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Current Affair 1 November 2021

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Current Affairs – 1 November, 2021

ग्लासगो में कॉप-26 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी

द्वारा राष्ट्रीय वक्तव्य

आज मैं आपके बीच, उस भूमि का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं, जिस भूमि ने हजारों वर्ष पहले ये मंत्र दिया था-

सम्-गच्छ-ध्वम्,

सम्-व-दद्वम्,

सम् वो मानसि जानताम्।

आज 21वीं सदी में ये मंत्र और ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है, प्रासंगिक हो गया है। सम्-गच्छ-ध्वम् यानि सभी साथ मिलकर चलें सम्-व-दद्वम् यानि सभी मिल-जुलकर आपस में संवाद करें और सम् वो मनानसि जानताम् यानि सभी के मन भी आपस में मिले रहें।

जब मैं पहली बार क्लाइमेट समिट में पेरिस आया था, तब मेरा यह इरादा नहीं था कि दुनिया में हो रहे अनेक वायदों में एक वायदा अपना भी जोड़ दूं। मैं पूरी मानवता के लिए, एक चिंता के साथ आया था। मैं उस संस्कृति के प्रतिनिधि के रूप में आया था जिसने ‘सर्वे भवंतु सुखिन: अर्थात, सभी सुखी रहें का संदेश दिया है और इसलिए, मेरे लिए पेरिस में हुआ आयोजन, एक समिट नहीं, सेंटीमेंट था, एक कमिटमेंट था और भारत वो वायदे, विश्व से नहीं कर रहा था, बल्कि वो वायदे, सवा सौ करोड़ भारतवासी, अपने आप से कर रहे थे। और मुझे खुशी है कि भारत जैसा विकासशील देश, जो करोड़ों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में जुटा है,जो करोड़ों लोगों की Ease of Living पर रात-दिन काम कर रहा है, आज विश्व की आबादी का 17 प्रतिशत होने के बावजूद, जिसकी emissions में Responsibility सिर्फ 5 प्रतिशत रही है,उस भारत ने अपना कर्तव्य पूरा करके दिखाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है।

आज पूरा विश्व मानता है कि भारत एकमात्र, बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसने पेरिस कमिटमेंट पर लेटर एंड स्पिरिट में डिलिवर किया है। हम संकल्पबद्ध होकर हर संभव efforts कर रहे हैं, परिश्रम कर रहे हैं, और परिणाम लाकर दिखा रहे हैं। आज जब मैं आपके बीच आया हूं तो भारत के ट्रैक रिकॉर्ड को भी लेकर आया हूं। मेरी बातें, सिर्फ शब्द नहीं हैं, ये भावी पीढ़ी के उज्जवल भविष्य का जयघोष हैं। आज भारत installed renewable energy capacity में विश्व में चौथे नंबर पर है। बीते 7 वर्षों में भारत की Non Fossil Fuel Energy में 25 परसेंट से ज्यादा की वृद्धि हुई है और अब ये हमारे एनर्जी मिक्स का 40 परसेंट पहुंच गया है।

विश्व की पूरी आबादी से भी अधिक यात्री, भारतीय रेल से हर वर्ष यात्रा करते हैं। इस विशाल रेलवे सिस्टम ने अपने आप को 2030 तक ‘Net Zero’ बनाने का लक्ष्य रखा है। अकेली इस पहल से सालाना 60 मिलियन टन एमिशन की कमी होगी। इसी प्रकार हमारे विशाल LED बल्ब अभियान से सालाना 40 मिलियन टन एमिशन कम हो रहा है। आज भारत दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ, ऐसे कई सारे Initiatives पर तेजी से काम कर रहा है।

इसके साथ ही भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दुनिया का सहयोग करने के लिए इंस्टीट्यूशनल सॉल्यूशन भी दिए हैं। सोलर पावर में एक क्रांतिकारी कदम के रूप में, हमने International Solar Alliance की पहल की। क्लाइमेट एडाप्टेशन के लिए हमने coalition for disaster resilient infrastructure का निर्माण किया है। ये करोड़ों जिंदगियों को बचाने के लिए एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण पहल है। मैं एक और महत्वपूर्ण विषय पर आप सभी का ध्यान केंद्रित करना चाहता हूं। आज विश्व मान रहा है कि क्लाइमेट चेंज में लाइफ-स्टाइल की एक बहुत बड़ी भूमिका है। मैं आज आपके सामने एक, One-Word Movement का प्रस्ताव रखता हूं।

यह One-Word एक शब्द, क्लाइमेट के संदर्भ में, One World-एक विश्व का मूल आधार बन सकता है, अधिष्ठान बन सकता है। ये एक शब्द है- LIFE…एल, आई, एफ, ई, यानि Lifestyle For Environment आज जरूरत है कि हम सभी लोग, एक साथ आकर, कलेक्टिव पार्टिसिपेशन के साथ, Lifestyle For Environment यानि LIFE को एक अभियान की तरह आगे बढ़ाएं। ये Environmental Conscious Life Style का एक Mass Movement बन सकता है। आज आवश्यकता है, Mindless और Distructive (डिस्ट्रक्टिव) Consumption (कन्जम्प्शन) के बजाय, MindFul और Deliberate (डेलिबरेट) Utilisation की।

ये मूवमेंट, एक साथ मिलकर, ऐसे लक्ष्य तय कर सकता है, जो Diverse Areas जैसे फिशिंग, एग्रीकल्चर, वेलनेस, Dietry Choices, Packaging (पैकेजिंग), Housing, Hospitality (हॉस्पिटैलिटी), Tourism, Clothing (क्लोदिंग), Fashion, Water management और Energy जैसे अनेक सेक्टर्स में एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।

ये ऐसे विषय हैं, जहां हम में से प्रत्येक को हर रोज Conscious choice करनी होगी। पूरी दुनिया में करोड़ों-अरबों लोगों की हर रोज की ये Choices, क्लाइमेट चेंज के खिलाफ लड़ाई को हर दिन, बिलियन स्टेप्स आगे ले जाएगी और मैं इसे आर्थिक आधार पर, वैज्ञानिक आधार पर, बीती शताब्दी के अनुभवों के आधार पर, हर कसौटी पर खरा उतरने का मूवमेंट मानता हूं। स्व से समष्टि का यही रास्ता है। अहं से वयं के कल्याण का यही रास्ता है।

क्लाइमेट चेंज पर इस वैश्विक मंथन के बीच, मैं भारत की ओर से, इस चुनौती से निपटने के लिए पांच अमृत तत्व रखना चाहता हूं, पंचामृत की सौगात देना चाहता हूं।

पहला- भारत, 2030 तक अपनी Non-Fossil Energy Capacity को 500 गीगावाट तक पहुंचाएगा।

दूसरा- भारत, 2030 तक अपनी 50 प्रतिशत energy requirements, renewable energy से पूरी करेगा।

तीसरा- भारत अब से लेकर 2030 तक के कुल प्रोजेक्टेड कार्बन एमिशन में एक बिलियन टन की कमी करेगा।

चौथा- 2030 तक भारत, अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन इंटेन्सिटी को 45 प्रतिशत से भी कम करेगा।

और पांचवा- वर्ष 2070 तक भारत, नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करेगा।

ये पंचामृत, क्लाइमेट एक्शन में भारत का एक अभूतपूर्व योगदान होंगे। ये सच्चाई हम सभी जानते हैं कि क्लाइमेट फाइनेंस को लेकर आज तक किए गए वायदे, खोखले ही साबित हुए हैं। जब हम सभी climate एक्शन पर अपने ambitions बढ़ा रहे हैं, तब climate फाइनेंस पर विश्व के ambition वहीँ नहीं रह सकते जो पेरिस अग्रीमेंट के समय थे।

आज जब भारत ने एक नए कमिटमेंट और एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने का संकल्प लिया है, तो ऐसे समय में क्लाइमेट फाइनेंस और low cost climate technologies का ट्रांसफर और महत्वपूर्ण हो जाता है। भारत की अपेक्षा है कि विकसित देश जल्द से जल्द 1 ट्रिलियन डॉलर का क्लाइमेट फाइनेंस उपलब्ध कराएं। आज आवश्यकता है कि जैसे हम climate mitigation में हुई प्रगति को ट्रैक करते हैं वैसे ही हम climate finance को भी ट्रैक करें। उचित न्याय तो ये होगा, कि जो देश climate finance पर किये अपने वादों पर खरे नहीं उतरते, दबाव उन पर बने।

आज भारत क्लाइमेट के विषय पर बहुत ही साहस और बड़ी महत्वाकांक्षा के साथ आगे बढ़ रहा है। भारत, अन्य सभी विकासशील देशों की पीड़ा भी समझता है, उन्हें साझा करता हैं, और उनकी अपेक्षाओं की अभिव्यक्ति भी निरंतर करता रहेगा। कई विकासशील देशों के लिए climate change उनके अस्तित्व पर मंडरा रहा, एक बड़ा संकट है।

हमें दुनिया को बचाने के लिए, आज बड़े कदम उठाने ही होंगे। यही समय की मांग है और यही इस फोरम की प्रासंगिकता को भी सिद्ध करेगा। मुझे विश्वास है कि ग्लासगो में लिए गए निर्णय, हमारी भावी पीढ़ियों का भविष्य बचाएंगे, उन्हें सुरक्षित और समृद्ध जीवन का उपहार देंगे।

अध्यक्ष जी, मैंने समय अधिक लिया आपसे क्षमा चाहता हूँ, लेकिन विकासशील देशों की आवाज उठाना ये मैं अपना कर्त्तव्य मानता हूँ। इसलिए मैंने उस पर भी बल दिया है। मैं फिर एक बार आपका बहुत-बहुत धन्यवाद् करता हूं!

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

एक्शन एंड सॉलिडेरिटी-द क्रिटिकल डिकेड

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को स्कॉटलैंड के ग्लासगो में आयोजित वर्ल्ड लीडर समिट ऑफ COP-26 शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि अगली पीढ़ी को मुद्दों से अवगत कराने के लिए स्कूली पाठ्यक्रम में जलवायु परिवर्तन अनुकूलन नीतियों को शामिल करने की आवश्यकता है।

प्रधानमंत्री ने वैश्विक मंच पर भारत की नल से जल, स्वच्छ भारत मिशन और उज्जवला जैसी योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि इन योजनाओं से जरूरतमंद नागरिकों को अनुकूलन लाभ तो मिले ही हैं, साथ ही उनके जीवन स्तर में भी सुधार हुआ है। मोदी ने कहा, “कई पारंपरिक समुदाय में प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने का ज्ञान है। हमारी अनुकूलन नीतियों में इन्हें उचित महत्व मिलना चाहिए। स्कूल के पाठ्यक्रम में भी इसे जोड़ा जाना चाहिए।”

एडाप्टेशन के महत्वपूर्ण मुद्दे पर मुझे अपने विचार प्रस्तुत करने का अवसर देने के लिए My Friend बोरिस, Thank You ! वैश्विक Climate डिबेट में Adaptation को उतना महत्त्व नहीं मिला है जितना Mitigation को। यह उन विकासशील देशों के साथ अन्याय है, जो climate change से अधिक प्रभावित हैं।

भारत समेत अधिकतर विकासशील देशों के किसानों के लिए climate बड़ी चुनौती है – क्रोपिंग पैटर्न में बदलाव आ रहा है, बेसमय बारिश और बाढ़, या लगातार आ रहे तूफानों से फसलें तबाह हो रही हैं। पेय जल के स्रोत से ले कर affordable हाउसिंग तक, सभी को climate change के खिलाफ resilient बनाने की जरुरत है।

Excellencies

इस संदर्भ में मेरे तीन विचार है। पहला, एडाप्टेशन को हमें अपनी विकास नीतियों और परियोजनाओं का मुख्य अंग बनाना होगा। भारत में नल से जल – tap water for all, स्वच्छ भारत- clean India Mission और उज्ज्वला- clean cooking fuel for all जैसी परियोजनाओं से हमारे जरूरतमंद नागरिकों को एडाप्टेशन बेनेफिट्स तो मिले ही हैं, उनकी क्वालिटी ऑफ़ लाइफ भी सुधरी है। दूसरा, कई ट्रेडिशनल कम्युनिटीज में प्रकृति के साथ सामंजस्य में रहने का ज्ञान है।

हमारी एडाप्टेशन नीतियों में इन पारंपरिक practices को उचित महत्त्व मिलना चाहिए। ज्ञान का ये प्रवाह, नई पीढ़ी तक भी जाए, इसके लिए स्कूल के सैलेबस में भी इसे जोड़ा जाना चाहिए। लोकल कंडीशन के अनुरूप lifestyles का संरक्षण भी एडाप्टेशन का एक महत्वपूर्ण स्तम्भ हो सकता है। तीसरा, एडाप्टेशन के तरीके चाहे लोकल हों, किन्तु पिछड़े देशों को इनके लिए global सपोर्ट मिलना चाहिए।

लोकल एडाप्टेशन के लिए ग्लोबल सपोर्ट की सोच के साथ ही भारत ने Coalition for Disaster Resilient Infrastructure CDRI की पहल की थी। मैं सभी देशों को इस initiative के साथ जुड़ने का अनुरोध करता हूँ।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

पिरवी दिवस

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने केरल पिरवी दिवस पर राज्य के लोगों को शुभकामनाएं दी हैं।

प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा;

“केरल के लोगों को केरल पिरावी दिवस की बधाई। अपने मनोहर प्राकृतिक परिदृश्य और लोगों के मेहनती स्वभाव के लिए केरल की व्यापक रूप से प्रशंसा की जाती है। कामना करता हूँ कि केरल के लोग अपने विभिन्न प्रयासों में सफल हों।”

हर साल 1 नवंबर को केरल अपना स्थापना दिवस धूमधाम एवं हर्षोल्ल के साथ मनाता है। इस दिन केरल राज्य का गठन हुआ था। 1 नवंबर को ‘केरल पिरवी दीनम’ के नाम से भी सेलिब्रेट करता है ..

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.1 PRE

 

भाषा संगम पहल, भाषा संगम मोबाइल ऐप और एक भारत श्रेष्ठ भारत

मोबाइल क्विज़ का शुभारंभ

केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि फॉर्मल क्रेडिट अर्निंग सिस्‍टम के साथ भाषा सीखने को एक कौशल के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने यह बात स्कूलों के लिए भाषा संगम पहल, भाषा संगम मोबाइल ऐप और श्री सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के रूप में हर साल 31 अक्टूबर को मनाए जाने वाले राष्ट्रीय एकता दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि के रूप में एक भारत श्रेष्ठ भारत प्रश्नोत्तरी ऐप के शुभारंभ के दौरान कही।

श्री प्रधान ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने पर जोर देने की सोच को रेखांकित करती है। उन्होंने कहा कि भविष्य में औपचारिक साख अर्जन प्रणाली के साथ भाषा सीखने को एक कौशल के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा। श्री प्रधान ने कहा कि भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने पर देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। उन्होंने कहा कि आज शुरू की गई पहल हमारे छात्रों को हमारे देश की भाषाई विविधता को अपनाने और हमारी संस्कृति, विरासत और विविधता की समृद्धि के बारे में संवेदनशील बनाने में मदद करेगी।

भाषा संगम 22 भारतीय भाषाओं में रोज उपयोग में आने वाले बुनियादी वाक्य सिखाने के लिए एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम के तहत शिक्षा मंत्रालय की एक पहल है। इस पहल के पीछे की सोच यह है कि लोगों को अपनी मातृभाषा के अलावा किसी अन्य भारतीय भाषा में भी बुनियादी बातचीत का कौशल हासिल करना चाहिए। हमारा लक्ष्य है कि आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान कम से कम 75 लाख लोग इस कौशल को हासिल करें।

भाषा संगम के तहत आज शुरू की गई पहल:

  1. स्कूली बच्चों के लिए एक पहल जो दीक्षा, ई-पाठशाला और 22 पुस्तिकाओं के माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही है
  2. भाषा संगम मोबाइल ऐप को माईगॉव के सहयोग से मल्टीभाषी नामक एक स्टार्टअप द्वारा विकसित किया गया है
  3. मंत्रालय के इनोवेशन सेल के जरिए नज़ारा टेक्नोलॉजीज द्वारा भारत के राज्यों पर 10,000 से अधिक प्रश्नों के साथ एक मोबाइल ऐप आधारित प्रश्नोत्तरी विकसित की गई है

स्कूलों के लिए भाषा संगम पहल

  • एनसीईआरटी द्वारा विकसित
  • 22 अनुसूचित भाषाओं में 100 वाक्य इस प्रकार प्रस्तुत किए गए हैं कि स्कूल में बच्चे भारतीय भाषा में देवनागरी लिपि में, रोमन लिपि में और हिंदी एवं अंग्रेजी में अनुवाद पढ़ सकेंगे।
  • भारतीय सांकेतिक भाषा के साथ ऑडियो और वीडियो के रूप में 100 वाक्य प्रस्तुत किए गए हैं।
  • भाषा संगम के इस कार्यक्रम के माध्यम से विद्यालय में छात्र सभी भाषाओं – उनकी लिपियों, उच्चारण से परिचित हो सकेंगे।
  • दीक्षा, ई-पाठशाला और 22 पुस्तिकाओं में उपलब्ध

भाषा संगम मोबाइल ऐप

  • यह माईगॉव के सहयोग से डीओएचई की एक पहल है
  • इस ऐप को एक स्टार्ट-अप मल्टीभाषी द्वारा विकसित किया गया है, जिसे माईगॉव द्वारा एक प्रतियोगिता के माध्यम से चुना गया है
  • ऐप में शुरू में 22 भारतीय भाषाओं में प्रतिदिन उपयोग आने वाले 100 वाक्य हैं। ये वाक्य दोनों रोमन लिपि और दी गई भाषा की लिपि में तथा ऑडियो प्रारूप में भी उपलब्ध हैं। बाद में इस सूची में और वाक्य जोड़े जाएंगे।
  • परीक्षण के आधार पर छात्र सीखने के कई चरणों से गुजरेगा। अंतिम में डिजिटल प्रमाणपत्र के साथ एक विस्तृत परीक्षण भी होगा।
  • यह ऐप एंड्रॉयड और आईओएस दोनों में उपलब्ध है

ईबीएसबी प्रश्नोत्तरी ऐप

  • ईबीएसबी क्विज़ गेम का लक्ष्य भारत के बच्चों और युवाओं को हमारे विभिन्न क्षेत्रों, राज्यों, संस्कृति, राष्ट्रीय नायकों, स्मारकों, परंपराओं, पर्यटन स्थलों, भाषाओं, भूगोल, इतिहास, स्थलाकृति के बारे में अधिक जानने में मदद करना है।
  • इस प्रश्नोत्तरी के हिस्से के रूप में हमारे पास पहले से ही 10,000 से अधिक सवाल हैं। इस क्विज़ गेम को खेलना काफी सरल है – क्विज़ खेलें, सीखें और ग्रेड प्राप्त करें। इसके अलावा, इस प्रश्नोत्तरी में सवालों की कठिनता के 15 विभिन्न स्तर हैं।
  • फिलहाल ईबीएसबी क्विज एंड्रॉयड ओएस पर उपलब्ध है। आईओएस वर्जन जल्द ही उपलब्ध कराया जाएगा।
  • यह गेम फिलहाल अंग्रेजी और हिंदी में उपलब्ध है। अगले 3 महीनों में ईबीएसबी क्विज़ 12 अन्य विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में भी उपलब्ध होगा।

SOURCE-PIB

PAPER—G.S.2

 

डेयरी सहकार योजना

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 31 अक्टूबर, 2021 को डेयरी सहकार योजना (Dairy Sahakar Scheme) की शुरुआत की। इस योजना को गुजरात के आणंद में किसानों की आय को दोगुना करने और आत्मनिर्भर भारत बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है।

डेयरी सहकार योजना (Dairy Sahakar Scheme)

यह योजना 5000 करोड़ रुपये के कुल निवेश बजट के साथ शुरू की गई थी। इसे NCDC द्वारा सहकारिता मंत्रालय के तहत “सहयोग से समृद्धि तक” के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए लागू किया जाएगा। NCDC दूध खरीद, गोजातीय विकास, गुणवत्ता आश्वासन, ब्रांडिंग, पैकेजिंग, परिवहन, दूध और दूध उत्पादों के भंडारण और डेयरी उत्पादों के निर्यात जैसी गतिविधियों के लिए पात्र सहकारी समितियों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।

पृष्ठभूमि

अमूल के 75वें स्थापना वर्ष का जश्न मनाने के लिए अमूल द्वारा आयोजित एक समारोह के दौरान यह योजना लांच की गई।

अमूल (Amul)

अमूल गुजरात में आणंद में स्थित एक भारतीय डेयरी सहकारी समिति है। इसकी स्थापना 1946 में हुई थी। इसका प्रबंधन गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (GCMMF) करती है। GCMMF का स्वामित्व गुजरात में लगभग 3.6 मिलियन दूध उत्पादकों और 13 जिला दुग्ध संघों के शीर्ष निकाय के पास है। अमूल ने भारत की श्वेत क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इसे दूध और दूध उत्पादों का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक बना दिया।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.1 PRE

 

रोम घोषणा

दो दिवसीय G-20 शिखर सम्मेलन 31 अक्टूबर, 2021 को संपन्न हुआ था। इस शिखर सम्मेलन के दौरान, रोम घोषणा (Rome Declaration) को अपनाया गया।

मुख्य बिंदु

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस शिखर सम्मेलन को फायदेमंद बताया।
  • इस शिखर सम्मेलन के दौरान, नेताओं ने वैश्विक महत्व के मुद्दों जैसे कोविड-19 महामारी से लड़ने, स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में सुधार, आर्थिक सहयोग को मजबूत करने और नवाचार को आगे बढ़ाने पर विचार-विमर्श किया।
  • उन्होंने ‘रोम घोषणा’ को भी अपनाया। सदस्य देश इस बात पर सहमत हुए कि कोविड-19 टीकाकरण एक वैश्विक सार्वजनिक हित है।
  • इस शिखर सम्मेलन के दौरान, देशों ने यह भी सहमति व्यक्त की कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को कोविड-19 टीकों के आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण के लिए प्रक्रिया को तेज करने के लिए मजबूत किया जाएगा।
  • इस सत्र का मुख्य फोकस ऊर्जा और जलवायु पर था।
  • कई विकासशील देशों ने विकासशील देशों के हितों की रक्षा करने का आह्वान किया।

रोम घोषणा (Rome Declaration)

रोम घोषणा में 16 परस्पर सहमत सिद्धांत शामिल हैं, जिसका उद्देश्य भविष्य के स्वास्थ्य संकटों को रोकने और एक सुरक्षित, न्यायसंगत और सतत विश्व (sustainable world) बनाने के लिए संयुक्त कार्रवाई का मार्गदर्शन करना है। यह 16 सिद्धांत इस प्रकार हैं:

  1. निदान, प्रतिक्रिया, रोकथाम और तैयारियों के लिए मौजूदा बहुपक्षीय स्वास्थ्य व्यवस्था का समर्थन करना।
  2. मानव, पशु और पर्यावरण के बीच उत्पन्न होने वाले जोखिमों को दूर करने के लिए बहु-क्षेत्रीय, साक्ष्य-आधारित एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण की निगरानी और कार्यान्वयन की दिशा में कार्य करना।
  3. सभी समाज और स्वास्थ्य नीतियों को बढ़ावा देना।
  4. बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को बढ़ावा देना।
  5. उच्च गुणवत्ता, सुरक्षित और प्रभावी स्वास्थ्य प्रणालियों के लिए न्यायसंगत, सस्ती और वैश्विक पहुंच को सक्षम करना।
  6. विशेषज्ञता बनाने, स्थानीय और क्षेत्रीय विनिर्माण क्षमता विकसित करने के लिए निम्न और मध्यम आय वाले देशों का समर्थन करना।
  7. डेटा साझाकरण, क्षमता निर्माण, स्वैच्छिक प्रौद्योगिकी और लाइसेंसिंग समझौतों पर ध्यान देना।
  8. मौजूदा तैयारियों और रोकथाम संरचनाओं के लिए समर्थन बढ़ाना।
  9. विश्वव्यापी स्वास्थ्य और देखभाल कार्यबल में निवेश।
  10. नैदानिक सार्वजनिक और पशु स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं के पर्याप्त संसाधनों, प्रशिक्षण और स्टाफ में निवेश करना।
  11. अंतर-संचालित पूर्व चेतावनी निगरानी, सूचना और ट्रिगर सिस्टम के विकास और सुधार के लिए निवेश।
  12. अनुसंधान, विकास और नवाचार के उद्देश्य से घरेलू, अंतर्राष्ट्रीय और बहुपक्षीय सहयोग में निवेश।
  13. सार्थक और समावेशी संवाद को समर्थन और बढ़ावा देकर तैयारी और प्रतिक्रिया उपायों की प्रभावशीलता बढ़ाना।
  14. वित्तपोषण तंत्र की प्रभावशीलता सुनिश्चित करना।
  15. सतत और न्यायसंगत रिकवरी के संबंध में फार्मास्यूटिकल और गैर-फार्मास्युटिकल उपायों और आपातकालीन प्रतिक्रिया पर समन्वय।
  16. महामारी की तैयारी, रोकथाम, पता लगाने और लंबी अवधि में प्रतिक्रिया के वित्तपोषण के लिए सुव्यवस्थित, उन्नत, टिकाऊ और पूर्वानुमेय तंत्र की आवश्यकता को संबोधित करना।

SOURCE-DANIK JAGRAN

PAPER-G.S.3

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