साल 1901 के बाद से अब तक के मार्च महीनों में 2022 वाला मार्च तीसरा सबसे गर्म था। यानी भारत ने इस साल मार्च महीने से अब तक हीटवेव वाले पूरे 26 दिन देख लिए हैं। और मौसम विभाग अगले पांच दिनों के लिए पूर्वी, मध्य और उत्तर भारत के क्षेत्रों के लिए ‘येलो अलर्ट’ जारी कर चुका है।
वजह क्या है?
समय से पहले दस्तक दे चुकी भीषण गर्मी की प्रमुख वजह ये है कि इन दोनों महीनों में होने वाली थोड़ी-मोड़ी बारिश या बिजली गिरने और ओले गिरने के वाक़ये नदारद रहे हैं।
मतलब अगर इन महीनों में औसतन बारिश 30.4 mm होती रही थी तो इस साल ये महज़ 8.9 mm ही हुई है।
दूसरा, देश के पश्चिमी हिस्से से चलने वाले हवाएँ जब दक्षिणी और मध्य भारत की हवाओं से टकरातीं हैं तो मौसम ख़राब होता है यानी बारिश और तूफ़ान आते हैं। इस बार ये भी बहुत कम हुआ है।
आमतौर पर हीटवेव का दौर अप्रैल ख़त्म होने के साथ शुरू होकर मई के महीने में अपने शबाब पर होता है।
जबकि इस साल हीटवेव के पहला दौर 11 मार्च से ही देखने को मिला जो होली के त्योहार से भी पहले देखा गया।
मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि मार्च और अप्रैल में तेज़ गर्म हवाएं चलना असामान्य हैं और अगर कार्बन उत्सर्जन को वातावरण से घटाया नहीं गया तो जलवायु परिवर्तन के कारण ये हीटवेव मौसम चक्र का सामान्य हिस्सा बन सकती हैं।
हीट वेव और हीट डोम
हीट वेव :
- हीट वेव अर्थात् ग्रीष्म लहर असामान्य रूप से उच्च तापमान की वह स्थिति है, जिसमें तापमान सामान्य से अधिक रहता है। यह स्थिति दो दिनों से अधिक समय तक बनी रहती है।
- ग्रीष्म लहरें उच्च आर्द्रता वाली और बिना आर्द्रता वाली भी हो सकती हैं तथा यह एक बड़े क्षेत्र को कवर करने की क्षमता रखती हैं, इसकी भीषण गर्मी बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करती है।
- हीट वेव का बढ़ता प्रभाव :
- इसका प्रभाव क्षेत्र पिछले कुछ दशकों में बढ़ा है, जिससे उत्तरी गोलार्द्ध में वर्ष 1980 की तुलना में 25% अधिक भूमि क्षेत्र प्रभावित हुआ है।
- महासागरीय क्षेत्रों सहित अन्य क्षेत्रों में इसके प्रभाव में 50% की वृद्धि हुई है।
हीट डोम :
- यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब वायुमंडल गर्म समुद्री हवा को ढक्कन या टोपी की तरह फँसा लेता है।
- अमेरिका के नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के अनुसार, हीट डोम की स्थिति तब बनती है जब मज़बूत उच्च दबाव वाली वायुमंडलीय स्थितियाँ ला नीना (La Niña) जैसे मौसम पैटर्न के साथ जुड़ जाती हैं।
- वर्ष 2021 जैसे ला नीना (La Niña) वर्षों (जब पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में पानी ठंडा होता है और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में गर्म होता है) के दौरान इनके बनने की संभावना अधिक होती है।
- हीट डोम की अवधि :
- NOAA के अनुसार, हीट डोम आमतौर पर एक सप्ताह तक रहता है।
- इसकी संरचना एक सप्ताह के बाद बहुत कमज़ोर हो जाती है जिससे इसमें फँसी हुई हवा और गर्मी/ऊष्मा मुक्त हो जाती है।
हीट डोम के गठन के कारण :
- महासागर के तापमान में परिवर्तन : इस प्रकार की घटनाएँ तब आरंभ होती हैं जब समुद्र के तापमान में एक मज़बूत परिवर्तन (या प्रवणता) होता है।
- संवहन प्रक्रिया के दौरान प्रवणता समुद्र की सतह के कारण गर्म हुई हवा के ऊपर उठने के लिये उत्तरदायी होती है।
- जैसे ही व्यापारिक पवनें गर्म हवा को पूर्व की ओर ले जाती हैं, जेट स्ट्रीम का उत्तरी प्रवाह हवा को बाधित करता है और इसे ज़मीन की ओर ले जाता है, जहाँ यह कमज़ोर पड़ जाती है, परिणामस्वरूप हीट वेव का निर्माण होता है।
- वायुमंडलीय दबाव में परिवर्तन : हीट वेव की शुरुआत तब होती है जब वायुमंडल में उच्च दबाव बनता है और यह गर्म हवा को भूमि की ओर ले जाता है। यह प्रभाव समुद्र से उठने वाली ऊष्मा के कारण होता है, जिससे एक प्रवर्द्धन लूप बनता है।
- सतह से नीचे की ओर पड़ने वाली उच्च दाब प्रणाली लंबवत रूप से फैलती है, जिससे अन्य मौसम प्रणालियों की गतिविधियों में भी तीव्र परिवर्तन होता है।
- यह हवा और बादलों के आवरण को भी कम करता है, जिससे हवा अधिक कठोर हो जाती है।
- यही कारण है कि एक हीट वेव कई दिनों तक या काफी अधिक समय तक एक क्षेत्र में प्रवाहित होती है।
- सतह से नीचे की ओर पड़ने वाली उच्च दाब प्रणाली लंबवत रूप से फैलती है, जिससे अन्य मौसम प्रणालियों की गतिविधियों में भी तीव्र परिवर्तन होता है।
हीट वेव्स और हीट डोम का प्रभाव :
- वनाग्नि का खतरा : ‘हीट डोम’ वनाग्नि के लिये ईंधन के रूप में भी काम कर सकते हैं, जो प्रतिवर्ष अमेरिका में बहुत अधिक भूमि क्षेत्र को नष्ट कर देता है।
- बादल निर्माण में बाधा : ‘हीट डोम’ बादलों के निर्माण में बाधा उत्पन्न करता है, जिससे सूर्य विकिरण अधिक मात्रा में पृथ्वी तक पहुँच जाता है।
- हीट स्ट्रोक और आकस्मिक मृत्यु : बहुत अधिक तापमान या आर्द्र परिस्थितियाँ हीट स्ट्रोक का जोखिम उत्पन्न करती हैं।
- वृद्धजन तथा हृदय रोग, श्वसन रोग और मधुमेह आदि जैसी बीमारियों से पीड़ित लोग प्रायः हीट स्ट्रोक के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, क्योंकि शरीर की गर्मी को नियंत्रित करने की क्षमता उम्र के साथ प्रभावित होती है।
- बिना एयर कंडीशनर वाले घरों में तापमान में असहनीय वृद्धि हो सकती है, जिससे आकस्मिक मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।
- वनस्पतियों पर प्रभाव : गर्मी के कारण फसलों को भी नुकसान हो सकता है, वनस्पति सूख सकती है और इसके परिणामस्वरूप सूखा पड़ सकता है।
- ऊर्जा मांग में वृद्धि : हीट वेव्स से ऊर्जा की मांग में भी वृद्धि होगी, विशेष रूप से बिजली की जिससे इसकी मूल्य दरों में वृद्धि होगी।
- बिजली से संबंधित मुद्दे : हीट वेव्स प्रायः उच्च मृत्यु दर वाली आपदाएँ होती हैं।
- इस आपदा से बचना प्रायः विद्युत ग्रिड के लचीलेपन पर निर्भर करता है, जो बिजली के अधिक उपयोग होने के कारण विफल हो सकता है।
- नतीजतन, बुनियादी अवसंरचना की विफलता और स्वास्थ्य प्रभावों का दोहरा जोखिम उत्पन्न हो सकता है।
SOURCE –BBC NEWS
PAPER-G.S.1