अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 25 जनवरी, 2022 को अपना विश्व आर्थिक आउटलुक (World Economic Outlook) जारी किया।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
- इस रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक आर्थिक विकास पहले के अनुमान से आधा प्रतिशत कम हो जाएगा।
- वृद्धि 2021 में 9% से घटकर 2022 में 4.4% हो जाएगी। यह 2023 में और कम होकर 3.8% हो जाएगी।
भारत का विकास
- IMF के पूर्वानुमान के अनुसार, भारत 2021-2022 में 9% की दर से बढ़ेगा। अक्टूबर 2021 के अनुमान में, IMF ने वर्ष के लिए भारत की विकास संभावनाओं को 5% पर अनुमानित किया था। IMF ने अब 2022-23 में भारत की अर्थव्यवस्था के लिए 9% की वृद्धि का अनुमान लगाया है। अक्टूबर के आकलन में, 2022-23 में 8.5% और 2023-24 में 7.1% की वृद्धि का अनुमान लगाया गया था।
- 2023 के लिए भारत की संभावनाओं का अनुमान ऋण वृद्धि में अपेक्षित सुधारों के आधार पर लगाया गया है।
ओमिक्रोन का प्रभाव
IMF के अनुसार, ओमिक्रोन कोविड-19 संस्करण के विस्तार के बीच, देशों ने गतिशीलता प्रतिबंध फिर से लागू कर दिए हैं। अमेरिका और अन्य विकासशील अर्थव्यवस्थाओं और उभरते बाजारों में ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि और आपूर्ति में व्यवधान के परिणामस्वरूप अपेक्षा से अधिक व्यापक-आधारित मुद्रास्फीति हुई है।
वैश्विक विकास पर विश्व बैंक
हाल ही में, विश्व बैंक ने भी 2022 में इसे 4.1% पर रखते हुए वैश्विक विकास में मंदी की भविष्यवाणी की थी।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष 189 सदस्य देशों वाला एक संगठन है जिनमें से प्रत्येक देश का इसके वित्तीय महत्त्व के अनुपात में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्यकारी बोर्ड में प्रतिनिधित्व हैं। इस प्रकार वैश्विक अर्थव्यवस्था में जो देश अधिक शक्तिशाली है उस देश के पास अधिक मताधिकार है।
उद्देश्य
- वैश्विक मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देना।
- वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और सतत् आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देना।
- दुनिया भर में गरीबी को कम करना।
इतिहास
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की अभिकल्पना जुलाई 1944 में संयुक्त राज्य के ‘न्यू हैम्पशायर’ में संयुक्त राष्ट्र के ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में की गई थी।
- उक्त सम्मेलन में 44 देशों नें एक साथ मिलकर आर्थिक-सहयोग हेतु एक फ्रेमवर्क के निर्माण की बात की ताकि प्रतिस्पर्द्धा अवमूल्यन की पुनरावृत्ति से बचा जा सके जिसके कारण वर्ष 1930 के दशक में आए विश्वव्यापी महामंदी जैसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो गई थी।
- जब तक कोई देश अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का सदस्य नहीं बनता, तब तक उसे विश्व बैंक की शाखा अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (International Bank for Reconstruction and Development-IBRD) में सदस्यता नहीं मिलती है।
कार्य
- वित्तीय सहयोग प्रदान करना : भुगतान संतुलन की समस्याओं से जूझ रहे सदस्य देशों को वित्तीय सहयोग प्रदान करना और अंतर्राष्ट्रीय भंडार की भरपाई करने, मुद्रा विनिमय को स्थिर करने और आर्थिक विकास के लिये ऋण वितरण करना।
- IMF निगरानी तंत्र : यह अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली का निरीक्षण करता है एवं अपने 189 सदस्य देशों की आर्थिक और वित्तीय नीतियों की निगरानी करता है। इस प्रक्रिया के एक भाग के रूप में यह निगरानी किसी एक देश के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भी की जाती है। IMF आर्थिक स्थिरता के संबंध में संभावित जोखिमों पर प्रकाश डालने के साथ ही आवश्यक नीति समायोजन (Needed policy Adjustments) पर भी सलाह देता है।
- क्षमता विकास : यह केंद्रीय बैंकों, वित्त मंत्रालयों, कर अधिकारियों एवं अन्य आर्थिक संस्थानों को प्रौद्योगिकी सहयोग और प्रशिक्षण प्रदान करता है। यह राष्ट्रों के सार्वजनिक राजस्व को बढ़ाने, बैंकिंग प्रणाली का आधुनिकीकरण करने, मज़बूत कानूनी ढाँचे का विकास करने, शासन में सुधार करने में सहयोग करता है और वित्तीय आँकड़ों एवं व्यापक आर्थिक रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित करता है। यह राष्ट्रों को सतत् विकास लक्ष्य (SDG) की ओर प्रगति करने में भी सहयोग करता है।
SOURCE-IMF
PAPER-G.S.3