आज नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जन्म दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने नई दिल्ली में इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया। हालाँकि, इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की ग्रेनाइट प्रतिमा बनाई जाएगी, परन्तु जब तक ग्रेनाइट प्रतिमा बन कर तैयार नहीं हो जाती, तब तक यह होलोग्राम प्रतिमा प्रदर्शित की जाएगी।
मुख्य बिंदु
ग्रेनाइट से बनी यह मूर्ति देश के स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी के अपार योगदान के लिए एक उपयुक्त श्रद्धांजलि होगी। इस प्रतिमा का काम पूरा होने तक नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा उसी स्थान पर मौजूद रहेगी।
इस होलोग्राम प्रतिमा को 30 हजार लुमेन 4K प्रोजेक्टर द्वारा संचालित किया जाएगा। इस कार्य के लिए एक 90% पारदर्शी होलोग्राफिक स्क्रीन इस तरह से लगाई गई है कि यह लोगों को दिखाई नहीं देगी। होलोग्राम का प्रभाव पैदा करने के लिए उस पर नेताजी की 3D छवि पेश की जाएगी। इस होलोग्राम प्रतिमा का आकार 28 फीट ऊंचा और 6 फीट चौड़ा है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhas Chandra Bose)
- न बनाएगा नेताजी की मूरत?
- अब देखने वाली बात ये होगी कि इंडिया गेट में छतरी के नीचे स्थापित होने वाली नेताजी की मूर्ति को कौन शिल्पकार बनाएगा। इतना तय है कि मूर्तिशिल्पी का नाम जल्दी ही तय हो जाएगा। संभव है कि यह ज़िम्मेदारी दिग्गज मूर्तिकार राम सुतार या उनके पुत्र अनिल सुतार को दी जाए।
- पिता-पुत्र की जोड़ी आजकल सरयू नदी के किनारे स्थापित होने वाली भगवान राम की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाने के काम में लगे हैं। इस प्रतिमा की लंबाई 251 फीट होगी। राम सुतार ने ही सरदार पटेल की चर्चित प्रतिमा ‘स्टेच्यू आफ यूनिटी’ तैयार की थी।
- महाराष्ट्र से संबंध रखने वाले सुतार की प्रतिमाओं में गति व भाव का शानदार समन्वय रहता है। संसद भवन में स्थापित छत्रपति शिवाजी की 18 फीट ऊंची तांबे की मूर्ति को भी राम सुतार ने सुंदर तरीके से तैयार किया था। वे इससे पहले और बाद में संसद भवन में देश की कई शख्सियतों की स्थापित प्रतिमाओं को बना चुके हैं, जैसे-महात्मा गांधी, महाराजा रंजीत सिंह, ज्योतिराव फूले, छत्रपति साहू महाराज, पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, सरदार पटेल, जय प्रकाश नारायण वगैरह।
- संसद भवन में उनकी चप्पे-चप्पे पर उपस्थिति हैं। उनके काम को बिना देखे कोई आगे नहीं बढ़ सकता। राम सुतार निस्संदेह आधुनिक भारतीय मूर्ति कला के सबसे महत्वपूर्ण नामों में से एक माने जाएंगे। सुतार के बारे में कहा जाता है कि वो पूरा शोध करने के बाद ही किसी प्रतिमा पर काम करना आरंभ करते हैं और अपनी शर्तों पर काम करते हैं।
इंडिया गेट का डिजाइन किससे प्रभावित
ड्यूक ऑफ़ कनॉट ने 10 फरवरी 1921 को वॉर मेमोरियल यानी इंडिया गेट का शिलान्यास किया था। ड्यूक ऑफ़ कनॉट के नाम पर ही कनॉट प्लेस का नाम रखा गया था। इसके लिए वृताकार प्रिंसेस पार्क के केन्द्र में स्थान चुना गया। सर एडवर्ड लुटियंस ने इसका और छतरी का डिजाइन एक साथ बनाया था।
इंडिया गेट का डिजाइन पेरिस में स्थित आर्क डी ट्रौम्फ़ स्मारक से प्रभावित है। इधर प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए सैनिकों का स्मारक है।
खैर, शिलान्यास के दस बरसों के बाद इंडिया गेट का 12 फरवरी, 1931 को उदघाटन हुआ। यह सबको पता है कि ये पहले विश्व युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की याद में बना था। इंडिया गेट को लाल और धूसर रंग के पत्थरों और ग्रेनाइट से मिलकर बनाया गया है। इंडिया गेट के अंदर मौजूद लगभग 300 सीढ़ियों को चढ़कर आप इसके ऊपरी गुंबद तक पहुंचते हैं।
क्या है होलोग्राम मूर्ति?
नेता जी की होलोग्राम की ये प्रतिमा देश में सबसे अनूठी होगी। इस खास टेक्नोलॉजी में प्रोजेक्टर्स का इस्तेमाल होता है और उन प्रोजेक्टर्स के सहारे 3 डी इमेज तैयार की जाती है। यह ऐसा प्रोजेक्शन होता है, जिसमें तस्वीर हकीकत से मिलती जुलती होती है। इसमें कई तरफ से प्रोजेक्टर्स के जरिए इमेज क्रिएट की जाती है। होलोग्राम में कई साइड से देखा जा सकता है। यानी इमेज के चारों तरफ घूमा जा सकता है और इससे अलग अलग एंगल से जा सकेगा। जिस तरह एक मूर्ति लगी होती है, वैसे ही यह मूर्ति होगी, लेकिन यह वर्चुअल रूप से तैयार की गई होगी।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.1PRE