Current Affairs – 15 September, 2021
संसद टीवी का शुभारम्भ
उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति श्री वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला ने आज अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस के अवसर पर संयुक्त रूप से संसद टीवी का शुभारम्भ किया।
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने तेजी से बदलते दौर के साथ संसद से जुड़े चैनल में बदलाव की सराहना की। उन्होंने कहा, यह तब और भी अहम हो जाता है जब 21वीं सदी संवाद और संचार के माध्यम से क्रांति ला रही है। प्रधानमंत्री ने संसद टीवी के शुभारम्भ को भारतीय लोकतंत्र के इतिहास की कहानी में एक नया अध्याय बताया, क्योंकि संसद टीवी के रूप में देश को संचार और संवाद का एक माध्यम मिलने जा रहा है जो राष्ट्र के लोकतंत्र और लोगों के प्रतिनिधि की एक नई आवाज बन जाएगा। प्रधानमंत्री ने दूरदर्शन को अपनी स्थापना के 62 वर्ष पूर्ण करने के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने इंजीनियर दिवस के अवसर पर सभी इंजीनियरों को भी शुभकामनाएं दीं।
आज अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस को भी ध्यान में रखते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि जब लोकतंत्र की बात आती है तो भारत की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है, क्योंकि भारत लोकतंत्र की जननी है। भारत के लिए लोकतंत्र सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, यह एक विचार है। भारत में लोकतंत्र सिर्फ एक संवैधानिक स्ट्रक्चर नहीं, बल्कि एक स्पिरिट है। भारत में लोकतंत्र, सिर्फ संविधानों की धाराओं का संग्रह ही नहीं है, ये तो हमारी जीवन धारा है।
प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता के 75 वर्ष के संदर्भ में मीडिया की भूमिका को रेखांकित किया, जब अतीत का गौरव और भविष्य के प्रति भरोसा दोनों हमारे सामने हैं। उन्होंने कहा कि जब मीडिया स्वच्छ भारत अभियान जैसे मुद्दों को उठाता है तो यह लोगों तक तेज गति से पहुंचता है। उन्होंने सुझाव दिया कि मीडिया स्वतंत्रता संग्राम के 75 एपिसोड की योजना बनाकर या इस अवसर पर विशेष सप्लीमेंट लाकर आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान लोगों के प्रयासों के प्रसार में एक भूमिका निभा सकता है।
कंटेंट के महत्व पर बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, जब ‘कंटेंट इज किंग’ कहा जाता है तो उनके अनुभव में ‘कंटेंट इज कनेक्ट’ है। उन्होंने विस्तार से बताते हुए कहा, जब किसी के पास बेहतर कंटेंट होता है तो लोग स्वतः ही उसके साथ जुड़ते जाते हैं। यह बात जितनी मीडिया पर लागू होती है, उतनी ही हमारी संसदीय व्यवस्था पर भी लागू होती है क्योंकि संसद में सिर्फ राजनीति नहीं होती है, नीति भी बनती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आम जनता को संसद की कार्यवाही के साथ जुड़ाव महसूस करना चाहिए। उन्होंने कहा कि नया चैनल इस दिशा में काम करता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, जब संसद में सत्र होता है, विभिन्न विषयों पर चर्चा होती है तो उसमें युवाओं के सीखने के लिए काफी कुछ होता है। हमारे माननीय सदस्यों को भी जब पता होता है कि देश उन्हें देख रहा है तो उन्हें भी संसद के भीतर बेहतर आचरण की, बेहतर बहस की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने नागरिकों के कर्तव्यों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत पर भी जोर दिया और कहा कि इस संबंध में जागरूकता के लिए मीडिया एक प्रभावी माध्यम है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन कार्यक्रमों से, हमारे युवाओं को हमारे लोकतांत्रिक संस्थानों, उनके कामकाज के साथ ही नागरिक कर्तव्यों के बारे में सीखने के लिए काफी कुछ मिलेगा। इसी प्रकार, कार्यकारी समितियों, विधायी कार्य के महत्व और विधायिकाओं के कार्य के बारे में पर्याप्त जानकारी होगी, जिससे गहनता के साथ भारत के लोकतंत्र को समझने में सहायता मिलेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि संसद टीवी में जमीनी लोकतंत्र के रूप में पंचायतों के कामकाज पर कार्यक्रम बनाए जाएंगे। ये कार्यक्रम भारत के लोकतंत्र को एक नई ऊर्जा, एक नई चेतना देंगे।
15 सितंबर : अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस
अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस (International Day of Democracy) हर साल 15 सितंबर को विश्व स्तर पर मनाया जाता है। यह लोकतंत्र के सिद्धांतों को बढ़ावा देने और बनाए रखने और दुनिया में लोकतंत्र की स्थिति की समीक्षा करने का अवसर प्रदान करने के लिए 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा पारित एक प्रस्ताव के माध्यम से स्थापित किया गया था।
2021 के अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस का विषय “भविष्य के संकटों का सामना करने में लोकतांत्रिक लचीलापन को मजबूत करना (Strengthening democratic resilience in the face of future crises)” है।
दिन का इतिहास :
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2007 में एक प्रस्ताव के माध्यम से लोकतंत्र को बढ़ावा देने और मजबूत करने के लिए समर्पित राष्ट्रीय कार्यक्रमों को मजबूत करने के लिए इस दिवस की घोषणा की गई थी। यह दिन पहली बार 2008 में मनाया गया था। लोकतंत्र एक लक्ष्य के रूप में एक प्रक्रिया है, और केवल अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, राष्ट्रीय शासी निकायों, नागरिक समाज और व्यक्तियों की पूर्ण भागीदारी और समर्थन से ही लोकतंत्र का आदर्श बन सकता है। हर जगह, हर किसी के द्वारा आनंदित होने के लिए एक वास्तविकता में बनाया गया।
SOURCE-PIB
PAPERE- G.S.2
इंजीनियर्स डे (अभियंता दिवस)
आज के वक्त में दुनियाँ के हर क्षेत्र में इंजिनियर का नाम हैं। दुनियाँ की प्रगति में इंजिनियर का हाथ हैं फिर चाहे वो कोई भी फील्ड हो। तकनिकी ज्ञान के बढ़ने के साथ ही किसी भी देश का विकास होता हैं। इससे समाज के दृष्टिकोण में भी बदलाव आता हैं। इस तरह पिछले दशक की तुलना में इस दशक में दुनियाँ का विकास बहुत तेजी से हुआ इसका श्रेय दुनियाँ के इंजिनियर को जाता हैं। उन्हें ही सम्मान देने के उद्देश्य के साथ इंजीनियर्स डे मनाया जाता है। आइये इस लेख में हम आपको इस दिन को मनाने के बारे में जानकारी देते हैं।
इंजीनियर्स डे (अभियन्ता दिवस) (Engineer’s Day in Hindi)
इसके उदाहरण के लिये अगर हम अपने हाथ में रखे स्मार्ट फोन को ही देखे और पीछे मुड़कर इसके इतिहास को याद करे, तो हमें होने वाले बदलावों का अहसास हो जाता हैं। अभी से लगभग 15 वर्ष पहले एक टेलीफोन की जगह लोगों के हाथों में मोबाइल फोन आये थे, जिसमें वो कॉल और एस एम एस के जरिये अपनों के और भी करीब हो गये। वहीं कुछ वक्त बीतने पर यह मोबाइल फोन, स्मार्ट फ़ोन में बदल गया। कल तक अपने करीब आये थे। आज दुनियाँ मुट्ठी में आ गई। अपनों से बात करने से लेकर बिल भरना, शॉपिंग करना, बैंक के काम आदि कई काम एक स्मार्ट फोन के जरिये संभव हो पाये। और ऐसे परिवर्तन हर कुछ मिनिट में बदलकर और बेहतर रूप लेते जा रहे हैं, इस तरह के विकास का श्रेय इंजिनियर्स को जाता हैं। यह तो केवल एक उदाहरण था। ऐसे कई क्षेत्र हैं जहाँ इंजिनियर ने अपने करतब दिखाये हैं और दुनियाँ को एक जगह पर बैठे-बैठे आसमान तक की सैर करवाई हैं।
इंजीनियर्स डे कब मनाया जाता है (Engineers Day Date)
अभियन्ता दिवस (इंजीनियर्स डे) 15 सितम्बर को मनाया जाता हैं। यह दिन मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म दिवस हैं, जो कि एक महान इंजिनियर थे, इसलिए उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए इस दिन को इंजीनियर्स डे के नाम पर समर्पित किया गया। इन्हें एक अच्छे इंजिनियर के तौर पर सफलतम कार्य करने हेतु 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। इंजिनियर डे के द्वारा दुनिया के समस्त इंजिनियरों को सम्मान दिया जाता है। देश के बड़े बड़े वैज्ञानिक, इंजिनियर ने देश के विकास के लिए अनेकों अनुसन्धान किये। जैसे डॉक्टर को सम्मान देने के लिए डॉक्टर्स डे मनाया जाता है, टीचरों को सम्मान देने के लिए टीचर डे मनाया जाता है, बच्चों को सम्मान देने के लिए बाल दिवस मनाया जाता है, माता को सम्मान देने के लिए मदर्स डे मनाया जाता है, उसी तरह इंजिनियरों को भी एक दिन विशेष सम्मान दिया जाता है।
क्यों मनाया जाता है इंजीनियर दिवस (Why We Celebrate Engineer’s Day)
इंजीनियर दिवस हमारे देश के प्रसिद्ध इंजीनियर सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के याद में मनाया जाता है और ये दिन मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के बर्थड़े के दिन आता है।
इन दिन को मनाने का लक्ष्य हमारे देश के युवाओं को इंजीनियरिंग के करियर के प्रति प्रेरित करना है और जिन इंजीनियरों ने हमारे देश के उत्थान में अपना योगदान दिया गया है उनकी सराहना करना है।
साल 2021 का इंजीनियर दिवस (Engineer’s Day 2021 Date)
साल 2021 में इंजीनियर दिवस पर हम मोक्षगुंडम विश्वेश्या का 160 वा जन्म दिवस समारोह मनाया जाना है, और इस दिन को लेकर कई इंजीनियरिंग कॉलेजों द्वारा कई प्रकार के कार्यक्रम किए जाने हैं। हालांकि पिछले साल से कोरोना महामारी के चलते स्कूल एवं कॉलेज बंद होने के कारण इस दिन का सेलिब्रेशन नहीं हो पाया है। किन्तु इस साल उम्मीद की जा रही है। कि इस साल 160 वां जन्म दिवस समारोह अवश्य मनाया जायेगा।
इंजिनियर डे सेलिब्रेशन (Engineers Day Celebration)
इंजिनियर डे के दिन सभी इंजिनियर को बधाई दी जाती है। इंजीनियरिंग कॉलेज, ऑफिस में कार्यक्रम होते है। आजकल बढाई देने के लिए सोशल मीडिया, फ़ोन का उपयोग सबसे ज्यादा होता है। लोग एक दुसरे को मेसेज भेजते है, कविता शायरी शेयर की जाती है। विश्वेश्वरैया जी को याद करके, कार्यक्रम आयोजन किया जाता है।
SOURCE-THE HINDU
PAPER-G.S.1 PRE
टेलीकॉम सेक्टर में बड़े सुधारों को मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज टेलीकॉम सेक्टर में कई ढाँचागत और प्रक्रिया सुधारों को मंजूरी दी है। इन सुधारों से रोजगार को बचाने और नए रोजगार पैदा करने के अवसर मिलेंगे। इन सुधारों से स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा जिससे उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा होगी। टेलीकॉम कंपनियों को पूँजी की तरलता बढ़ाने और नियमों के पालन के बोझ कोकम करने में मदद मिलेगी। इन सुधारों से टेलीकॉम सेक्टरमें निवेश को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
कोविड-19 की की वैश्विक महामारी के दौरान टेलीकॉम सेक्टर ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। इस दौरान डाटा के खपत में भारी वृद्धि हुई है, ऑनलाइन शिक्षा का प्रसार हुआ है, सोशल मीडिया के माध्यम से आपसी संपर्क बढ़ा है और वर्चुअल बैठकों में वृद्धि हुई है। इस सब बातों की पृष्ठभूमि में ये सुधारात्मक उपाय ब्रॉडबैंड और टेलीकॉम कनेक्टिविटी के प्रसार और पैठको और प्रोत्साहित करेंगे। कैबिनेट का यह फैसला एक मजबूत टेलीकॉम सेक्टर के प्रधानमंत्री के विजन को पुष्ट करता है। इस पैकेज से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और ग्राहकों को अधिक विकल्प मिलेंगे, समावेशी विकास के लिए अंत्योदय का सपना साकार होगा, हाशिए पर चले गए क्षेत्रों को मुख्यधारा में लाने में मदद मिलेगी और असम्बद्धों को जोड़ने के लिए सार्वभौमिक ब्रॉडबैंड की पहुँच को सुनिश्चित किया जा सकेगा। साथ ही साथ इस पैकेज से 4जी के प्रसार, पूँजी की तरलता के प्रेरण और 5जी नेटवर्क में निवेश के लिए अनुकूल माहौल के निर्माण को प्रोत्साहित करने की भी अपेक्षा है।
नौ ढाँचागत सुधार,पाँच प्रक्रिया सुधार और टेलीकॉम कंपनियों की पूँजी की तरलता सम्बन्धी आवश्यकताओं के लिए राहत उपाय नीचे दिए गए हैं :-
ढाँचागत सुधार
- एडजस्टेड ग्रॉस रेवेनुए (एजीआर) का युक्तिकरण : गैर-टेलीकॉम राजस्व को एजीआर की परिभाषा से भावी आधार पर बाहर रखा जाएगा।
- बैंक गारंटी (बीजी) को युक्तिसंगत बनाया गया : लाइसेंस शुल्क और अन्य समान करारोपण के एवज में बैंक गारंटी आवश्यकताओं (80%) में भारी कमी की गई है। देश में विभिन्न लाइसेंस सेवा क्षेत्रों में अनेक बैंक गारंटी की अब कोई आवश्यकता नहीं है। इसके बजाए एक ही बैंक गारंटी पर्याप्त होगा।
- ब्याज दरों को युक्ति संगत बनाया गया/दंड हटाया गया : 1 अक्टूबर, 2021 से, लाइसेंस शुल्क/स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) के विलंबित भुगतान पर ब्याज की दर एसबीआई एमसीएलआर +4% के बजाय एमसीएलआर +2% होगी। ब्याज को मासिक के बजाय सालाना संयोजित किया जाएगा। जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज को हटा दिया जाएगा।
- अब से आयोजित नीलामी में किश्त भुगतान को सुरक्षित करने के लिए किसी भी बैंक गारंटी की आवश्यकता नहीं होगी। टेलीकॉम उद्योग परिपक़्व हो गया है और पहले की परिपाटी की तरह बैंक गारंटी की अब कोई आवश्यकता नहीं है।
- स्पेक्ट्रम अवधि : भविष्य की नीलामी मेंस्पेक्ट्रम की अवधि 20 से बढ़ाकर 30 वर्ष कर दी गई है।
- भविष्य की नीलामी में प्राप्त स्पेक्ट्रम के लिए 10 वर्षों के बाद स्पेक्ट्रम के सरेंडर की अनुमति दी जाएगी।
- भविष्य की नीलामी में प्राप्त स्पेक्ट्रम के लिए कोई स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) नहीं होगा।
- स्पेक्ट्रम साझेदारी को प्रोत्साहित किया गया – स्पेक्ट्रम साझेदारी के लिए 5% का अतिरिक्त एसयूसी हटा दिया गया है।
- निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए टेलीकॉम सेक्टर में स्वत: मार्ग के तहत 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी गई है। सभी सुरक्षा उपाय लागू होंगे।
प्रक्रिया सुधार
- नीलामी कैलेंडर नियत – स्पेक्ट्रम नीलामी सामान्यतः प्रत्येक वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही में आयोजित की जाएगी।
- व्यापार सुगमता को बढ़ावा दिया गया – वायरलेस उपकरण के आयात के लिए 1953के कस्टम्स नोटिफिकेशन के तहत लाइसेंस की कठिन आवश्यकता को हटा दिया गया है। इसे सेल्फ-डिक्लेयरेशन से प्रतिस्थापित किया जाएगा।
- केवाईसी सुधार : सेल्फ-केवाईसी (ऐप आधारित) की अनुमति दी गई है। ई-केवाईसी की दर को संशोधित कर केवल एक रुपया कर दिया गया है। प्री-पेड से पोस्ट-पेड और पोस्ट-पेडसे प्री-पेड में स्थानांतरण के लिए नए केवाईसी की आवश्यकता नहीं होगी।
- नए कस्टमर बनाए जाने के समय भरे जाने वाले फॉर्म को डेटा के डिजिटल स्टोरेज से बदल दिया जाएगा। इससे टेलीकॉम कंपनियों के विभिन्न गोदामों में पड़े लगभग 300-400 करोड़ काग़ज़ी फॉर्म की आवश्यकता नहीं रहेगी।
- टेलीकॉम टावरों की स्थापना के लिए दी जाने वाली मंजूरी की प्रक्रिया को सरल कर दिया गया है। दूरसंचार विभाग का पोर्टल अब सेल्फ-डिक्लेयरेशन के आधार पर आवेदन स्वीकार करेगा। अन्य एजेंसियों के पोर्टल (जैसे नागरिक उड्डयन) को दूरसंचार विभाग के पोर्टल से जोड़ा जाएगा।
टेलीकॉम कंपनियों की पूँजी की तरलता सम्बन्धी आवश्यकताओं के लिए राहत उपाय
कैबिनेट ने सभी टेलीकॉम कंपनियों के लिए निम्नलिखित को मंजूरी दी :
एजीआर के फैसले से उत्पन्न होने वाले देय राशि के वार्षिक भुगतान में चार साल तक की मोहलत/ढील, हालाँकि, ढील दी गई देय राशियों को राशियों के नेट प्रेजेंट वैल्यू की रक्षा करके संरक्षित किया जा रहा है
- पिछली नीलामियों (2021 की नीलामी को छोड़कर) में खरीदे गए स्पेक्ट्रम के देय भुगतान पर चार साल तक की मोहलत/ढील। देय भुगतान के नेट प्रेजेंट वैल्यू को संगत नीलामी में निर्धारित ब्याज दर पर संरक्षित किया जाएगा।
- टेलीकॉम कंपनियों को भुगतान में उक्त ढील के कारण उत्पन्न होने वाली ब्याज राशि को इक्विटी के माध्यम से भुगतान करने का विकल्प दिया जाएगा।
- मोहलत/ढील अवधि के अंत में उक्त ढील दिए गए भुगतान से संबंधित देय राशि को सरकार के विकल्प पर इक्विटी में परिवर्तित किया जा सकेगा जिसके लिए वित्त मंत्रालय द्वारा दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप दिया जाएगा।
उपरोक्त बातें सभी टेलीकॉम कंपनियों के लिए लागू होंगी और पूँजी की तरलता और नकदी प्रवाह को आसान बनाकर राहत प्रदान करेंगी। इससे विभिन्न बैंकों को टेलीकॉम क्षेत्र में पर्याप्त निवेश करने में भी मदद मिलेगी।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.3
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शांतिपूर्ण मिशन अभ्यास 2021
संयुक्त आतंकवाद विरोधी अभ्यास शांतिपूर्ण मिशन एक बहुपक्षीय अभ्यास है जिसे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के बीच सैन्य कूटनीति के एक भाग के रूप में द्विवार्षिक रूप से आयोजित किया जाता है। इस अभ्यास, शांतिपूर्ण मिशन, के छठे संस्करण की रूस द्वारा दक्षिण पश्चिम रूस के ऑरेनबर्ग क्षेत्र में 13 से 25 सितंबर 2021 तक मेजबानी की जा रही है। इस अभ्यास का उद्देश्य एससीओ सदस्य देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों को बढ़ावा देना और बहुराष्ट्रीय सैन्य टुकड़ियों का नेतृत्व करने की सैन्य अधिकारियों की क्षमताओं में वृद्धि करना है।
200 सैन्य कर्मियों के साथ सभी हथियारों की संयुक्त क्षमता में भारतीय वायु सेना के 38 कर्मियों को भी शामिल करने के बाद संयुक्त भारतीय सैन्य दल इस मिशन-2021 अभ्यास में भाग ले रहा है। भारतीय दल को दो आईएल-76 विमानों द्वारा अभ्यास क्षेत्र में भेजा ग़या था। इस अभ्यास में शामिल होने के लिए जाने से पहले सैन्य दस्ते ने दक्षिण पश्चिमी कमान के तत्वावधान में प्रशिक्षण और तैयारी की थी।
यह अभ्यास शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) देशों के सशस्त्र बलों के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं को परस्पर साझा करने में सक्षम होगा। यह अभ्यास एससीओ राष्ट्रों के सशस्त्र बलों को बहुराष्ट्रीय और संयुक्त वातावरण के शहरी परिदृश्य में आतंकवाद-रोधी अभियानों में प्रशिक्षित करने का अवसर भी प्रदान करेगा। इस अभ्यास के दायरे में पेशेवर आपसी सम्पर्क, अभ्यास और प्रक्रियाओं की आपसी समझ, संयुक्त कमान और नियंत्रण संरचनाओं की स्थापना और आतंकवादी खतरों का उन्मूलन करना शामिल है।
शांतिपूर्ण मिशन 2021 का अभ्यास आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए परस्पर सैन्य संपर्कों और वैश्विक सहयोग में एक ऐतिहासिक घटना है।
शंघाई सहयोग संगठन
SCO क्या है?
- SCO एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है।
- यह एक यूरेशियन राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संगठन है, जिसका उद्देश्य संबंधित क्षेत्र में शांति, सुरक्षा व स्थिरता बनाए रखना है।
- इसकी स्थापना 15 जून, 2001 को शंघाई में हुई थी।
- SCO चार्टर पर वर्ष 2002 में हस्ताक्षर किए गए थे और यह वर्ष 2003 में लागू हआ।
- यह चार्टर एक संवैधानिक दस्तावेज है जो संगठन के लक्ष्यों व सिद्धांतों आदि के साथ इसकी संरचना तथा प्रमुख गतिविधियों को रेखांकित करता है।
- रूसी और चीनी SCO की आधिकारिक भाषाएँ हैं।
गठन
- वर्ष 2001 में SCO की स्थापना से पूर्व कज़ाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, रूस और ताजिकिस्तान ‘शंघाई-5’ नामक संगठन के सदस्य थे।
- वर्ष 1996 में ‘शंघाई-5’ का गठन विसैन्यीकरण वार्ता की श्रृंखलाओं से हुआ था, जो चीन के साथ चार पूर्व सोवियत गणराज्यों ने सीमाओं पर स्थिरता के लिये किया था।
- वर्ष 2001 में उज़्बेकिस्तान के संगठन में प्रवेश के बाद ‘शंघाई-5’ को SCO नाम दिया गया।
- वर्ष 2017 में भारत तथा पाकिस्तान को इसके सदस्य का दर्जा मिला।
सदस्य देश
- वर्तमान में इसके सदस्य देशों में कज़ाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान शामिल हैं।
पर्यवेक्षक देश
- अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया SCO के पर्यवेक्षक देशों में शामिल हैं।
वार्ता साझेदार देश
- अज़रबैजान, आर्मेनिया, कंबोडिया, नेपाल, तुर्की और श्रीलंका इस संगठन के वार्ता साझेदार देश हैं।
SCO के लक्ष्य
- सदस्य देशों के मध्य परस्पर विश्वास तथा सद्भाव को मज़बूत करना।
- राजनैतिक, व्यापार एवं अर्थव्यवस्था, अनुसंधान व प्रौद्योगिकी तथा संस्कृति में प्रभावी सहयोग को बढ़ावा देना।
- शिक्षा, ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन, पर्यावरण संरक्षण, इत्यादि में क्षेत्रों में संबंधों को बढ़ाना।
- संबंधित क्षेत्र में शांति, सुरक्षा व स्थिरता बनाए रखना तथा सुनिश्चिता प्रदान करना।
- एक लोकतांत्रिक, निष्पक्ष एवं तर्कसंगत नव-अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक व आर्थिक व्यवस्था की स्थापना करना।
SCO के मार्गदर्शक सिद्धांत
- पारस्परिक विश्वास, आपसी लाभ, समानता, आपसी परामर्श, सांस्कृतिक विविधता के लिए सम्मान तथा सामान्य विकास की अवधारणा पर आधारित आंतरिक नीति।
- गुटनिरपेक्षता, किसी तीसरे देश को लक्ष्य न करना तथा उदार नीति पर आधारित बाह्य नीति।
SCO की संरचना
- राष्ट्र प्रमुखों की परिषद : यह SCO का सर्वोच्च निकाय है जो अन्य राष्ट्रों एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ अपनी आंतरिक गतिविधियों के माध्यम से तथा बातचीत कर अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार करती है।
- शासन प्रमुखों की परिषद : SCO के अंतर्गत आर्थिक क्षेत्रों से संबंधित मुद्दों पर वार्ता कर निर्णय लेती है तथा संगठन के बजट को मंज़ूरी देती है।
- विदेश मंत्रियों की परिषद : यह दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों से संबंधित मुद्दों पर विचार करती है।
- क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी संरचना (RATS) : आतंकवाद, अलगाववाद, पृथकतावाद, उग्रवाद तथा चरमपंथ से निपटने के मामले देखता है।
- शंघाई सहयोग संगठन सचिवालय : यह सूचनात्मक, विश्लेषणात्मक तथा संगठनात्मक सहायता प्रदान करने हेतु बीजिंग में अवस्थित है।
SCO की प्रमुख गतिविधियाँ
- प्रारंभ में SCO ने मध्य एशिया में आतंकवाद, अलगाववाद तथा उग्रवाद को रोकने हेतु परस्पर अंतर-क्षेत्रीय प्रयासों पर ध्यान केंद्रित किया।
- वर्ष 2006 में, वैश्विक वित्त पोषण के स्रोत के रूप में अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थों की तस्करी को शामिल करने हेतु संगठन की कार्यसूची को विस्तार दिया गया।
- वर्ष 2008 में SCO ने अफगानिस्तान में स्थिरता लाने के लिए सक्रिय रूप से भाग लिया।
- लगभग इसी समय SCO ने विभिन्न प्रकार की आर्थिक गतिविधियों में हिस्सा लेना शुरू किया।
- इससे पहले वर्ष 2003 में अपने भौगोलिक क्षेत्र के भीतर मुक्त व्यापार क्षेत्र की स्थापना हेतु SCO सदस्य देशों ने बहुपक्षीय व्यापार एवं आर्थिक सहयोग हेतु 20 वर्ष के कार्यक्रम पर हस्ताक्षर किए।
भारत के लिये SCO का महत्त्व
- SCO को इस समय दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन माना जाता है और इसमें चीन तथा रूस के बाद भारत तीसरा सबसे बड़ा देश है। इस संगठन में शामिल होने से भारत का अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व बढ़ा है।
- भारतीय हितों की जो चुनौतियाँ हैं, चाहे वे आतंकवाद से जुड़ी हों, ऊर्जा की आपूर्ति हो या प्रवासियों का मुद्दा… ये सभी मुद्दे भारत और SCO दोनों के लिए अहम हैं और ऐसे में भारत के इस संगठन से जुड़ने से दोनों को परस्पर लाभ होगा।
- SCO की सदस्यता मिलने के साथ ही अब भारत को एक बड़ा वैश्विक मंच मिल गया है। SCO यूरेशिया का एक ऐसा राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संगठन है जिसका केंद्र मध्य एशिया और इसका पड़ोस है। ऐसे में इस संगठन की सदस्यता भारत के लिए कई मौके उपलब्ध करवाने वाली साबित हो सकती है।
- चूँकि चीन SCO के माध्यम से क्षेत्र में अपने रणनीतिक हितों को पूरा करना चाहता है तो भारत भी इस स्थिति का लाभ उठाते हुए पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए चीन का सहयोग मांग सकता है, जैसा उसने हाल ही में अज़हर मसूद के मामले में किया और उसे अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित करवाया।
- मध्य एशिया के देश जो प्राकृतिक गैस-तेल भंडार के मामले में धनी हैं, उनके साथ संबंधों को विस्तार देने में SCO भारत के लिए एक अच्छा ज़रिया बन सकता सकता है। भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और रूस व यूरोप तक व्यापार के ज़मीनी मार्ग खोलने के लिये इस मंच का इस्तेमाल करना चाहिये।
- भारत के लिये SCO की सदस्यता क्षेत्रीय एकीकरण, सीमाओं के पार संपर्क एवं स्थिरता को बढ़ावा देने में सहायता प्रदान कर सकती है।
- SCO की क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी संरचना (RATS) के माध्यम से भारत गुप्त सूचनाएँ साझा करने, कानून प्रवर्तन और सर्वोत्तम प्रथाओं अथवा प्रौद्योगिकियों के विकास की दिशा में कार्य कर अपनी आतंकवाद विरोधी क्षमताओं में सुधार कर सकता है।
- SCO के माध्यम से भारत मादक पदार्थों की तस्करी तथा छोटे हथियारों के प्रसार पर भी रोक लगाने का प्रयास कर सकता है।
- आतंकवाद एवं कट्टरतावाद की सामान्य चुनौतियों को लेकर साझा प्रयास किये जा सकते हैं।
- लंबे समय से अटकी हुई तापी (तुर्कमेनिस्तान-अफग़ानिस्तान-पाकिस्तान-भारत) पाइपलाइन जैसी परियोजनाओं पर काम शुरू करने में तथा IPI (ईरान-पाकिस्तान-भारत) पाइपलाइन को SCO के माध्यम से सहायता मिल सकती है।
- भारत तथा मध्य एशिया के बीच व्यापार में आने वाली प्रमुख बाधाओं को दूर करने के लिये SCO सहायता कर सकता है, क्योंकि यह मध्य एशिया के लिए एक वैकल्पिक मार्ग के रूप में कार्य करता है।
- SCO के माध्यम से सदस्य देशों के साथ अपने आर्थिक संबंधों का विस्तार करते हुए भारत को मध्य एशियाई देशों के साथ सूचना प्रौद्योगिकी, दूरसंचार, बैंकिंग, वित्तीय तथा फार्मा उद्योगों हेतु एक विशाल बाज़ार मिल सकता है।
- सावधानी से इस मंच का इस्तेमाल करते हुए भारत अपने इस विस्तारित पड़ोस (मध्य एशिया) में सक्रिय भूमिका निभा सकता है तथा साथ ही यूरेशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने का प्रयास भी कर सकता है।
- सबसे बड़ी बात यह कि SCO भारत को अपने पुराने तथा विश्वसनीय मित्र रूस के साथ अपने चीन और पाकिस्तान जैसे चिर प्रतिद्वंद्वियों के साथ जुड़ने के लिए एक साझा मंच प्रदान करता है।
SCO में भारत के लिये चुनौतियाँ
- पाकिस्तान भी SCO का सदस्य है और वह भारत की राह में दुश्वारियाँ तथा कठिनाइयों का कारण लगातार बनता है। ऐसे में भारत की स्वयं को मुखर तौर पर पेश करने की क्षमता प्रभावित होगी। इसके अलावा चीन एवं रूस के SCO के सह-संस्थापक होने और इसमें इन देशों की प्रभावी भूमिका होने की वज़ह से भारत को अपनी स्थिति मज़बूत बनाने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही SCO का रुख परंपरागत रूप से पश्चिम विरोधी है, जिसकी वज़ह से भारत को पश्चिम देशों के साथ अपनी बढ़ती साझेदारी में संतुलन कायम करना होगा
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.2
‘बाजरा मिशन’
छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य को भारत का बाजरा केंद्र बनाने के उद्देश्य से 14 सितंबर, 2021 को “बाजरा मिशन” (Millet Mission) लांच किया।
मुख्य बिंदु
- इस मिशन के लांच के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने कहा कि छत्तीसगढ़ जल्द ही भारत का बाजरा हब बन जाएगा।
- उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि, “लघु वनोपज” की तरह, राज्य छोटी अनाज फसलों को अपनी ताकत बनाना चाहता है।
- इस मिशन को लागू करने के लिए, भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद और छत्तीसगढ़ के 14 जिलों के कलेक्टरों के बीच “बाजरा मिशन” के तहत एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
बाजरा मिशन का उद्देश्य
बाजरा मिशन पहल किसानों को छोटी अनाज फसलों के लिए सही मूल्य देने और उन्हें इनपुट सहायता, खरीद व्यवस्था और प्रसंस्करण प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई है। यह मिशन यह सुनिश्चित करने का भी प्रयास करता है कि किसानों को विशेषज्ञों की विशेषज्ञता से लाभ मिले।
बाजरा मिशन के अंतर्गत आने वाले जिले
छत्तीसगढ़ राज्य के जिन जिलों को मिशन के तहत शामिल किया गया है उनमें शामिल हैं: बस्तर, कांकेर, कोंडागांव, सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, बलरामपुर, राजनांदगांव, कवर्धा, जशपुर, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, कोरिया और सूरजपुर।
समझौता ज्ञापन के बारे में
इस समझौता ज्ञापन के तहत, भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान (Indian Institute of Millet Research – IIMR), हैदराबाद कोडो, कुटकी और रागी की उत्पादकता बढ़ाने के लिए सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करेगा। यह तकनीकी जानकारी भी प्रदान करेगा और उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा। यह संस्थान छत्तीसगढ़ में बीज बैंक की स्थापना में भी मदद करेगा। इसके अलावा IIMR हैदराबाद द्वारा क्षेत्रीय स्तर पर बाजरा उत्पादन के संबंध में राष्ट्रीय स्तर पर विकसित वैज्ञानिक तकनीक का प्रसार करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से छत्तीसगढ़ के किसानों को प्रशिक्षित करने की व्यवस्था की जाएगी।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.1 PRE