प्रधानमंत्री ने सिख नव वर्ष के शुभारंभ पर देशवासियों को बधाई दी है।
सिख नववर्ष- सिख नानकशाही कैलेंडर के अनुसार 14 मार्च को होला मोहल्ला नया साल होता है। इसे वैशाखी पर्व के रूप में मनाया जाता है। वहीं सिंधी लोगों का नया साल चैत्र माह की द्वितीया तिथि को चेटीचंड उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान झूलेलाल का जन्म हुआ था।
नव वर्ष
नव वर्ष एक उत्सव की तरह पूरे विश्व में अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग तिथियों तथा विधियों से मनाया जाता है विभिन्न सम्प्रदायों के नव वर्ष समारोह भिन्न-भिन्न होते हैं और इसके महत्त्व की भी विभिन्न संस्कृतियों में परस्पर भिन्नता है।
ईसाई नववर्ष- चूंकि आज 1 जनवरी है, ऐसे में सबसे पहले बात आज की ही करेंगे। 1 जनवरी को नया साल मनाने की परंपरा ग्रिगोरियन कैलेंडर आने के बाद शुरू हुई थी। ये ईसाइयों का कैलेंडर है। ग्रिगोरियन कैलेंडर से पहले रूस का जूलियन कैलेंडर प्रचलित था जिसमें सिर्फ 10 माह का एक साल होता था। इस 15 अक्टूबर 1582 में अमेरिका के नेपल्स के फिजीशियन एलॉयसिस लिलिअस ने नया कैलेंडर लेकर आए जिसमें साल की शुरुआत 1 जनवरी से थी। धीरे धीरे ये कैलेंडर दुनियाभर में प्रचलित हो गया और ज्यादातर जगहों पर 1 जनवरी को नया साल मनाया जाने लगा।
हिंदू नववर्ष- भारत में हिंदू नववर्ष चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है। मान्यता है कि सृष्टि के रचियता ब्रह्रमा जी ने इसी दिन से संसार की रचना को शुरू किया था। इसे नव संवत के नाम से संबोधित किया जाता है।
इस्लामिक नववर्ष- इस्लामिक या हिजरी कैलेंडर के मुताबिक मुस्लिम धर्म के लोग मोहर्रम महीने की पहली तारीख को अपना नया साल मनाते हैं। दुनियाभर के मुस्लिम अपने त्योहार की तारीखों और सटीक समय के लिए ज्यादातर इसी कैलेंडर का इस्तेमाल करते हैं। वहीं 19 अगस्त को नवरोज पर्व के तौर पर पारसी लोग अपना नया साल सेलिब्रेट करते हैं। करीब 3000 साल पहले इसकी शुरुआत की गई थी।
जैन नववर्ष- जैन धर्म में नए साल को निर्वाण संवत कहते हैं। ये दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाता है। मान्यता है कि इससे एक दिन पहले ही महावीर स्वामी को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S1PRE