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Current Affair 15 March 2021

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Current Affairs – 15 March, 2021

भारत बहुपक्षीय लोकतांत्रिक वैश्विक प्रणाली का पक्षधर है : उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज इस बात पर जोर दिया कि भारत बहुपक्षीय लोकतांत्रिक वैश्विक व्यवस्था का पक्षधर है।

अपने उपराष्ट्रपति निवास पर अंतर-संसदीय संघ (आईपीयू) के अध्यक्ष, श्री दुआर्ते पचेको से मुलाकात के दौरान उपराष्ट्रपति ने विकास की लोकतांत्रिक और समावेशी प्रणाली के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया। भारत की यह प्रतिबद्धता उसके द्वारा विश्व भर के अनेक देशों को कोविड-19 के विरुद्ध वैक्सीन उपलब्ध कराए जाने में परिलक्षित भी हुई है।

उन्होंने कहा कि भारत ने 154 से अधिक देशों को कोविड-19 से संबंधित दवा और अन्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सकीय सहायता प्रदान की है तथा भारत के रैपिड रिस्पॉन्स दल कई देशों में तैनात भी हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी आपदाओं की स्थिति में भारत ने सदैव अपनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का निर्वहन किया है। अधिक से अधिक लोगों का जीवन बचाना, यही हमारा लक्ष्य रहा है।

उन्होंने कहा कि भारत 1949 से ही आईपीयू में सक्रिय भूमिका निभाता रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आईपीयू लोकतांत्रिक शासन पद्धति को और समृद्ध एवं दृढ़ करने की दिशा में काम करेगा। श्री नायडू ने कहा कि आईपीयू को द्विपक्षीय मुद्दों को उठाने से बचना चाहिए।

विश्व शांति में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए श्री नायडू ने कहा कि शांति और लोकतंत्र आधुनिक समाज के दो महत्वपूर्ण आधार हैं। विश्व भर में अतिवादी संगठनों द्वारा की जा रही हिंसा पर चिंता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने इसे शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि सभी देशों के समावेशी और सतत विकास के लिए शांति एक जरूरी शर्त है।

SOURCE-PIB

 

उस्ताद गुरु चेमांचेरि कुन्हीरमण नायर के निधन

कथकली नर्तक गुरु चेमांचेरी कुन्हीरमण नायर का सोमवार को तड़के कोइलांडी के चेलिया में उनके आवास पर निधन हो गया। वह 105 वर्ष के थे।

नायर को कथकली नृत्य विधा में उनके अतुलनीय योगदान के लिए 2017 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

जब वह भगवान कृष्ण और कुचेला का मंच पर चित्रण करते थे, तो दर्शक उनकी बेहतरीन प्रस्तुति देखकर मंत्रमुग्ध हो जाया करते थे। उन्होंने 100 साल की आयु में आखिरी बार सार्वजनिक प्रस्तुति दी थी।

नायर ने गुरु करुणाकरण मेनन की कथकली नृत्य मंडली में शामिल होने के लिए 14 साल की आयु में घर छोड़ दिया था। नायर के लिए आयु कभी कथकली करने में बाधक नहीं बनी और उन्होंने करीब नौ दशक तक नृत्य किया। उन्हें कथकली की ‘कल्लाडिकोडन’ शैली में महारथ हासिल थी।

उन्होंने वर्षों के अभ्यास और कड़ी मेहनत के बाद भारतीय नाट्यकलालयम की 1945 में स्थापना की, जो उत्तर केरल में स्थापित किया गया नृत्य का पहला स्कूल है। इसके बाद उन्होंने यहां से करीब 30 किलोमीटर दूर अपने मूल गांव में चेलिया कथकली विद्यालयम समेत कई नृत्य स्कूलों की स्थापना की।

नायर को केरल संगीत नाट्य अकादमी और केरल कलामंडलम समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

चाडयनकांडी चातुकुट्टी नायर और किनात्तिनकरा कुन्हमनकुट्टी अम्मा के घर 16 जून, 1916 को जन्मे नायर ने 1930 में कीझपायुर कुनियिल परादेवता मंदिर में अपनी पहली प्रस्तुति दी थी, जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

SOURCE-PIB

 

न्याय विभाग ने टेली लॉ के संबंध में वॉयस ऑफ द बेनिफिशरीज़के रूप में लाभार्थियों की अपेक्षाओं
और अनुभवों के संकलन का दूसरा संस्करण जारी किया

न्याय विभाग ने “आज़ादी का अमृत महोत्सव” का आगाज करते हुए 12 मार्च, 2021 को टेली लॉ पर “वॉयस ऑफ द बेनिफिशरीज़” का दूसरा संस्करण जारी किया।

केन्द्रीय विधि और न्याय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद ने इसकी  प्रस्तावना में कहा है कि न्याय विभाग की ओर से शुरू किया गया टेली लॉ कार्यक्रम पूरी तरह से महात्मा गांधी की उस सोच के अनुरूप है जिसके तहत वह चाहते थे कि “हर आंख का आंसू पोंछा जाना चाहिए”। उन्होंने कहा कि टेली लॉ गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों को मुकदमों के शुरुआती चरण में मुफ्त रूप से कानूनी सहायता उपलब्ध कराने का एक सशक्त तंत्र है।

टेली-लॉ कार्यक्रम वर्तमान में 27 राज्यों और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख जैसे दो केन्द्र शासित प्रदेशों के 285 जिलों (115 आकांक्षी जिलों सहित) में 29,860 कॉमन सर्विस सेंटरों (सीएससी) के माध्यम से चलाया जा रहा है। यह कार्यक्रम सीएससी में उपलब्ध ई-इंटरफेस प्लेटफॉर्म के माध्यम से जरूरतमंद और वंचित लोगों को वकीलों के पैनल से जोड़ता है। टेली-लॉ के माध्यम से अबतक 6 लाख 70 हजार से अधिक लाभार्थियों को फायदा हुआ है। इसमें सालाना स्तर पर और विशेषकर कोविड के समय में 331 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

ई-पुस्तक के रूप में संकलित “वॉयस ऑफ द बेनिफिशरीज़” दरअसल टेली लॉ कार्यक्रम से उम्मीद रखने वाले तथा इससे लाभ उठा चुके लाभार्थियों की अपेक्षाओं और अनुभवों को संकलित करने का न्याय विभाग का एक प्रयास है। ये एक ऐसी मजबूत अंतर्दृष्टि और मानवीय प्रतिक्रिया तंत्र को दर्शाता है जो सबको न्याय दिलाने की प्रक्रिया की सोच के साथ कार्यक्रम में निहित है। इस संकलन में अन्याय से लड़ने, संपत्ति विवादों के समाधान, कोविड से परेशान लोगों को राहत, सूचनाओं के साथ लोगों को सशक्त बनाने, प्रक्रियागत बाधाओं को दूर करने और पारिवारिक विवादों के समाधान जैसे छह क्षेत्रों में कानूनी सलाह उपलब्ध कराने की सुविधा दी गई है।इस कार्यक्रम के माध्यम से लाभार्थियों को सौहार्दपूर्ण रूप से तनावपूर्ण वैवाहिक संबंधों को सुलझाने में सहायता करने; दुष्कर्म के मामलों में मुआवजे का दावा करने, बाल विवाह के खिलाफ कानूनी लड़ाई को आसान बनाने; सरकारी योजनाओं का लाभ लेने, भविष्य निधि के तहत पात्रता प्राप्त करने; गैरकानूनी अतिक्रमण के मामलों के समाधान,  संपत्ति विवादों को हल करने और ई- कोर्ट्स ऐप आदि के तहत एफआईआर या ट्रैकिंग के मामले को दर्ज करने के बारे में मदद हासिल करने की सुविधा दी गई है। टेली लॉ कार्यक्रम कानूनी वालंटियर्स, ग्रामीण स्तर के प्रतिनिधियों और वकीलों के पैनल के माध्यम से व्यापक लोकसंपर्क के जरिए आखिरी व्यक्ति तक कानूनी मदद पहुंचाने का काम कर रहा है।

SOURCE-PIB

 

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग

केंद्र ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को भंग कर दिया है।

केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) और इसके आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिये वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग गठित करने हेतु एक अध्यादेश अधिसूचित किया है।

दिल्ली और इसके आस-पास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण सबसे प्रमुख चिंता का विषय बना हुआ है। यही कारण है कि वायु प्रदूषण के कारणों जैसे- पराली जलाना, गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण, शहरी विनिर्माण संबंधी प्रदूषण आदि की निगरानी, उनसे निपटने और समाप्त करने के लिये एक समेकित दृष्टिकोण अपनाना तथा उसे लागू करना काफी महत्त्वपूर्ण हो गया था।

अब तक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और इसके आस-पास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की निगरानी और प्रबंधन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम एवं नियंत्रण) प्राधिकरण (EPCA) जैसे अलग-अलग निकायों द्वारा किया जा रहा था।

इसके कारण प्रदूषण से निपटने का कार्य और भी चुनौतीपूर्ण तथा अव्यवस्थित हो गया था, ऐसे में लंबे समय से एक ऐसे निकाय के गठन पर विचार किया जा रहा था, जो इस पूरी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित कर सके।

हालिया अध्यादेश में वायु प्रदूषण से संबंधित सभी निकायों को समेकित कर एक अतिव्यापी निकाय बनाने की परिकल्पना की गई है, जिससे वायु गुणवत्ता का प्रबंधन अधिक व्यापक, कुशल और समयबद्ध तरीके से किया जा सकेगा।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग

चर्चा में क्यों?

केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) और इसके आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिये वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग गठित करने हेतु एक अध्यादेश अधिसूचित किया है।

प्रमुख बिंदु

केंद्र सरकार के इस अध्यादेश के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर गठित ‘पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम एवं नियंत्रण) प्राधिकरण’ (EPCA) तथा इस विषय से संबंधित अन्य सभी समितियों को विघटित कर दिया गया है।

इन पूर्व की समितियों को विघटित करने का मुख्य उद्देश्य दिल्ली और आस-पास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिये सभी सुव्यवस्थित प्रयास करना और जनभागीदारी को कारगर बनाना है।

कारण

दिल्ली और इसके आस-पास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण सबसे प्रमुख चिंता का विषय बना हुआ है। यही कारण है कि वायु प्रदूषण के कारणों जैसे- पराली जलाना, गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण, शहरी विनिर्माण संबंधी प्रदूषण आदि की निगरानी, उनसे निपटने और समाप्त करने के लिये एक समेकित दृष्टिकोण अपनाना तथा उसे लागू करना काफी महत्त्वपूर्ण हो गया था।

अब तक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और इसके आस-पास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की निगरानी और प्रबंधन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम एवं नियंत्रण) प्राधिकरण (EPCA) जैसे अलग-अलग निकायों द्वारा किया जा रहा था।

इसके कारण प्रदूषण से निपटने का कार्य और भी चुनौतीपूर्ण तथा अव्यवस्थित हो गया था, ऐसे में लंबे समय से एक ऐसे निकाय के गठन पर विचार किया जा रहा था, जो इस पूरी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित कर सके।

हालिया अध्यादेश में वायु प्रदूषण से संबंधित सभी निकायों को समेकित कर एक अतिव्यापी निकाय बनाने की परिकल्पना की गई है, जिससे वायु गुणवत्ता का प्रबंधन अधिक व्यापक, कुशल और समयबद्ध तरीके से किया जा सकेगा।

आयोग की संरचना

सात सदस्यों वाले पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम एवं नियंत्रण) प्राधिकरण (EPCA) के विपरीत सरकार द्वारा गठित नए आयोग में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष समेत कुल 18 सदस्य होंगे। साथ ही इस आयोग में भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों के तौर पर ‘एसोसिएट सदस्य’ तथा एक पूर्णकालिक सचिव को भी शामिल किया जाएगा, जो कि मुख्य समन्वय अधिकारी के तौर पर कार्य करेगा।

ध्यातव्य है कि इस आयोग का अध्यक्ष या तो भारत सरकार में सचिव स्तर का अधिकारी होगा या फिर राज्य सरकार में मुख्य सचिव स्तर का अधिकारी होगा और इसका कार्यकाल तीन वर्ष का होगा तथा कार्यकाल की समाप्ति के बाद उसे पुनः नियुक्त किया जा सकेगा।

केंद्रीय मंत्रालयों के प्रतिनिधियों के अलावा इस आयोग में पाँच राज्यों (पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), नीति आयोग, प्रदूषण विशेषज्ञ, संस्थानों और गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा।

इस तरह से आयोग आसानी से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के साथ समन्वय स्थापित कर सकेगा तथा इन राज्यों में वायु प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण एवं उन्मूलन संबंधी कार्यक्रमों के क्रियान्वयन की निगरानी कर सकेगा।

SOURCE-INDIAN EXPRESS

 

इंडेक्स मॉनिटरिंग सेल (आईएमसी)

2020 में सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा स्थापित।

इसका काम वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की रैंकिंग में सुधार करना और मीडिया की स्वतंत्रता को कम करने के लिए एक उद्देश्य यार्डस्टिक को विकसित करना है।

समूह राज्यों को प्रेस स्वतंत्रता की अपनी रैंकिंग के साथ आने के लिए एक तंत्र भी रखेगा।

IMC की संरचना :

इसमें प्रेस सूचना ब्यूरो के महानिदेशक, भारत के समाचार पत्रों के रजिस्ट्रार के अधिकारी, आउटरीच और संचार ब्यूरो और प्रेस सुविधा इकाई से भारतीय प्रेस परिषद के सचिव और नीती आयोग के अलावा शामिल होंगे।

रिपोर्ट की सिफारिशें

प्रमुख सिफारिशों में मानहानि का गैर अपराधीकरण है। भारत दुनिया के उन कुछ देशों में से एक है, जहाँ मानहानि का अपराधीकरण किया गया है।

पैनल ने यह भी सिफारिश की है कि मीडिया या प्रकाशन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की सहमति होना जरूरी है।

प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक :

पेरिस स्थित रिपोर्टर्स सेन्स फ्रंटियर्स (RSF), या रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स, एक गैर-लाभकारी संगठन, जो दुनिया भर के पत्रकारों पर हमले के लिए दस्तावेज़ बनाने का काम करता है, 22 अप्रैल को प्रकाशित अपनी वार्षिक प्रेस फ्रीडम इंडेक्स रिपोर्ट में 180 में से 142 देशों को भारत का स्थान दिया गया। 2020।

इन रैंकिंग के लिए जिन मापदंडों का मूल्यांकन किया जाता है, उनमें बहुलवाद, मीडिया स्वतंत्रता, पर्यावरण और स्व-सेंसरशिप, कानूनी ढांचा, दूसरों के लिए पारदर्शिता शामिल हैं।

SOURCE-THE HINDU

 

लाचित बरफूकन

17 वीं शताब्दी के अहोम जनरल लाचित बरफूकन को स्वतंत्रता सेनानी के रूप में संदर्भित करने के लिए असम में विपक्षी दलों ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की निंदा की है।

सम के लोग तीन महान व्यक्तियों का बहुत सम्मान करते हैं। प्रथम, श्रीमंत शंकर देव, जो पन्द्रवीं शताब्दी में वैष्णव धर्म के महान प्रवत्र्तक थे। दूसरे, लाचित बरफूकन, जो असम के सबसे वीर सैनिक माने जाते हैं और तीसरे, लोकप्रिय गोपी नाथ बारदोलोई, जो स्वतन्त्रता संघर्ष के दौरान अग्रणी नेता थे।

लाचित बरफूकन ‘अहोम साम्राज्य’ के एक सेनापति थे। उनको 1671 में हुई सराईघाट की लड़ाई में उनकी नेतृत्व-क्षमता के लिए जाना जाता है। इस लड़ाई में उन्होंने रामसिंह प्रथम के नेतृत्व वाली मुग़ल सेनाओं के कामरूप पर अधिकार करने के प्रयास को विफल कर दिया था। इससे औरंगज़ेब का पूरे भारत पर राज करने का सपना अधूरा रह गया था। औरंगज़ेब चाहता था कि उसका साम्राज्य पूरे भारत के ऊपर हो लेकिन भारत के उत्तर-पूर्वी हिस्से तक वह नहीं पहुँच पा रहा था। औरंगज़ेब ने अपने साम्राज्य के विस्तार के लिए एक विशाल सेना असम पर आक्रमण करने के लिए भेजी थी। औरंगजेब ने इस इस हमले के लिए एक राजपूत राजा को भेजा था। उस समय असम का नाम अहोम था। राजा राम सिंह अहोम को जीतने के लिए विशाल सेना लेकर निकला था।

अहोम राज के सेनापति का नाम था लाचित बरफूकन था। इस नाम से उस समय लगभग सभी लोग वाकिफ थे। पहले भी कई बार लोगों ने अहोम पर हमले किये थे जिसे इसी सेनापति ने नाकाम कर दिए थे। जब लचित को मुगल सेना आने की खबर हुई तो उसने अपनी पूरी सेना को ब्रह्मपुत्र नदी के पास खड़ा कर दिया था।

कुछ इतिहासकार अपनी पुस्तकों में लिखते हैं कि लाचित बोरफूकन (बरफुकन – बोरपूकन, नाम को लेकर आज भी थोड़ा रहस्य है) अपने इलाके को अच्छी तरह से जानता था। वह ब्रह्मपुत्र नदी को अपनी माँ मानता था। असल में अहोम पर हमला करने के लिए सभी को इस नदी से होकर आना पड़ता था और एक तरफ (जिस तरफ लाचित की सेना होती थी) का भाग ऊँचाई पर था और जब तक दुश्मन की सेना नदी पार करती थी, तब तक उसके आधे सैनिक मारे जा चुके होते थे। यही कारण था कि कोई भी अहोम पर कब्जा नहीं कर पा रहा था।

यह युद्ध सरायघाट के नाम से जाना जाता है। लाचित बरफूकन की सेना के पास बहुत ही कम और सीमित संसाधन थ। सामने से लाखों लोगों की सेना आ रही थी किन्तु लचित बरफूकन की सेना का मनोबल सातवें आसमान पर था। जैसे ही सेना आई तो कहा जाता है कि लाचित के एक-एक सैनिक ने औरंगजेब के कई सौ सैनिकों को मारा था। जब सामने वालों ने लाचित बरफूकन के सैनिकों का मनोबल देखा तो सभी में भगदड़ मच गयी थी।

इस युद्ध के बाद फिर कभी उत्तर-पूर्वी भारत पर किसी ने हमला करने का सपने में भी नहीं सोचा। खासकर औरंगजेब को लाचित बरफूकन की ताकत का अंदाजा हो गया था। मुगल सेना की भारी पराजय हुई। लाचित ने युद्ध तो जीत लिया पर अपनी बीमारी को मात नहीं दे सके। आखिर सन् 1672 में उनका देहांत हो गया। भारतीय इतिहास लिखने वालों ने इस वीर की भले ही उपेक्षा की हो, पर असम के इतिहास और लोकगीतों में यह चरित्र मराठा वीर शिवाजी की तरह अमर है।

SOURCE-THE HINDU AND https://www.bhartiyadharohar.com/

 

एईजी 12

अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) के वैज्ञानिकों और उनके सहयोगियों के अनुसार, AEG12 नामक एक मच्छर प्रोटीन, वायरस के परिवार को रोकता है जो पीले बुखार, डेंगू, वेस्ट नाइल और जीका का कारण बनता है, और कोरोनविर्यूस को भी कमजोर करता है।

मच्छर प्रोटीन AEG12 दृढ़ता से वायरस के परिवार को रोकता है जो पीले बुखार, डेंगू, वेस्ट नाइल और जीका का कारण बनता है और कोरोनविर्यूस को कमजोर करता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि AEG12 वायरल लिफाफे को अस्थिर करके, उसके सुरक्षात्मक आवरण को तोड़कर काम करता है। हालांकि प्रोटीन उन वायरस को प्रभावित नहीं करता है जिनके पास एक लिफाफा नहीं होता है, जैसे कि जो गुलाबी आंख और मूत्राशय में संक्रमण का कारण बनते हैं, निष्कर्ष उन वायरस के खिलाफ चिकित्सीय हो सकते हैं जो दुनिया भर के लाखों लोगों को प्रभावित करते हैं

AEG12 flaviviruses, Zika, West Nile, और अन्य लोगों के वायरस के परिवार के खिलाफ सबसे प्रभावी था, यह संभव है कि AEG12 SARS-CoV-2 के खिलाफ प्रभावी हो सकता है, कोरोनोवायरस COVID-19 का कारण बनता है।

च्छर AEG12 का उत्पादन करते हैं जब वे रक्त भोजन लेते हैं या फ्लेविविरस से संक्रमित हो जाते हैं। मनुष्यों की तरह, मच्छर इन वायरसों के खिलाफ जोरदार प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को माउंट करते हैं, जिससे AEG12 उनके वायरल कवर को फोड़ देता है। लेकिन, परियोजना की शुरुआत में, फू और उनके सहयोगियों को AEG12 के कार्य के बारे में बहुत कम पता था।

SOURCE-INDIAN EXPRESS

 

उत्तर प्रदेश में काला नमक चावल महोत्सवका आयोजन किया गया

उत्तर प्रदेश सरकार ने सिद्धार्थ नगर जिले में तीन दिवसीय “काला नमक चावल महोत्सव” का आयोजन किया। यह उत्सव 13 मार्च, 2021 से शुरू हुआ। यह उत्सव “झाँसी में स्ट्रॉबेरी महोत्सव” और “लखनऊ में गुड़ महोत्सव” की शानदार सफलता के बाद आयोजित किया जा रहा है।

मुख्य बिंदु

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने और किसानों के लिए आय के नए अवसर पैदा करने के लिए जोर दिया है। इस उत्सव का उद्घाटन लगभग 13 मार्च को किया गया था।

महोत्सव के बारे में

इस चावल महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ और ‘लोकल फॉर वोकल’ अभियान के तहत चयनित उत्पादों को ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ (ODOP) के रूप में बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। काला नमक चावल इस क्षेत्र में उगाया जाता है और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों का वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट है। इस प्रकार, त्योहार में शामिल होने वाले लोग काला नमक चावल से बने व्यंजनों का स्वाद ले सकेंगे। वे इन स्टालों से काला नमक धान के बीज और चावल खरीद सकते हैं।

सांस्कृतिक कार्यक्रम

यह महोत्सव रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों को भी चिह्नित करेगा जिसमें स्थानीय कलाकार और छात्र अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं। यह कार्यक्रम प्रगतिशील किसानों, एफपीओ और स्वयं सहायता समूहों को उत्पाद की खेती और प्रसंस्करण के संबंध में जानकारी प्रदान करेगा।

काला नमक चावल

इस चावल को बुद्ध चावल भी कहा जाता है।

यह भारत में उगाए जाने वाले सुगंधित चावल की बेहतरीन किस्मों में से एक है।

चावल को ‘बुद्ध का महाप्रसाद’ भी कहा जाता है।

मुख्य रूप से देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, गोंडा, महाराजगंज, सिद्धार्थ नगर, बलरामपुर, संत कबीर नगर, बहराइच, श्रावस्ती में इसकी खेती की जाती है।

SOURCE-G.K.TODAY

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