सम्मेद शिखरजी पर केंद्र का फैसला, पारसनाथ में नहीं होंगी पर्यटन एवं इको टूरिज्म गतिविधियां
- केंद्र सरकार ने जैन धर्मावलंबियों के प्रसिद्ध तीर्थस्थल पारसनाथ में पर्यटन व इको टूरिज्म की गतिविधियों पर रोक लगा दी है। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने 5 जनवरी को इस संबंध में आदेश जारी किया।
- पारसनाथ (सम्मेद शिखर) को पर्यटन क्षेत्र घोषित करने के विरोध में जैन समाज के व्यापक आंदोलन तथा इको सेंसिटिव जोन घोषित किए जाने के आदेश वापस लेने की लगातार हो रही मांग को देखते हुए केंद्र ने यह निर्णय लिया।
पर्वत, वन संपदा और पशु–पक्षियों से छेड़छाड़ पर लगाई गयी प्रतिबंध:
- केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने झारखंड सरकार को पत्र लिखकर जैन तीर्थस्थल की पवित्रता बरकरार रखने और पर्वत क्षेत्र में मांस–मदिरा और शराब की बिक्री व सेवन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए हैं।
- इसके अलावा केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से 2019 में पारसनाथ क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन घोषित किए जाने को लेकर जारी अधिसूचना में शामिल पर्यटन और इको टूरिज्म गतिविधियों पर रोक लगाते हुए इससे संबंधित कोई भी काम नहीं करने को कहा है।
पारसनाथ (सम्मेद शिखर जी):
- सम्मेद शिखर जैन धर्म को मानने वालों का एक प्रमुख तीर्थ स्थान है। यह जैन तीर्थों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
- जैन धर्मशास्त्रों के अनुसार जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों और अनेक संतों व मुनियों ने यहाँ मोक्ष प्राप्त किया था। इसलिए यह ‘सिद्धक्षेत्र‘ कहलाता है और जैन धर्म में इसे तीर्थराज अर्थात ‘तीर्थों का राजा‘ कहा जाता है।
- जैन नीति शास्त्रों में वर्णन है कि जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से प्रथम तीर्थंकर भगवान ‘आदिनाथ‘ अर्थात् भगवान ऋषभदेव ने कैलाश पर्वत पर, 12वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य ने चंपापुरी, 22वें तीर्थंकर भगवान नेमीनाथ ने गिरनार पर्वत और 24वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर ने पावापुरी में मोक्ष प्राप्त किया। शेष 20 तीर्थंकरों ने सम्मेद शिखर में मोक्ष प्राप्त किया। जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ ने भी इसी तीर्थ में कठोर तप और ध्यान द्वारा मोक्ष प्राप्त किया था। अत: भगवान पार्श्वनाथ की टोंक इस शिखर पर स्थित है।
- शिखरजी या श्री शिखरजी या पारसनाथ पर्वत भारत के झारखंड राज्य के गिरिडीह ज़िले में छोटा नागपुर पठार पर स्थित एक पहाड़ी है। यह जैन धर्म के दिगंबर मत का प्रमुख तीर्थ है।
- इसे ‘पारसनाथ पर्वत‘ के नाम से भी जाना जाता है जो 1,350 मीटर ऊँचा झारखंड का सबसे ऊंचा स्थान भी है।