Register For UPSC IAS New Batch

Current Affair 14 November 2021

For Latest Updates, Current Affairs & Knowledgeable Content.

Current Affairs – 14 November, 2021

पंडित जवाहरलाल नेहरू

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी है।

श्री जवाहर लाल नेहरू

15 अगस्‍त, 1947 –27 मई, 1964 | कॉन्‍ग्रेस

पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने घर पर निजी शिक्षकों से प्राप्त की। पंद्रह साल की उम्र में वे इंग्लैंड चले गए और हैरो में दो साल रहने के बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया जहाँ से उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। 1912 में भारत लौटने के बाद वे सीधे राजनीति से जुड़ गए। यहाँ तक कि छात्र जीवन के दौरान भी वे विदेशी हुकूमत के अधीन देशों के स्वतंत्रता संघर्ष में रुचि रखते थे। उन्होंने आयरलैंड में हुए सिनफेन आंदोलन में गहरी रुचि ली थी। उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अनिवार्य रूप से शामिल होना पड़ा।

1912 में उन्होंने एक प्रतिनिधि के रूप में बांकीपुर सम्मेलन में भाग लिया एवं 1919 में इलाहाबाद के होम रूल लीग के सचिव बने। 1916 में वे महात्मा गांधी से पहली बार मिले जिनसे वे काफी प्रेरित हुए। उन्होंने 1920 में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में पहले किसान मार्च का आयोजन किया। 1920-22 के असहयोग आंदोलन के सिलसिले में उन्हें दो बार जेल भी जाना पड़ा।

पंडित नेहरू सितंबर 1923 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव बने। उन्होंने 1926 में इटली, स्विट्जरलैंड, इंग्लैंड, बेल्जियम, जर्मनी एवं रूस का दौरा किया। बेल्जियम में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक आधिकारिक प्रतिनिधि के रूप में ब्रुसेल्स में दीन देशों के सम्मेलन में भाग लिया। उन्होंने 1927 में मास्को में अक्तूबर समाजवादी क्रांति की दसवीं वर्षगांठ समारोह में भाग लिया। इससे पहले 1926 में, मद्रास कांग्रेस में कांग्रेस को आजादी के लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध करने में नेहरू की एक महत्वपूर्ण भूमिका थी। 1928 में लखनऊ में साइमन कमीशन के खिलाफ एक जुलूस का नेतृत्व करते हुए उन पर लाठी चार्ज किया गया था। 29 अगस्त 1928 को उन्होंने सर्वदलीय सम्मेलन में भाग लिया एवं वे उनलोगों में से एक थे जिन्होंने भारतीय संवैधानिक सुधार की नेहरू रिपोर्ट पर अपने हस्ताक्षर किये थे। इस रिपोर्ट का नाम उनके पिता श्री मोतीलाल नेहरू के नाम पर रखा गया था। उसी वर्ष उन्होंने ‘भारतीय स्वतंत्रता लीग’ की स्थापना की एवं इसके महासचिव बने। इस लीग का मूल उद्देश्य भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से पूर्णतः अलग करना था।

1929 में पंडित नेहरू भारतीय राष्ट्रीय सम्मेलन के लाहौर सत्र के अध्यक्ष चुने गए जिसका मुख्य लक्ष्य देश के लिए पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करना था। उन्हें 1930-35 के दौरान नमक सत्याग्रह एवं कांग्रेस के अन्य आंदोलनों के कारण कई बार जेल जाना पड़ा। उन्होंने 14 फ़रवरी 1935 को अल्मोड़ा जेल में अपनी ‘आत्मकथा’ का लेखन कार्य पूर्ण किया। रिहाई के बाद वे अपनी बीमार पत्नी को देखने के लिए स्विट्जरलैंड गए एवं उन्होंने फरवरी-मार्च, 1936 में लंदन का दौरा किया। उन्होंने जुलाई 1938 में स्पेन का भी दौरा किया जब वहां गृह युद्ध चल रहा था। द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने से कुछ समय पहले वे चीन के दौरे पर भी गए।

पंडित नेहरू ने भारत को युद्ध में भाग लेने के लिए मजबूर करने का विरोध करते हुए व्यक्तिगत सत्याग्रह किया, जिसके कारण 31 अक्टूबर 1940 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें दिसंबर 1941 में अन्य नेताओं के साथ जेल से मुक्त कर दिया गया। 7 अगस्त 1942 को मुंबई में हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में पंडित नेहरू ने ऐतिहासिक संकल्प ‘भारत छोड़ो’ को कार्यान्वित करने का लक्ष्य निर्धारित किया। 8 अगस्त 1942 को उन्हें अन्य नेताओं के साथ गिरफ्तार कर अहमदनगर किला ले जाया गया। यह अंतिम मौका था जब उन्हें जेल जाना पड़ा एवं इसी बार उन्हें सबसे लंबे समय तक जेल में समय बिताना पड़ा। अपने पूर्ण जीवन में वे नौ बार जेल गए। जनवरी 1945 में अपनी रिहाई के बाद उन्होंने राजद्रोह का आरोप झेल रहे आईएनए के अधिकारियों एवं व्यक्तियों का कानूनी बचाव किया। मार्च 1946 में पंडित नेहरू ने दक्षिण-पूर्व एशिया का दौरा किया। 6 जुलाई 1946 को वे चौथी बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए एवं फिर 1951 से 1954 तक तीन और बार वे इस पद के लिए चुने गए।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.1

 

राष्ट्रव्यापी एएचडीएफ केसीसी अभियान

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला 15 नवंबर, 2021 (सोमवार) को दोपहर 3 बजे सम्मेलन कक्ष संख्या 243 में हाइब्रिड मोड में “राष्ट्रव्यापी एएचडीएफ केसीसी अभियान” का शुभारंभ करेंगे। इस अभियान का उद्देश्य किसान क्रेडिट कार्ड के लाभों का विस्तार देश के सभी पात्र पशुपालन और मत्स्य पालकों तक करना है।

इस अवसर पर केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री, डॉ. संजीव कुमार बालयान और डॉ. एल मुरुगन और डीएएचडी, डीएफएस और डीओएफ के सचिव भी उपस्थित रहेंगे। पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी), मत्स्य विभाग (डीओएफ) और वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के सहयोग से 15 नवंबर, 2021 से लेकर 15 फरवरी, 2022 तक इस “राष्ट्रव्यापी एएचडीएफ केसीसी अभियान” का आयोजन करने जा रहा है। इस विभाग का उद्देश्य इस अभियान के अंतर्गत उन सभी पात्र किसानों को शामिल करना है, जो विभिन्न पशुपालन गतिविधियों में शामिल हैं जैसे गोवंश पालन, बकरी, सुअर, मुर्गी पालन और अन्य संबद्ध गतिविधियां आदि।

इस अभियान के माध्यम से दुग्ध संघों/एमपीसी से जुड़े उन सभी पात्र डेयरी किसानों को सम्मिलित करने का प्रयास किया जाएगा, जिन्हें पहले अभियान में अभी तक शामिल नहीं किया गया है।

किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना भारतीय बैंकों द्वारा अगस्त 1998 में शुरू की गई एक क्रेडिट योजना है। यह मॉडल योजना राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा कृषि आवश्यकताओं के लिए सावधि ऋण प्रदान करने के लिए आर.वी. गुप्ता समिति की सिफारिशों पर तैयार की गई थी। इसका उद्देश्य किसानों को वित्तीय सहायता देकर कृषि क्षेत्र की व्यापक ऋण आवश्यकताओं को पूरा करना और 2019 तक मत्स्य पालन और पशुपालन के लिए है। भाग लेने वाले संस्थानों में सभी वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और राज्य सहकारी बैंक शामिल हैं। इस योजना में फसलों और सावधि ऋणों के लिए अल्पकालिक ऋण सीमा है। KCC क्रेडिट धारक मृत्यु और स्थायी विकलांगता के लिए ₹50,000 तक और अन्य जोखिम के लिए ₹25,000 तक के व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा के अंतर्गत आते हैं। प्रीमियम बैंक और उधारकर्ता दोनों द्वारा 2:1 के अनुपात में वहन किया जाता है। वैधता अवधि पांच वर्ष है, जिसमें तीन और वर्षों तक विस्तार करने का विकल्प है। किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) किसानों को दो प्रकार से ऋण प्रदान करता है, 1. नकद ऋण 2. सावधि ऋण (पंप सेट, भूमि विकास, वृक्षारोपण, ड्रिप सिंचाई जैसी संबद्ध गतिविधियों के लिए)।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

दक्षिण क्षेत्रीय परिषद की 29वीं बैठक

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज तिरुपति में दक्षिण क्षेत्रीय परिषद की 29वीं बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री, पुडुचेरी व अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल तथा लक्षद्वीप के प्रशासक शामिल हुए। साथ ही परिषद में शामिल राज्यों के मंत्री, केन्द्रीय गृह सचिव, अन्तर राज्य परिषद की सचिव और संबंधित राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे। केन्द्रीय गृह मंत्री ने दक्षिण क्षेत्रीय परिषद की 29वीं बैठक भगवान श्री वेंकटेश्वर की पावन नगरी तिरुपति में आयोजित करने के लिए आन्ध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी का धन्यवाद किया।

क्षेत्रीय परिषदें :

  • सभी राज्‍यों के बीच और केंद्र एवं राज्‍यों के बीच मिलकर काम करने की संस्कृति विकसित करने के उद्देश्‍य से राज्‍य पुनर्गठन अधिनियम (States Reorganisation Act), 1956 के अंतर्गत क्षेत्रीय परिषदों का गठन किया गया था।
  • क्षेत्रीय परिषदों को यह अधिकार दिया गया कि वे आर्थिक और सामाजिक योजना के क्षेत्र में आपसी हित से जुड़े किसी भी मसले पर विचार-विमर्श करें और सिफारिशें दें।
  • क्षेत्रीय परिषदें आर्थिक और सामाजिक आयोजना, भाषायी अल्‍पसंख्‍यकों, अंतर्राज्‍यीय परिवहन जैसे साझा हित के मुद्दों के बारे में केंद्र और राज्‍य सरकारों को सलाह दे सकती हैं।

पाँच क्षेत्रीय परिषदें :

राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के भाग- III के तहत पाँच क्षेत्रीय परिषदें स्थापित की गई। पूर्वोत्तर राज्य अर्थात् (i) असम (ii) अरुणाचल प्रदेश (iii) मणिपुर (iv) त्रिपुरा (v) मिज़ोरम (vi) मेघालय और (vii) नगालैंड को आंचलिक परिषदों में शामिल नहीं किया गया और उनकी विशेष समस्याओं को पूर्वोत्तर परिषद अधिनियम (North Eastern Council Act), 1971 के तहत वर्ष 1972 में गठित पूर्वोत्तर परिषद द्वारा हल किया जाता है। “सिक्किम राज्य को दिनांक 23 दिसंबर, 2002 में अधिसूचित पूर्वोत्तर परिषद (संशोधन) अधिनियम, 2002 के तहत पूर्वोत्तर परिषद में भी शामिल किया गया है। इसके परिणामस्वरूप सिक्किम को पूर्वी आंचलिक परिषद के सदस्य के रूप में हटाए जाने के लिये गृह मंत्रालय द्वारा कार्रवाई शुरु की गई है।” इन क्षेत्रीय परिषदों का वर्तमान गठन निम्नवत है:

  • उत्तरी क्षेत्रीय परिषद: इसमें हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान राज्य, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और संघ राज्य क्षेत्र चंडीगढ़, जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख शामिल हैं।
  • मध्य क्षेत्रीय परिषद: इसमें छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्य शामिल हैं।
  • पूर्वी क्षेत्रीय परिषद: इसमें बिहार, झारखंड, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल राज्य शामिल हैं।
  • पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद: इसमें गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र राज्य और संघ राज्य क्षेत्र दमन-दीव और दादरा और नगर हवेली शामिल है।
  • दक्षिणी क्षेत्रीय परिषद: इसमें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, राज्य और संघ राज्य क्षेत्र पुद्दुचेरी शामिल हैं।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.2

 

52वां भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव

भारत का 52वां अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (International Film Festival of India – IFFI) 20 नवंबर से 28 नवंबर, 2021 तक आयोजित किया जाएगा।

मुख्य बिंदु

  • शोजा अजारी द्वारा निर्देशित ‘लैंड ऑफ ड्रीम्स’ और साइमन फ्रेंको द्वारा निर्देशित चार्लोट सहित पंद्रह फिल्में शीर्ष पुरस्कारों के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगी।
  • IFFI का आयोजन गोवा में किया जायेगा।

गोल्डन पीकॉक अवार्ड

IFFI में सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए गोल्डन पीकॉक पुरस्कार दिया जाएगा। इसमें 40 लाख रुपये का नकद पुरस्कार शामिल है। यह पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ फिल्म के निर्माता और निर्देशक द्वारा समान रूप से साझा किया जाएगा।

सिल्वर पीकॉक अवार्ड

सर्वश्रेष्ठ निर्देशक को सिल्वर पीकॉक पुरस्कार दिया जाएगा। इसमें 15 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है।

भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (International Film Festival of India – IFFI)

IFFI की स्थापना 1952 में हुई थी। यह एशिया के सबसे महत्वपूर्ण फिल्म समारोहों में से एक है। फिल्म कला की उत्कृष्टता को प्रदर्शित करने के लिए दुनिया भर के सिनेमा के लिए एक सामान्य मंच प्रदान करने के उद्देश्य से यह उत्सव प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है।

IFFI का आयोजन गोवा की राज्य सरकार और सूचना व प्रसारण मंत्रालय के तहत काम करने वाले फिल्म समारोह निदेशालय द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.1 PRE

 

नोरोवायरस

केरल के वायनाड जिले में नोरोवायरस (Norovirus) के पहले मामले की पुष्टि हुई है।

मुख्य बिंदु

  • नोरोवायरस एक पशु जनित रोग है। यह दूषित पानी और भोजन के माध्यम से फैलता है।
  • मामले की पुष्टि के बाद, स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने दिशानिर्देश जारी किए और लोगों से इसके लिए सतर्क रहने का आग्रह किया।
  • लोगों को निवारक गतिविधियों को तेज करने और बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए निर्देशित किया गया है।

नोरोवायरस क्या है?

नोरोवायरस वायरस का एक समूह है, जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारी का कारण बनता है। यह वायरस पेट और आंतों की परत में सूजन, गंभीर उल्टी और दस्त का कारण बनता है। स्वस्थ लोगों पर इस वायरस का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है। हालांकि, यह बुजुर्गों, छोटे बच्चों और अन्य सह-रुग्णता (comorbidities) वाले लोगों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।

यह बीमारी कैसे फैली?

यह वायरस बहुत आसानी से और तेजी से फैलता है। यह संक्रमित लोगों से दूसरे लोगों में फैलता है जब सीधा संपर्क होता है, साथ ही दूषित खाद्य पदार्थों और सतहों के माध्यम से भी फैलता है। यह इस बीमारी की शुरुआत के बाद दो दिनों तक फैल सकता है। इस तरह का प्रकोप अक्सर नवंबर से अप्रैल के बीच होता है।

नोरोवायरस के लक्षण

  • नोरोवायरस के सामान्य लक्षणों में पेट दर्द, दस्त, बुखार, उल्टी, सिरदर्द, मतली और शरीर में दर्द शामिल हैं।

दिशानिर्देश

  • गाइडलाइंस के मुताबिक संक्रमित लोगों को घर पर आराम करना चाहिए और ORS का घोल और उबला हुआ पानी पीना चाहिए।
  • एक निवारक कदम में, लोगों को अपनी व्यक्तिगत स्वच्छता के साथ-साथ आसपास पर्यावरणीय स्वच्छता का उचित ध्यान रखना चाहिए।
  • जानवरों के संपर्क में आने वाले लोगों को विशेष ध्यान देने की सलाह दी गई है।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.1

 

भादला (Bhadla) में दुनिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा पार्क

राजस्थान में स्थित भादला सोलर पार्क (Bhadla Solar Park) दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पावर पार्क (world’s largest solar park) है।

मुख्य बिंदु

  • यह सोलर पार्क राजस्थान के सूखे और रेतीले क्षेत्र भादला में स्थित है।
  • यह 14,000 एकड़ में फैला है।
  • इस पार्क में 10 मिलियन सौर पैनल शामिल हैं। ये सौर पैनल 2245 मेगावाट की परिचालन क्षमता में योगदान करते हैं।

भादला सोलर पार्क (Bhadla Solar Park)

2020 तक, भादला सोलर पार्क दुनिया भर में सबसे बड़ा सोलर पार्क है। यह राजस्थान के जोधपुर जिले के भादला में 5,700 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। इस पार्क की कुल क्षमता 2245 मेगावाट है।

भादला क्षेत्र

जोधपुर जिले के भादला क्षेत्र को आधिकारिक तौर पर लगभग 45 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र के साथ रेतीले, शुष्क और शुष्क क्षेत्र के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह जोधपुर से लगभग 200 किमी उत्तर में और जयपुर से 320 किमी पश्चिम में स्थित है। इसकी जलवायु के कारण, इस क्षेत्र को “लगभग रहने योग्य नहीं” (almost unlivable) के रूप में वर्णित किया गया है। इस क्षेत्र का सामान्य तापमान 46-48 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है, जबकि गर्म हवाएं और रेतीले तूफान अक्सर आते हैं।

परियोजना की कमीशनिंग

NTPC ने 22 फरवरी, 2017 को इस सौर पार्क में 115 मेगावाट क्षमता को चालू करने की घोषणा की थी। वर्तमान में, इसकी पूर्ण क्षमता 2,245 मेगावाट है, जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा सौर पार्क बन गया है, जिसका निवेश बढ़कर 100 अरब रुपये हो गया है।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.1 PRE

Any Doubts ? Connect With Us.

Join Our Channels

For Latest Updates & Daily Current Affairs

Related Links

Connect With US Socially

Request Callback

Fill out the form, and we will be in touch shortly.

Call Now Button