वैकोम सत्याग्रह:
चर्चा में क्यों है?
- केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन शनिवार (1 अप्रैल) को वैकोम सत्याग्रह के शताब्दी समारोह का उद्घाटन किया।
वैकोम सत्याग्रह के बारे में:
- वायकोम सत्याग्रह (1924-1925 ई.) एक प्रकार का गाँधीवादी आन्दोलन था जो त्रावणकोर के एक मन्दिर के पास वाली सड़क के उपयोग से सम्बन्धित था। इस आन्दोलन का नेतृत्व टी. के. माधवन, के. केलप्पन तथा के. पी. केशव मेनन ने किया।
- 30 मार्च, 1924 को, त्रावणकोर की रियासत के मंदिर शहर वैकोम में, एक अहिंसक आंदोलन शुरू हुआ, जिसने देश भर में “मंदिर प्रवेश आंदोलनों” की शुरुआत को प्रेरित किया। ‘वायकोम सत्याग्रह‘ मन्दिर प्रवेश का प्रथम आन्दोलन था।
वैकोम सत्याग्रह का कारण/एझावा समुदाय का उदय:
- उल्लेखनीय है कि उस समय, त्रावणकोर में कुछ सबसे कठोर और अमानवीय मानदंडों के साथ, पूरे भारत में जातिगत भेदभाव और अस्पृश्यता व्याप्त थी।
- एझावा और पुलाय जैसी निचली जातियों को अपवित्र माना जाता था और उन्हें उच्च जातियों से दूर करने के लिए विभिन्न नियम बनाए गए थे। इनमें केवल मंदिर में प्रवेश पर ही नहीं, बल्कि मंदिरों के आसपास की सड़कों पर चलने पर भी प्रतिबंध शामिल था।
- राजनीतिक इतिहासकार मैरी एलिजाबेथ किंग ने “दक्षिण भारत में गांधीवादी अहिंसक संघर्ष और अस्पृश्यता: 1924-25 वायकोम सत्याग्रह और परिवर्तन के तंत्र” में लिखते हैं कि इस समय के दौरान, एझावा “त्रावणकोर में सबसे शिक्षित और संगठित अछूत समुदाय” के रूप में पायी जाती थी । इस संबंध में सरकार की शिक्षा नीतियां महत्वपूर्ण थीं।
- हालांकि उस समय एक छोटा एझावा अभिजात वर्ग उभरना शुरू हो गया था लेकिन धार्मिक भेदभाव अभी भी व्याप्त था और कई परिस्थितियों में यह भेदभाव उन एझावा अभिजात वर्ग के भौतिक और शैक्षिक प्रगति पर हावी हो जाता था।
- जाति की निरंतर व्यापकता एवं भेदभाव ने एझावा समुदाय और ऐसे अन्य पिछड़े समुदायों के बीच महत्वपूर्ण उद्वेलन पैदा कर दिया, जिससे आंदोलन के लिए बीज बोए गए।
वैकोम सत्याग्रह का नेतृत्व कर्ता कौन था?
- मंदिर प्रवेश का मुद्दा सबसे पहले एझावा नेता टीके माधवन ने 1917 में अपने अखबार देशाभिमानी के संपादकीय में उठाया था। गांधी के असहयोग आंदोलन की सफलता से प्रेरित होकर, 1920 तक, उन्होंने और अधिक प्रत्यक्ष तरीकों की वकालत करना शुरू कर दिया।
- 30 मार्च, 1924 को के.पी. केशवमेनन के नेतृत्व में सत्याग्रहियों ने मंदिर के पुजारियों तथा त्रावनकोर की सरकार द्वारा मंदिर में प्रवेश को रोकने के लिए लगाई गई बाड़ को पार कर मंदिर की ओर कूच किया। सभी सत्याग्रहियों को गिरफ़्तार किया गया।
- इस सत्याग्रह के समर्थन में पूरे देश से स्वयं सेवक वायकोम पहुँचने लगे। पंजाब से एक अकाली जत्था तथा ई. वी. रामस्वामी नायकर, जिन्हें ‘पेरियार’ के नाम से जाना जाता था, ने मदुरै से आये एक दल का नेतृत्व किया।