Register For UPSC IAS New Batch

Current Affair 14 September 2021

For Latest Updates, Current Affairs & Knowledgeable Content.

Current Affairs – 14 September, 2021

हिंदी दिवस

हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने यह निर्णय लिया कि हिन्दी केन्द्र सरकार की आधिकारिक भाषा होगी। क्योंकि भारत में अधिकतर क्षेत्रों में ज्यादातर हिन्दी भाषा बोली जाती थी इसलिए हिन्दी को राजभाषा बनाने का निर्णय लिया और इसी निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को प्रत्येक क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद हिन्दी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्थापित करवाने के लिए काका कालेलकर, हजारीप्रसाद द्विवेदी, सेठ गोविन्ददास आदि साहित्यकारों को साथ लेकर व्यौहार राजेन्द्र सिंह ने अथक प्रयास किये।

वर्ष 1918 में गांधी जी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राजभाषा बनाने को कहा था। इसे गांधी जी ने जनमानस की भाषा भी कहा था। वर्ष 1949 में स्वतंत्र भारत की राजभाषा के प्रश्न पर 14 सितम्बर 1949 को काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया जो भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की अनुच्छेद 343(1) में इस प्रकार वर्णित है। संघ की राष्ट्रभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अन्तरराष्ट्रीय रूप होगा।

हिन्दी सप्ताह 14 सितम्बर से एक सप्ताह के लिए मनाया जाता है। इस पूरे सप्ताह अलग अलग प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। यह आयोजन विद्यालय और कार्यालय दोनों में किया जाता है। इसका मूल उद्देश्य हिन्दी भाषा के लिए विकास की भावना को लोगों में केवल हिन्दी दिवस तक ही सीमित न कर उसे और अधिक बढ़ाना है। इन सात दिनों में लोगों को निबन्ध लेखन, आदि के द्वारा हिन्दी भाषा के विकास और उसके उपयोग के लाभ और न उपयोग करने पर हानि के बारे में समझाया जाता है।

यह निर्णय 14 सितम्बर को लिया गया, इसी दिन हिन्दी के मूर्धन्य साहित्यकार व्यौहार राजेन्द्र सिंहा का 50वाँ जन्मदिन था, इस कारण हिन्दी दिवस के लिए इस दिन को श्रेष्ठ माना गया था। हालांकि जब राष्ट्रभाषा के रूप में इसे चुना गया और लागू किया गया तो अ-हिन्दी भाषी राज्य के लोग इसका विरोध करने लगे और अंग्रेजी को भी राजभाषा का दर्जा देना पड़ा। इस कारण हिन्दी में भी अंग्रेजी भाषा का प्रभाव पड़ने लगा।

इसका मुख्य उद्देश्य वर्ष में एक दिन इस बात से लोगों को रूबरू कराना है कि जब तक वे हिन्दी का उपयोग पूरी तरह से नहीं करेंगे तब तक हिन्दी भाषा का विकास नहीं हो सकता है। इस एक दिन सभी सरकारी कार्यालयों में अंग्रेजी के स्थान पर हिन्दी का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा जो वर्ष भर हिन्दी में अच्छे विकास कार्य करता है और अपने कार्य में हिन्दी का अच्छी तरह से उपयोग करता है, उसे पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया जाता है।

कई लोग अपने सामान्य बोलचाल में भी अंग्रेज़ी भाषा के शब्दों का या अंग्रेजी का उपयोग करते हैं, जिससे धीरे धीरे हिन्दी के अस्तित्व को खतरा पहुँच रहा है। जिस तरह से टेलीविजन से लेकर विद्यालयों तक और सोशल मीडिया से लेकर निजी तकनीकी संस्थानों एवं निजी दफ्तरों तक में अंग्रेजी का दबदबा कायम है। उससे लगता है कि अपनी मातृभाषा हिन्दी धीरे–धीरे कम और फिर दशकों बाद विलुप्त ना हो जाये। यदि शीघ्र ही हम छोटे–छोटे प्रयासों द्वारा अपनी मातृभाषा हिन्दी को अपने जीवन में एक अनिवार्य स्थान नहीं देंगे तो यह दूसरी भाषाओं से हो रही स्पर्धा में बहुत पीछे रह जायेगी। यहाँ तक कि वाराणसी में स्थित दुनिया में सबसे बड़ी हिन्दी संस्था आज बहुत ही खस्ता हाल में है। इस कारण इस दिन उन सभी से निवेदन किया जाता है कि वे अपने बोलचाल की भाषा में भी हिन्दी का ही उपयोग करें। इसके अलावा लोगों को अपने विचार आदि को हिन्दी में लिखने भी कहा जाता है। चूँकि हिन्दी भाषा में लिखने हेतु बहुत कम उपकरण के बारे में ही लोगों को पता है, इस कारण इस दिन हिन्दी भाषा में लिखने, जाँच करने और शब्दकोश के बारे में जानकारी दी जाती है। हिन्दी भाषा के विकास के लिए कुछ लोगों के द्वारा कार्य करने से कोई खास लाभ नहीं होगा। इसके लिए सभी को एक जुट होकर हिन्दी के विकास को नए आयाम तक पहुँचाना होगा। हिन्दी भाषा के विकास और विलुप्त होने से बचाने के लिए यह अनिवार्य है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.1 PRE

 

भारत का थोक मूल्य सूचकांक

उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के आर्थिक सलाहकार के कार्यालय ने अगस्त, 2021 (अनंतिम) और जून, 2021 (अंतिम) के लिए भारत में थोक मूल्य सूचकांक संख्याएं जारी कर दी हैं। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के अनंतिम आंकड़े देश भर में चयनित विनिर्माण इकाइयों से प्राप्त आंकड़ों के साथ संकलित किए जाते हैं और हर महीने की 14 तारीख (या अगले कार्य दिवस) को जारी किए जाते हैं। 10 सप्ताह के बाद, सूचकांक को अंतिम रूप दिया गया और अंतिम आंकड़े जारी किए गए हैं।

अगस्त, 2020 की (0.41 %) की तुलना में अगस्त, 2021 में मुद्रास्फीति की वार्षिक दर 11.39प्रतिशत (अनंतिम) रही। अगस्त2021 में मुद्रास्फीति की उच्च दर का कारण मुख्य रूप सेगैर-खाद्य पदार्थ, खनिज तेल; कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस; मूल धातुओं जैसे निर्मित उत्पाद; खाद्य उत्पाद; कपड़ों, रसायन और रासायनिक उत्पाद की कीमतों में पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में वृद्धि रही। पिछले तीन महीनों में डब्ल्यूपीआई सूचकांक और मुद्रास्फीति के घटकों में वार्षिक परिवर्तन नीचे दिया गया है।

डब्ल्यूपीआई के प्रमुख समूहों में माह दर माह परिवर्तन :

प्राथमिक वस्तुएं (भारांक 22.62 प्रतिशत)

इस प्रमुख समूह के सूचकांक में अगस्त, 2021 के दौरान 155.8 (अनंतिम) बढोतरी (1.56%) रही जो जुलाई 2021 में 153.4 (अनंतिम) था। खनिज (12.22%), गैर-खाद्य वस्तुओं (6.18%) और क्रूड पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस (1.51%) की कीमतों में जुलाई, 2021 की तुलना में अगस्त, 2021 में वृद्धि हुई। जुलाई, 2021 की तुलना में अगस्त, 2021 में खनिजों की कीमतों (-0.25 %) में गिरावट आई।

ईंधन और बिजली (भारित 13.15%)

इस प्रमुख समूह का सूचकांक अगस्त, 2021 में 1.49 % बढ़कर 116.0 (अनंतिम) हो गया, जो जुलाई, 2021 के महीने में 114.3 (अनंतिम) था। जुलाई, 2021 की तुलना में अगस्त में खनिज तेल (2.31%) और कोयला (0.31%) की कीमतों में वृद्धि हुई। बिजली की कीमतें अपरिवर्तित बनी हुई हैं।

विनिर्मित उत्पाद (भारांक 64.23%)

अगस्त 2021 में इस प्रमुख समूह का सूचकांक 0.76%  बढ़कर 133.0 (अनंतिम) हो गया जो जुलाई में 132.0 था। विनिर्मित उत्पादों के 22 एनआईसी दो-अंकीय समूहों में से14 समूहों की कीमतों में जुलाई, 2021 की तुलना में अगस्त 2021 के दौरान बढ़ोत्तरी देखी गई जबकि इसी अवधि के दौरान 6 समूहों में गिरावट दर्ज की गई और दो समूह की कीमत अपरिवर्तित रही। कीमतों में वृद्धि का योगदान मुख्य रूप से बुनियादी धातुओं का निर्माण; खाद्य उत्पाद; रसायन और रासायनिक उत्पाद; विद्युत उपकरण और वस्त्रों का निर्माण ने दिया है। जुलाई, 2021 की तुलना में अगस्त, 2021 में जिन समूहों ने कीमतों में कमी देखी है उनमें अन्य विनिर्माण के उत्पाद; फार्मास्यूटिकल्स, औषधीय रसायन और वनस्पति उत्पाद; चमड़ा और संबंधित उत्पाद; अन्य परिवहन उपकरण और तंबाकू उत्पाद आदि शामिल थे।

डब्ल्यूपीआई खाद्य सूचकांक (भारित 24.38%)

खाद्य सूचकांक, जिसमें प्राथमिक वस्‍तु समूह की ‘खाद्य वस्‍तुएं’ और निर्मित उत्पाद समूह के ‘खाद्य उत्पाद’ शामिल हैं, इनका यह सचूकांक जो जुलाई 2021 के 1159.3 की तुलना में अगस्त 2021 में 159.6 पर रहा। डब्ल्यूपीआई खाद्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर जुलाई, 2021 के 4.46 प्रतिशत से घटकर अगस्त 2021 में 3.43 % हो गई।

जून, 2021 का अंतिम सूचकांक (आधार वर्ष: 2011-12 = 100)

जून, 2021 में सभी वस्तुओं का अंतिम डब्ल्यूपीआई और मुद्रास्फीति दर (आधार : 2011-12 = 100) क्रमशः 133.7 और 12.07 थी। अगस्त, 2021 मे विभिन्न जिंस समूहों का अखिल भारतीय थोक मूल्य सूचकांक और मुद्रास्फीति की दरों का विवरण अनुलंग्नक I में दिया गया है। पिछले छह माह के दौरान विभिन्न कमोडिटी समूहों की डब्ल्यूपीआई पर आधारित मुद्रास्फीति की वार्षिक दर (वर्ष-दर-वर्ष) अनुलग्नंक II में दी गई है। पिछले छह माह के दौरान विभिन्न कमोडिटी समूहों का डब्ल्यूपीआई सूचकांक अनुलंग्नक III में दिया गया है।

प्रतिक्रिया की दर

अगस्त, 2021 के लिए डब्ल्यूपीआई को 77 प्रतिशत की प्रतिक्रिया दर पर संकलित किया गया है, जबकि जून, 2021 के लिए अंतिम आंकड़ा 91 प्रतिशत की भारित प्रतिक्रिया दर पर आधारित है।

थोक मूल्य सूचकांक

थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index) एक मूल्य सूचकांक है जो कुछ चुनी हुई वस्तुओं के सामूहिक औसत मूल्य का प्रतिनिधित्व करता है। भारत और फिलीपिन्स आदि देश थोक मूल्य सूचकांक में परिवर्तन को महंगाई में परिवर्तन के सूचक के रूप में इस्तेमाल करते हैं। किन्तु भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका अब उत्पादक मूल्य सूचकांक (producer price index) का प्रयोग करने लगे हैं।

भारत में थोक मूल्य सूचकांक

भारत में थोक मूल्य सूचकांक को आधार मान कर महँगाई दर की गणना होती है। हालाँकि थोक मूल्य और ख़ुदरा मूल्य में काफी अंतर होने के कारण इस विधि को कुछ लोग सही नहीं मानते हैं।

थोक मूल्य सूचकांक के लिये एक आधार वर्ष होता है। भारत में अभी 2011-12 के आधार वर्ष के मुताबिक थोक मूल्य सूचकांक की गणना हो रही है। इसके अलावा वस्तुओं का एक समूह होता है जिनके औसत मूल्य का उतार-चढ़ाव थोक मूल्य सूचकांक के उतार-चढ़ाव को निर्धारित करता है। अगर भारत की बात करें तो यहाँ थोक मूल्य सूचकांक में (697) पदार्थों को शामिल किया गया है जिनमें खाद्यान्न, धातु, ईंधन, रसायन आदि हर तरह के पदार्थ हैं और इनके चयन में कोशिश की जाती है कि ये अर्थव्यवस्था के हर पहलू का प्रतिनिधित्व करें। आधार वर्ष के लिए सभी (697) सामानों का सूचकांक १०० (100) मान लिया जाता है।

आधार वर्ष क्या है?

किसी भी सूचकांक की गणना अवलंब वर्ष के आधार पर की जाती है, जिसे आधार वर्ष कहा जाता है। आधार वर्ष एक सूचकांक की गणना में श्रृंखला के पहले वर्ष को संदर्भित करता है। डिफ़ॉल्ट रूप से, इसे गणना के लाभ के लिए मान 100 सौंपा गया है। मतभेदों को शामिल करने और इसे उन्नत वर्ष गणना के लिए सटीक बनाने के लिए समय-समय पर समायोजित किया जाता है। डब्ल्यूपीआई की गणना के लिए आधार वर्ष 2004-05 से पहले था, लेकिन इसे अन्य आर्थिक संकेतकों के साथ संरेखित करने के लिए, आधार वर्ष को 2011-12 में नवीनीकरण किया गया था। आधार वर्ष के संशोधन में डब्ल्यूपीआई के लिए ट्रैक किए गए उत्पादों की सूची का एक संशोधन भी शामिल था।

कुल 697 वस्तुओं की कीमतों को 2011-12 के होलसेल प्राइस इंडेक्स (थोक मूल्य सूचकांक) की श्रृंखला के तहत ट्रैक किया जाता है, जिसमें 117 प्राथमिक वस्तुएं, 16 आइटम ईंधन और बिजली और 564 निर्मित उत्पाद शामिल हैं।

डब्ल्यूपीआई सूचकांक का उद्देश्य क्या है?

होलसेल प्राइस इंडेक्स (थोक मूल्य सूचकांक) का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है। कमोडिटी ट्रेडर्स ही नहीं, डब्ल्यूपीआई भी सरकार को विभिन्न स्तरों पर मुद्रास्फीति के स्तर को समझने में मदद करता है। होलसेल प्राइस (थोक मूल्य) खुदरा कीमतों को प्रभावित करते हैं, जिसका असर घरेलू वित्त पर पड़ता है। होलसेल प्राइस (थोक मूल्यों) में अत्यधिक मुद्रास्फीति खुदरा कीमतों को प्रभावित करेगा और यह अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक हो सकती है। डब्ल्यूपीआई सरकार को मुद्रास्फीति के खिलाफ समय पर कार्रवाई करने में मदद करता है, विशेषकर आवश्यक कमोडिटीज की कीमतों में मुद्रास्फीति।

दूसरे, डब्ल्यूपीआई इंडेक्स का उपयोग अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों के लिए एक अपस्फीतिकारक के रूप में भी किया जाता है। जीडीपी वृद्धि के खिलाफ मुद्रास्फीति को समायोजित किए बिना, जीडीपी के आकार की स्पष्ट तस्वीर प्राप्त करना संभव नहीं है।

होलसेल प्राइस इंडेक्स (थोक मूल्य सूचकांक) का उपयोग व्यावसायिक अनुबंधों के सूचकांक के लिए किया जाता है। कमोडिटी ट्रेडर्स भविष्य के अनुबंधों के मूल्यांकन के लिए डब्ल्यूपीआई का उपयोग करते हैं। और अंत में, डब्ल्यूपीआई एक महत्वपूर्ण समष्टि अर्थशास्त्र संकेतक है, जिसे वैश्विक निवेशकों द्वारा निवेश निर्णयों के लिए ट्रैक किया जाता है।

डब्ल्यूपीआई इस तरह के एक महत्वपूर्ण आर्थिक मैट्रिक्स की गणना करती है और वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार और औद्योगिक नीति विभाग के कार्यालय द्वारा गणना और प्रकाशित की जाती है। वे मासिक आधार पर डेटा प्रकाशित करते हैं। इसे हेडलाइन मुद्रास्फीति दर भी कहा जाता है क्योंकि डब्ल्यूपीआई में महीने-दर-महीने वृद्धि अर्थव्यवस्था में बढ़ती मुद्रास्फीति का संकेत है।

अर्थव्यवस्था में होलसेल प्राइस (थोक मूल्य) संचलन का एक सटीक माप बनाने के लिए, डब्ल्यूपीआई को लगभग 700 वस्तुओं पर मापा जाता है, जो काफी विशाल कार्य है। डब्ल्यूपीआई इंडेक्स की गणना करने के लिए इसकी प्रक्रिया और कार्यप्रणाली से कुछ समझ लेता है।

डब्ल्यूपीआई की सटीकता बनाए रखने के लिए, कार्यक्षेत्र, अवधारणा और कार्यप्रणाली में नियमित बदलाव करना होता है। आधार वर्ष के हर पुनरीक्षण के साथ, सामान की टोकरी और उनके भार में भी परिवर्तन होता है। सामानों के डब्ल्यूपीआई टोकरी में विभिन्न उत्पादों का अलग-अलग भार होता है।

नवीनतम समायोजन में जब आधार वर्ष को 2011-12 में बदल दिया गया  था, 199 नई वस्तुएं जोड़ी  गए और 146 उत्पादों को हटा दिया गया। होलसेल प्राइस (थोक मूल्य) सूचकांक की गणना के लिए प्रत्येक वस्तु के कई मूल्य उद्धरण लिए जाते हैं।

नवीनतम समायोजन में, सूचकांक पर राजकोषीय नीति के प्रभाव को छोड़ने के लिए डब्ल्यूपीआई की गणना से करों को बाहर रखा गया था। उदाहरण के लिए, माल और सेवा कर के रोलआउट में संशोधन के कारण डब्ल्यूपीआई सूचकांक पर प्रभाव नहीं पड़ा।

डब्ल्यूपीआई बनाम सीपीआई

जब हम डब्ल्यूपीआई पर चर्चा कर रहे हैं, तो यह एक अच्छा विचार है कि अगर हम सीपीआई या कंस्यूमर प्राइस इंडेक्स (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) को भी जानें। डब्ल्यूपीआई की तरह, यह भी एक महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतक है जो उपभोक्ता मूल्य स्तर संचलन या खुदरा मूल्य संचलन को ग्रहण करता है।

कंस्यूमर प्राइस इंडेक्स (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) भी मुद्रास्फीति और अर्थव्यवस्था के समग्र स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण छंदशास्त्र है। डब्ल्यूपीआई और सीपीआई दोनों का उपयोग करके, सरकार विभिन्न नीतिगत उपायों को नियंत्रित करती है और आवश्यकतानुसार उन्हें समायोजित करती है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

क्वाड समिट

विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 सितंबर को वाशिंगटन में क्वाड लीडर्स समिट (Quad Leaders’ Summit) में भाग लेंगे।

मुख्य बिंदु

  • पीएम मोदी 25 सितंबर को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 76वें सत्र के उच्च स्तरीय खंड की बैठक को भी संबोधित करेंगे।
  • वह क्वाड फ्रेमवर्क के नेताओं के शिखर सम्मेलन में ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के अपने समकक्षों के साथ भाग लेंगे।

शिखर सम्मेलन का एजेंडा

  • ये नेता 12 मार्च को अपने पहले वर्चुअल शिखर सम्मेलन के बाद से हुई प्रगति की समीक्षा करेंगे और साझा हित के क्षेत्रीय मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे।
  • वे महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों, कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे, समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, मानवीय सहायता, जलवायु परिवर्तन, आपदा राहत और शिक्षा जैसे समकालीन वैश्विक मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।
  • यह शिखर सम्मेलन इन नेताओं के बीच संवाद और बातचीत के लिए मूल्यवान अवसर भी प्रदान करेगा।
  • वे स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिन्द-प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने के साझा दृष्टिकोण पर संवाद साझा करेंगे।
  • ‘क्वाड वैक्सीन पहल’ (QUAD Vaccine initiative) के तहत हुई प्रगति की भी समीक्षा की जाएगी।

पृष्ठभूमि

मार्च 2021 में QUAD की बैठक में, उन्होंने Covid-19 महामारी को रोकने के लिए QUAD वैक्सीन पहल के लिए प्रयास शुरू किए थे।

QUAD (Quadrilateral Dialogue)

क्वाड का गठन 2007 में चार देशों – अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया को मिलाकर किया गया था। QUAD देश नियमित रूप से मंत्रिस्तरीय स्तरों पर मिलते हैं और मुक्त, खुले और समावेशी हिन्द-प्रशांत के साथ-साथ नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था सुनिश्चित करने जैसे पारस्परिक हितों पर चर्चा करते हैं।

SOURCE-G.K TODAY

PAPER-G.S.2

 

भूपेंद्र पटेल

भूपेंद्र पटेल ने 13 सितंबर, 2021 को गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।

मुख्य बिंदु

  • राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने गांधीनगर के राजभवन में उन्हें शपथ दिलाई।
  • उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक दल के नेता के रूप में चुने जाने के एक दिन बाद शपथ ली।

भूपेंद्र पटेल (Bhupendra Patel)

वह एक राजनीतिज्ञ, गुजरात के मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं। वह गुजरात विधान सभा के सदस्य हैं और घाटलोदिया निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनका जन्म जुलाई, 1962 में अहमदाबाद के एक गुजराती कदवा पाटीदार परिवार में हुआ था। उन्होंने गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक, अहमदाबाद से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा पूरा किया। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़े रहे हैं। वह पेशे से बिल्डर और सरदारधाम विश्व पाटीदार केंद्र के ट्रस्टी हैं। वह विश्व उमिया फाउंडेशन की स्थायी समिति के अध्यक्ष भी हैं।

गुजरात के मुख्यमंत्री

11 सितंबर, 2021 को विजय रूपानी के पद से इस्तीफा देने के बाद भूपेंद्र पटेल 13 सितंबर को गुजरात के मुख्यमंत्री बने। उन्हें 12 सितंबर, 2021 को भाजपा विधायक दल के नेता के साथ-साथ गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया था।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.1 PRE

 

हवा से कार्बन डाइऑक्साइड सोखने वाला दुनिया का सबसे बड़ा प्लांट आइसलैंड में शुरू किया गया

दुनिया का सबसे बड़ा संयंत्र जिसे हवा से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) सोखने और इसे चट्टान में बदलने के लिए डिज़ाइन किया गया है, हाल ही में आइसलैंड में शुरू किया गया।

मुख्य बिंदु

  • आइसलैंडिक शब्द “ओर्का” के नाम पर इस प्लांट का नाम ओर्का रखा गया है, जिसका अर्थ है ‘ऊर्जा’।
  • इस संयंत्र में चार इकाइयां शामिल हैं। प्रत्येक इकाई दो धातु के बक्से से बनी होती है। वे दिखने में समुद्री परिवहन के लिए उपयोग किए जाने वाले कंटेनरों के समान हैं।

संयंत्र का निर्माण किसने किया?

ओर्का प्लांट का निर्माण स्विट्जरलैंड के क्लाइम वर्क्स और आइसलैंड के कार्बफिक्स द्वारा किया गया है।

संयंत्र की क्षमता

जब संयंत्र अपनी पूरी क्षमता से काम करेगा, तो यह हर साल 4,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) हवा से सोखेगा। अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के अनुसार, यह राशि लगभग 870 कारों से होने वाले उत्सर्जन के बराबर है।

CO2 कैसे एकत्र किया जाएगा?

CO2 को इकट्ठा करने के लिए, ओर्का प्लांट पंखे का उपयोग कलेक्टर में हवा खींचने के लिए करता है जिसमें अंदर फिल्टर सामग्री होती है। एक बार जब फिल्टर सामग्री कार्बन डाइऑक्साइड से भर जाती है, तो कलेक्टर को बंद कर दिया जाता है और सामग्री से कार्बन डाइऑक्साइड को मुक्त करने के लिए तापमान बढ़ाया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद, अत्यधिक केंद्रित गैस एकत्र की जा सकती है। एकत्रित CO2 को पानी के साथ मिश्रित किया जाता है और इसे एक प्रकार की चट्टान में परिवर्तित किया जाता है।

महत्व

ये प्रौद्योगिकियां जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई की दिशा में एक प्रमुख उपकरण बन सकती हैं।

SOURCE-THE HINDU

PAPER-G.S.1

Any Doubts ? Connect With Us.

Join Our Channels

For Latest Updates & Daily Current Affairs

Related Links

Connect With US Socially

Request Callback

Fill out the form, and we will be in touch shortly.

Call Now Button