केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के अधीन स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 (एसबीएम-यू 2.0) ने ‘सोशल एंटरप्राइसेज फॉर गार्बेज फ्री सिटीज़ः एनकरेजिंग विमेन आंत्रप्रन्योर्स इन वेस्ट मैनेजमेंट’ (अपशिष्ट मुक्त शहरों के लिये सामाजिक उद्यमः अपशिष्ट प्रबंधन में महिला उद्यमियों को प्रोत्साहन) पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया।
यह आयोजन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के पूर्वावलोकन के रूप में छत्तीसगढ़ सरकार के सहयोग से गुरुवार को रायपुर में किया गया। कार्यक्रम में लगभग 100 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम में लगभग 100 ‘स्वच्छता दीदी’ ने हिस्सा लिया, जो पूरे छत्तीसगढ़ की महिला स्वसहायता समूहों की सदस्यायें हैं। इन सबको पूरे राज्य में विकेंद्रीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन श्रृंखला की देखरेख करने में कुशल बनाया गया है। इनके कार्यों में घरों से अलग-अलग प्रकार के कचरे को जमा करने, उपयोग करने का शुल्क जमा करने, जमा किये हुये कचरे को स्थानीय ठोस तथा तरल स्रोत प्रबंधन (एसएलआरएम) केंद्रों तक ले जाने की जिम्मेदारी शामिल है। केंद्रों में कचरा पहुंचने के बाद उसकी फिर छंटाई होती है। उसके बाद उसका प्रसंस्करण किया जाता है तथा री-साइकिल का काम पूरा करने के बाद कचरे का निपटान कर दिया जाता है। इनके अलावा शहर भर के तमाम लोगों ने वर्चुअल तरीके से कार्यक्रम को देखा।
कार्यक्रम में एसबीएम-यू 2.0 के तहत अपशिष्ट मुक्त शहरों के लिये राष्ट्रीय क्षमता निर्माण प्रारूप की शुरूआत की गई। आशा की जाती है कि इससे एसबीएम-यू 2.0 के तहत राज्यों तथा शहरी निकायों के क्षमता निर्माण, कौशल विकास तथा ज्ञान प्रबंधन पहलों के सिलसिले में ब्लूप्रिंट तैयार करने में मदद मिलेगी। यह एसबीएम-यू 2.0 द्वारा आयोजित अपनी तरह का पहला सम्मेलन था, जिसे एसबीएम-यू के एक दिग्दर्शक राज्य के सहयोग से आयोजित किया गया था। इसका उद्देश्य मिशन की क्षमता निर्माण पहलों के अंग के रूप में अपने समकक्षों से सीखने को प्रोत्साहित और प्रेरित करना तथा अपने ज्ञान को साझा करना था
वासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के एसबीएम-यू की राष्ट्रीय मिशन निदेशक सुश्री रूपा मिश्रा ने प्रारूप का समग्र ब्योरा पेश किया। उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में त्रिकोणीय नजरिया अपनाया जायेगा – 1. राज्यों और नगर निकाय संवर्ग की क्षमता निर्माण किया जायेगा। यह काम संसाधनों के मूल्यांकन, प्रशिक्षण जरूरतों के मूल्यांकन, अल्पकालीन और दीर्घकालीन प्रशिक्षण, वेबिनारों, समकक्षों से सीखने और ई-लर्निंग के जरिये किया जायेगा, 2. विशिष्ट मानव संसाधनों के जरिये क्षमता विकास का काम कार्यक्रम प्रबंधन इकाइयों और शहरी प्रबंधकों के रूप में किया जायेगा और 3. ईको-सिस्टम को मौजूदा जन स्वास्थ्य और पर्यावरण सम्बंधी इंजीनियरिंग संगठनों के जरिये मजबूत बनाया जायेगा। इसमें स्वच्छता ज्ञान साझीदारों, स्वच्छता मार्गदर्शकों को संलग्न करके और प्रोफेसर पद की पीठ बनाकर उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना शामिल है।
- शहरी भारत को खुले में शौच से मुक्त (ODF) बनाने और नगरपालिका के ठोस कचरे का 100% वैज्ञानिक प्रबंधन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 2 अक्तूबर, 2014 को SBM-U का पहला चरण शुरू किया गया था। यह अक्तूबर 2019 तक चला इसे 41 लाख करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ 2021 से 2026 तक पाँच वर्षों में लागू किया जाएगा।
- लक्ष्य : यह कचरे के स्रोत पर पृथक्करण, एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक और वायु प्रदूषण में कमी, निर्माण एवं विध्वंस गतिविधियों से कचरे का प्रभावी ढंग से प्रबंधन तथा सभी पुराने डंप साइट के बायोरेमेडिएशन पर केंद्रित है। इस मिशन के तहत, सभी अपशिष्ट जल को जल निकायों में छोड़ने से पहले ठीक से उपचारित किया जाएगा और सरकार अधिकतम पुन: उपयोग (reuse) को प्राथमिकता देने का प्रयास कर रही है।
- मिशन का परिणाम :
- सभी वैधानिक शहर ODF+ प्रमाणित हो जाएंगे (पानी, रखरखाव और स्वच्छता के साथ शौचालयों पर केंद्रित)।
- 1 लाख से कम आबादी वाले सभी वैधानिक शहर ODF++ प्रमाणित हो जाएंगे (कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन के साथ शौचालयों पर केंद्रित)।
- 1 लाख से कम आबादी वाले सभी वैधानिक कस्बों का 50% से अधिक जल प्रमाणित हो जाएगा।
- कचरा मुक्त शहरों के लिये MoHUA के स्टार रेटिंग प्रोटोकॉल के अनुसार, सभी वैधानिक कस्बों को कम-से-कम 3-स्टार कचरा मुक्त दर्जा दिया जाएगा।
- सभी पुराने डंप साइट्स का बायोरेमेडिएशन।
आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय (MoHUA) इस योजना का नोडल मंत्रालय है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.3