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Current Affair 1 December 2021

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Current Affairs – 1 DeCEMBER, 2021

सीमा सुरक्षा बल के स्थापना दिवस

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सीमा सुरक्षा बल के स्थापना दिवस के अवसर पर बल कर्मियों और उनके परिवार के लोगों को बधाई दी है।

सीमा सुरक्षा बल (बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स,अंग्रेज़ी: Border Security Force – संक्षेप में सीसुब या बीएसएफ, BSF) भारत का एक प्रमुख अर्धसैनिक बल है एवँ विश्व का सबसे बड़ा सीमा रक्षक बल है। जिसका गठन 1 दिसम्बर 1965 में हुआ था। इसकी जिम्मेदारी शांति के समय के दौरान भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर निरंतर निगरानी रखना, भारत भूमि सीमा की रक्षा और अंतर्राष्ट्रीय अपराध को रोकना है।इस समय बीएसएफ की 188 बटालियन है और यह 6,385.39 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा करती है जो कि पवित्र, दुर्गम रेगिस्तानों, नदी-घाटियों और हिमाच्छादित प्रदेशों तक फैली है। सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों में सुरक्षा बोध को विकसित करने की जिम्मेदारी भी बीएसएफ को दी गई है। इसके अलावा सीमा पर होने वाले अपराधों जैसे तस्करी/घुसपैठ और अन्य अवैध गतिविधियों को रोकने की जवाबदेही भी इस पर है।

इस बल का आदर्श वाक्य है – जीवन पर्यन्त कर्तव्य

1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान, सीमा प्रबंधन प्रणाली व्यक्तिगत राज्य पुलिस बलों के हाथों में थी, और ये सीमा खतरों से ठीक से निपटने में असमर्थ साबित हुई। इन एपिसोड के बाद, सरकार ने सीमा सुरक्षा बल को एक एकीकृत केंद्रीय एजेंसी के रूप में बनाया जो भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की रक्षा के विशिष्ट जनादेश के साथ था। भारतीय पुलिस सेवा से के एफ रुस्तमजी बीएसएफ के पहले महानिदेशक थे। 1965 तक पाकिस्तान के साथ भारत की सीमाएं राज्य सशस्त्र पुलिस बटालियन द्वारा बनाई गई थीं। पाकिस्तान ने 9 अप्रैल 1965 को कच्छ में सरदार पोस्ट, छार बेट, और बेरिया बेट पर हमला किया। इसने सशस्त्र आक्रामकता से निपटने के लिए राज्य सशस्त्र पुलिस की अपर्याप्तता का खुलासा किया जिसके कारण भारत सरकार ने विशेष रूप से नियंत्रित सीमा सुरक्षा बल की आवश्यकता महसूस की, जिसे पाकिस्तान के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा बनाने के लिए सशस्त्र और प्रशिक्षित किया जाएगा। सचिवों की समिति की सिफारिशों के परिणामस्वरूप, सीमा सुरक्षा बल 1 दिसंबर 1 9 65 को के एफ रुस्तमजी के साथ अपने पहले महानिदेशक के रूप में अस्तित्व में आया।

1971 के भारत-पाकिस्तानी युद्ध में बीएसएफ की क्षमताओं का इस्तेमाल उन क्षेत्रों में पाकिस्तानी ताकतों के खिलाफ किया गया था जहां नियमित बल कम फैल गए थे; बीएसएफ सैनिकों ने लांगवाला की प्रसिद्ध लड़ाई समेत कई परिचालनों में हिस्सा लिया। वास्तव में, बीएसएफ के लिए दिसम्बर ’71 में युद्ध वास्तव में टूटने से पहले पूर्वी मोर्चे पर युद्ध शुरू हो गया था। बीएसएफ ने “मुक्ति बहनी” का हिस्सा प्रशिक्षित, समर्थित और गठित किया था और वास्तविक शत्रुताएं टूटने से पहले पूर्व पूर्वी पाकिस्तान में प्रवेश कर चुका था। बीएसएफ ने बांग्लादेश के लिबरेशन में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसमें इंदिरा गांधी और शेख मुजीबुर रहमान ने भी स्वीकार किया था।

बीएसएफ, जिसे लंबे समय तक नर बुर्ज माना जाता है, ने अब सीमा पर महिला कर्मियों के अपने पहले बैच को महिलाओं के नियमित रूप से फिसलने के साथ-साथ सीमा के संरक्षण सहित अपने पुरुष समकक्षों द्वारा किए गए अन्य कर्तव्यों को पूरा करने के लिए तैनात किया है। भारत में अत्यधिक अस्थिर भारत-पाक सीमा पर 100 से ज्यादा महिलाएं तैनात की गई हैं, जबकि लगभग 60 भारतीयों को भारत-बांग्ला सीमा पर तैनात किया जाएगा। कुल मिलाकर, विभिन्न चरणों में सीमा पर 5 9 5 महिला कॉन्स्टेबल तैनात किए जाएंगे

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

नगालैंड वासियों को उनके राज्य स्थापना दिवस

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नगालैंड वासियों को उनके राज्य स्थापना दिवस पर बधाई दी है।

नागालैण्ड (नागालैंड) भारत का एक उत्तर पूर्वी राज्य है। इसकी राजधानी कोहिमा है, जबकि दीमापुर राज्य का सबसे बड़ा नगर है। नागालैण्ड की सीमा पश्चिम में असम से, उत्तर में अरुणाचल प्रदेश से, पूर्व मे बर्मा से और दक्षिण मे मणिपुर से मिलती है। भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार, इसका क्षेत्रफल 16,579 वर्ग किलोमीटर है, और जनसंख्या 19,80,602 है, जो इसे भारत के सबसे छोटे राज्यों में से एक बनाती है।

नागालैण्ड राज्य में कुल 16 जनजातियाँ निवास करती हैं। प्रत्येक जनजाति अपने विशिष्ट रीति-रिवाजों, भाषा और पोशाक के कारण दूसरी से भिन्न है हालाँकि, भाषा और धर्म दो सेतु हैं, जो इन जनजातियों को आपस में जोड़ते हैं। अंग्रेजी राज्य की आधिकारिक भाषा है। यह शिक्षा की भाषा भी है, और अधिकाँश निवासियों द्वारा बोली जाती है। नागालैंड भारत के उन तीन राज्यों में से एक है, जहाँ ईसाई धर्म के अनुयायी जनसंख्या में बहुमत में हैं।

राज्य ने 1950 के दशक में विद्रोह और साथ ही अंतर-जातीय संघर्ष देखा है। हिंसा और असुरक्षा ने नागालैंड के आर्थिक विकास को सीमित कर दिया था, क्योंकि इसे कानून, व्यवस्था और सुरक्षा के लिए अपने दुर्लभ संसाधनों को प्रतिबद्ध करना था।हालाँकि पिछले डेढ़ दशक में, राज्य में हिंसा काफी कम हुई है, जिससे राज्य की वार्षिक आर्थिक विकास दर 10% के करीब पहुंची है, और यह पूर्वोत्तर क्षेत्र में सबसे तेजी से विकसित होने वाला राज्य बन पाया है।

नागालैण्ड की स्थापना 1 दिसम्बर 1963 को भारत के 16वें राज्य के रूप मे हुई थी। असम घाटी के किनारे बसे कुछ क्षेत्रों को छोड़कर राज्य का अधिकतर हिस्सा पहाड़ी है। राज्य के कुल क्षेत्रफल का केवल 9% हिस्सा समतल जमीन पर है। नागालैण्ड में सबसे उँची चोटी माउंट सरामति है जिसकी समुंद्र तल से उँचाई 3840 मी है। यह पहाड़ी और इसकी शृंखलाएँ नागालैंड और बर्मा के बीच प्राकृतिक अवरोध का निर्माण करती हैं। यह राज्य वनस्पतियों और जीवों की समृद्ध विविधता का घर है।

नागालैंड मे 16 जनजातियाँ पाई जाती है, अंगामी, आओ, चख़ेसंग, चांग, दिमासा कचारी, खियमनिंगान, कोनयाक, लोथा, फोम, पोचुरी, रेंगमा, संगतम, सूमी, इंचुंगेर, कुकी और ज़ेलियांग।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.1 PRE

 

एकीकृत बागवानी विकास मिशन

एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) की सामान्य परिषद की बैठक केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में हुई। इसमें श्री तोमर ने कहा कि देश में खाद्यान्न व बागवानी क्षेत्र में हुई प्रगति प्रशंसनीय है लेकिन साथ ही वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनजर इन क्षेत्रों में तेजी से विकास के लिए कम समय में छलांग लगाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वान पर देश में खेती-किसानी के क्षेत्र में नई कार्यशैली विकसित हुई है जिससे किसानों में उत्साह का माहौल है। हमारा खाद्यान्न भंडार इतना समृद्ध है कि घरेलू जरूरतों को पूरा करने के साथ ही दुनिया को भी पूर्ति की जा रही है, वहीं कोरोना महामारी के दौरान सरकार द्वारा 80 करोड़ लोगों को 19 महीने तक मुफ्त खाद्यान्न दिया जाना देश व कृषि क्षेत्र की बड़ी ताकत को दर्शाता है।

एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) फलों, सब्जियों, जड़ व कन्द फसलों, मशरूम, मसाले, फूल, सुगंधित पौधों, नारियल, काजू, कोको और बांस इत्यादि उत्पादों के चौमुखी विकास की केंद्रीय वित्त पोषित योजना है। पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों को छोड़कर देश के सभी प्रदेशों में लागू इस योजना से जुड़े विकास कार्यक्रमों के कुल बजट का 85 प्रतिशत हिस्सा भारत सरकार देती है जबकि शेष 15 प्रतिशत राज्य सरकारें खुद वहन करती हैं। पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के मामले में शत-प्रतिशत बजट केंद्र सरकार ही वहन करती है। इसी तरह बांस विकास सहित राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी), नारियल विकास बोर्ड, केंद्रीय बागवानी संस्थान, नागालैंड और राष्ट्रीय एजेंसियों (एनएलए) के कार्यक्रमों के लिए भी शत-प्रतिशत बजटीय योगदान भारत सरकार का ही होगा।

मिशन के उद्देश्य

मिशन के मुख्य उद्देश्य हैं :

  1. बागवानी क्षेत्र के चौमुखी विकास को बढ़ावा देना जिसमें बांस और नारियल भी शामिल है। इस क्रम में प्रत्येक राज्य अथवाक्षेत्र की जलवायु विविधता के अनुरूप क्षेत्र आधारित अलग-अलग कार्यनीति अपनाना। इसमें शामिल है-अनुसंधान, तकनीक को बढ़ावा, विस्तारीकरण, फसलोपरांत प्रबंधन, प्रसंस्करण और विपणन इत्यादि।
  2. कृषकों को एफआईजी, एफपीओ व एफपीसी जैसे कृषक समूहों से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करना ताकि समानता और व्यापकता आधारित आर्थिकी का निर्माण किया जा सके।
  3. बागवानी उत्पादन की उन्नति, कृषक संख्या में वृद्धि, आमदनी और पोषाहार सुरक्षा
  4. गुणवत्ता, पौध सामग्री और सूक्ष्म सिंचाई के प्रभावी उपयोग के जरिये उत्पादकता सुधार
  5. बागवानी क्षेत्र में ग्रामीण युवाओं में मेधा विकास को प्रोत्साहन देना और रोजगार उत्पन्न करना तथा खासकर फसलोपरांत शीत श्रृंखला के क्षेत्र में उचित प्रबंधन

कार्यनीति
उपरोक्त उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए मिशन निम्नलिखित कार्यनीतियों को अपनाए गाः

  • उत्पादन-पूर्व, उत्पादन के दौरान और उत्पादन के उपरांत ठोस प्रबंधन के लिए एक सिरे से दूसरे सिरे तक चौतरफा नजरिया अपनाना। साथ ही प्रसंस्करण और विपणन के जरिये यह सुनिश्चित करना कि उत्पादकों को फसल का सही लाभ मिल सके।
  • खेती, उत्पादन, फसलोपरांत प्रबंधन और शीत श्रृंखला पर विशेष ध्यान देते हुए जल्द खराब होने वाले उत्पादों के प्रसंस्करण इत्यादि के लिए अनुसंधान और विकास संबंधी तकनीक को बढ़ावा देना।
  • गुणवत्ता के जरिये उत्पादन सुधार के लिए निम्नलिखित उपाय करनाः
    1. पारंपरिक खेती की बजाय बागीचों को बढ़ावा देना। इस क्रम में फलों के बागानों, अंगूर के बागों, फूलों, सब्जी के बगीचों और बांस की खेती पर जोर देना।
    2. सरंक्षित खेती और आधुनिक कृषि सहित उन्नत बागवानी के लिए किसानों तक सही तकनीक का विस्तार करना।
    3. खासकर उन राज्यों में जहां बागवानी का क्षेत्र कुल कृषि क्षेत्र के 50 प्रतिशत से कम है, वहां एकड़ के हिसाब से बांस और नारियल सहित फलोद्यान और बागीचा खेती का विस्तार करना।
  • फसलोपरांत प्रबंधन, प्रसंस्करण और विपणन की परिस्थितियों में सुधार लाना।
  • परस्पर समन्वय और सहभागिता को अपनाना, अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में आगे बढ़ना व इसे लोगों तक पहुंचाना तथा राष्ट्रीय, क्षेत्रीय, राज्यीय व उपराज्यीय स्तर पर सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की प्रसंस्करण और विपणन इकाईयों को बढ़ावा देना।
  • उपज का उचित लाभ हासिल करने के लिए कृद्गाक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को बढ़ावा देना तथा विपणन संघों व वित्तीय संस्थानों के साथ संबंध स्थापित करना।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

साइबरड्रिल 2021

दूरसंचार विभाग (डॉट) और अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) ने भारत-आईटीयू संयुक्त साइबरड्रिल 2021 की शुरुआत की है। यह साइबरड्रिल भारतीय संस्थाओं विशेषकर क्रिटिकल नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर ऑपरेटरों के लिए महत्वपूर्ण है। यह 30 नवंबर से शुरू होकर 3 दिसंबर 2021 तक चलने वाला चार दिवसीय वर्चुअल कार्यक्रम है।

इसके उद्घाटन सत्र में आईटीयू, संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ड्रग्स एंड क्राइम (यूएनओडीसी), इंटरपोल, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (एनएससीएस), भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी-इन) और अन्य प्रतिष्ठित संगठनों के कई उच्च स्तरीय वक्ताओं, पैनलिस्ट तथा विशेषज्ञों ने भाग लिया। अपने उद्घाटन भाषण में डॉट की विशेष सचिव सुश्री अनीता प्रवीण ने भारत में विस्तृत नेटवर्क को देखते हुए सुरक्षित एवं मजबूत साइबरस्पेस की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि साइबर सुरक्षा एक सामूहिक जिम्मेदारी है और यह सभी हितधारकों- सरकार, साइबर सुरक्षा समुदाय तथा व्यवसायियों को एक लचीला साइबर वातावरण बनाने में हिस्सेदारी करने का आह्वान करती है।

डिजिटल संचार आयोग के अध्यक्ष और डॉट के सचिव श्री के. राजारमन ने विशेषज्ञों को संबोधित किया। अपने उद्घाटन भाषण के दौरान, उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘सिडनी डायलॉग’ के दौरान कहे गए संदेश को दोहराया। भारत में हो रहे महत्वपूर्ण परिवर्तनों का उल्लेख करते हुए, उन्होंने भरोसेमंद विनिर्माण आधार और विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखलाओं के विकास के साथ-साथ साइबर सुरक्षा पर खुफिया जानकारी एवं परिचालन सहयोग को मजबूत करने तथा महत्वपूर्ण सूचना बुनियादी ढांचे को सुरक्षित बनाने की दिशा में कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया।

आईटीयू क्षेत्रीय कार्यालय, एशिया और प्रशांत क्षेत्र की निदेशक सुश्री अत्सुको ओकुडा ने आईटीयू ग्लोबल साइबर सिक्योरिटी इंडेक्स (जीसीआई) में 10वीं रैंक हासिल करने में भारत की महत्वपूर्ण उपलब्धि को उजागर किया। पैनलिस्ट और संगठनों, उद्योग एवं एजेंसियों के विशेषज्ञों ने सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों पर प्रस्तुति दी और भारत के साथ-साथ दुनिया भर में साइबर सुरक्षा की नीतिगत पहलों पर प्रकाश डाला।

400 से अधिक प्रतिभागियों ने महत्वपूर्ण क्षेत्रों यानि कि बिजली, बीमा, वित्त, सीईआरटी-इन एवं सीएसआईआरटी, उद्योग, शिक्षा, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और डॉट की क्षेत्रीय इकाइयों से इस कार्यक्रम में भाग लिया।

ग्लोबल साइबर सिक्योरिटी

भारत ने ग्लोबल साइबर सिक्योरिटी के मालमे में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। भारत ने साल 2020 में ग्लोबल साइबर सिक्योरिटी इंडेक्स में 37 पायदान की लंबी छलांग मारी है। यूनाइटेड नेशन्स की रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल साइबर सिक्योरिटी इंडेक्स (GCI) में भारत को 10वीं रैंक हासिल हुई है। GCI एक कम्पोजिट इंडेक्ट है, जिसे यूनाइटेड नेशन की स्पेशल एजेंसी इंटरनेशनल टेलिकम्यूनिकेशन यूनियन (ITU) जारी करती है। इसमें साइबर सिक्योरिटी के मामले में 194 देशों की रैंकिंग की जाती है।

भारत से पीछे रहे चीनी और पाकिस्तान

ग्लोबल साइबर सिक्योरिटी की रैंकिंग में भारत ने अपने पड़ोसी देशों को पीछे छोड़ दिया है। इस लिस्ट में चीन को 33वीं और पाकिस्तान को 79वीं रैंक हासिल हुई है। वही ग्लोबल साइबर सिक्योरिटी रैकिंग में अमेरिका पहले पायदान पर है। वही यूके दूसरे, साऊदी अरब तीसरे सिंगापुर और स्पेन चौथे पायदान पर काबिज रहे हैं। जबकि रूस, यूएई और मलेशिया को संयुक्त रूप से पांचवा स्थान मिला है। वही कनाड़ा, जापान, फ्रांस का भारत से पहले नंबर आता है।

हालिया साइबर सिक्योरिटी इंडेक्ट (GCI) की यह चौथी रिपोर्ट है। GCI की पहला एडिशन 6 साल पहले लॉन्च किया गया था। यूएन ने अपने एक ट्वीट में कहा कि भारत ने ग्लोबल सिक्योरिटी इंडेक्स 2020 में 37 पायदान की छलांग के साथ 10वीं रैंकिंग हासिल की है, जो भारत के साइबर सिक्योरिटी की दिशा में सफलता और दृष्णनिश्वय को दिखाता है। GCI की ऑफिशियल रिपोर्ट में कहा गया है कि साइबर सिक्योरिटी के ग्लोबल लेवल पर भारत ने काफी अच्छा काम किया है।

SOURCE-DANIK JAGRAN

PAPER-G.S.1 PRE

 

विश्व एड्स दिवस

हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। यह दिन 1988 से मनाया जा रहा है। यह HIV संक्रमण के प्रसार के खिलाफ जागरूकता पैदा करने के लिए मनाया जाता है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन के 11 आधिकारिक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों में से एक है। अन्य 10 अभियान इस प्रकार हैं:

  • विश्व रक्तदाता दिवस
  • विश्व स्वास्थ्य दिवस
  • विश्व टीकाकरण सप्ताह
  • विश्व तंबाकू निषेध दिवस
  • विश्व क्षय रोग दिवस
  • विश्व मलेरिया दिवस
  • विश्व रोगाणुरोधी जागरूकता सप्ताह
  • विश्व हेपेटाइटिस दिवस
  • विश्व रोगी सुरक्षा दिवस
  • विश्व चगास रोग दिवस

विश्व एड्स दिवस की थीम

इस वर्ष विश्व एड्स दिवस निम्नलिखित थीम के तहत मनाया जाता है: असमानताओं को समाप्त करना (Ending Inequalities)

एड्स जागरूकता सप्ताह

प्रत्येक वर्ष नवंबर के अंतिम सप्ताह को एड्स जागरूकता सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। पहला एड्स जागरूकता सप्ताह 1984 में सैन फ्रांसिस्को में मनाया गया था।

भारत में एड्स

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के अनुसार, 2017 तक भारत में लगभग 2.14 मिलियन लोग एड्स के साथ जी रहे थे। भारत 2018 तक दक्षिण अफ्रीका और नाइजीरिया के बाद दुनिया में एड्स से पीड़ित व्यक्तियों की तीसरी सबसे बड़ी आबादी का घर है। हालांकि, व्यापकता दर भारत में एड्स कई अन्य देशों की तुलना में कम है। 2016 में, भारत में एड्स की व्यापकता दर 0.3% थी।

भारत एंटीरेट्रोवाइरल दवाओं और शिक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से इस बीमारी से लड़ रहा है।

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (National AIDS Control Organisation)

इसकी स्थापना 1992 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत हुई थी। यह भारत में एड्स को नियंत्रित करने का कार्य करता है। यह नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल स्टैटिस्टिक्स और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के साथ हर 2 साल में एक बार बीमारी का अनुमान लगाता है। भारत में इस तरह का पहला आकलन 1998 में और आखिरी 2017 में किया गया था।

NACO ने मुफ्त एंटीरेट्रोवायरल उपचार प्रदान करने वाले अपने केंद्रों की संख्या 54 से बढ़ाकर 91 कर दी है। देश में AIDS रोगियों की संख्या 2020 में COVID-19 के कारण बड़े पैमाने पर बढ़ी है। देश में एड्स को कम करने के लिए लागू किए गए सरकारी कार्यक्रम COVID-19 संकट के कारण रुक गए हैं

उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण या एड्स (अंग्रेज़ी:एड्स) मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु  [मा.प्र.अ.स.] (एच.आई.वी) संक्रमण के बाद की स्थिति है, जिसमें मानव अपने प्राकृतिक प्रतिरक्षण क्षमता खो देता है। एड्स स्वयं कोई बीमारी नही है, पर एड्स से पीड़ित मानव शरीर संक्रामक बीमारियों, जो कि जीवाणु और विषाणु आदि से होती हैं, के प्रति अपनी प्राकृतिक प्रतिरोधी शक्ति खो बैठता है क्योंकि एच.आई.वी (वह वायरस जिससे कि एड्स होता है) रक्त में उपस्थित प्रतिरोधी पदार्थ लसीका-कोशो पर आक्रमण करता है। एड्स पीड़ित के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता के क्रमशः क्षय होने से कोई भी अवसरवादी संक्रमण, यानि आम सर्दी जुकाम से ले कर क्षय रोग जैसे रोग तक सहजता से हो जाते हैं और उनका इलाज करना कठिन हो जाता हैं। एच.आई.वी. संक्रमण को एड्स की स्थिति तक पहुंचने में ८ से १० वर्ष या इससे भी अधिक समय लग सकता है। एच.आई.वी से ग्रस्त व्यक्ति अनेक वर्षों तक बिना किसी विशेष लक्षणों के बिना रह सकते हैं।

एड्स और एच.आई.वी में अंतर

एच.आई.वी एक अतिसूक्षम रोग विषाणु हैं जिसकी वजह से एड्स हो सकता है। एड्स स्वयं में कोई रोग नहीं है बल्कि एक संलक्षण है। यह मनुष्य की अन्य रोगों से लड़ने की नैसर्गिक प्रतिरोधक क्षमता को घटा देता हैं। प्रतिरोधक क्षमता के क्रमशः क्षय होने से कोई भी अवसरवादी संक्रमण, यानि आम सर्दी जुकाम से ले कर फुफ्फुस प्रदाह, टीबी, क्षय रोग, कर्क रोग जैसे रोग तक सहजता से हो जाते हैं और उनका इलाज करना कठिन हो जाता हैं और मरीज़ की मृत्यु भी हो सकती है। यही कारण है की एड्स परीक्षण महत्वपूर्ण है। सिर्फ एड्स परीक्षण से ही निश्चित रूप से संक्रमण का पता लगाया जा सकता है। एड्स एक तरह का संक्रामक यानी की एक से दुसरे को और दुसरे से तीसरे को होने वाली एक गंभीर बीमारी है. एड्स का पूरा नाम ‘एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम’ (acquired immune deficiency syndrome) है और यह एक तरह के विषाणु जिसका नाम HIV (Human immunodeficiency virus) है, से फैलती है. अगर किसीको HIV है तो ये जरुरी नहीं की उसको एड्स भी है. HIV वायरस की वजह से एड्स होता है अगर समय रहते वायरस का इलाज़ कर दिया गया तो एड्स होने का खतरा कम हो जाता है.

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.3

 

बारबाडोस

ब्रिटिश उपनिवेश बनने के लगभग 400 साल बाद बारबाडोस दुनिया का सबसे नया गणराज्य बन गया है।

मुख्य बिंदु

  • कैरेबियाई द्वीप राष्ट्र बारबाडोस ने महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को राज्य के प्रमुख के पद से हटा दिया।
  • डेम सैंड्रा प्रुनेला मेसन (Dame Sandra Prunella Mason) ने बारबाडोस के राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण किया।
  • मेसन को अक्टूबर 2021 में बारबाडोस के पहले राष्ट्रपति बनने के लिए चुना गया था।
  • बारबाडोस की संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में मेसन को बारबाडोस के राष्ट्रपति के रूप में चुना गया था।
  • उनके नाम की घोषणा हाउस ऑफ असेंबली के स्पीकर आर्थर होल्डर ने की।

मेसन कौन है?

2018 से मेसन बारबाडोस के गवर्नर-जनरल रहीं हैं। मेसन ने अपनी न्यायिक शिक्षा लंदन से पूरी की। उन्होंने कनाडा में न्यायिक फैलोशिप भी पूरी की। उन्होंने एक शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया और 1978 तक बैंकिंग क्षेत्र में काम किया। फिर उन्होंने बारबाडोस में किशोर और परिवार न्यायालय के मजिस्ट्रेट के रूप में काम करना शुरू किया। वह 2018 में बारबाडोस सुप्रीम कोर्ट की अपील न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने वाली पहली महिला बनीं। 2014 में, वह राष्ट्रमंडल सचिवालय मध्यस्थ न्यायाधिकरण (CSAT) की सदस्य बनने वाली पहली बारबाडियन बनीं।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.1 PRE

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