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राष्‍ट्रीय युवा नीति

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सरकार ने विद्यमान राष्‍ट्रीय युवा नीति, 2014 के मसौदे की समीक्षा की है और राष्‍ट्रीय युवा नीति (एनवाईपी) का एक नया मसौदा तैयार किया है जिसे पब्‍लिक डोमेन में रखा गया है। इस राष्‍ट्रीय युवा नीति के मसौदे में युवा विकास के लिए दस वर्षीय विजन की परिकल्‍पना की गई है जिसे भारत वर्ष 2030 तक प्राप्‍त करना चाहता है। यह सतत विकास लक्ष्‍यों (एसडीजी) के साथ जुड़ा हुआ है और इसमें ‘भारत को आगे बढ़ने के लिए युवाओं की क्षमता को अनलाक करने’ का प्रावधान किया गया है। इस राष्‍ट्रीय युवा नीति का उद्येश्‍य पांच प्राथमिकता क्षेत्रों अर्थात शिक्षा, रोजगार और उद्यमिता; युवा नेतृत्‍व और विकास; स्‍वास्‍थ्य, फिटनेस और खेल तथा सामाजिक न्‍याय में युवाओं के विकास के लिए व्‍यापक कार्रवाई करना है। प्रत्‍येक प्राथमिकता वाले क्षेत्र वंचित वर्गों के हितों को ध्‍यान में रखते हुए सामाजिक समावेशन के सिद्धांत पर आधारित है।

राष्ट्रीय युवा नीति 2014 का लक्ष्य

राष्ट्रीय युवा नीति 2014 का लक्ष्य युवाओं की पूर्ण क्षमता हासिल करने के लिए उन्हें सशक्त बनाने और उसके जरिए देश को राष्ट्रों के बीच सही जगह हासिल करने में समर्थ बनाना है।

इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए नीति में पांच भली-भांति परिभाषित उद्देश्यों और प्राथमिकता वाले 11 क्षेत्रों की पहचान की गई है। इसमें प्रत्येक प्राथमिक क्षेत्र में नीति के लिए भी सुझाव दिया गया है।

प्राथमिक क्षेत्रों में शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार, उद्यमिता, स्वास्थ्य एवं स्वस्थ जीवनशैली, खेल, सामाजिक मूल्यों का संवर्द्धन, समुदाय से जोड़ना, राजनीति एवं शासन में भागीदारी, युवाओं को संलग्न करना, समावेश और सामाजिक न्याय शामिल हैं।

यह नीति 15 से 29 वर्ष के आयु वर्ग के सभी युवाओं की जरूरतें पूरी करेगी जो 2011 की जनगणना के अनुसार कुल आबादी का 27.5 प्रतिशत हैं।

भारत दुनिया में सबसे अधिक युवा आबादी वाला देश है और भविष्य में देश के विकास और उत्थान में इसका उसे भारी लाभ मिलेगा। इसी मकसद से नई परिस्थितियों को देखते हुए राष्ट्रीय युवा नीति-2014 लाई गई।

युवाओं की रोज़गार क्षमता में सुधार के लिये की गई अन्य पहलें

राष्ट्रीय युवा नीति-2014 भारत के युवाओं के लिये एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करती है, इसका लक्ष्य युवाओं की पूर्ण क्षमता हासिल करने के लिये उन्हें सशक्त बनाने और उनके ज़रिये देश को राष्ट्रों के बीच सही जगह हासिल करने में समर्थ बनाना है।

प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) : इसे वर्ष 2008 में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना के माध्यम से रोज़गार के अवसर पैदा करने के लिये पेश किया गया था। यह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा प्रशासित है।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) : इसकी शुरुआत 8 अप्रैल, 2015 को गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि लघु/सूक्ष्म उद्यमों को 10 लाख तक का ऋण प्रदान करने के उद्देश्य से की गई है। इसका फोकस स्वरोज़गार पर है।

प्रधानमंत्री रोज़गार प्रोत्साहन योजना (PMRPY) : यह रोज़गार सृजन को बढ़ावा देने के लिये नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करने हेतु श्रम और रोज़गार मंत्रालय द्वारा शुरू की गई है। सरकार 3 वर्ष के लिये सभी क्षेत्रों के सभी पात्र नए कर्मचारियों के EPF और EPS के लिये नियोक्ता के योगदान का भुगतान कर रही है।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (मनरेगा), पं. दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (DDU-GKY) और आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा संचालित दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (DAY-NULM) जैसी योजनाओं पर सार्वजनिक व्यय में वृद्धि।

अन्य प्रमुख कार्यक्रम जिनमें रोज़गार पैदा करने की क्षमता है, वे हैं : मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत मिशन, स्मार्ट सिटी मिशन, अटल नवीकरण एवं शहरी परिवर्तन मिशन, सभी के लिये आवास, औद्योगिक गलियारे आदि।

SOURCE-PIB

PAPER-G,S.2

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