाला बुखार है और बिना लक्षणों के इंसान को गंभीर रूप से बीमार करने की क्षमता रखता है।
पहले से कोरोना के ओमीक्रोन वेरिएंट की मार झेल रहे यूनाइटेड किंगडम में लासा बुखार से एक व्यक्ति की मौत हो गई है। लासा बुखार प्रमुख रूप से पश्चिमी अफ्रीकी देशों के यात्रियों से जुड़ा हुआ है। बताया जा रहा है कि 11 फरवरी को निदान किए गए तीन व्यक्तियों में से एक की मौत हो गई है। हालांकि लासा बुखार की मृत्यु दर अभी 1 प्रतिशत है, लेकिन कुछ लोगों और गर्भवती महिलाओं को उनकी तीसरी तिमाही में इसका जोखिम अधिक होता है।
चिंता की बात यह है कि लासा बुखार के 80 प्रतिशत मामले asymptomatic हैं। इसका मतलब है कि मरीजों को लक्षण महसूस नहीं होते हैं। यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल (CDC) के प्राथमिक विश्लेषण से पता चलता है कि कुछ गंभीर लक्षणों के चलते रोगियों को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता होती है और अस्पताल में भर्ती होने वालों में से 15 प्रतिशत की मृत्यु हो जाती है।
लासा बुखार क्या है
लासा बुखार पहली बार 1969 नाइजीरिया के लासा में खोजा गया था। इस दौरान वहां दो नर्सों की मौत हो गई थी। यह रोग सिएरा लियोन, गिनी, लाइबेरिया और नाइजीरिया जैसे पश्चिम अफ्रीकी देशों के लिए आम है और सबसे पहले चूहों द्वारा फैला था।
लासा बुखार कैसे फैलता है
लासा बुखार संक्रमित चूहे के मल-मूत्र के जरिए फैलता है। अगर कोई व्यक्ति चूहे के मल-मूत्र के संपर्क में आता है, तो संभव है, वो इसकी चपेट में आ सकता है। इसी तरह उस संक्रमित व्यक्ति से दूसरा व्यक्ति भी संक्रमित हो सकता है। दुर्लभ मामलों में संक्रमित व्यक्ति के शारीरिक तरल पदार्थ या श्लेष्मा झिल्ली जैसे आंख, मुंह, नाक के संपर्क में आने से भी संक्रमण फैल सकता है।
लासा बुखार के लक्षण
लासा बुखार के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 1-3 सप्ताह बाद दिखाई देते हैं। हल्के लक्षणों में थकान, हल्का बुखार, सिरदर्द और कमजोरी शामिल हैं। इसके गंभीर लक्षणों में रक्तस्राव, उल्टी, सांस लेने में कठिनाई, चेहरे पर सूजन, पीठ, छाती और पेट में दर्द शामिल हैं। लक्षणों की शुरुआत के दो सप्ताह में बहु-अंग विफलता के कारण रोगी की मृत्यु हो सकती है। इससे जुड़ी सबसे आम जटिलता बहरापन है।
SOURCE-NAVBHART TIMES
PAPER-G.S.3