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पीएम किसान सम्मान निधि

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि पीएम किसान सम्मान निधि और कृषि से जुड़ी अन्य योजनाएं हमारे देश के करोड़ों किसानों को नई ताकत दे रही हैं। उन्होंने किसानों की शक्ति को रेखांकित करते हुए कहा कि जब किसान सशक्त होंगे, तो देश समृद्ध होगा।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना

  • प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) योजना एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 24 फरवरी, 2019 को लघु एवं सीमांत किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी।
  • इस योजना के तहत पात्र किसान परिवारों को प्रतिवर्ष 6,000 रुपए की दर से प्रत्यक्ष आय सहायता उपलब्ध कराई जाती है।
  • यह आय सहायता 2,000 रुपए की तीन समान किस्तों में लाभान्वित किसानों के बैंक खातों में प्रत्यक्ष रूप से हस्तांतरित की जाती है, ताकि संपूर्ण प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।
  • आरंभ में यह योजना केवल लघु एवं सीमांत किसानों (2 हेक्टेयर से कम जोत वाले) के लिये ही शुरू की गई थी, किंतु 31 मई, 2019 को कैबिनेट द्वारा लिये गए निर्णय के उपरांत यह योजना देश भर के सभी किसानों हेतु लागू कर दी गई।
  • इस योजना का वित्तपोषण केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा है। इस योजना पर अनुमानतः 75 हज़ार करोड़ रुपए का वार्षिक व्यय आएगा।

योजना का उद्देश्य

  • इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य देश के लघु एवं सीमांत किसानों को प्रत्यक्ष आय संबंधी सहायता प्रदान करना है।
  • यह योजना लघु एवं सीमांत किसानों को उनकी निवेश एवं अन्य ज़रूरतों को पूरा करने के लिये आय का एक निश्चित माध्यम प्रदान करती है।
  • योजना के माध्यम से लघु एवं सीमांत किसानों को साहूकारों तथा अनौपचारिक ऋणदाता के चंगुल से बचाने का प्रयास किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

यह महत्वपूर्ण योजना प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 18 फरवरी, 2016 को शुरु की गयी थी।  अक्सर किसानों को तैयार फसल आंधी, ओलावृष्टी और तेज बारिश जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण नष्ट हो जाती है। ऐसे में किसानों के सामने अपना जीवन निर्वाह करने की समस्या उत्पन्न हो जाती है, जिसके कारण किसान आत्महत्या भी कर लेते है।

इस प्रकार की समस्याओं को देखते हुए सरकार द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत की गयी है। इस योजना के अंतर्गत बुआई के पहले से और फसल की कटाई के बाद तक के लिए बीमा सुरक्षा मिलती है। फसल बीमा योजना के तहत रबी, खरीफ की फसल के साथ-साथ कारोबारी और बागबानी फसलों को भी शामिल किया गया है। आपको बता दें, कि किसान को खरीफ फसलों के लिए 2 प्रतिशत और रबी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत का प्रीमियम भुगतान करना होता है।

किसान क्रेडिट कार्ड योजना

किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की शुरुआत भारत सरकार द्वारा वर्ष 1998 में की गयी थी। किसानों को इस कार्ड की सहायता से पर्याप्त ऋण (लोन) बहुत ही आसानी से मिल जाता है। जिससे किसान कृषि से सम्बंधित खाद – बीज, कीटनाशक आदि सामग्री खरीद सकते है। सबसे खास बात यह है, कि इस कार्ड से 5 वर्षों में 3 लाख तक का लोन ले सकते है।

यदि किसान इस कार्ड पर लिए गये लोन को 1 वर्ष के अन्दर ही वापस कर देते है, तो उन्हें ब्याज दर में 3 प्रतिशत की छूट मिलती है। इसके अलावा यदि किसानों को अचानक धन की आवश्यकता होने पर भी वह इस योजना के माध्यम से धन की प्राप्ति तत्काल रूप से कर सकते है।

प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना

केंद्र की मोदी सरकार ने नौकरी-पेशा करने वाले लोगों की तरह किसानों के लिए पेंशन योजना की सौगात दी है। इस स्कीम के अंतर्गत किसानों को 60 वर्ष की आयु पूरी करने के पश्चात न्यूनतम 3000 रुपए पेंशन दी जाती है।

योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए किसानों को 55 रुपए से लेकर 200 रुपये तक प्रतिमाह 60 वर्ष की आयु तक जमा करना होता है। जैसे ही किसान अपनी 60 वर्ष की आयु पूरी करता है, उन्हें पेंशन मिलनी शुरू हो जाती है। इस योजना की सबसे खास बात यह है, कि इस स्कीम में जितना योगदान किसान का होता है, उतना ही योगदान सरकार करती है। यदि किसी करणवश किसान की मृत्यु हो जाती है, तो किसान की पत्नी को पारिवारिक पेंशन के रूप में 50 प्रतिशत पेंशन प्राप्त होती है।

स्माम किसान योजना

आधुनिकता के इस दौर में देश में ऐसे बहुत से किसान है, जो कृषि कार्यों में आज भी पुराने यंत्रों का उपयोग करते है। धन के अभाव में वह नए यन्त्र खरीदने में असमर्थ होते है। किसानों की इस समस्या को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा स्माम किसान योजना की शुरुआत की गयी है। इस स्कीम के माध्यम से किसान खेती करने वाले उपकरणों को आसानी से खरीद सकते हैं।

सबसे खास बात यह है, कि उपकरणों की खरीद पर उन्हें छूट भी प्रदान की जाती है। सरकार द्वारा इस योजना को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य किसानों को खेती करने में किसी प्रकार की समस्या न हो और वह बेहतर फसल का उत्पादन कर अपने जीवन स्तर को सुधर सके।

पीएम कुसुम योजना

भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की समस्या अभी भी गंभीर बनी हुई है। जब किसानों के खेत को पानी की आवश्यकता होती है, तो उन्हें समय से बिजली नहीं मिल पाती है। पानी के अभाव में उनकी फसलें प्रभावित हो जाती है।

किसान भाइयों को निर्बाध बिजली उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार की तरफ से पीएम कुसुम योजना (PM Kusum Scheme) चलाई जा रही है। इस स्कीम के अंतर्गत किसानों को सोलर पैनल सब्सिडी पर मिलते हैं, जिससे वह बिजली का उत्पादन कर अपनी आवश्यकता के अनुसार उसका प्रयोग करनें के बाद बाकी को बेच कर अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते है।

डेयरी उद्यमिता विकास योजना (डीईडीएस)

किसानों की आय को बढ़ाने और उनके जीवन स्तर को सुधारने के उद्देश्य से डेयरी उद्यमिता विकास योजना (डीईडीएस) का संचालन केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा है। हमारे देश के लगभग किसान पशुपालन अवश्य करते है। सरकार का मानना है, कि यदि यही कार्य एक बड़े पैमाने पर किया जाए, तो अच्छी मात्र में दुग्ध उत्पादन किया जा सकता है और किसान भाई अपनी आय बढ़ा सकते है।

इस योजना का लाभ लेकर किसान या पशुपालक नई डेयरी की स्थापना कर सकते हैं, यदि वह पहले से डेयरी चला रहें हैं, तो उसे आगे बढ़ा सकते हैं। इस योजना के माध्यम से किसान को अनुदान दिये जाने का प्रावधान किया गया है, इसके साथ ही किसान भाई प्रशिक्षण भी ले सकते है।

पशुधन बीमा योजना

इस योजना की शुरुआत मुख्य रूप दो उद्देश्यों से की गयी है। किसानों या पशुपालकों को पशुओं की अचानक मृत्यु हो जानें पर उन्हें आर्थिक क्षति काफी होती है। इस प्रकार की क्षतिपूर्ति के लिए केंद्र सरकार द्वारा पशुधन बीमा योजना चलायी जा रही है। योजना के अंतर्गत दुधारू मवेशियों और भैंसों का बीमा उनके अधिकतम वर्तमान बाजार मूल्य पर किया जाता है।

बीमा का प्रीमियम 50 प्रतिशत तक अनुदानित होता है। अनुदान की पूरी लागत केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाती है। अनुदान का लाभ अधिकतम 2 पशु प्रति लाभार्थी को अधिकतम तीन वर्ष की एक पॉलिसी के लिए मिलता है। इसके साथ ही इस स्कीम के अंतर्गत यदि कोई किसान अपने पशुओं की बिक्री कर देता है, और बीमा पॉलिसी की अवधि समाप्त न हुई हो तो बीमा पॉलिसी की शेष अवधि का लाभ नये स्वामी को हस्तांतरित किया जाएगा।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना

किसानों के द्वारा अपने खेतों में उत्पादन बढ़ाने को लेकर असंतुलित उर्वरक का उपयोग कर रहे है। जिसके कारण मिट्टी उत्पादकता निरंतर कम होती जा रही है, इसके साथ ही फसलों में विभिन्न प्रकार के नए-नए रोग लग रहे है। खेत की उत्पादकता बढ़ने की जगह निरंतर कम होती चली जा रही है।

जबकि दूसरी तरफ अधिक उर्वरक तथा रोग के लिए कीटनाशक उपयोग करने से कृषि खर्च भी बढ़ रहा है। इस प्रकार की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना संचालित की जा रही है। जिसमें किसानों की मिट्टी की जाँच वह भी निशुल्क की जाती है। खेत की मिट्टी की जाँच के दौरान यह ज्ञात हो जाता है, कि किसान के खेत में किस चीज की कमी है।

राष्ट्रीय सुरक्षा मिशन योजना

हमारे देश की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है| ऐसे में सभी को भोजन सुनिक्षित कराने के लिए केंद्र सरकार ने कृषि को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय खाध सुरक्षा मिशन योजना की शुरुआत की है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य गेहूँ, चावल व दलहन की उत्पादकता में वृद्धि करना है, ताकि देश में खाद्य सुरक्षा की स्थिति को सुनिश्चित किया जा सके।

आपको बता दें, कि इस योजना के अंतर्गत चावल राष्ट्रीय खाध सुरक्षा मिशन, गेहूँ राष्ट्रीय खाध सुरक्षा मिशन तथा दलहन राष्ट्रीय सुरक्षा मिशन को शामिल किया गया है। इस योजना के अंतर्गत चावल के लिए 14 राज्य, गेहूँ के लिए 9 राज्य तथा दलहन के लिए 16 राज्यों को शामिल किया गया है।

स्वायल हेल्थ कार्ड योजना

खेत में फसलों को बोने के बाद फसलों की सेहत से सम्बंधित जानकारी होना भी एक अहम बिंदु है। जिस प्रकार मनुष्य के कुछ भी खाने-पीनें पर उसका सीधा प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है। ठीक उसी प्रकार फसलों को दिए गये खाद, पानी आदि का फसल पर क्या प्रभाव पड़ रहा है, इसकी जानकारी के लिए सरकार द्वारा स्वायल हेल्थ कार्ड योजना की शुरुआत की गयी है।

फसलों को कब और कितनी मात्रा में क्या चीज देनी है, इसकी सटीक जानकारी होने पर स्वाभाविक रूप से उत्पादन क्षमता बढ़ जाएगी, जिससे उन्हें अच्छी आय प्राप्त होगी। आपको बता दें, कि वर्ष 2015 से 2017 के बीच 10.73 करोड़ स्वायल हेल्थ कार्ड बनाए गए जबकि यह आंकड़ा 2017 से 2019 के बीच 10.69 रहा है।

जैविक खेती योजना

वर्तमान समय में उत्पादकता बढानें के लिए किसानों द्वारा रासायनिक खाद का इस्तेमाल अधिक किया जा रहा है। जिससे उत्पन्न अनाज, सब्जियों को खाकर लोग बीमार पड़ जाते हैं। इस समस्या को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा जैविक खेती योजना को बढ़ावा देने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है।

जैविक खेती के अंतर्गत परंपरागत कृषि विकास योजना की शुरुआत की गई, जिसके तहत किसानों को बताया गया कि प्राकृतिक रूप से किस प्रकार कृषि की जाए और उस वक्त अनाज साग सब्जी का उत्पादन किया जाए। यहाँ तक कि जैविक खेती करने वाले किसानों को सरकार की तरफ से पुरस्कृत भी किया जाता है।  कृषि मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस समय देशभर में 27.10 लाख हेक्टेयर जमीन पर जैविक खेती की जा रही है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.2

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