CURRENT AFFAIRS – 13th JUNE 2021
भारत के लिए ऑक्सीजन परियोजना
कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में चिकित्सा ऑक्सीजन की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। चिकित्सा ऑक्सीजन की वर्तमान मांग को पूरा करते हुए भविष्य में पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए इसका उत्पादन काफी महत्वपूर्ण हो गया है। भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय की परियोजना ‘प्रोजेक्ट O2 फॉर इंडिया’ यानी भारत में ऑक्सीजन परियोजना चिकित्सा ऑक्सीजन की मांग में हुई इस वृद्धि को पूरा करने के लिए देश की क्षमता को बढ़ाने के लिए काम कर रहे हितधारकों को समर्थ बनाती है।
‘प्रोजेक्ट O2 फॉर इंडिया’ के तहत ऑक्सीजन का एक राष्ट्रीय कंसोर्टियम जिओलाइट्स जैसे महत्वपूर्ण कच्चे माल की राष्ट्रीय स्तर पर आपूर्ति, छोटे ऑक्सीजन संयंत्रों की स्थापना, कंप्रेसर का विनिर्माण, अंतिम उत्पाद यानी ऑक्सीजन संयंत्र, कन्सेंट्रेटर एवं वेंटिलेटर आदि को सुनिश्चित करता है। यह कंसोर्टियम न केवल तात्कालिक अथवा अल्पकालिक राहत प्रदान करने के लिए तत्पर है, बल्कि यह दीर्घकालिक तैयारियों के लिहाज से विनिर्माण परिवेश को मजबूत करने के लिए भी काम कर रहा है। विशेषज्ञों की एक समिति भारतीय विनिर्माताओं, स्टार्ट-अप और एमएसएमई (फिक्की, एमईएसए आदि के साथ साझेदारी में) के पूल से महत्वपूर्ण उपकरण जैसे ऑक्सीजन संयंत्र, कन्सेंट्रेटर और वेंटिलेटर का मूल्यांकन कर रही है। विनिर्माण एवं आपूर्ति कंसोर्टियम में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल), टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स (टीसीई), सी-कैंप बेंगलूरु, आईआईटी कानपुर (आईआईटी-के), आईआईटी दिल्ली (आईआईटी-डी), आईआईटी बंबई (आईआईटी-बी), आईआईटी हैदराबाद (आईआईटी-एच), आईआईएसईआर भोपाल, वेंचर सेंटर पुणे और 40 से अधिक एमएसएमई शामिल हैं।
इस कंसोर्टियम ने यूएसएआईडी, एडवर्ड्स लाइफ साइंसेज फाउंडेशन, क्लाइमेट वर्क्स फाउंडेशन आदि संगठनों से सीएसआर/परोपकारी अनुदान प्राप्त करना शुरू कर दिया है। होप फाउंडेशन, अमेरिकन इंडियन फाउंडेशन, वॉलमार्ट, हिताची, बीएनपी परिबास और ईइन्फो चिप्स अपने सीएसआर प्रयासों के तहत कंसोर्टियम की मदद के लिए ऑक्सीजन कन्सेंट्रेटर और वीपीएसए/पीएसए संयंत्र खरीद रहे हैं। एनएमडीसी लिमिटेड ने इस कंसोर्टियम में निर्माताओं के लिए जिओलाइट जैसे कच्चे माल की खरीदारी के लिए रकम उपलब्ध कराने के लिए सहमति जताई है।
ऑक्सीजन
ऑक्सीजन या प्राणवायु या जारक (Oxygen) रङ्गहीन, स्वादहीन तथा गन्धरहित गैस है। इसकी खोज, प्राप्ति अथवा प्रारम्भिक अध्ययन में जे॰ प्रीस्टले और सी॰डब्ल्यू॰ शेले ने महत्वपूर्ण कार्य किया है। यह एक रासायनिक तत्त्व है। सन् 1772 ई॰ में कार्ल शीले ने पोटैशियम नाइट्रेट को गर्म करके आक्सीजन गैस तैयार किया, किन्तु उनका यह कार्य सन् 1777 ई॰ में प्रकाशित हुआ। सन् 1774 ई॰ में जोसेफ प्रिस्टले ने मर्क्युरिक-आक्साइड को गर्म करके ऑक्सीजन गैस तैयार किया। एन्टोनी लैवोइजियर ने इस गैस के गुणों का वर्णन किया तथा इसका नाम आक्सीजन रखा, जिसका अर्थ है – ‘अम्ल उत्पादक’।
उपस्थिति
ऑक्सीजन पृथ्वी के अनेक पदार्थों में रहता है जैसे पानी और वास्तव में अन्य तत्वों की तुलना में इसकी मात्रा सबसे अधिक है। ऑक्सीजन, वायुमण्डल में स्वतन्त्र रूप में मिलता है आयतन के अनुसार उसका लगभग पाँचवाँ भाग है। यौगिक रूप में पानी, खनिज तथा चट्टानों का यह महत्वपूर्ण अंश है। वनस्पति तथा प्राणियों के प्राय: सब शारीरिक पदार्थों का ऑक्सीजन एक आवश्यक तत्व है। वायुमण्डल में इसकी मात्रा लगभग 20.95% होती है। ऑक्सीजन भूपर्पटी पर सर्वाधिक मात्रा (लगभग 46.6%)में पाया जाने वाला तत्त्व है।
उपयोग
जीवित प्राणियों के लिए आक्सीजन अति आवश्यक है।मनुष्य में भोजन से ऊर्जा प्राप्त करने में ऑक्सीज़न सहायक होती है, इसे वे श्वसन द्वारा ग्रहण करते हैं। द्रव ऑक्सीजन तथा कार्बन, पेट्रोलियम, इत्यादि का मिश्रण अति विस्फोटक है। इसलिए इनका उपयोग कड़ी वस्तुओं (चट्टान इत्यादि) के तोड़ने में होता है। लोहे की मोटी चद्दर काटने अथवा मशीन के टूटे भागों को जोड़ने के लिए ऑक्सीजन तथा दहनशील गैस को ब्लो पाइप में जलाया जाता है। इस प्रकार उत्पन्न ज्वाला का ताप बहुत अधिक होता है। साधारण ऑक्सीजन के साथ [हाइड्रोजन] या एसिटिलीन जलाई जाती है। इसके लिए ये गैसें इस्पात के बेलनों में अति संपीडित अवस्था में बिकती हैं। ऑक्सीजन सिरका, वार्निश इत्यादि बनाने तथा असाध्य रोगियों के साँस लेने के लिए भी उपयोगी है। इसका उपयोग अधिकतर श्वसन व अनेक क्रियाविधियों मे होता है जिससे कार्बनडाइऑक्साइड निर्मुक्त होती है। कार्बनिक योगिकों के दहन से इसके साथ जल भी निर्मुक्त होता है।
ऑक्सीजन का चिकित्सा में उपयोग
चिकित्सा में प्रयुक्त एक ऑक्सीजन मास्क
चिकित्सा में आक्सीजन कई प्रकार से उपयोगी है। यह उपचार रोगी के रक्त में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाता है। इसके अलावा दूसरा प्रभाव यह होता है कि कई प्रकार के रोगग्रस्त फेफड़ों में रक्त के प्रवाह के प्रतिरोध को कम करता है। इस प्रकार यह हृदय पर काम का बोझ कम करता है।
ऑक्सीजन थेरेपी का उपयोग अन्य रोगों में भी होता है, जैसे- वातस्फीति, निमोनिया, कुछ हृदय विकारों (जैसे congestive heart failure), कुछ ऐसे विकार जिनके कारण फुफ्फुसीय धमनी के दाब में वृद्धि हो जाती है आदि। इसके अलावा ऑक्सीजन थिरैपी का उपयोग उन सभी रोगों में किया जाता है जिनमें गैसीय ऑक्सीजन लेने और उसका उपयोग करने की शरीर की क्षमता को क्षीण हो गयी हो।
ये उपचार पर्याप्त लचीले भी हैं अतः इनका उपयोग चिकित्सालयों में, रोगी के घर में, या पोर्टेबल युक्तियों के रूप में किया जा सकता है। अब प्रायः ऑक्सीजन मास्क प्रचलन में आ गए है किन्तु पहले ऑक्सीजन की कमी कीी पूर्ति लिए प्रायः ‘ऑक्सीजन टेन्ट’ उपयोग में लिए जाते थे।
चिकित्सा ऑक्सीजन कैसे बनता है?
सबसे पहले प्रक्रिया में हवा को ठंडा करके उसमें से फिल्टर के जरिये धूल, तेल, नमी, अन्य अशुद्धि को निकाला जाता है। ऑक्सीजन प्लांट में हवा में से ऑक्सीजन को अलग कर लिया जाता है और एयर सेपरेशन तकनीक का उपयोग किया जाता है। यनि पहले हवा को कम्प्रेस किया जाता है जिसस अशुद्धिया इसमे से निकल जाए।
SOURCE-PIB&https://hi.wikipedia.org
रक्षा क्षेत्र में नवाचार
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने अगले पांच वर्षों के लिए रक्षा उत्कृष्टता में नवाचार (आई-डीईएक्स)- रक्षा नवाचार संगठन (डीआईओ) के लिए नवाचार हेतु 498.8 करोड़ रुपये की बजटीय सहायता को मंजूरी दे दी है। बजटीय सहायता से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि आई-डीईएक्स- डीआईओ का देश की रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और स्वदेशीकरण का प्राथमिक उद्देश्य है।
रक्षा उत्पादन विभाग (डीडीपी) द्वारा आई-डीईएक्स के निर्माण और डीआईओ की स्थापना का उद्देश्य एमएसएमई, स्टार्ट-अप्स, व्यक्तिगत नवोन्मेषकों, अनुसंधान एवं विकास संस्थानों और शिक्षाजगत समेत उद्योगों को शामिल करके रक्षा और एयरोस्पेस में नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देने के लिए एक ईको सिस्टम का निर्माण करना और उन्हें अनुसंधान और विकास करने के लिए अनुदान/वित्तपोषण और अन्य सहायता प्रदान करना है जिसके भारतीय रक्षा और एयरोस्पेस जरूरतों हेतु भविष्य में अपना लिए जाने की अच्छी संभावना है।
अगले पांच वर्षों के लिए 498.8 करोड़ रुपये की बजटीय सहायता वाली इस योजना का उद्देश्य डीआईओ फ्रेमवर्क के तहत लगभग 300 स्टार्ट-अप्स/एमएसएमई/व्यक्तिगत नवोन्मेषकों और 20 साझेदार इनक्यूबेटर को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। यह रक्षा जरूरतों के बारे में भारतीय नवाचार पारितंत्र में जागरूकता बढ़ाने और इसके विपरीत भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान में उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अभिनव समाधान देने की उनकी क्षमता के प्रति जागरूकता पैदा करने में सहायता करेगा।
इस योजना का उद्देश्य भारतीय रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र के लिए नई, स्वदेशी और अभिनव प्रौद्योगिकियों के तेजी से विकास को सुगम बनाना है ताकि कम समय सीमा में उनकी जरूरतों को पूरा किया जा सके; रक्षा और एयरोस्पेस के लिए सह-निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए अभिनव स्टार्ट-अप्स के साथ संबंध स्थापित करने की संस्कृति का विकास करना; रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र के भीतर प्रौद्योगिकी सह-निर्माण और सह-नवाचार की संस्कृति को सशक्त बनाना और स्टार्ट-अप के बीच नवाचार को बढ़ावा देकर उन्हें इस ईको सिस्टम का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित करना है।
डीडीपी पार्टनर इनक्यूबेटर (पीआई) के रूप में आई-डीईएक्स नेटवर्क की स्थापना और प्रबंधन के लिए डीआईओ को धन जारी करेगा; यह रक्षा और एयरोस्पेस जरूरतों के बारे में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के पार्टनर इनक्यूबेटर सहित पार्टनर इनक्यूबेटर के माध्यम से एमएसएमई के नवोन्मेषकों/स्टार्ट-अप/प्रौद्योगिकी केंद्रों के साथ संवाद करेगा; यह संभावित प्रौद्योगिकियों और संस्थाओं को शॉर्टलिस्ट करने और रक्षा और एयरोस्पेस सेटअप पर उनकी उपयोगिता और प्रभाव के संदर्भ में नवोन्मेषकों/स्टार्ट-अप्स द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों और उत्पादों का मूल्यांकन करने के लिए विभिन्न चुनौतियों/हैकथॉन का आयोजन करेगा।
अन्य गतिविधियों में पायलटों को सक्षम और वित्तपोषित करने के उद्देश्य हेतु निर्धारित नवाचार निधियों का उपयोग करके पायलटों को सक्षम बनाना और उनका वित्तपोषण करना; प्रमुख नवीन प्रौद्योगिकियों के बारे में सशस्त्र बलों के शीर्ष नेतृत्व के साथ बातचीत करना और उपयुक्त सहायता के साथ रक्षा प्रतिष्ठान में उनको अपनाए जाने को प्रोत्साहित करना; सफलतापूर्वक संचालित प्रौद्योगिकियों के लिए विनिर्माण सुविधाओं में स्केल-अप, स्वदेशीकरण तथा एकीकरण को सुगम बनाना और पूरे देश में आउटरीच गतिविधियों का आयोजन करना शामिल है।
SOURCE-PIB
One Earth One Health
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने G7 शिखर सम्मेलन में वर्चुअली भाग लिया, अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने भविष्य की महामारियों को रोकने के लिए वैश्विक एकता, नेतृत्व और एकजुटता का आह्वान किया और लोकतांत्रिक और पारदर्शी समाजों की विशेष जिम्मेदारी पर बल दिया।
मुख्य बिंदु
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने ‘One Earth One Health’ का संदेश दिया। उन्होंने महामारी से लड़ने के लिए भारत के ‘समग्र समाज’ के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। इस दौरान पीएम मोदी ने कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और वैक्सीन प्रबंधन के लिए ओपन सोर्स डिजिटल टूल्स के भारत के सफल उपयोग पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने अन्य विकासशील देशों के साथ अपने अनुभव और विशेषज्ञता को साझा करने की भारत की इच्छा से अवगत कराया।
इसके अलावा, पीएम मोदी ने वैश्विक स्वास्थ्य शासन में सुधार के सामूहिक प्रयासों के लिए भारत के समर्थन की प्रतिबद्धता जताई।उन्होंने COVID संबंधित तकनीकों पर TRIPS छूट के लिए भारत और दक्षिण अफ्रीका द्वारा WTO में लाए गए प्रस्ताव के लिए G7 का समर्थन मांगा।
भारत TRIPS छूट की मांग क्यों कर रहा है?
भारत ने विश्व व्यापार संगठन में ट्रिप्स छूट के प्रस्ताव को पेश किया है क्योंकि :
TRIPS छूट से टीकों की लागत में काफी कमी आएगी।
यह अन्य देशों के साथ दवाओं के मुक्त प्रवाह और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए एक वातावरण भी बनाएगा।
Trade-Related Aspects of Intellectual Property Rights (TRIPS)
TRIPS समझौता बौद्धिक संपदा अधिकारों पर एक बहुपक्षीय समझौता है जिसमें पेटेंट, कॉपीराइट, अघोषित सूचना का संरक्षण या व्यापार रहस्य और औद्योगिक डिजाइन शामिल हैं। यह समझौता जनवरी 1995 में लागू हुआ था।
बौद्धिक संपत्ति अधिकार क्या है?
बौद्धिक संपत्ति एक प्रकार की संपत्ति होती है, जिसमें मानव बुद्धि का अमूर्त सृजन करना तथा सर्वाधिकार, पेटेंट एवं ट्रेडमार्क को मुख्य रूप से सम्मिलित करना शामिल है। बौद्धिक संपत्ति कानून का मुख्य उद्देश्य व्यापक विविधता की बौद्धिक वस्तुओं के निर्माण को प्रोत्साहित करना है।
बौद्धिक संपदा कानून क्या है?
व्यक्तियों को उनके बौद्धिक सृजन के परिप्रेक्ष्य में प्रदान किये जाने वाले अधिकार ही बौद्धिक संपदा अधिकार कहलाते हैं। वस्तुतः ऐसा समझा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति किसी प्रकार का बौद्धिक सृजन (जैसे साहित्यिक कृति की रचना, शोध, आविष्कार आदि) करता है तो सर्वप्रथम इस पर उसी व्यक्ति का अनन्य अधिकार होना चाहिये
ट्रिप्स समझौता क्या है?
ट्रिप्स (en:TRIPs: Trade-Related Aspects of Intellectual Property Rights) विश्व व्यापार संगठन (en:WTO) द्वारा संचालित अन्तर्राष्ट्रीय संधि है, जिसमे बौद्धिक सम्पत्ति के अधिकारों के न्यूनतम मानकों को तय किया गया है। यह विश्व व्यापार संगठन के समय किये गए कई समझौते से एक है।
ट डब्ल्यूटीओ ट्रिप्स के द्वारा बौद्धिक संपदा अधिकार को संरक्षित करने का प्रयास किया गया है। प्रतिलिपि अधिकार अधिनियम 1957 केंद्रीय सरकार द्वारा बोर्ड का गठन किया जाना है यह धारा 11 में वर्णित है जिसमें इसके एक अध्यक्ष तथा 2 से 14 तक सदस्य हो सकते हैं इसके अध्यक्ष के लिए उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश या पूर्व न्यायाधीश या उसकी योग्यता रखने वाले व्यक्ति जो वर्तमान में हैं इस तरह की और हटाए रखते हैं इस पद के योग्य हैं जिनका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है कार्यकाल समाप्त होने के पश्चात पुनर नियुक्ति का भी प्रावधान है धारा 12 प्रतिलिपि अधिकार बोर्ड की शक्तियों का वर्णन करता है 1. स्वयं प्रक्रिया विनियमित करने की शक्ति 2. कार्यवाही अंचला अनुसार सुनने की शक्ति 3. न्याय पीठ के माध्यम से शक्तियों एवं कृतियों का प्रयोग करने की शक्ति 4. सिविल न्यायालय की शक्तियों का प्रयोग करने की शक्ति इत्यादि
SOURCE-DANIK JAGRAN
अंतर्राष्ट्रीय ऐल्बिनिज़म जागरूकता दिवस
हर साल, अंतर्राष्ट्रीय ऐल्बिनिज़म जागरूकता दिवस (International Albinism Awareness Day) 13 जून को मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर में ऐल्बिनिज़म से प्रभावित व्यक्तियों के मानवाधिकारों का जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है।
थीम : #StrengthBeyondAllOdds
मुख्य बिंदु
यह दिन दुनिया भर में जागरूकता पैदा करने और ऐल्बिनिज़म से पीड़ित लोगों द्वारा सामना किए जाने वाले भेदभाव के कई रूपों पर प्रकाश डालने के लिए मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य यह सन्देश देना है कि यद्यपि ऐल्बिनिज़म से पीड़ित लोग भेदभाव का सामना कर रहे हैं, दुनिया उन्हें भेदभाव और हिंसा से मुक्त करने के लिए उनके साथ खड़ी है। इस दिन को संयुक्त राष्ट्र द्वारा चिह्नित किया जाता है ।
रंगहीनता (अल्बाइनिज्म-Albinism)
ऐल्बिनिज़म (Albinism) त्वचा, बालों और आंखों में रंग भरने वाले पिगमेंट मेलानिन (melanin) के उत्पादन पर असर करता है। इसकी समस्या से ग्रस्त लोगों में मेलानिन (melanin) की मात्रा कम हो जाती है या वह बिल्कुल खत्म हो जाता है जिसके कारण विशेष लक्षण दिखने लगते हैं। कई बार ये जन्म के समय से ही नज़र आते हैं।
व्यक्ति में मौजूद मेलानिन (melanin) की मात्रा पर निर्भर करता है कि उनके बाल, त्वचा और आंखों का रंग काफी पीला होगा। हालांकि ऐल्बिनिज़म वाले कुछ लोगों में बालों का रंग भूरा या जिंजर और त्वचा का रंग हल्का लाल हो जाता है।
ऐल्बिनिज़म से ग्रस्त लोगों में आमतौर पर आंखों के लेकर कई स्थितियां पैदा हो जाती हैं जैसे:
नजर की समस्या- उन्हें चश्मा लगाने से लाभ हो सकता है हालांकि इनसे पूरी तरह आंख का विजन ठीक नहीं हो सकता।
पुतलियों का अनायास घूमना (निस्टाग्मस- nystagmus)
फोटोफोबिया (photophobia) (रोशनी का लेकर संवेदनशीलता)
ऐल्बिनिज़म की वजह क्या है?
ऐल्बिनिज़म में मेलानिन (melanin) पैदा करने वाले सेल्स विरासत में मिले जेनेटिक म्यूटेशंस (जीन्स की खराबी) की वजह से सही तरीके से काम नहीं करते।ऐसे कई ख़राब जीन होते हैं जिसके चलते ऐल्बिनिज़म हो सकता है और ये बच्चों में उनके मां बाप से आता है।
कौन प्रभावित होता है?
एक अनुमान के मुताबिक हर 17,000 में से एक व्यक्ति को किसी न किसी प्रकार का ऐल्बिनिज़म होता है।यह स्थिति आमतौर पर दोनों लिंगों को समान रूप से प्रभावित करती है हालांकि एक प्रकार का आंख का ऐल्बिनिज़म (ocular albinism) पुरुषों में ज्यादा आम है।
ऐल्बिनिज़म सभी संजातीय समूहों में होता है।
ऐल्बिनिज़म से ग्रस्त लोगों का उपचार
ऐल्बिनिज़म का कोई इलाज करने की जरूरत नहीं होती लेकिन उससे जुड़ी त्वचा और आंख की समस्या का कई बार इलाज करना पड़ता है।
ऐल्बिनिज़म की समस्या वाले बच्चे को नियमित रूप से आंखों की जांच करवानी पड़ती है और ऐसा संभव है कि उन्हें अपनी निकट या दूर की दृष्टि या दृष्टि की विषमता के दोष को दूर करने के लिए चश्मा या कांटेक्ट लेंस लगाना पड़े।
ऐल्बिनिज़म वाले लोगों को सूर्य का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। मेलानिन (melanin) के बिना सूर्य की अल्ट्रावॉयलेट (यूवी) किरणें उनकी त्वचा को आसानी से क्षतिग्रस्त (सनबर्न) कर सकती हैं और उनमें त्वचा के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
दृष्टिकोण
ऐल्बिनिज़म एक जीवन पर्यन्त रहने वाली स्थिति है, लेकिन ये समय के साथ खराब नहीं होती।
ऐल्बिनिज़म दृष्टि वाला व्यक्ति कभी भी पूरी तरह सामान्य नहीं हो पाता चाहे वह चश्मा लगाए या कांटेक्ट लेंस। और इस स्थिति वाले बच्चों को स्कूल में अतिरिक्त सहयोग की जरूरत पड़ती है।
ऐल्बिनिज़म वाले बच्चे को किसी तरह की बुलिंग से निपटने के लिए भी सहयोग की जरूरत होती है क्योंकि उनका अलग दिखना इसकी वजह बन जाता है।
बहरहाल, इसका कोई कारण नहीं है कि ऐल्बिनिज़म की समस्या वाला व्यक्ति सामान्य तरीके से स्कूल में क्यों नहीं पढ़ सकता या आगे शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में अपना कौशल क्यूँ नहीं दिखा सकता।
ऐल्बिनिज़म के संकेत और लक्षण
ऐल्बिनिज़म में मेलानिन (melanin) पिगमेंट की कमी व्यक्ति के बालों, त्वचा तथा/या आंखों के रंग पर असर डालती है।
ऐल्बिनिज़म का सबसे आम प्रकार ओक्यूलोक्यूटेनियस अल्बिनिज्म (ओसीए) (oculocutaneous albinism (OCA) है जो इन सभी पर असर डालता है। एक दुर्लभ प्रकार है ओक्यूलर अल्बिनिज्म (ocular albinism (OA) जो मुख्य रूप से आंखों पर असर करता है। हालांकि इस स्थिति वाले व्यक्ति में त्वचा और बाल उनके पूरे परिवार से साफ होते हैं।
बाल और त्वचा
ऐल्बिनिज़म वाले व्यक्तियों के बाल अक्सर सफेद या काफी हल्के चमकीले बाल होते हैं। बहरहाल, कुछ लोगों में भूरे या लाल रंग के बाल होते हैं। उनके बालों का रंग इस बात पर निर्भर करता है कि उनका शरीर कितना मेलानिन (melanin) पैदा करता है।
ऐल्बिनिज़म से ग्रस्त लोगों की त्वचा काफी पीली होती है जो टैन नहीं होती और सूरज की रोशनी में आसानी से जल जाती है।
आंखें
ऐल्बिनिज़म की समस्या वाले व्यक्ति के आइरिसिज (irises) (आंख का रंगीन भाग) में पिगमेंट नहीं होता है। इसके परिणामस्वरूप उनकी आंखें आमतौर पर पीले रंग वाली नीली या स्लेटी रंग की होती हैं। यह गायब पिगमेंट उनमें आंखों की अन्य स्थितियां भी पैदा कर देता है, जैसे :
कमजोर नजर- मायोपिया (myopia) या हाइपरोपिया (hyperopia) या कम दिखना ( जिसे ठीक नहीं किया जा सकता)
ऐस्टीगमैटीज़्म (astigmatism) – जहां कोर्निया (cornea) (आंख का आगे का भाग) पूरी तरह से कर्व आकार में नहीं होता या उसका लैंस असामान्य आकार में होता है जिससे धुंधला नजर आता है।
फोटोफोबिया (photophobia) – जहां पर आंखें प्रकाश को लेकर संवेदनशील होती हैं।
पुतलियों का अनायास घूमना (निस्टाग्मस- nystagmus)- इसमें आंखें अनियंत्रित रूप से एक तरफ से दूसरी तरफ घूमती हैं जिससे दिखना कम हो जाता है। ऐल्बिनिज़म वाले व्यक्ति की आंखें लगातार घूमती रहती हैं फिर भी उन्हें ये दुनिया झूलती हुई नजर नहीं आती क्योंकि उनका दिमाग उनकी घूमती आंखों के संकेतों को समझना सीख लेता है।
भेंगापन(squint)- इसमें आंखें अलग-अलग दिशा में संकेत करती हैं।
ऐल्बिनिज़म की समस्या वाले छोटे बच्चों में कई बार दृष्टि का गंभीर दोष होता है और हालांकि पहले छह माह में उनकी दृष्टि में काफी सुधार होता है लेकिन यह कभी सामान्य स्तर तक नहीं पहुंचती।
ऐल्बिनिज़म की समस्या वाले छोटे बच्चे काफी अव्यवस्थित होते हैं क्योंकि अपनी कम नजर के चलते वे कई कार्य और मूवमेंट करना सीखने में पिछड़ जाते हैं जैसे किसी चीज को उठाना या घुटनों को बल चलना। लेकिन जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, नजर में प्रयोग होने वाली चीज़ों की मदद से इस समस्या में सुधार आ जाता है।
SOURCE-GK TODAY
फ़्रेंच ओपन 2021
दुनिया के नंबर-1 टेनिस खिलाड़ी सर्बिया के नोवाक जोकोविच ने फ़्रेंच ओपन 2021 का ख़िताब अपने नाम कर लिया है.कड़े संघर्ष के बाद उन्होंने ग्रीस के स्टेफानोस सितसिपास को 6-7, 2-6, 6-3, 6-2, 6-4 से हराया.यह जोकोविच का दूसरा फ्ऱेंच ओपन ख़िताब है.इससे पहले वे 2016 में भी चैंपियन बने थे.साथ ही यह जोकोविच का 19वाँ ग्रैंड स्लैम ख़िताब है.
चार घंटे 11 मिनट चला संघर्ष
पहला सेट एक घंटा 12 मिनट तक चला और अंत में सितसिपास ने इसे 7-6 (8-6) से जीता.
दूसरा सेट सितसिपास ने 35 मिनट में 6-2 से अपने नाम किया.वहीं, दोनों खिलाड़ियों के बीच 53 मिनट के संघर्ष के बाद जोकोविच को तीसरा सेट 6-3 से जीतने में सफलता मिली.
चौथा सेट जोकोविच ने आसानी से 6-2 से जीता.हालांकि इस सेट में जब स्कोरी 2-0 से जोकोविच के पक्ष में था तो तीसरे गेम के लिए दोनों खिलाड़ियों के बीच क़रीब 10 मिनट तक संघर्ष होता रहा.आख़िरकार जोकोविच ने यह गेम 36 मिनट में अपने नाम कर लिया और साथ ही लगातार दूसरा सेट जीत कर मैच में सितसिपात की बराबरी पर आ गए.
पहली बार ग्रैंड स्लैम फ़ाइनल खेल रहे थे सितसिपास
ग्रीस के 22 वर्षीय सितसिपास ने पहली बार किसी ग्रैंड स्लैम के फ़ाइनल में जगह बनाई थी.
यही नहीं, सितसिपास ग्रैंड स्लैम के एकल फ़ाइनल में पहुंचने वाले ग्रीस के पहले खिलाड़ी भी हैं.वो टॉप 10 रैंकिंग में सबसे युवा खिलाड़ी हैं.बीते वर्ष भी सितपितास ओपन के सेमीफ़ाइनल तक पहुंचे थे.इस साल वो दूसरी बार ऑस्ट्रेलियन ओपन के सेमीफ़ाइनल में पहुंचे.
क्रेजिसिकोवा महिला चैंपियन
इससे पहले शनिवार को चेक रिपब्लिक की बारबोरा क्रेजसिकोवा फ़्रेंच ओपन 2021 में महिलाओं की चैंपियन बनी हैं.पहली बार ग्रैंड स्लैम फ़ाइनल खेल रही बारबोरा क्रेजसिकोवा ने फ़ाइनल में अनासतासिया पावलुचेन्कोवा को 6-1, 2-6, 6-4 से हरा कर ख़िताब अपने नाम
फ्रेंच ओपन
फ्रेंच ओपन (फ़्रान्सीसी: फ़्रान्सीसी टूर्नोई डी रोलां-गेर्रोस IPA: [ʁɔlɑ̃ ɡaʁɔs]) एक मुख्य टेनिस टूर्नामेंट है जो मई के अंत तथा जून की शुरुआत के दो सप्ताह के मध्य पेरिस, फ्रांस में स्टेड रोलैंड गर्रोस में खेला जाता है। यह वार्षिक टेनिस कैलेंडर में दूसरा ग्रैंड स्लैम है तथा दुनिया का प्रमुख क्ले कोर्ट टेनिस टूर्नामेंट है। रोलां गर्रोस ही एकमात्र ऐसा ग्रैंड स्लैम है जो अभी भी मिट्टी पर आयोजित किया जाता है और वसंत क्ले कोर्ट काल को समाप्त करता है।
यह टेनिस की सबसे प्रतिष्ठित प्रतियोगितायों में से एक है, और यह एक ऐसा खेल है जिसका दुनिया भर में व्यापक प्रसारण होता है साथ ही इस खेल में सभी नियमित प्रतियोगितायों के श्रोता सम्मिलित होते हैं। धीमी खेल धरातल और फाइनल सेट में बिना किसी टाईब्रेक के पांच सेट के पुरुष सिंगल मैचों के कारण, इस प्रतियोगिता को व्यापक रूप से दुनिया का सर्वाधिक शारीरिक रूप से आकांक्षित टेनिस टूर्नामेंट माना जाता है।
SOURCE-BBCNEWS