Current Affairs – 12 March, 2021
क्वाड
अमेरिका शुक्रवार को क्वाड देशों का पहला वर्चुअल सम्मेलन आयोजित कर रहा है। इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वर्चुअल मुलाक़ात होगी। क्वाड सिक्योरिटी डायलॉग के चार सदस्य देश, यानी भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान क्षेत्र में बढ़ते चीन के असर को रोकने के लिए एक मंच पर साथ आये हैं। भारत इस मंच का एक अहम सदस्य है।
क्वाड आखिर है क्या?
क्वाड का अर्थ क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग है, जो जापान, ऑस्ट्रेलिया, भारत और अमेरिका के बीच एक बहुपक्षीय समझौता है। मूल तौर पर ये इंडो-पैसिफिक स्तर पर काम कर रहा है, ताकि समुद्री रास्तों से व्यापार आसान हो सके लेकिन अब ये व्यापार के साथ-साथ सैनिक बेस को मजबूती देने पर ज्यादा ध्यान दे रहा है ताकि शक्ति संतुलन बनाए रखा जा सके।
साल 2007 में एशिया-प्रशांत महासागर में चीन ने अपना वर्चस्व बढ़ाना शुरू कर दिया था। वो पड़ोसी देशों को धमकाने लगा था और समुद्र में सैन्य बेस लगातार बढ़ा रहा था। ये देखते हुए जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने एक ऐसे संगठन का प्रस्ताव दिया, जिसमें इस सामुद्रिक क्षेत्र में आने वाले ताकतवर देश शामिल हो सकें। आखिरकार संगठन बना, जिसकी पहली मीटिंग साल 2019 में हुई थी। इसके बाद कोरोना के कारण साल 2020 में नेताओं की मुलाकात बाधित हुई। अब वर्चुअल स्तर पर ही शिखर सम्मेलन होने जा रहा है।
क्वाड के तहत प्रशांत महासागर, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में फैले विशाल नेटवर्क को जापान और भारत के साथ जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। खुद जापान के तत्कालीन पीएम शिंजो अबे ने इसे दो समुद्रों का मेल कहा था।
बता दें कि चीन बीते दो दशक में लगातार समुद्र में अपना सैन्य बेस से लेकर व्यापार भी तेजी से बढ़ा रहा है। चीन ये समझ चुका है कि आने वाले समय में समुद्र पर राज करने वाला देश ही दुनिया पर राज करेगा। यही कारण है कि साउथ चाइना सी पर भी कब्जे के लिए उसने मुहिम छेड़ रखी है। साथ ही साथ वो समुद्र में नकली द्वीप बनाकर वहां अपने सैनिक तैनात कर रहा है। यानी ये पूरी तैयारी है कि भविष्य में समुद्र पर उसका कब्जा हो जाए।
इसी खतरे को भांपते हुए क्वाड ने अपनी रणनीति में क्वाड देशों को सामुद्रिक सहायता देने के अलावा समुद्र में शांति और शक्ति संतुलन बनाए रखने को प्राथमिकता दी। चीन इस बात पर बौखलाया हुआ है और लगातार क्वाड देशों के खिलाफ कुछ न कुछ कह रहा है। क्वाड की वजह से चीन के माथे पर सिलवटें रहती हैं। दरअसल चीन को लगता है कि क्वाड में शामिल भारत, अमेरिका और जापान, जैसे शक्तिशाली देश उसके खिलाफ मिलकर किसी रणनीतिक साजिश को रच रहे हैं। चीन को ये भी लगता है कि क्वाड समुद्र में चीन के आसपास अपने वर्चस्व को बढ़ाना चाहता है और भविष्य में उसे टारगेट का जा सकता है।
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इनर लाइन परमिट
उत्तराखंड सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ हाल ही में एक बैठक में, चमोली जिले की नीती घाटी और उत्तरकाशी जिले की नेलांग घाटी में “इनर-लाइन परमिट” (ILP) प्रणाली को वहाँ स्थित गाँव के बेहतर सीमा प्रबंधन और पर्यटन के विस्तार के लिए वापस लेने की मांग की।
उत्तराखंड में, पर्यटकों को कम से कम उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ और चमोली के तीन जिलों में चीन सीमा के पास स्थानों के लिए आईएलपी प्राप्त करना पडता है।चीन और नेपाल दोनों के साथ सीमाएँ साझा करने के कारण पिथौरागढ़ रणनीतिक रूप से अधिक संवेदनशील है।
नेलोंग घाटी, उत्तरकाशी : नेलोंग घाटी एक आंतरिक लाइन क्षेत्र (भारत-चीन सीमा) है, जिसे केवल दिन के दौरान घरेलू पर्यटकों के लिए खोला जाता है। यह उत्तरकाशी मुख्यालय से लगभग 100 किमी दूर है।
नीती गाँव, चमोली : लगभग 3600 मीटर की ऊँचाई पर स्थित, चमोली जिले के जोशीमठ में स्थित नीती गाँव चीन की सीमा से पहले अंतिम आबादी वाला गाँव है।
इनर लाइन परमिट’ भारत सरकार द्वारा जारी एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज है जो एक निश्चित समय के लिए यात्रा की अनुमति देता है। भारत में भारतीय नागरिकों के लिए बने इनर लाइन परमिट के इस नियम को ब्रिटिश सरकार ने बनाया था। बाद में देश की स्वतंत्रा के बाद समय-समय पर फेरबदल कर इसे जारी रखा गया।
इसका निमय उत्तरपूर्व में बसे मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश एवं नागालैंड में लागू होता है। इसके अलावा इसकी ज़रूरत सीमावर्ती राज्यों जैसे लेह-लद्दाख के उन स्थानों पर भी होती है जहां की सीमा अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर से लगती है। जिन राज्यों में इनर लाइन परमिट बनाने का नियम है वहां के बॉर्डर पर बनवा सकते हैं।
SOURCE-INDIAN EXPRESS
बामियान बुद्ध
मार्च 2001 में, तालिबान ने अफगानिस्तान की बामियान घाटी में दो स्मारक बुद्ध प्रतिमाओं को उड़ा दिया था।
अब, दो दशक बाद, इस घटना की सालगिरह पर, बामियान बुद्ध को “ए नाइट विद बुद्ध” नामक एक घटना में 3 डी प्रजेक्शन के रूप में वापस लाया गया है।
अफगानिस्तान के बीहड़ केंद्रीय उच्चभूमि से विस्फोट में ढहने के बीस साल बाद, देश की प्रसिद्ध बुद्ध प्रतिमाओं में से एक ने 3 डी प्रजेक्शन
बामियान के बुद्ध चौथी और पांचवीं शताब्दी में बनी बुद्ध की दो खडी मूर्तियां थी जो अफ़ग़ानिस्तान के बामयान में स्थित थी। ये काबुल के उत्तर पश्चिम दिशामें २३० किलोमीटर (१४० मील) पर, २५०० मीटर (८२०० फीट) की ऊंचाई पर थे। इनमेंसे छोटी मूर्ति सन् ५०७ में और बडी मूर्ति सन् ५५४ में निर्मित थी। ये क्रमश: ३५ मीटर (११५ फीट) और ५३ मीटर (१७४ फीट) की ऊंचाई की थी।]
मार्च २००१ में अफ़ग़ानिस्तान के जिहादी संगठन तालिबान के नेता मुल्ला मोहम्मद उमर के कहने पर डाइनेमाइट से उडा दिया गया। कुछ हफ्तों में संयुक्त राज्य अमेरिका के दौरेपर अफगानिस्तान के इस्लामिक अमीरात के दूत सईद रहमतुल्लाह हाशमी ने बताया कि उन्होने विशेष रूप से मूर्तियोंके रखरखाव के लिए आरक्षित अंतर्राष्ट्रीय सहायता का विरोध किया था जबकि अफ़ग़ानिस्तान अकाल का सामना कर रहा था।
बामयान एतिहासीक रूप से रेशम मार्ग पर स्थित नगर है जो हिन्दु कुश पर्वत श्रृंखलाओंके बामियान घाटी में बसा है। यहाँ कई बौद्ध विहार थे और इस कारण ये धर्म, दर्शन और कला के लिए संपन्न केंद्र के रूप में विकसीत हुआ। बौद्ध भिक्षु पास के गुफाओं में रहते थे और इन गुफाओं को शानदार और चमकीले रंग के भित्तिचित्रों के साथ सजाया गया है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि ये भित्तिचित्र मूर्तियोंके बाद के कालखन्ड में बने है। यह दुसरी शताब्दी से एक बौद्ध धार्मिक स्थल था जब तक सातवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में इस्लामी आक्रमण हुआ। जब तक ९वीं शताब्दी में मुस्लिम सफ़्फ़ारी राजवंश द्वारा पूरी तरह से कब्जा नहीं हुआ, तब तक बामयान ने गांधार की संस्कृति साझा की। बामियान के बुद्धोंका उल्लेख कई चीनी, फ्रेंच, अफगान और ब्रिटिश खोजकर्ता, भूगोलिक, व्यापारियों और तीर्थयात्रियों के कहानीयों में हुआ है। मुगल शासक औरंगज़ेब और फ़ारसी शासक नादिर शाह ने इन मूर्तियों पर हमला करके उन्हें क्षतिग्रस्त किया।
बामियान बुद्धों के गिरने के बाद, यूनेस्को ने 2003 में विश्व धरोहर स्थलों की अपनी सूची में अवशेषों को शामिल किया। बाद में उपलब्ध टुकड़ों के साथ बुद्धों को उनके स्थान में पुनर्स्थापित करने और पुनर्निर्माण के लिए प्रयास किए गए।
SOURCE-INDIAN EXPRESS
अमृत महोत्सव
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से ‘पदयात्रा’ (फ्रीडम मार्च) को झंडी दिखाई तथा ‘आजादी का अमृत महोत्सव’India@75 के पूर्वावलोकन कार्यकलापों का उद्घाटन किया। उन्होंने India@75 समारोहों के लिए अन्य विभिन्न सांस्कृतिक और डिजिटल पहलों को भी लांच किया। इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत, केन्द्रीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रहलाद सिंह पटेल तथा गुजरात के मुख्यमंत्री श्री विजय रूपाणी भी उपस्थित थे।
आजादी का अमृत महोत्सव भारत की स्वाधीनता की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए भारत सरकार द्वारा आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों की एक श्रृंखला है। यह महोत्सव जनभागीदारी की भावना में एक जन-उत्सव के रूप में मनाया जाएगा।
साबरमती आश्रम में जनसमूह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 2022 से 75 सप्ताह पूर्व “आजादी का अमृत महोत्सव” आरंभ किए जाने की चर्चा की जो 15 अगस्त 2023 तक चलेगा। उन्होंने महात्मा गांधी और महान व्यक्तित्वों को श्रद्धांजलि अर्पित की जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति दी।
आजादी का अमृत महोत्सव स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए भारत सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला है। प्रधानमंत्री ने अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से नवसारी में दांडी तक जाने वाले 81 पदयात्रियों को झंडी दिखाकर रवाना किया। लगभग 241 मील की यह यात्रा 25 दिन में पांच अप्रैल को समाप्त होगी।
दांडी मार्च (अंग्रेज़ी : Dandi March) से अभिप्राय उस पैदल यात्रा से है, जो महात्मा गाँधी और उनके स्वयं सेवकों द्वारा 12 मार्च, 1930 ई. को प्रारम्भ की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य था – “अंग्रेज़ों द्वारा बनाये गए ‘नमक क़ानून को तोड़ना’।” गाँधी जी ने अपने 78 स्वयं सेवकों, जिनमें वेब मिलर भी एक था, के साथ साबरमती आश्रम से 358 कि.मी. दूर स्थित दांडी के लिए प्रस्थान किया। लगभग 24 दिन बाद 6 अप्रैल, 1930 ई. को दांडी पहुँचकर उन्होंने समुद्रतट पर नमक क़ानून को तोड़ा। महात्मा गाँधी ने दांडी यात्रा के दौरान सूरत, डिंडौरी, वांज, धमन के बाद नवसारी को यात्रा के आखिरी दिनों में अपना पड़ाव बनाया था। यहाँ से कराडी और दांडी की यात्रा पूरी की थी। नवसारी से दांडी का फासला लगभग 13 मील का है।
नमक क़ानून को तोड़ना
नमक क़ानून भारत के और भी कई भागों में तोड़ा गाया। सी. राजगोपालाचारी ने त्रिचनापल्ली से वेदारण्यम तक की यात्रा की। असम में लोगों ने सिलहट से नोआखली तक की यात्रा की। ‘वायकोम सत्याग्रह’ के नेताओं ने के. केलप्पन एवं टी. के. माधवन के साथ कालीकट से पयान्नूर तक की यात्रा की। इन सभी लोगों ने नमक क़ानून को तोड़ा। नमक क़ानून इसलिए तोड़ा जा रहा था, क्योंकि सरकार द्वारा नमक कर बढ़ा दिया गया था, जिससे रोजमर्रा की ज़रूरत के लिए नमक की क़ीमत बढ़ गई थी।
रानी गाइदिनल्यू
नागाओं ने मदोनांग के नेतृत्व मे आन्दोलन किया। इस आन्दोलन को ‘जियालरंग आन्दोलन’ के नाम से जाना जाता है। मदोनांग पर हत्या का आरोप लगाकर फाँसी दे दी गई। इसके बाद उसकी बहन गाइदिनल्यू ने नागा विद्रोह की बागडोर संभाली। इसे गिरफ़्तार कर आजीवन कारावास दे दिया गया। जवाहरलाल नेहरू ने गाइदिनल्यू को ‘रानी’ की उपाधि प्रदान की। इसके बारे में जवाहरलाल नेहरू ने लिखा है कि- “एक दिन ऐसा आयेगा, जब भारत इन्हें स्नेहपूर्ण स्मरण करेगा।”
आन्दोलन की व्यापकता
दाण्डी मार्च पर जारी डाक टिकट
1930 ई. के ‘सविनय अवज्ञा आन्दोलन’ के समय ही उत्तर पश्चिमी सीमा प्रदेश के कबायली लोगों ने गाँधी जी को ‘मलंग बाबा’ कहा। आन्दोलन क्रमशः व्यापक रूप से पूरे भारत में फैल गया। महिलाओं ने पर्दे से बाहर आकर सत्याग्रह में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया। विदेशी कपड़ों की अनेक स्थानों पर होलियाँ जलाई गयीं। महिला वर्ग ने शराब की दुकानों पर धरना दिया तथा कृषकों ने कर अदायगी से इंकार कर दिया। ‘सविनय अवज्ञा आन्दोलन’ की मुख्य विशेषता थी ‘बड़े पैमाने पर पहली बार किसी आन्दोलन में महिलाओं की मुख्य सहभागिता’। इसके पूर्व बहुत कम औरतों ने सार्वजनिक किस्म के राजनीतिक प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था। उनमें से भी अधिकतक या तो चितरंजन दास या मोतीलाल नेहरू जैसे राष्ट्रीय नेताओं के परिवारों से संबंद्ध थीं या कॉलेज की छात्रायें थीं।
SOURCE-PIB ANDhttps://bharatdiscovery.org/
आत्मनिर्भर निवेशक मित्र पोर्टल
घरेलू निवेश को बढ़ावा देने के प्रयासों को और अधिक मजबूत करने के उद्देश्य से घरेलू निवेशकों को सहारा एवं सुविधा प्रदान करने, सूचनाओं को प्रसारित करने तथा सहूलियत देने के लिए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय का उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी)“आत्मनिर्भर निवेशक मित्र” नाम के एक समर्पित डिजिटल पोर्टल को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है।
आत्मनिर्भर निवेशक मित्र पोर्टल की निम्न खास विशेषताएं होंगी :
केन्द्र और राज्य सरकार की नीतियों एवं नई पहलोंसे संबंधित दैनिक अपडेट पोर्टल पर उपलब्ध कराया जाएगा।
इन्वेस्ट इंडिया के विशेषज्ञों के साथ आमने – सामने की बैठक और विचार-विमर्श की सुविधा, जोकि घरेलू निवेशकों के लिए पर्याप्त सहूलियत और उनके समस्याओं का समाधान सुनिश्चित करेगा।
शंकाओं के निवारण के लिए एआई आधारित चैट बॉट।
चैंपियंस पोर्टल, एमएसएमई समाधान, एमएसएमई संपर्क आदि जैसे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई)से संबंधितसभी एमएसएमई पोर्टलों तक पहुंचने के लिए वन-स्टॉप-शॉप का प्रावधान।
आपके व्यवसाय से संबंधित अनुमोदन, लाइसेंस और मंजूरी के बारे में विस्तृत जानकारी।
विभिन्न क्षेत्रों और राज्यों में प्रोत्साहन एवं योजनाओं का अन्वेषण और उनका एक तुलनात्मक विश्लेषण।
मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टरों और भूमि की उपलब्धता से संबंधित जानकारी।
विभिन्न क्षेत्रों, उप-क्षेत्रों और राज्यों में निवेश के अवसरोंकी जानकारी।
भारत में व्यावसाय करने की प्रक्रिया की पड़ताल (चरण दर चरण समाधान)।
भारत में बोंडेड मैन्युफैक्चरिंग स्कीम से संबंधित सूचना और सहायता।
भारत में लागू होने वाले कर और कराधान प्रणाली के बारे में विस्तृत जानकारी।
एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिलों और चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के बी2बी प्लेटफार्मों के बारे में जानकारी।
केन्द्रीय मंत्रालयों, उद्योग संघों, राज्यों के विभागों जैसे विभिन्न हितधारकों से एकल मंच पर संपर्क।
भारत सरकार के निविदा पोर्टल से जोड़ते हुए सभी केन्द्रीय और राज्य की निविदाओं के बारे में जानकारी।
सभी राज्यों की नीतियों, आपके अनुमोदनों, विभागों और प्रमुख अधिकारियों आदि के बारे में विस्तृत जानकारी।
नेशनल सिंगल विंडो, स्टार्टअप इंडिया, ओडीओपी, पीएमजी, एनआईपीआदि जैसी अन्य पहलों कोइस प्लेटफ़ॉर्म को जोड़ना।
यह परियोजना “इन्वेस्ट इंडिया” एजेंसी के अंतर्गत है, जिसे 2009 में भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग के तहत एक गैर-लाभकारी उपक्रम के रूप में स्थापित किया गया था।
SOURCE-PIB
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (मनाया एनसीआरबी) ने अपना 36वां स्थापना दिवस
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने आज अपना 36वां स्थापना दिवस मनाया। केन्द्रीय गृह सचिव ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की, जिसमें गृह मंत्रालय (एमएचए) के वरिष्ठ अधिकारियों और कई केन्द्रीय व राज्य पुलिस संगठनों के डीजी और वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की स्थापना टंडन समिति, राष्ट्रीय पुलिस कमीशन (1977-1981) तथा गृह-मंत्रालय के टास्क फोर्स की सिफ़ारिश के आधार पर, अपराध और अपराधियों की सूचना के संग्रह एवं रख-रखाव (Repository) के रूप में कार्य करने हेतु 1986 में की गई थी जिससे कि अपराध को अपराधियों से जोड़ने में सहायता मिल सके।
तदनुसार, वर्ष 2009 में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो को अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क एवं सिस्टम (सीसीटीएनएस) परियोजना की मॉनिटरिंग, समन्वय तथा कार्यान्वयन की ज़िम्मेदारी सौंपी गई। देश में यह परियोजना लगभग 15000 पुलिस स्टेशनों तथा देश के 6000 उच्च कार्यालयों को जोड़ती है।
ब्यूरो ने सीसीटीएनएस परियोजना के तहत नेशनल डिजिटल पुलिस पोर्टल को दिनांक 21.08.2017 को आरंभ किया था। यह मास्टर पुलिस पोर्टल है जो नागरिकों के साथ-साथ पुलिस कर्मियों की आवश्यकताओं को भी पूरा करता है। इससे पुलिस कर्मी सीसीटीएनएस डेटाबेस से अपराधी/संदिग्ध की तलाश कर सकते हैं। इसके अलावा क्राइ-मैक, एनडीएसओ, साइ ट्रेन इत्यादि जैसी कई अन्य पुलिस उपयोगी साइटों का उपयोग किया जा सकता है। नागरिकों को ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने तथा किरायेदारों, घरेलू नौकर, ड्राइवर आदि के पूर्ववृत्त को सत्यापित करने जैसी विभिन्न सेवायें भी इसी पोर्टल के माध्यम से उपलब्ध हैं। खोये हुये व्यक्तियों की तलाश, पुराने वाहनों की खरीद के अनापत्ति प्रमाण-पत्र तथा घोषित अपराधियों पर सूचना जैसी नई केन्द्रीय नागरिक सेवायें भी इसी पोर्टल से ली जा सकती हैं।
ब्यूरो को यौन अपराधियों के राष्ट्रीय डाटाबेस (एनडीएसओ) की देख-रेख तथा इसे नियमित रूप से राज्यों/संघ प्रदेशों से साझा करने की ज़िम्मेदारी भी सौंपी गई है। ‘ऑनलाइन साइबर अपराध सूचना पोर्टल’ की तकनीकी एवं परिचालन प्रक्रिया की देख-रेख के लिए भी ब्यूरो को नामित किया गया है जिसके माध्यम से कोई भी नागरिक बच्चों से संबन्धित अश्लील बातें, बलात्संग, सामूहिक बलात्संग की शिकायत दर्ज कर सकता है एवं साक्ष्य के तौर पर विडियो क्लिप अपलोड कर सकता है। ब्यूरो ने साइबरक्राइम जांच तथा अभियोजन में विभिन्न हितधारकों के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण पोर्टल साईट्रेन की भी शुरूवात की है।
ब्यूरो जाली मुद्रा की सूचना एवं प्रबंधन प्रणाली (FICN) तथा आतंकवाद पर इंटीग्रेटेड मॉनिटरिंग एप्लीकेशन का भी रखरखाव करता है।
महानिदेशकों/महानिरीक्षकों-2018 के सम्मेलन की सिफ़ारिशों के अनुसार अपराध और अपराधियों की सूचना को साझा करने के बारे में एलर्ट भेजने तथा इंटर एजेंसी/इकाई समन्वय के लिए ई-मेल/एसएमएस आधारित संचार मॉड्यूल प्रदान करने के लिए इस वर्ष ब्यूरो ने क्राइ-मैक (अपराध-मल्टी एजेंसी सेंटर) नामक आईटी टूल को आरंभ कर दिया है ।
ब्यूरो ‘क्राइम इन इंडिया’, दुर्घटनात्मक मृत्यु तथा आत्महत्या’ एवं ‘जेल सांख्यिकी’ जैसी सूचनाओं का संकलन तथा प्रकाशन भी करता है। इन प्रकाशनों का नीति निर्धारकों, पुलिस, अपराधविदों, शोधकर्ताओं तथा मीडिया द्वारा न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी मुख्य संदर्भ के रूप में प्रयोग होता है। इसी संदर्भ में ब्यूरो को 1953 से सरकारी पोर्टल पर अपराध सांख्यिकी अपलोड करने के लिए भारत सरकार की ओर से ओपन डाटा चैम्पियनशिप श्रेणी के तहत डिजिटल इंडिया अवार्ड्स 2016 के दौरान सिल्वर अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
केंद्रीय अंगुलि छाप ब्यूरो देश के अपराधियों के अंगुलि चिन्हों का राष्ट्रीय संग्राहक है जिसमें सजायाफ्ता और गिरफ्तार दोनों तरह के अपराधियों का दस लाख से भी अधिक दस अंकीय फिंगर प्रिंट डाटा बेस है तथा यह फिंगर प्रिंट पर सर्च की सुविधा प्रदान करता है। वर्ष के अंत में, इसे नाफिस (NAFIS) नामक परियोजना में अपग्रेड करने का प्रस्ताव है जिससे कि सभी राज्य एनसीआरबी को सीधे ही ऑनलाइन फिंगरप्रिंट संबंधी जानकारी भेजने/ढूंढने में समर्थ होंगे।
इसके अलावा, एनसीआरबी ‘भारत में अंगुलि छाप’ प्रतिवर्ष प्रकाशित करता है और सभी राज्यों के अंगुलि छाप ब्यूरो के निदेशकों का वार्षिक सम्मेलन आयोजित करता है ताकि पुलिस जांच में अंगुलि छाप विज्ञान के उपयोग से संबंधित विषयों पर विचार-विमर्श किया जा सके। ब्यूरो दिल्ली एवं कोलकाता स्थित प्रशिक्षण केन्द्रों तथा हैदराबाद, गांधीनगर, लखनऊ तथा कोलकाता स्थित चार क्षेत्रीय पुलिस कम्प्यूटर प्रशिक्षण केन्द्रों के माध्यम से सूचना प्रौद्योगिकी, सीसीटीएनएस, फिंगरप्रिंट, नेटवर्क सुरक्षा तथा डिजिटल फोरेंसिक के क्षेत्र में क्षमता विकसित करने में भी विभिन्न राज्यों की सहायता करता है।
SOURCE-PIB
रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने फार्मास्यूटिकल्स के लिए पीएलआई योजना को मंज़ूरी दी
रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम के तहत महत्वपूर्ण की स्टार्टिंग मटीरियल्स, ड्रग इंटरमीडिएट और एक्टिव फ़ार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स को बढ़ावा देने के लिए मंजूरी दे दी है।
फार्मा सेक्टर में पीएलआई
सरकार ने फार्मास्यूटिकल्स के लिए 15,000 करोड़ रुपये की पीएलआई योजना को बढ़ाया है। आयात को कम करने और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया गया था। वर्तमान में, भारतीय दवा उद्योग $40 बिलियन का है और वैश्विक बाजार में इसका योगदान लगभग 3.5 प्रतिशत है। लेकिन हाई-एंड पेटेंट दवाओं अभी भी आयात किया जाता है। फार्मास्यूटिकल्स को पीएलआई योजना का विस्तार इसे विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बना देगा।
उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (Production Linked Incentive) योजना
घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए इस योजना को मार्च 2020 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य आयात में कटौती करना है। यह योजना घरेलू निर्मित उत्पादों की वृद्धिशील बिक्री पर कंपनियों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। यह योजनास्थानीय कंपनियों को मौजूदा विनिर्माण इकाइयों की स्थापना या विस्तार के लिए प्रोत्साहित करती है।
फुगाकू : दुनिया का सबसे शक्तिशाली सुपर कंप्यूटर
RIKEN और Fujitsu नामक जापानी वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान ने छह साल पहले “फुगाकू” विकसित करना शुरू किया था। यह दुनिया का सबसे शक्तिशाली सुपर कंप्यूटर है। अब यह सुपर कंप्यूटर पूरी तरह से तैयार है और जापान में विकसित किया गया है और अब यह अनुसंधान के उपयोग के लिए उपलब्ध है।
मुख्य बिंदु
इस सुपरकंप्यूटर को जापान के कंप्यूटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का कोर बनाने के उद्देश्य से विकसित किया गया है। फिर अप्रैल 2020 में COVID-19 महामारी से निपटने के लिए विशेष परियोजनाओं के लिए इस सुपरकंप्यूटर का परीक्षण किया गया था। अब फुगाकू पूरी तरह से खुला है और साझा उपयोग के लिए उपलब्ध है। जापान के सूचना विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अनुसंधान संगठन (RIST) ने कुछ 74 परियोजनाओं का चयन किया है जो वित्त वर्ष 2021 में इस सुपर कंप्यूटर का उपयोग करेंगी।
फुगाकु
यह एक प्रमुख राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी है जिसे अनुसंधान परिणामों को प्राप्त करने के लक्ष्य के साथ विकसित किया गया है जो अंततः स्वस्थ समाज, बेहतर ऊर्जा उपयोग और आपदा न्यूनीकरण को बनाने में मदद करेगा। इसका उद्देश्य “अल्ट्रा-स्मार्ट सोसायटी 5.0” बनाने के लिए सरकार के दृष्टिकोण को स्थापित करना है। इस सुपरकंप्यूटर ने शीर्ष 500 की सूची में शीर्ष स्थान हासिल किया है, जो कि “सुपरकंप्यूटर बेंचमार्क इंडेक्स” है। इस कंप्यूटर में K सुपरकंप्यूटर से 100 गुना एप्लीकेशन परफॉरमेंस है। इसे उच्च-रिज़ॉल्यूशन, बड़े पैमाने पर और लंबी अवधि के सिमुलेशन के लिए विकसित किया गया है। फुगाकू का नाम माउंट फ़ूजी के लिए एक वैकल्पिक नाम के नाम पर रखा गया है। इसका विकास K कंप्यूटर के उत्तराधिकारी के रूप में वर्ष 2014 में शुरू किया गया था। इसे Fujitsu A64FX माइक्रोप्रोसेसर के साथ बनाया गया है।
SOURCE-G.K.TODAY