G-20 देशों के पर्यावरण और जलवायु मंत्रियों की संयुक्त बैठक
- केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री, श्री भूपेंद्र यादव ने 31 अगस्त 2022 को इंडोनेशिया के बाली में आयोजित जी-20 देशों के पर्यावरण और जलवायु मंत्रियों की संयुक्त बैठक (JECMM) में भाग लिया।
- जी-20 बैठक के समापन दिवस पर अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री ने दुनिया भर में मजबूत सुधार और लचीलापन लाने के लिए एक साथ काम करने की आवश्यकता को रेखांकित किया और कहा कि इस काम में किसी को भी, विशेष रूप से समाज के सबसे कमजोर वर्गों को भी पीछे नहीं छोड़ा जा सकता।
- श्री यादव ने कहा कि सतत सुधार को सतत विकास लक्ष्यों की ओर ले जाया जाना चाहिए।
- अपने संबोधन में उन्होंने जोर देकर कहा कि जहां जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक परिघटना है, वहीं इसके नकारात्मक प्रभाव गरीब और कमजोर लोगों को, विशेष रूप से विकासशील देशों में अधिक गंभीरता से महसूस करने पड़ते हैं।
- प्राकृतिक संसाधनों पर विश्वभर में बहुत अधिक निर्भरता है, लेकिन जलवायु विषमता से निपटने की क्षमता बहुत सीमित है।
- उल्लेखनीय है कि जलवायु परिवर्तन की यह परिघटना बहुत गहरे तक भेदभावपूर्ण है। विकासशील देशों के जिन लोगों ने इसमें सबसे कम योगदान दिया है, वे ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से सबसे अधिक प्रभावित होंगे।
- इसलिए समकालीन पर्यावरणीय चुनौती से निपटने के लिए कोई भी पहल राष्ट्रीय परिस्थितियों और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए समानता और सामान्य लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं के सिद्धांत पर आधारित होनी चाहिए।
नोट: भारत 1 दिसंबर, 2022 को जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण करेगा और 2023 में जी-20 शिखर सम्मेलन में उसका कार्यकाल समाप्त होगा।
- उल्लेखनीय है कि नवंबर 2021 में सीओपी 26 के दौरान विश्वभर के नेताओं की शिखर बैठक में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सतत विकास के लिए एक नया मंत्र दिया यानी लाइफ-लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट।
- आज जरूरत इस बात की है कि जीवन को नासमझी में की जाने वाली विनाशकारी खपत की जगह समझदारी पूर्वक किए जाने वाले उपयोग में बदल दिया जाए।
- स्वच्छ ऊर्जा और ऊर्जा सुरक्षा, कम कार्बन और कुशल औद्योगिक विकास, सतत कृषि और निम्न कार्बन जीवन की दिशा में भारत का प्रयास सभी के लिए स्थायी जीवन शैली का विकास करने में परिवर्तनकारी बदलाव की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- हम सभी के लिए वहनीय, प्राप्त करने योग्य और टिकाऊ जीवनशैली सुनिश्चित करने के लिए समृद्धि को फिर से परिभाषित करने की आवश्यकता है।
- उन्होंने कहा कि भारत का दृष्टिकोण समूचे विश्व के लिए एक समान है और यह सभी देशों, अर्थव्यवस्थाओं और समुदायों की एक दूसरे पर निर्भरता में विश्वास करता है।
Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के GS-3, के “अर्थव्यवस्था के टॉपिक समावेशी विकास और इससे उत्पन्न होने वाले मुद्दे तथा पर्यावरण संरक्षण” वाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।