66 वर्ष पुराना है महाराष्ट्र–कर्नाटक सीमा विवाद, दोनों राज्यों के नेताओं ने बनाया इसे राजनीतिक मुद्दा
- महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच जिस सीमा विवाद को लेकर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री गृहमंत्री अमित शाह के पास पहुंचे हैं, वह दरअसल 66 साल पुराना विवाद है। सर्वोच्च न्यायालय में लंबित होने के बावजूद दोनों राज्यों के राजनीतिक नेतृत्व इस मुद्दे को अपनी–अपनी राजनीति के लिए भी इस्तेमाल करते रहते हैं। जैसा कि आजकल देखने में आ रहा है।
महाराष्ट्र–कर्नाटक सीमा विवाद क्या है?
- इस विवाद की शुरुआत 1956 में संसद द्वारा राज्य पुनर्गठन अधिनियम पारित होने के साथ ही हो गई थी। उस समय कर्नाटक को मैसूर राज्य एवं महाराष्ट्र को बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा माना जाता था।
- राज्यों के पुनर्गठन के दौरान कई कन्नड़भाषी गांव महाराष्ट्र का एवं कई मराठीभाषी गांव तत्कालीन कर्नाटक का हिस्सा बन गए।
- महाराष्ट्र उसी समय से कर्नाटक के 80 मराठीभाषी गांवों पर दावा करता आ रहा है, तो कर्नाटक महाराष्ट्र के 260 कन्नड़भाषी गांवों पर।
- जब यह विवाद शुरू हुआ, तो कर्नाटक के मुख्यमंत्री एस.निजलिंगप्पा एवं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री वसंतराव नाईक थे।
महाजन आयोग का गठन:
- दोनों राज्यों के बीच अपनी-अपनी भाषाओं के गांवों पर दावों को देखते हुए तत्कालीन केंद्र सरकार ने इस विवाद के निपटारे के लिए 25 अक्तूबर, 1966 को सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति मेहरचंद महाजन की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया।
- आयोग ने 1967 में अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसमें उसने कर्नाटक के 264 गांवों में निपानी, नंदपुर और खानापुर जैसे बड़े कस्बों को महाराष्ट्र में शामिल करने एवं दक्षिण सोलापुर एवं अक्कलकोट सहित महाराष्ट्र के 246 गांवों को कर्नाटक में शामिल करने की सिफारिश की।
- यह रिपोर्ट 1970 में संसद में पेश की गई, लेकिन इस पर तब कोई चर्चा नहीं हुई।
- चूंकि रिपोर्ट सार्वजनिक हो चुकी थी, इसलिए दोनों तरफ का राजनीतिक नेतृत्व इस रिपोर्ट के आधार पर बताए गए गांवों और शहरों पर अपने–अपने दावे करने लगा।
- इसी विवाद के तहत कर्नाटक की सीमा में आ चुके बेलगाम (अब बेलगावी) शहर पर महाराष्ट्र अपना दावा करता आ रहा है।
- लेकिन कर्नाटक ने इस शहर पर अपना दावा और मजबूत करने की गरज से इस सीमावर्ती शहर में अपनी एक और विधानसभा का निर्माण कर 2007 से वहां अपना विधानमंडल सत्र भी बुलाना शुरू कर दिया।
- हाल के दिनों में इस विवाद को तूल तब मिला, जब कर्नाटक के वर्तमान मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बयान दिया कि महाराष्ट्र के सांगली जिले की जट तहसील के 40 गांवों ने प्रस्ताव पारित कर कर्नाटक में शामिल होने की मांग की है। क्योंकि सूखे के दिनों में इन गांवों के जल संकट का हल कर्नाटक ने निकाला था।
कर्नाटक–महाराष्ट्र सीमा विवाद सुलझाने के लिए बनेगी कमेटी:
- केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में यह फैसला लिया कि कर्नाटक–महाराष्ट्र में सीमा विवाद सुलझाने के लिए दोनों राज्यों के तीन–तीन मंत्रियों की कमेटी बनेगी।
- अमित शाह के अनुसार बैठक में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक दोनों में किसी राज्य की ओर सीमा पर नए दावे नहीं करने का भी फैसला लिया गया है।
- इसके साथ ही विवादित इलाकों में हालात को सामान्य बनाए रखने के लिए वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी के नेतृत्व में कमेटी का भी गठन किया जाएगा।
- अमित शाह ने साफ कर दिया कि सीमा विवाद का हल सड़क पर नहीं, सिर्फ संविधान के दायरे में ही हो सकता है।
- अमित शाह के अनुसार 66 साल पुराने सीमा विवाद का इस वक्त हवा देने के लिए कई फर्जी ट्विटर एकाउंट का इस्तेमाल किया गया था। ये फर्जी एकाउंट बड़े नेताओं के नाम पर बनाए गए थे। उल्लेखनीय है कि सीमा विवाद को लेकर आम लोगों को भावनाएं भड़काने में इन फर्जी ट्विटर एकाउंट की अहम भूमिका रही थी।