विश्व बैंक की ‘Global Economic Prospects’ रिपोर्ट 11 जनवरी, 2022 को जारी की गई थी।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
रिपोर्ट में कहा गया है कि, वैश्विक आर्थिक विकास 2022 में तेजी से घटकर 4.1% और 2023 में 3.2% हो जाएगा, जो 2021 में 5.5% था।
यह वित्त वर्ष 2021-2022 में भारत की वार्षिक वृद्धि 8.3%, 2022-23 में 8.7%, जबकि 2023-24 में 6.8% होने का अनुमान है।
2021 में रिकवर होने के बाद, वैश्विक अर्थव्यवस्था नए कोविड-19 वेरिएंट, बढ़ती मुद्रास्फीति, ऋण और आय असमानता, राजकोषीय और मौद्रिक समर्थन को कम करने और मांग में कमी के कारण “स्पष्ट मंदी” की ओर बढ़ रही है।
ओमिक्रोन संस्करण का प्रभाव
ओमिक्रोन वैरिएंट के तेजी से प्रसार से पता चलता है कि, कोविड-19 महामारी के आर्थिक गतिविधियों को बाधित करने की संभावना है। इसके अलावा, अमेरिका और चीन सहित प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में मंदी का असर उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में बाहरी मांग पर पड़ेगा।
दक्षिण एशिया के लिए आउटलुक
दक्षिण एशिया के दृष्टिकोण में, भारत अपेक्षाकृत उज्ज्वल स्थान पर है। विश्व बैंक का 2021-22 में भारत में 8.3% का अनुमान इसकी जून 2021 की रिपोर्ट से अपरिवर्तित है। हालांकि, 2022-23 और 2023-24 के लिए पूर्वानुमान को क्रमशः 8.7% और 6.8% कर दिया गया है। यह निजी क्षेत्र और बुनियादी ढांचे में उच्च निवेश को दर्शाता है।
भारत के सांख्यिकी कार्यालय से अग्रिम अनुमान
सांख्यिकी कार्यालय के अग्रिम अनुमानों के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की अर्थव्यवस्था के 9.2% बढ़ने की संभावना है।
दक्षिण एशिया पर विश्व बैंक की चिंता
विश्व बैंक की इस रिपोर्ट ने दक्षिण एशिया के लिए विशिष्ट जोखिम की ओर संकेत किया है क्योंकि ओमिक्रोन के उद्भव से गतिशीलता प्रतिबंधों और कम बाहरी मांग के साथ आर्थिक गतिविधियों में बाधा आने की संभावना है। यह क्षेत्र जलवायु परिवर्तन सहित कई कारकों के कारण संवेदनशील है।
- बिगड़ती घरेलू वित्तीय स्थिति
- वास्तविक आय में कमी
- कमजोर होता वित्तीय क्षेत्र
यह क्षेत्र जलवायु-प्रेरित गरीबी, खाद्य कीमतों, रोग और बाल मृत्यु दर में वृद्धि के प्रति भी संवेदनशील है।
विश्व बैंक
- परिचय :
- इसे वर्ष 1944 में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ पुनर्निर्माण और विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय बैंक (International Bank for Reconstruction and Development-IBRD) में स्थापित किया गया था। IBRD को ही विश्व बैंक के रूप में जाना जाता है।
- विश्व बैंक समूह विकासशील देशों में गरीबी को कम करने और साझा समृद्धि का निर्माण करने वाले स्थायी समाधानों के लिये कार्य कर रहे पाँच संस्थानों की एक अनूठी वैश्विक साझेदारी है।
- सदस्य :
- वर्तमान में इसके 189 सदस्य देश हैं।
- भारत भी एक सदस्य देश है।
- प्रमुख रिपोर्ट :
- ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस।
- ह्यूमन कैपिटल इंडेक्स।
- वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट।
विश्व बैंक पाँच प्रमुख विकास संस्थान :
- अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (IBRD) : यह लोन, ऋण और अनुदान प्रदान करता है।
- अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA) : यह निम्न आय वाले देशों को कम या बिना ब्याज वाले ऋण प्रदान करता है।
- अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) : यह कंपनियों और सरकारों को निवेश, सलाह तथा परिसंपत्तियों के प्रबंधन संबंधी सहायता प्रदान करता है।
- बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी (MIGA) : यह ऋणदाताओं और निवेशकों को युद्ध जैसे राजनीतिक जोखिम के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने का कार्य करती है।
- निवेश विवादों के निपटारे के लिये अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (ICSID) : यह निवेशकों और देशों के मध्य उत्पन्न निवेश-विवादों के सुलह और मध्यस्थता के लिये सुविधाएँ प्रदान करता है।
- भारत इसका सदस्य नहीं है।
प्रमुख शब्दावली
- सकल घरेलू उत्पाद
- सकल घरेलू उत्पाद किसी देश में आर्थिक गतिविधि का एक माप होता है। यह किसी देश में वस्तुओं और सेवाओं के वार्षिक उत्पादन का कुल मूल्य है। यह उपभोक्ताओं की ओर से आर्थिक उत्पादन को दर्शाता है।
- जीडीपी = निजी खपत + सकल निवेश + सरकारी निवेश + सरकारी खर्च + (निर्यात-आयात)।
- मंदी और अवसाद या महामंदी
- मंदी : यह एक व्यापक आर्थिक शब्द है, जो एक लंबी अवधि के लिये आर्थिक गतिविधियों में व्यापक पैमाने पर संकुचन को संदर्भित करता है या यह कहा जा सकता है कि जब स्लोडाउन काफी लंबे समय तक बना रहता है, तो इसे मंदी कहा जाता है।
- अवसाद या महामंदी : इस स्थिति में मंदी का वातावरण बना रहता है तथा अर्थव्यवस्था की स्थिति और भी खराब हो जाती है। यह नकारात्मक आर्थिक विकास की एक लंबे समय तक चलने वाली अवधि है, जिसमें उत्पादन कम-से-कम 12 महीने तक गिरता है और जीडीपी 10% से अधिक गिर जाती है।
- राजकोषीय नीति
- राजकोषीय नीति का तात्पर्य आर्थिक स्थितियों को प्रभावित करने के लिये सरकारी खर्च और कर नीतियों के उपयोग से है।
- मंदी के दौरान सरकार कुल मांग को बढ़ाने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये कर दरों को कम करके विस्तारवादी राजकोषीय नीति का प्रयोग करती है।
- मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी और अन्य विस्तारवादी लक्षणों का मुकाबला करने के लिये सरकार संकुचनकारी राजकोषीय नीति का प्रयोग करती है।
SOURCE-WORLD BANK .ORG
PAPER-G.S.1PRE