Current Affairs – 10 November, 2021
सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज वित्त वर्ष 2021-22 के शेष महीनों के दौरान सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीलैड्स) को बहाल करने और 15वें वित्त आयोग की अवधि के साथ-साथ वित्त वर्ष 2025-26 तक इसे जारी रखने को मंजूरी दे दी है।
योजना का विवरण:
एमपीलैड्स केंद्रीय क्षेत्र की एक योजना है जिसके लिए पूरी राशि भारत सरकार द्वारा मुहैया कराई जाती है। इस योजना का उद्देश्य सांसदों को मुख्य रूप से अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्यों की सिफारिश करने में सक्षम बनाना है जिसके तहत पेयजल, प्राथमिक शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वच्छता और सड़कों, इत्यादि के क्षेत्रों में टिकाऊ सामुदायिक परिसंपत्तियों के निर्माण पर विशेष जोर दिया जाता है।
प्रति सांसद निर्वाचन क्षेत्र के लिए निर्दिष्ट वार्षिक एमपीलैड्स राशि 5 करोड़ रुपये है, जो प्रत्येक 2.5 करोड़ रुपये की दो किस्तों में जारी की जाती है। एमपीलैड्स के दिशा-निर्देशों के अनुसार निर्धारित शर्तों को पूरा करने के आधार पर ही प्रत्येक किस्त जारी की जाती है।
समाज में कोविड-19 के स्वास्थ्य संबंधी प्रभावों के साथ-साथ अन्य प्रतिकूल प्रभावों से भी निपटने के लिए कैबिनेट ने 6 अप्रैल, 2020 को आयोजित अपनी बैठक में वित्त वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 के दौरान एमपीलैड्स का संचालन नहीं करने और कोविड-19 महामारी के प्रभावों से निपटने के लिए इस राशि को वित्त मंत्रालय के अधीन रखने का निर्णय लिया था।
चूंकि देश अब आर्थिक रिकवरी की राह पर है और यह योजना टिकाऊ सामुदायिक परिसंपत्तियों के निर्माण, समुदाय की स्थानीय जरूरतों को पूरा करने, कौशल विकास एवं देश भर में रोजगारों के सृजन की दृष्टि से निरंतर लाभप्रद बनी हुई है, और इस तरह से यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ के उद्देश्य को प्राप्त करने में अत्यंत मददगार है, इसलिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अब वित्त वर्ष 2021-22 के शेष महीनों के दौरान सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीलैड्स) को बहाल करने और 15वें वित्त आयोग की अवधि के साथ-साथ वित्त वर्ष 2025-26 तक एमपीलैड्स को जारी रखने का निर्णय लिया है।
मंत्रालय वित्त वर्ष 2021-22 की शेष अवधि के लिए प्रति सांसद 2 करोड़ रुपये की दर से एमपीलैड्स राशि एक किस्त में और वित्त वर्ष 2022-23 से लेकर वित्त वर्ष 2025-26 तक की अवधि के दौरान प्रति सांसद 5 करोड़ रुपये प्रति वर्ष की दर से प्रत्येक 2.5 करोड़ रुपये की दो किस्तों में जारी करेगा। इस योजना की शुरुआत से लेकर अब तक कुल 19,86,206 कार्य/परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं, जिन पर 54171.09 करोड़ रुपये की वित्तीय लागत आई है।
कार्यान्वयन रणनीति और लक्ष्य:
- एमपीलैड्स योजना दिशानिर्देशों द्वारा शासित होती है, जिन्हें समय – समय पर संशोधित किया जाता है।
- एमपीलैड्स के तहत प्रक्रिया, संसद सदस्यों द्वारा नोडल जिला प्राधिकरण को कार्यों की सिफारिश करने के साथ शुरू होती है।
- संबंधित नोडल जिला, संसद सदस्यों द्वारा अनुशंसित कार्यों को लागू करने तथा योजना के तहत निष्पादित कार्यों और खर्च की गई राशि के विवरण रखने के लिए जिम्मेदार है।
प्रभाव:
- एमपीलैड्स को फिर से शुरू करने और इसके कार्यान्वयन को जारी रखने से क्षेत्र में सामुदायिक विकास परियोजनाओं/कार्यों की फिर से शुरूआत होगी, जो एमपीलैड्स के तहत धन की कमी के कारण रुक गयी थीं।
- इससे स्थानीय समुदाय की आकांक्षाओं और विकास संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने और स्थायी परिसंपत्तियों के निर्माण की फिर से शुरूआत होगी, जो एमपीलैड्स का प्राथमिक उद्देश्य है।
- यह योजना स्थानीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में भी मदद करेगी।
‘संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना’ (Members of Parliament Local Area Development Scheme- MPLADS):
- MPLADS की शुरुआत 23 दिसंबर, 1993 को हुई थी।
- MPLADS पूर्ण रूप से भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित योजना है, इस योजना के तहत एक संसदीय क्षेत्र के लिये वार्षिक रूप से दी जाने वाली राशि की अधिकतम सीमा 5 करोड़ रुपए हैं।
- इस योजना के माध्यम से संसद सदस्य अपने संसदीय क्षेत्रों में स्थानीय ज़रूरतों के आधार पर विकास कार्यों को शुरू करने के लिये सुझाव दे सकते हैं।
- इस योजना की शुरुआत के बाद से ही देश में राष्ट्रीय प्राथमिकता जैसे- पेयजल, शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वच्छता, सड़क आदि के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण कार्य किये गए हैं।
- इसके तहत योजनाओं के कार्यान्वयन हेतु नीति निर्माण, धनराशि जारी करने और निगरानी तंत्र के निर्धारण का कार्य ‘केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय’ द्वारा किया जाता है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.2
जनजातीय गौरव दिवस
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित करने को मंजूरी दे दी है। यह दिन वीर आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति को समर्पित है ताकि आने वाली पीढ़ियां देश के प्रति उनके बलिदानों के बारे में जान सकें। संथाल, तामार, कोल, भील, खासी और मिज़ो जैसे कई जनजातीय समुदायों द्वारा विभिन्न आंदोलनों के जरिए भारत के स्वतंत्रता संग्राम को मजबूत किया गया था। जनजातीय समुदायों के क्रांतिकारी आंदोलनों और संघर्षों को उनके अपार साहस एवं सर्वोच्च बलिदान की वजह से जाना जाता है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ आदिवासी आंदोलनों को राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा गया और इसने पूरे देश में भारतीयों को प्रेरित किया। हालांकि, देश के ज्यादातर लोग इन आदिवासी नायकों को लेकर ज्यादा जागरूक नहीं है। वर्ष 2016 के स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के भाषण के अनुरूप भारत सरकार ने देश भर में 10 जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालयों को मंजूरी दी है।
15 नवंबर को श्री बिरसा मुंडा की जयंती होती है, जिनकी देश भर के आदिवासी समुदायों द्वारा भगवान के रूप में पूजा की जाती है। बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश औपनिवेशिक व्यवस्था की शोषक प्रणाली के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी और ‘उलगुलान’ (क्रांति) का आह्वान करते हुए ब्रिटिश दमन के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया। मंत्रिमंडल की आज की यह घोषणा आदिवासी समुदायों के गौरवशाली इतिहास और सांस्कृतिक विरासत को स्वीकृति प्रदान करती है। यह जनजातीय गौरव दिवस हर साल मनाया जाएगा और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और वीरता, आतिथ्य और राष्ट्रीय गौरव के भारतीय मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए आदिवासियों के प्रयासों को मान्यता देगा। रांची में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया जाएगा जहां भगवान बिरसा मुंडा ने अंतिम सांस ली थी।
भारत सरकार ने जनजातीय लोगों, संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास के 75 साल पूरे होने का जश्न और इसका उत्सव मनाने के लिए 15 नवंबर से 22 नवंबर 2021 तक सप्ताह भर चलने वाले समारोह के आयोजन की योजना बनाई है।
इस समारोह के हिस्से के रूप में, राज्य सरकारों के साथ संयुक्त रूप से कई गतिविधियों की योजना बनाई गई है। प्रत्येक गतिविधि का मूल विषय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय लोगों की उपलब्धियों, भारत सरकार द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका, बुनियादी ढांचे और कौशल विकास के लिए किए गए विभिन्न कल्याणकारी उपायों को प्रदर्शित करना है। इन कार्यक्रमों में अद्वितीय आदिवासी सांस्कृतिक विरासत, स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान, प्रथाओं, अधिकारों, परंपराओं, व्यंजनों, स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका को भी प्रदर्शित किया जाएगा।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.1
खनिज संरक्षण और विकास (संशोधन) नियम, 2021
खान मंत्रालय ने 3 नवंबर, 2021 को खनिज संरक्षण और विकास (संशोधन) नियम- 2021 को खनिज संरक्षण और विकास नियम, 2017 [एमसीडीआर] में संशोधन करने के लिए अधिसूचित किया है।
खनिजों के संरक्षण, व्यवस्थित व वैज्ञानिक खनन, देश में खनिज के विकास और पर्यावरण की सुरक्षा के संबंध में नियम उपलब्ध कराने के लिए एमसीडीआर को खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 [एमएमडीआर अधिनियम] की धारा 18 के तहत बनाया गया है।
राज्य सरकारों, उद्योग संघों, खनिकों, अन्य हितधारकों और आम जनता के साथ व्यापक परामर्श के बाद संशोधित नियम बनाए गए हैं। इन नियमों में संशोधन के प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:
- ये नियम निर्धारित करते हैं कि भारतीय खान ब्यूरो (आईबीएम) के विशिष्ट निर्देश के अनुरूप खान से संबंधित सभी योजना और खंडों को डिजिटल वैश्विक स्थिति निर्धारण प्रणाली (डीजीपीएस) या कुल स्टेशन या ड्रोन सर्वेक्षण के संयोजन का उपयोग कर कुछ या सभी पट्टों के संबंध में तैयार किए जाएंगे।
- पट्टेदार और आशयपत्र धारकों के खनन क्षेत्र की डिजिटल फोटो जमा करने का प्रावधान करने के लिए नए नियम को जोड़ा गया है। 1 मिलियन टन या उससे अधिक की वार्षिक खनन योजना वाले पट्टेदारों या 50 हेक्टेयर या उससे अधिक के पट्टे वाले क्षेत्र केपट्टेदारों को हर साल पट्टा क्षेत्र और पट्टे की सीमा से 100 मीटर बाहर तक की ड्रोन सर्वेक्षण फोटो जमा करने की जरूरत है। अन्य पट्टेदारों को हाई रेजोल्यूनश सैटेलाइट फोटो जमा करने होंगे। इस कदम से न केवल खान नियोजन अभ्यासों, खानों की सुरक्षा में सुधार होगा, बल्कि खनन कार्यों का बेहतर पर्यवेक्षण भी सुनिश्चित होगा।
- नियम 34ए के अनुसार हाई रिजोल्यूशन जियोरिफ्रेन्सड अर्थो-रेक्टिफाइड मल्टीस्पेक्ट्रल सैटेलाइट फोटो जमा करने और ड्रोन सर्वेक्षण के उपयोग के लिए कार्टोसैट-2 उपग्रह लाआईएसएस-IV सेंसर से प्राप्त सैटेलाइट फोटो को भू-संपत्ति मानचित्र के पैमाने पर जमा करने की जरूरत को प्रावधान की प्रविष्टि के मद्देनजर हटा दिया गया है।
- अनुपालन के बोझ को कम करने के लिए दैनिक रिटर्न के प्रावधान को हटा दिया गया है। वहीं, मासिक या वार्षिक रिटर्न में अधूरी या गलत या फर्जी जानकारी के खिलाफ कार्रवाई करने की शक्ति राज्य सरकार के अतिरिक्त आईबीएम को भी दी गई है।
- 25 हेक्टेयर से कम के पट्टे वाले क्षेत्र ‘ए’ श्रेणी की खदानों के लिए एक अंशकालिक (पार्ट टाइम) खनन इंजीनियर या एक अंशकालिक भू-वैज्ञानिक की नियुक्ति की अनुमति दी गई है। इससे छोटे खनिकों पर अनुपालन बोझ कम होगा।
- रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए, खान सुरक्षा महानिदेशक द्वारा जारी पात्रता के एक द्वितीय श्रेणी प्रमाण पत्र के साथ विधिवत मान्यता प्राप्त संस्थान की ओर से दिया गया खनन और खान सर्वेक्षण में डिप्लोमा को पूर्णकालिक खनन इंजीनियर के लिए तय पात्रता में जोड़ा गया है। इसके अलावा अंशकालिक खनन इंजीनियर के लिए भी पात्रता जोड़ी गई है।
- नियमों में दंड संबंधी प्रावधानों को युक्तिसंगत बनाया गया है। पहले नियम उल्लंघन की गंभीरता के बावजूद हर नियम के उल्लंघन के लिए 2 साल तक के कारावास या 5 लाख रुपये तक के जुर्माने या दोनों, के प्रावधान थे। नियमों में संशोधन निम्नलिखित प्रमुख शीर्षकों के तहत नियमों के उल्लंघन को वर्गीकृत करता है:
- बड़े उल्लंघन: कारावास की सजा, जुर्माना या दोनों।
- मामूली उल्लंघन: जुर्माने को कम किया गया, ऐसे उल्लंघनों के लिए केवल जुर्माने का दंड निर्धारित किया गया है।
- अन्य नियमों के उल्लंघन को अपराध की श्रेणी से हटा दिया गया है। इन नियमों मेंरियायत पाने वाले या किसी अन्य व्यक्ति पर कोई विशिष्ट बाध्यता को आरोपित नहीं किया। इस तरह, 24 नियमों के उल्लंघन को अपराध मुक्त कर दिया गया है।
- निर्धारित अवधि के भीतर अंतिम खदान बंद करने की योजना प्रस्तुत न करने की स्थिति में पट्टाधारक के वित्तीय बीमा या परफॉरमेंस सिक्योरिटी को जब्त करने के प्रावधान को जोड़ा गया है।
- श्रेणी ‘ए’ और श्रेणी ‘बी’ की खदानों के लिए वित्तीय बीमा की राशि को मौजूदा तीन और दो लाख रुपये से बढ़ाकर क्रमशः पांच लाख रुपये और तीन लाख रुपये कर दिया गया है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.3
Global Drug Policy Index
Global Drug Policy Index 7 नवंबर, 2021 को हार्म रिडक्शन कंसोर्टियम (Harm Reduction Consortium) द्वारा जारी किया गया था।
मुख्य बिंदु
- इस सूचकांक में नॉर्वे, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल, यूके और ऑस्ट्रेलिया मानवीय और स्वास्थ्य-संचालित दवा नीतियों के संबंध में पांच अग्रणी देश हैं।
- पांच सबसे कम रैंक वाले देश ब्राजील, युगांडा, इंडोनेशिया, केन्या और मैक्सिको हैं।
भारत की रैंक
- भारत को 30 देशों में 18वें स्थान पर रखा गया है।
- भारत को कुल मिलाकर 46/100 का स्कोर मिला।
- स्वास्थ्य और हानि में कमी पर, भारत ने 49/100 स्कोर किया।
- आपराधिक न्याय प्रतिक्रिया की आनुपातिकता पर, भारत को 38/100 स्कोर मिला।
- दर्द और पीड़ा से राहत के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नियंत्रित पदार्थों की उपलब्धता और पहुंच पर, भारत ने 33/100 स्कोर किया।
ग्लोबल ड्रग पॉलिसी इंडेक्स क्या है?
ग्लोबल ड्रग पॉलिसी इंडेक्स दुनिया भर में दवा नीतियों और उनके कार्यान्वयन का डेटा-संचालित विश्लेषण है। इस सूचकांक में 75 संकेतक शामिल हैं और इसमें दवा नीति के पांच व्यापक आयाम शामिल हैं – आपराधिक न्याय, स्वास्थ्य और नुकसान में कमी, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नियंत्रित दवाओं तक पहुंच, चरम प्रतिक्रियाएं और विकास।
SOURCE-TIMES OF INDIA
PAPER-G.S.1 PRE
LEADS (Logistics Ease Across Different States) 2021 Index
Logistics Ease Across Different States 2021 Index हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा प्रकाशित किया गया था। यह इस सूचकांक का तीसरा संस्करण है।
मुख्य बिंदु
- इस सूचकांक में, गुजरात, हरियाणा और पंजाब माल की गतिशीलता और लॉजिस्टिक्स श्रृंखला की दक्षता के मामले में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों के रूप में उभरे।
- यह इंडेक्स लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर के आधार पर राज्यों को रैंकिंग प्रदान करता है।
अग्रणी राज्य
- गुजरात, हरियाणा और पंजाब सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं (क्रमशः शीर्ष 3 स्थान)
- इसके बाद तमिलनाडु (4) और महाराष्ट्र (5) शीर्ष -5 स्लॉट में शामिल हैं।
- 2019 की लीड्स रैंकिंग की तुलना में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और झारखंड में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। ये राज्य शीर्ष सुधारकर्ता के रूप में उभरे हैं।
पृष्ठभूमि
Logistic Ease Across Different States (LEADS) इंडेक्स 2018 में लॉन्च किया गया था। इसे वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा विकसित किया गया था। यह सूचकांक माल व्यापार को बढ़ावा देने के लिए लॉजिस्टिक्स समर्थन के मामले में राज्यों को रैंक करता है। मूल्य निर्धारण की प्रतिस्पर्धात्मकता, बुनियादी ढांचे और सेवाओं की उपलब्धता जैसे मापदंडों के आधार पर रैंकिंग की जाती है। इसका उद्देश्य राज्यों को उनके लॉजिस्टिक्स से संबंधित बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए नीति प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.1 PRE
शांति और विकास के लिए विश्व विज्ञान दिवस
हर साल, शांति और विकास के लिए विश्व विज्ञान दिवस (World Science Day for Peace and Development) मनाया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नागरिकों को विज्ञान के विकास के बारे में अच्छी तरह से सूचित किया जाता है।
मुख्य बिंदु
यह दिवस 2001 में घोषित किया गया था और 2002 से संयुक्त राष्ट्र द्वारा मनाया जा रहा है। इस दिवस के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं
- सतत और शांतिपूर्ण समाज के लिए विज्ञान की भूमिका को मजबूत करना
- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना
- विज्ञान के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में ध्यान आकर्षित करना
- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने के लिए
सतत विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals – SDGs)
SDG के लक्ष्य 17 का उद्देश्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास के माध्यम से उत्तर-दक्षिण, दक्षिण-दक्षिण और त्रिकोणीय क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाना है।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.1 PRE
यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क
8 नवंबर, 2021 को श्रीनगर यूनेस्को के रचनात्मक शहरों के नेटवर्क में शामिल हो गया है।
मुख्य बिंदु
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पुराने शहर के जीवंत सांस्कृतिक लोकाचार (vibrant cultural ethos) के लिए एक उपयुक्त मान्यता के रूप में श्रीनगर को शामिल करने की सराहना की।
- यूनेस्को ने श्रीनगर को शिल्प और लोक कलाओं के रचनात्मक शहर (creative city of craft and folk arts) के रूप में नामित किया है।
कौन से शहर इस नेटवर्क में शामिल हुए हैं?
दुनिया भर में 49 नए शहर यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क (UNESCO Creative Cities Network – UCCN) में शामिल हो गए हैं। इन शहरों को उनके विकास के केंद्र में संस्कृति और रचनात्मकता को रखने के साथ-साथ ज्ञान और अच्छी प्रथाओं को साझा करने की उनकी प्रतिबद्धता को मान्यता देने के लिए इस सूची में शामिल किया गया था।
यूनेस्को के नेटवर्क में कौन से भारतीय शहर हैं?
- चेन्नई और वाराणसी संगीत के यूनेस्को शहरों में शामिल हैं।
- जयपुर शिल्प और लोक कलाओं के यूनेस्को शहर में शामिल है।
- मुंबई फिल्म के यूनेस्को शहर में शामिल है।
- हैदराबाद गैस्ट्रोनॉमी के यूनेस्को शहर में शामिल है।
नेटवर्क में शहरों की कुल संख्या
इस साल 49 नए शहरों को शामिल करने के साथ, इस नेटवर्क में 90 देशों के शहरों की कुल संख्या 295 हो गई है। इन शहरों को सूची में शामिल किया गया है क्योंकि वे सतत शहरी विकास को आगे बढ़ाने के लिए शिल्प और लोक कला, फिल्म, डिजाइन, साहित्य, गैस्ट्रोनॉमी, संगीत और मीडिया कला जैसी संस्कृति और रचनात्मकता में निवेश करते हैं।
UCCN में शामिल करने का महत्व
UCCN में शामिल होकर शहर सांस्कृतिक गतिविधियों, वस्तुओं और सेवाओं के निर्माण, उत्पादन और वितरण को मजबूत करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्रों, निजी क्षेत्रों और नागरिक समाज के बीच अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं और विकासशील भागीदारी को साझा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। शहर रचनात्मकता और नवाचार के केंद्र विकसित करने का भी संकल्प लेते हैं।
SOURCE-THE HINDU
PAPER-G.S.1 PRE