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आत्मनिर्भर भारत के तहत रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के लिए उन्नत आकाश अस्त्र प्रणाली और 12 स्वाति रडारों के अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए

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आत्मनिर्भर भारत के तहत रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के लिए उन्नत आकाश अस्त्र  प्रणाली और 12 स्वाति रडारों के अनुबंधों  पर हस्ताक्षर किए

  • रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ को और बढ़ावा देते हुए, रक्षा मंत्रालय ने 30 मार्च, 2023 को भारतीय सेना के लिए उन्नत ‘आकाश अस्त्र प्रणाली’ और अस्त्रों का पता लगाने वाले 12 ‘स्वाति रडारों’ की खरीद के लिए 9,100 करोड़ रुपये से अधिक अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए।

उन्नतआकाशशस्त्र प्रणाली:

  • उन्नत आकाश अस्त्र प्रणाली (AWS) एक कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (SRSAM) की वायु प्रतिरक्षा प्रणाली, जिसे डीआरडीओ द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है।

  • हवाई खतरों से निपटने के उद्देश्य से भारतीय सेना के लिए उत्तरी सीमाओं के लिए इन्हें उन्नत करने के साथ एडब्ल्यूएस की दो अतिरिक्त रेजीमेंट खरीदी जा रही हैं।
  • यह परियोजना विशेष रूप से भारतीय मिसाइल निर्माण उद्योग और समग्र रूप से स्वदेशी रक्षा निर्माण इकोसिस्टम को बढ़ावा देगी। परियोजना में कुल स्वदेशी सामग्री 82% है जिसे 2026-27 तक बढ़ाकर 93% किया जाएगा।
  • भारतीय सेना में उन्नत आकाश अस्त्र प्रणाली (एडब्ल्यूएस) को शामिल करने से कम दूरी की मिसाइल क्षमता में भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।

हथियारों का पता लगाने वालेरडार स्वाति’:

  • हथियारों का पता लगाने वाले रडार स्वाति (मैदानी) के लिए अनुबंध पर भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड (बीईएल) के साथ 990 करोड़ रुपये से अधिक की लागत के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे।
  • यह एक स्वदेशी रूप से डिज़ाइन किया गया ऐसा डब्ल्यूएलआर है जो हमारी सेनाओं पर  गोलाबारी कर रही तोपों, मोर्टारों और रॉकेटों की सटीक स्थिति का पता लगाने की क्षमता के साथ ही स्वयं के गोलाबारी संसाधनों द्वारा प्रत्युत्तर में आक्रमण करके उन्हें नष्ट करने की सुविधा से लैस है।
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