Current Affairs – 10 March, 2021
फ्यूल सेल आधारित एयर इनडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) सिस्टम
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने एक और कामयाबी हासिल की है, जिससे भारतीय नौसेना की ताकत में और इजाफा हो गया है। वहीं समुद्र में भारत की पनडुब्बियां और भी घातक हो जाएंगी।
डीआरडीओ ने आईएनएस करंज पनडुब्बी को भारतीय नौसेना में शामिल किए जाने के एक दिन पहले सोमवार रात को मुंबई में एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी) तकनीक का सफल परीक्षण किया। इस परीक्षण नौसेना की ताकत में इजाफा करने वाला बड़ा कदम माना जा रहा है। इससे भारतीय पनडुब्बियों को समुद्र के भीतर और भी अधिक घातक बना देगा। भारत के दुश्मनों को पता भी नहीं चलेगा और वे तबाह हो जाएंगे।
एआईपी तकनीक पनडुब्बी को पानी के नीचे अधिक समय तक रहने की इजाजत देता है और एक परमाणु पनडुब्बी की तुलना में इसे शांत रखते हुए उप-सतह (सब-सरफेस) के प्लेटफॉर्म को और अधिक घातक बनाता है। भारतीय नौसेना ने अब अपने सभी कलवरी क्लास के गैर-परमाणु हथियारों में एआईपी तकनीक को अपग्रेड करने की योजना बना रही है। माना जा रहा है कि 2023 तक यह काम पूरा हो जाएगा।
इन देशों के पास है यह तकनीक
आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में एआईपी तकनीक का सफल परीक्षण बेहद अहम कदम है। भारत से पहले यह तकनीक अमेरिका, फ्रांस, चीन, ब्रिटेन और रूस के पास ही थी। डीआरडीओ की एआईपी तकनीक एक फॉस्फोरिक एसिड फ्यूल सेल पर आधारित है और अंतिम दो कलवरी क्लास पनडुब्बियों को इसके द्वारा संचालित किया जाएगा।
इसलिए विशेष है यह तकनीक
एआईपी या मरीन प्रोपल्शन तकनीक गैर-परमाणु पनडुब्बियों को वायुमंडलीय ऑक्सीजन तक पहुंच के बिना संचालित करने की अनुमति देती है और पनडुब्बियों के डीजल-इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम को बढ़ाती है। इसका मतलब है कि एआईपी फिटेड पनडुब्बी को अपनी बैटरी चार्ज करने के लिए सतह पर नहीं आना पड़ता है और यह लंबे समय तक पानी के नीचे रहता है। एक ओर जहां न्यूक्लियर सबमरीन जहां शिप रिएक्टर की वजह से शोर मचाती हैं, वहीं एआईपी तकनीक से लैस पनडुब्बी एक घातक चुप्पी बनाए रखती है। यह नई तकनीक भारतीय सबमरीन को और भी ज्यादा घातक बनाएंगी। डीआरडीओ की इस तकनीक को फ्रांस से मदद मिली है, जो कलवरी क्लास मैन्युफैक्चरिंग के संदर्भ में भारतीयों के संपर्क में थे।
SOURCE –AMAR UJJALA
गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम
लोकसभा में गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा प्रदान किए गए डेटा के अनुसार वर्ष 2015 की तुलना में 2019 में यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधियां [रोकथाम] अधिनियम) के तहत गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की संख्या में 72% की वृद्धि हुई है।
2019 में देश भर में दर्ज 1,226 मामलों में यूएपीए के तहत 1,948 लोगों को गिरफ्तार किया गया। 2015 से 2018 तक, अधिनियम के तहत दर्ज किए गए मामले क्रमशः 897, 922, 901 और 1,182 थे, जबकि गिरफ्तारी की संख्या 1,128, 999, 1,554 और 1,421 थी।
2019 में, सबसे अधिक ऐसे मामले मणिपुर (306) में दर्ज किए गए, उसके बाद तमिलनाडु (270), जम्मू और कश्मीर (255), झारखंड (105) और असम (87) में मामले दर्ज किए गए।
2019 में, सबसे अधिक गिरफ्तारियाँ उत्तर प्रदेश (498) में हुईं, उसके बाद मणिपुर (386), तमिलनाडु (308), जम्मू और कश्मीर (227) और झारखंड (202) में गिरफ्तारियाँ हुईं।
सरकार ने 42 संगठनों को आतंकवादी संगठन घोषित किया था और यूएपीए की पहली अनुसूची में उनके नाम सूचीबद्ध किए थे।2016-2019 के बीच यूएपीए के तहत दर्ज किए गए मामलों में से केवल 2.2% मामलों में अदालत द्वारा सजा सुनाई गई।
गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) एक्ट, 1967 क्या है?
गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) एक्ट, 1967 का उद्देश्य भारत विरोधी (भारत और विदेशी जमीन पर) गैरकानूनी गतिविधियों की प्रभावी रोकथाम करना है। अर्थात यह एक्ट भारत की अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा पैदा करने वाली गतिविधियों से निपटने के लिए शक्तियां उपलब्ध कराता है। संसद ने इस एक्ट में संशोधन कर इसे और सख्त बनाया है।
यह बिल गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) एक्ट, 1967 में संशोधन करता है। यह एक्ट आतंकी और नक्सलवादी गतिविधियों को काबू में करने के लिए पुराने एक्ट में कुछ बदलाव
करता है ताकि भारत के खिलाफ होने वाली आतंकी गतिविधियों से कड़ाई से निपटा जा सके।
इस अधिनियम का विस्तार और अनुप्रयोग (Extent and Application of this Act)
- यह कानून पूरे देश में लागू है।
- UAPA के तहत आरोपित कोई भी भारतीय या विदेशी नागरिक इस अधिनियम के तहत सजा के लिए उत्तरदायी है, भले ही अपराध किसी भी जगह पर किया गया हो।
- इस अधिनियम के प्रावधान भारतीय और विदेशी नागरिकों पर भी लागू होते हैं।
- यदि कोई पानी का जहाज और एयरक्राफ्ट भारत में पंजीकृत है, तो उस पर सवार व्यक्ति किसी भी देश में हो, उन पर यह कानून लागू होता है।
भारत में गैरकानूनी गतिविधि की परिभाषा (Definition of the Unlawful Activity in India)
गैरकानूनी गतिविधि में “व्यक्ति या संघ द्वारा किये गए निम्न कार्यों/गतिविधियों को शामिल किया गया है जैसे; शब्दों के द्वारा, लिखित, कार्यों के द्वारा, संकेतों द्वारा, भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को बाधित करने या तोड़ने का कोई भी प्रयास।
इस एक्ट के अंतर्गत केंद्र सरकार किसी संगठन को आतंकवादी संगठन घोषित कर सकती है, अगर वह :
(a) आतंकवाद को बढ़ावा देता है,
(b) अन्यथा आतंकवादी गतिविधि में शामिल है,
(c) आतंकवादी घटना को अंजाम देने की तैयारी करता है,
(d) आतंकवादी कार्रवाई करता है या उसमें भाग लेता है,
सरकार को अधिकार देता है कि वह समान आधार पर व्यक्तियों को भी आतंकवादी घोषित कर सकती है। यह अधिनियम, भारतीय क्षेत्र के एक हिस्से के कब्जे या संघ से भारत के क्षेत्र के एक हिस्से के अलगाव को भी प्रतिबंधित करता है। अर्थात यदि कोई व्यक्ति या संगठन या व्यक्तियों का समूह, भारत के किसी हिस्से पर कब्ज़ा करने की कोशिश करता है या उसको भारत से अलग करने की कोशिश करता है तो उसके विरुद्ध भी कानूनी कार्रवाही इसी एक्ट के प्रावधान के तहत की जाएगी। जैसे सिखों द्वारा ‘खालिस्तान’ की मांग और मुसलमानों द्वारा ‘सिमी’ का गठन।
गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत गिरफ्तारी के मामले (Famous arrest under the The Unlawful Activities (Prevention) Act, 1967)
- बिनायक सेन, एक डॉक्टर और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं, उन्हें 2007 में कथित रूप से अवैध नक्सलियों का समर्थन करने के लिए हिरासत में लिया गया था।
- सुधीर धवाले, दलित अधिकार कार्यकर्ता, 2018 में गिरफ्तार
- महेश राउत, 2018 में गिरफ्तार आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता
- वरवारा राव, कवि, 2018 में गिरफ्तार
- सुरेंद्र गडलिंग, दलित और आदिवासी अधिकार वकील, 2018 में गिरफ्तार
- शोमा सेन, प्रोफेसर, 2018 में गिरफ्तार
- सुधा भारद्वाज, आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता, 2018 में गिरफ्तार
- रोना विल्सन, अनुसंधान विद्वान, 2018 में गिरफ्तार
- गौतम नवलखा, पत्रकार और पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (PUDR) के सदस्य, 2018 में गिरफ्तार
इस अधिनियम के लिखित उपर्युक्त प्रावधानों से पता चलता है कि गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 पहले से ही एक बहुत ही सख्त कानून था लेकिन हाल के बदलावों ने इसे और भी सख्त बना दिया है।
इन हालिया बदलावों के मद्देनजर विपक्षी दलों के नेता चिंतित हैं कि सरकार इस कानून का दुरुपयोग करेगी जैसा कि हमने आतंकवाद निरोधक अधिनियम (POTA) के मामले में देखा था।
इस बात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है कि सरकार इस कानून का प्रयोग अपने विरोधी लोगों और संस्थाओं की आवाज को दबाने के लिए कर सकती है। चूंकि इसमें संसद को मौलिक अधिकारों पर उचित प्रतिबन्ध लगाने की शक्ति प्रदान की गयी है इसलिए यह मामला बहुत संजीदा हो जाता है।
अतः सरकार को इस मसले पर सूझबूझ से काम लेना होगा ताकि देश की एकता और अखंडता को बनाये रखते हुए मौलिक अधिकारों की रक्षा भी की जा सके। हमें उम्मीद है कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 देश की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करने में सक्षम होगा।
SOURCE-DANIK JAGARAN AND THE HINDU
उडुपी रामचंद्र राव
गूगल प्रसिद्ध भारतीय प्रोफेसर और वैज्ञानिक उडुपी रामचंद्र राव का 89 वां जन्मदिन मना रहा है, जिन्हें ‘भारत के सैटेलाइट मैन’ के रूप में याद किया जाता है। डूडल में पृथ्वी और शूटिंग सितारों की पृष्ठभूमि के साथ प्रोफेसर राव का एक स्केच है।
आज प्रोफ़ेसर राव का 89वाँ जन्मदिन है।
भारत के सैटेलाइट प्रोग्राम को नई दिशा देने के कारण डॉक्टर यूआर राव को ‘सैटेलाइट मैन ऑफ़ इंडिया’ के नाम से भी जाना जाता है।
भारत ने उनके नेतृत्व में ही साल 1975 में अपने पहले उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ का अंतरिक्ष में सफल प्रक्षेपण किया था अंतरिक्ष विज्ञान के अलावा सूचना प्रोद्योगिक के क्षेत्र में भी प्रोफ़ेसर राव ने अपनी अमिट छाप छोड़ी है।
प्रोफ़ेसर यूडी राव का जन्म 10 मार्च 1932 को कर्नाटक राज्य के उडुपी ज़िले के अडामारू इलाके में हुआ था। एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले उडुपी रामचंद्र राव अपनी प्रतिभा और लगन के दम पर सर्वश्रेष्ठ भारतीय वैज्ञानिकों की कतार में सबसे आगे तक पहुँचे।
प्रोफ़ेसर राव ने भारतीय अनुसंधान संस्थान (इसरो) के अध्यक्ष और भारत के अंतरिक्ष सचिव भी रहे।
प्रोफ़ेसर राव की अगुआई में ही भारत ने साल 1975 में पहले भारतीय उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ से लेकर 20 से अधिक सैटेलाइट डिज़ाइन और तैयार किए साथ ही उन्हें अंतरिक्ष में प्रक्षेपित भी किया है।
साल 2013 में सोसायटी ऑफ़ सैटेलाइट प्रोफ़ेशनल्स इंटरनेशनल्स ने प्रोफ़ेसर राव को ‘सैटेलाइट हॉल ऑफ़ फ़ेम, वॉशिंगटन’ का हिस्सा बनाया था।
इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय एस्ट्रोनॉटिकल फ़ेडरेशन ने भी प्रतिष्ठित ‘आईएएफ़ हॉल ऑफ़ फ़ेम’ में शामिल किया था।
अंतरिक्ष विज्ञान में प्रोफ़ेसर राव के योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें साल 1976 में देश के तीसरे सर्वोचच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया था। इसके बाद साल 2017 में उन्हें भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण भी दिया गया।
24 जुलाई, 2017 को 85 वर्ष की उम्र में प्रोफ़ेसर राव का निधन हो गया था। वो अगर जीवित होते तो आज अपना 89वाँ जन्मदिन मनाते।
SOURCE-BBC NEWS
मंत्रिमंडल ने स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर से प्राप्त होने वाली राशि से स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एक ‘सिंगल नॉन लैप्सेबल रिजर्व फंड’
के रूप में ‘प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा निधि’ बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज वित्त अधिनियम 2007 के सेक्सन 136 बी के तहत लिए जाने वाले स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर से प्राप्त होने वाली राशि से स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एक ‘सिंगल नॉन लैप्सेबल रिजर्व फंड’ के रूप में ‘प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा निधि’ (पीएमएसएसएन) बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी।
पीएमएसएसएन की मुख्य बातें
सार्वजनिक खाते में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एक ‘सिंगल नॉन लैप्सेबल रिजर्व फंड’
स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर से प्राप्त राशि में से स्वास्थ्य का अंश पीएमएसएसएन में भेजा जाएगा।
पीएमएसएसएन में भेजी गई इस राशि का इस्तेमाल स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की इन महत्वपूर्ण योजनाओं में किया जाएगा :-
आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई)
आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य एवं देखभाल केंद्र (एबी-एचडब्ल्यूसी)
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई)
स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थितियों में आपातकाल एवं आकस्मिक विपत्ति काल में तैयारी एवं प्रतिक्रिया
कोई भी अन्य भावी कार्यक्रम/योजना जिसका लक्ष्य एसडीजी की दिशा में प्रगति हासिल करना और राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के तहत तय लक्ष्यों को प्राप्त करना हो।
पीएमएसएसएन को लागू करने और उसकी रखरखाव की जिम्मेदारी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की होगी।
किसी भी वित्तीय वर्ष में, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की उक्त योजनाओं का व्यय प्रारंभिक तौर पर पीएमएसएसएन से लिया जाएगा और बाद में सकल बजट सहायता (ग्रॉस बजटरी स्पोर्ट) से लिया जाएगा।
लाभः-
इसके मुख्य लाभ यह होंगे कि तय संसाधनों की उपलब्धता के जरिए सार्वभौमिक और वहनीय स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच मुहैया कराई जा सकेगी और इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जा सकेगा कि किसी भी वित्तीय वर्ष के अंत में इसके लिए तय राशि समाप्त (लैप्स) नहीं होगी।
पृष्ठभूमि:-
संशोधित विकास निष्कर्षों को प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य बहुत महत्वपूर्ण है। आर्थिक दृष्टि से देखें तो स्वास्थ्य उत्पादकता में सुधार करता है और असामयिक मौत, लम्बे समय तक चलने वाली अपंगता और जल्द अवकाश लेने से होने वाले नुकसान को कम करता है। स्वास्थ्य और पोषण सीधे तौर पर पठन-पाठन की उपलब्धियों पर असर डालता है और इसका उत्पादकता और आय पर भी प्रभाव पड़ता है। स्वास्थ्य निष्कर्ष पूरी तरह स्वास्थ्य क्षेत्र में किए जाने वाले सार्वजनिक व्यय पर निर्भर करते हैं। आबादी की जीवन आकांक्षा के एक अतिरिक्त वर्ष बढ़ने से सकल घरेलू उत्पाद में प्रति व्यक्ति 4 प्रतिशत की वृद्धि होती है। स्वास्थ्य में निवेश से लाखो नौकरियां सृजित होती हैं, खासतौर से महिलाओं के लिए, क्योंकि स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की जरूरत बढ़ने से उनके लिए नौकरियां बढ़ती हैं।
2018 के बजट भाषण में वित्त मंत्री ने आयुष्मान भारत योजना की घोषणा करते हुए मौजूदा 3 प्रतिशत शिक्षा उपकर के स्थान पर 4 प्रतिशत स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर लगाने की घोषणा की थी।
SOURCE-PIB
3.77 करोड़ ग्रामीण परिवारों को जल जीवन मिशन के तहत नल कनेक्शन प्रदान किया
केंद्र ने कहा है कि 3.77 करोड़ ग्रामीण परिवारों को जल जीवन मिशन के तहत नल का जल कनेक्शन प्रदान किया गया है। जल शक्ति मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में सात करोड़ से अधिक परिवारों के पास अब एक नल कनेक्शन है।
मुख्य बिंदु
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2019 को जल जीवन मिशन (JJM) की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण घर में नल कनेक्शन उपलब्ध कराना था। जब इस मिशन की घोषणा की गई थी, ता 18.9 करोड़ में से ग्रामीण केवल 3.23 करोड़ घरों में नल कनेक्शन थे और इस प्रकार, लगभग 15.70 करोड़ घरों में 2024 तक नल का पानी उपलब्ध कराया जायेगा।
यह कार्यक्रम सीधे सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार, 19 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को लाभान्वित करता है। मंत्रालय ने कहा, गोवा देश का पहला राज्य बन गया है जो 100 प्रतिशत नल का जल कनेक्शन प्रदान करता है, इसके बाद तेलंगाना का स्थान है।
जल जीवन मिशन
यह एक राष्ट्रीय मिशन है, इसका उद्देश्य 2024 तक हर घर में नल के द्वारा पीने योग्य पानी उपलब्ध करवाना है। इस मिशन की 15 अगस्त, 2019 को की गयी थी।
एसएमएस स्क्रबिंग’ (SMS Scrubbing) क्या है?
लीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स (TSP) ने 8 मार्च, 2021 को एसएमएस विनियमन के दूसरे चरण को लागू करना शुरू कर दिया। इस कदम के साथ, बैंकों और ई-कॉमर्स फर्मों का कामकाज प्रभावित हुआ और कई महत्वपूर्ण सेवाएं बाधित हुईं जैसे कि ओटीपी इत्याद।
एसएमएस स्क्रबिंग
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने हाल ही में सूचित किया है कि प्रत्येक एसएमएस सामग्री को यूजर को डिलीवर करने से पहले सत्यापित करना होगा। एसएमएस सामग्री को सत्यापित करने की इस प्रक्रिया को एसएमएस स्क्रबिंग के रूप में जाना जाता है। यह प्रक्रिया 8 मार्च को लागू की गई थी। इस प्रणाली के शुरू होने के बाद, टेलिकॉम ऑपरेटरों द्वारा असत्यापित और अपंजीकृत एसएमएस संदेशों को ब्लॉक कर दिया गया था।
यह नया विनियमन क्यों लागू किया गया?
TRAI ने इस बात पर प्रकाश डाला कि, टेलीमार्केटर ग्राहक की घोषित प्राथमिकता को आजकल सहमति का दावा करते हुए ओवरराइड कर रहे हैं, जिसे सरसरी तौर पर प्राप्त किया जा सकता है। इस प्रकार, यह नया विनियमन ग्राहक को उनकी सहमति पर पूर्ण नियंत्रण प्रदान करेगा। एसएमएस और वॉयस कम्युनिकेशन दोनों के लिए पंजीकृत टेम्प्लेट की इस अवधारणा को प्रमोशनल संदेशों के लेन-देन के प्रवाह को रोकने के लिए पेश किया गया था। एसएमएस सामग्री को ब्लॉकचैन विधि की सहायता से सत्यापित किया जाएगा। यह विधि हर अपंजीकृत एसएमएस को ब्लॉक करती है।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI)
यह भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 की धारा 3 के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है। यह भारत में दूरसंचार क्षेत्र को नियंत्रित करता है। ट्राई में एक अध्यक्ष और दो से अधिक पूर्णकालिक सदस्य शामिल हैं।
Source-G.K.TODAY
10 मार्च : केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल का स्थापना दिवस
प्रतिवर्ष 10 मार्च को केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल का स्थापना दिवस मनाया जाता है। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल गृह मंत्रालय के तहत कार्य करता है। इसकी स्थापना 1969 में CISF अधिनियम, 1968 के तहत की गयी थी।
केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल
केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (Central Industrial Security Force) अर्धसैनिक बल हैं, जिसका कार्य सरकारी कारखानो एवं अन्य सरकारी उपक्रमों को सुरक्षा प्रदान करना है। यह देश के विभिन्न महत्वपूर्ण संस्थानों की भी सुरक्षा करता है। इस बल का गठन 10 मार्च 1969 में हुआ था। इस बल की संख्या लगभग 1.50 लाख है। सरकारी उपक्रमों की सुरक्षा के आलावा देश के आंतरिक सुरक्षा,विशिष्ट लोगों की सुरक्षा,मेट्रो,परमाणु संस्थान,ऐतिहासिक धरोहरों,आदि की भी सुरक्षा करता है।
नोट : CISF, CRPF, BSF, ITBP तथा SSB केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अधीन आते हैं, इससे पहले इन बलों को अद्धसैनिक बल माना जाता था। परन्तु मार्च 2011 के बाद इन बलों को केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल के रूप में वर्गीकृत किया गया।
भारत में “अद्धसैनिक बल” को किसी कानून के द्वारा आधिकारिक रूप से परिभाषित नहीं किया गया है। “अद्धसैनिक बल” का उपयोग असम राइफल्स (इसका प्रशासनिक नियंत्रण केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है, जबकि इसका संचालनात्मक नियंत्रण भारतीय थल सेना के पास है) तथा स्पेशल फ्रंटियर फ़ोर्स (SFF) के लिए किया जाता है।