Current Affair 18 November 2021

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Current Affairs – 18 November, 2021

सिडनी-डायलॉग

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सिडनी-डायलॉग के उद्घाटन में मुख्य व्याख्यान दिया। श्री मोदी ने भारत की प्रौद्योगिकी के क्रमिक और त्वरित विकास के विषय पर चर्चा की। उनके सम्बोधन के पहले ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री श्री स्कॉट मॉरिसन ने आरंभिक संबोधन किया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र और उभरते हुई डिजिटल दुनिया में भारत की केंद्रीय भूमिका को पहचाना गया है। डिजिटल युग के लाभों को मद्देनजर रखते हुये प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि दुनिया समुद्री सतह से लेकर साइबर और अंतरिक्ष तक नये तरह के संघर्षों और जोखिमों का सामना कर रही है। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत उसका खुलापन है। हालांकि, हमें इस खुलेपन का दुरुपयोग करने वाले कुछ निहित स्वार्थों को अनुमति नहीं देनी चाहिये।”

प्रधानमंत्री ने भारत की मजबूती और डिजिटल संप्रभुता की चर्चा करते हुए कहा कि  भारत साझा समृद्धि तथा सुरक्षा के लिये साझेदारों के साथ काम करने के लिये तैयार है। “भारत की डिजिटल क्रांति की जड़ें हमारे लोकतंत्र, हमारी जनवादिता और हमारी बढ़ती अर्थव्यवस्था में निहित है। इसे हमारे युवाओं की उद्यमिता और नवाचार से शक्ति मिलती है। हम अतीत की चुनौतियों को अवसर के रूप में बदल रहे हैं ताकि भविष्य में पदार्पण करने के लिये कमर कस लें।”

प्रधानमंत्री ने भारत में होने वाले पांच परिवर्तनों को गिनाया। पहला, दुनिया की सबसे विस्तृत जन सूचना अवसंरचना भारत में बनाई जा रही है। एक अरब 30 करोड़ से अधिक भारतीयों के पास विशिष्ट डिजिटल पहचान है, छह लाख गांवों को जल्द ब्रॉडबैंड से जोड़ दिया जायेगा और विश्व की सबसे कारगर भुगतान संरचना, यूपीआई भारत के पास है। दो, सुशासन, समावेश, अधिकारिता, संपर्कता, लाभों का अंतरण और जनकल्याण के लिये डिजिटल प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल। तीन, भारत के पास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा और सबसे तेजी से विकसित होने वाला स्टार्ट-अप इको-सिस्टम है। चार, भारत के उद्योग और सर्विस सेक्टर, यहां तक कि कृषि क्षेत्र भी विशाल डिजिटल परिवर्तन से गुजर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम 5जी और 6जी जैसी दूरसंचार प्रौद्योगिकी में स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने के लिये निवेश कर रहे हैं। कृत्रिम बौद्धिकता और मशीन-लर्निंग, खासतौर से मानव-केंद्रित तथा कृत्रिम बौद्धिकता के नैतिक उपयोग के क्षेत्र में भारत अग्रणी देशों में शामिल है। हम क्लाउड प्लेटफॉर्म्स और क्लाउड कंप्यूटिंग में मजबूत क्षमतायें विकसित कर रहे हैं।”

भारत की लचीली और डिजिटल सम्प्रभुता के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा, “हम हार्डवेयर पर ध्यान दे रहे हैं। हम प्रेरक तत्त्वों का एक पैकेज तैयार कर रहें, ताकि सेमी-कंडक्टर के मुख्य निर्माता बन सकें। इलेक्ट्रॉनिकी और दूरसंचार में हमारा उत्पादन प्रेरक योजनाओं से जुड़ा है। भारत में अपना केंद्र बनाने के लिये ये क्षेत्र पहले से ही स्थानीय और विश्व भर में फैली कंपनियां और संस्थायें आकर्षित कर रहे हैं।” उन्होंने डेटा सुरक्षा, निजता और सुरक्षा के लिये भारत की प्रतिबद्धता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “साथ ही, हम डेटा का इस्तेमाल लोगों को शक्तिसम्पन्न करने के स्रोत के रूप में करते हैं। व्यक्तिगत अधिकारों की मजबूत गारंटी के साथ लोकतांत्रिक संरचना में ऐसा  करने का भारत के पास बेमिसाल अनुभव है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि वाई2के समस्या से जूझने में भारत का योगदान और को-विन प्लेटफॉर्म को पूरी दुनिया के लिये सहज रूप से उपलब्ध करने की पेशकश भारत के मूल्यों तथा उसके विजन की मिसाल हैं। उन्होंने कहा, “भारत की लोकतांत्रिक परंपरा बहुत पुरानी है; उसके आधुनिक संस्थान मजबूत हैं। और,  हम हमेशा विश्व को एक परिवार मानते रहे हैं।”

श्री मोदी ने कहा कि जनकल्याण, समावेशी विकास और सामाजिक अधिकारिता के लिये प्रौद्योगिकी तथा नीति के उपयोग में भारत का अपार अनुभव है, जो विकासशील देशों के लिये बहुत सहायक हो सकता है। उन्होंने कहा, “हम देशों को और वहां के लोगों को शक्तिसम्पन्न बनाने में मिलकर काम कर सकते हैं तथा उन सबको इस सदी के अवसरों के लिये तैयार कर सकते हैं।”

लोकतांत्रिक देशों को मिलकर काम करने के लिये एक रोडमैप पेश करते हुये श्री मोदी ने “भावी प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और विकास में मिलकर निवेश करने; विश्वस्त निर्माण आधार और विश्वस्त आपूर्ति श्रृंखला के विकास; साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में आसूचना और परिचालन सहयोग को मजबूत करने, लोक-मान्यता को तोड़ने-मरोड़ने को रोकने; हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों के तकाजों पर खरा उतरने वाले तकनीकी और शासन मानकों तथा नियमों के विकास; एवं, डेटा शासन और सीमाओं से परे आने-जाने वाले आंकड़ों की सुरक्षा के लिये मानकों तथा नियमों की रचना के सम्बंध में” सहयोगात्मक स्वरूप का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि उभरती संरचना को “राष्ट्रीय अधिकारों को मान्य करना चाहिये तथा साथ ही कारोबार, निवेश और वृहद जनकल्याण को प्रोत्साहन देना चाहिये।”

इस संदर्भ में उन्होंने क्रिप्टो-करेंसी का उदाहरण दिया और कहा, “यह जरूरी है कि सभी लोकतांत्रिक देश क्रिप्टो-करेंसी पर साथ काम करें और यह सुनिश्चित करें कि यह गलत हाथों तक न पहुंच पाये, जो हमारे युवाओं को पथभ्रष्ट कर सकते हैं।”

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.2

 

ऑपरेशन संकल्प

आईएनएस त्रिकंद को वर्तमान में ऑपरेशन संकल्प के अंतर्गत फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी में तैनात किया गया है। यह ऑपरेशन व्यापार संबंधी सुरक्षित आवाजाही, सामुद्रिक समुदाय में विश्वास की बहाली तथा क्षेत्रीय सामुद्रिक सुरक्षा में योगदान देने के लिए अग्रिम जहाजों को क्षेत्र में तैनात करने की भारतीय नौसेना की मुहिम का हिस्सा है।

जहाज ने 13 नवंबर 2021 को मनामा, बहरीन में तीन दिवसीय ऑपरेशनल टर्न राउंड (ओटीआर) के लिए प्रवेश किया। बंदरगाह पर अपने प्रवास के दौरान, जहाज प्रशिक्षण और अन्य पारस्परिक रूप से लाभकारी विषयों सहित समुद्री सुरक्षा के सभी पहलुओं में सहयोग बढ़ाने के लिए विभिन्न समुद्री सुरक्षा एजेंसियों के साथ व्यापक रूप से जुड़ा रहा।

आईएनएस त्रिकंद के कमांडिंग ऑफिसर कैप्टन हरीश बहुगुणा ने 21 नवंबर को बहरीन में संयुक्त समुद्री बल (सीएमएफ) मुख्यालय का दौरा किया और सीएमएफ के उप कमांडर, कमोडोर एडवर्ड अहलग्रेन से मुलाकात की। इस पोर्ट कॉल ने जहाज को ‘शिप इन ए बॉक्स’ नाम से यूएस कोस्ट गार्ड (यूएससीजी) विजिट बोर्ड सर्च एंड सीजर (वीबीएसएस) सुविधा का दौरा करने का अवसर प्रदान किया। इसने जहाज की टीम को नवगठित टास्क फोर्स (टीएफ 59 – मानव रहित बल), एक आला डोमेन में एक प्रयोगात्मक इकाई के साथ बातचीत करने की इजाजत देने के अलावा, अन्य समुद्री बलों के एसओपी और प्रशिक्षण पद्धतियों की बेहतर समझ को भी योग्य किया।

कमांडिंग ऑफिसर आईएनएस त्रिकंद ने बहरीन में भारत के महामहिम राजदूत श्री पीयूष श्रीवास्तव से भी मुलाकात की, जिन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने और क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा बढ़ाने में इस तरह की जहाज-यात्राओं के माध्यम से भारतीय नौसेना की भूमिका की सराहना की।

आईएनएस त्रिकंद एक अत्याधुनिक गाइडेड मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट है और पश्चिमी बेड़े का हिस्सा है जो मुंबई स्थित पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के तहत संचालित होता है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.1 PRE

 

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की एक बैठक गुरुवार, 18 नवंबर, 2021 को दिल्ली में हुई। इस परिषद के सभी सदस्यों ने 2021-22 के बजट से जुड़े इस तथ्य पर सर्वसम्मत राय व्यक्त की कि पारदर्शिता, यथार्थवादी, सुधारवादी और स्पष्ट रूप से विकासोन्मुखी बजट होने के कारण इसे सभी क्षेत्रों द्वारा सराहा गया है। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021-22 से परे देखते हुए, सभी सदस्य 2022-23 के दौरान वास्तविक और नाममात्र की वृद्धि की संभावनाओं को लेकर आशावादी थे। आधार प्रभाव के एक तत्व के अलावा, गहन संपर्क वाले क्षेत्रों और निर्माण के क्षेत्र को 2022-23 के दौरान अच्छी स्थिति में लौट आना चाहिए। एक बार क्षमताओं के उपयोग में सुधार हो जाने के बाद, निजी निवेश को भी बेहतर स्थिति में लौट आना चाहिए। इसलिए, सदस्यों ने यह महसूस किया कि 2022-23 के दौरान विकास की वास्तविक वृद्धि दर  संभावित रूप से 7 प्रतिशत से लेकर 7.5 प्रतिशत तक रहेगी।

हालांकि, इसका मतलब यह नहीं होना चाहिए कि 2022-23 के केंद्रीय बजट में अवास्तविक रूप से उच्च कर राजस्व या कराधान में होने वाले उतार – चढ़ाव से जुड़े आंकड़े पेश किए जायें। सुधार के उपायों के साथ-साथ आंकड़ों के मामले में पारदर्शी यथार्थवादी दृष्टिकोण की वजह से 2021-22 के केंद्रीय बजट की सराहना की गई थी। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्यों का यह मानना था कि पूंजीगत व्यय और मानव पूंजी व्यय के रूप में अतिरिक्त राजस्व के उपयोग का संकेत देते हुए इन आयामों को 2022-23 के बजट में भी आगे बढ़ाया जाना चाहिए क्योंकि कोविड ने मानव पूंजी घाटे को जन्म दिया है। निजीकरण का एक स्पष्ट रोडमैप होना चाहिए और पिछले साल के बजट की विकासोन्मुखी प्रवृति को भी आगे जारी रखा जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद या ‘पीएमईएसी’ भारत में प्रधानमंत्री को आर्थिक मामलों पर सलाह देने वाली समिति है। इसमें एक अध्यक्ष तथा चार सदस्य होते हैं। इसके सदस्यों का कार्यकाल प्रधानमंत्री के कार्यकाल के बराबर होता है। आमतौर पर प्रधानमंत्री द्वारा शपथ ग्रहण के बाद सलाहकार समिति के सदस्यों की नियुक्ति होती है। प्रधानमंत्री द्वारा पदमुक्त होने के साथ ही सलाहकार समिति के सदस्य भी त्यागपत्र दे देते हैं।

इतिहास

17मई 2014 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पदमुक्त होने के समय इस समिति के प्रमुख चक्रवर्ती रंगराजन थे। इसके चार अन्य सदस्य थे- सौमित्र चौधरी, वी.एस. व्यास, पुलिन बी. नायक और दिलीप एम. नचाने।

कार्य

आर्थिक सलाहकार परिषद एक स्वतंत्र निकाय है, जिसका कार्य आर्थिक मुद्दो पर सरकार को, विशेष कर प्रधानमंत्री को सलाह देना है। यह सलाह अपनी ओर से अथवा प्रधानमंत्री द्वारा सौपें गये किसी विषय पर हो सकती है। इसके अतरिक्त प्रधानमंत्री द्वारा सोपें गये किसी अन्य कार्य को अंजाम देना भी इसके कार्यो में शामिल है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

पेसा अधिनियम

पेसा अधिनियम में संयुक्त रूप से पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम (पेसा), 1996 के प्रावधानों पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस सम्मेलन का आयोजन जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव समारोह सप्ताह के भाग के रूप में राज्य सरकारों और सहयोगी संगठनों के साथ आयोजित किया गया।

पेसा का पूरा नाम ‘पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) विधेयक (The Provisions on the Panchyats Extension to the Scheduled Areas Bill) है। भूरिया समिति की सिफारिशों के आधार पर यह सहमति बनी कि अनुसूचित क्षेत्रों के लिए एक केंद्रीय कानून बनाना ठीक रहेगा, जिसके दायरे में राज्य विधानमंडल अपने-अपने कानून बना सकें। इसी दृष्टिकोण से दिसंबर, 1996 में संसद में विधेयक प्रस्तुत किया गया। दिसंबर, 1996 में ही यह दोनों सदनों से पारित हो गया तथा 24 दिसंबर को राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त कर लागू हो गया

  • इसका मूल उद्देश्य यह था कि केंद्रीय कानून में जनजातियों की स्वायत्तता के बिंदु स्पष्ट कर दिये जाएं जिनका उल्लंघन करने की शक्ति राज्यों के पास न हो।
  • वर्तमान में 10 राज्यों (आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, झारखंड, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और राजस्थान) में यह अधिनियम लागू होता है।
  • इसका अन्य उद्देश्य जनजातीय जनसंख्या को स्वशासन प्रदान करना, पारंपरिक परिपाटियों की सुसंगता में उपयुक्त प्रशासनिक ढाँचा विकसित करना तथा ग्राम सभा को सभी गतिविधियों का केंद्र बनाना भी है।

विशेषताएँ एवं अधिनियम के प्रावधान

  • इस अधिनियम की मुख्य विशेषता यह है कि इसमें जनजातीय समाजों की ग्राम सभाओं को अत्यधिक ताकत दी गई है।
  • प्रत्येक गाँव में एक ग्राम सभा होगी जिसमें वे सभी व्यक्ति शामिल होंगे जिनका नाम ग्राम स्तर पर पंचायत के लिये तैयार की गई मतदाता सूची में शामिल है।
  • प्रत्येक ग्राम सभा सामाजिक एवं आर्थिक विकास के कार्यक्रमों एवं परियोजनाओं को स्वीकृति देगी, इसके पहले कि वे ग्राम स्तरीय पंचायत द्वारा कार्यान्वयन के लिए हाथ में लिये जायें।
  • इस अधिनियम द्वारा संविधान के भाग 9 के पंचायतों से जुड़े प्रावधानों को ज़रूरी संशोधनों के साथ अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तारित करने का लक्ष्य है।
  • गरीबी उन्मूलन और अन्य कार्यक्रमों के लिये लाभार्थियों को चिन्हित करने तथा चयन के लिये भी ग्राम सभा ही उत्तरदायी होगी। पंचायतों को ग्राम सभा में इस आशय का प्रमाणपत्र लेना होगा कि उन्होंने इन कार्यक्रमों व योजनाओं के संबंध में धन का उचित उपयोग किया है।
  • संविधान के भाग 9 के अंतर्गत जिन समुदायों के संबंध में आरक्षण के प्रावधान हैं उन्हें अनुसूचित क्षेत्रों में प्रत्येक पंचायत में उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण दिया जाएगा। साथ ही यह शर्त भी है कि अनुसूचित जनजातियों का आरक्षण कुल स्थानों के 50% से कम नहीं होगा तथा पंचायतों के सभी स्तरों पर अध्यक्षों के पद अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित रहेंगे।
  • मध्यवर्ती तथा ज़िला स्तर की पंचायतों में राज्य सरकार उन अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधियों को भी मनोनीत कर सकेगी जिनका उन पंचायतों में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, किंतु ऐसे मनोनीत प्रतिनिधियों की संख्या चुने जाने वाले कुल प्रतिनिधियों की संख्या के 10% से अधिक नहीं होनी चाहिये ।
  • अनुसूचित क्षेत्रों में लघु जल निकायों की योजना बनाने तथा उसका प्रबंधन करने का कार्य उपयुक्त स्तर की पंचायतों को सौंपा जाएगा।
  • अनुसूचित क्षेत्रों में गौण खनिजों के लिये लाइसेंस या खनन पट्टा देने के लिये ग्राम सभा पंचायत के उचित स्तर की सिफारिशों को अनिवार्य बनाया जाएगा।
  • अनुसूचित क्षेत्रों में बोली (Auction) द्वारा गौण खनिजों के दोहन की प्रक्रिया में रियायत देने के लिये ग्राम सभा या पंचायत की पूर्व सिफारिश लेना अनिवार्य होगा।
  • राज्य विधानमंडल प्रयास करेंगे कि अनुसूचित क्षेत्रों में ज़िला स्तर पर पंचायतों के लिये वैसा ही प्रशासनिक ढाँचा बनाया जाए जैसा कि संविधान की छठी अनुसूची में वर्णित जनजातीय क्षेत्रों पर लागू होता है।
  • अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायतों को स्वशासन की संस्थाओं के तौर पर कार्य करने के लायक बनाने के लिये अपेक्षित शक्तियाँ और अधिकार देते हुए राज्यों के विधानमंडल यह सुनिश्चित करेंगे कि ग्रामसभा और पंचायतों को निश्चित रूप से शक्तियाँ प्रदान की गई हों, जो निम्नलिखित हैं-
    • किसी भी मादक पदार्थ की बिक्री या उपभोग को प्रतिबंधित या नियमित या सीमित करने की शक्ति।
    • गौण वन उत्पादों का स्वामित्व।
    • अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि के हस्तांतरण को रोकने की शक्ति और किसी अनुसूचित जनजाति की अवैध रूप से हस्तांतरित की गई भूमि को वापस लेने के लिये उचित कार्यवाही करने की शक्ति।
    • गाँवों के बाज़ारों के प्रबंधन की शक्ति, चाहे वे किसी भी नाम से प्रयोग में हो।
    • अनुसूचित जनजातियों को धन उधार दिये जाने की प्रक्रिया को नियंत्रित करने की शक्ति।
    • आदिवासी उप-योजनाओं सहित स्थानीय योजनाओं तथा उनके लिये निर्धारित संसाधनों पर नियंत्रण रखने की शक्ति।
  • राज्य विधान के अंतर्गत ऐसी व्यवस्था होगी जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि उच्च स्तर की पंचायतें निचले स्तर की किसी पंचायत या ग्राम सभा के अधिकारों का हनन अथवा उपयोग न करे।
  • अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत से संबंधित किसी कानून का कोई प्रावधान यदि इस अधिनियम के संगति में है तो वह राष्ट्रपति द्वारा इस अधिनियम की स्वीकृति प्राप्त होने की तिथि के एक वर्ष की समाप्ति के बाद लागू होने से रह जाएगा।
  • हालाँकि उक्त तिथि के तत्काल पहले अस्तित्व में रही सभी पंचायतें अपने कार्यकाल की समाप्ति तक चलती रहेंगी बशर्ते कि उन्हें राज्य विधायिका द्वारा पहले ही भंग न कर दिया जाए।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.2

 

ADIPEC सम्मेलन में भारत ने हिस्सा लिया

ADIPEC सम्मेलन 15 नवंबर से 18 नवंबर, 2021 तक अबू धाबी में आयोजित किया जा रहा है।

मुख्य बिंदु

  • इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए दुनिया की सबसे बड़ी तेल और गैस कंपनियां और कई ओपेक+ ऊर्जा मंत्री अबी धाबी में हैं।
  • यह सम्मेलन COP26 जलवायु वार्ता और ऊर्जा की बढ़ती कीमतों की पृष्ठभूमि में हो रहा है।
  • 2021 में ब्रेंट क्रूड 60% बढ़कर 80 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर हो गया है।
  • एशिया और यूरोप में प्राकृतिक गैस की कीमतें भी हाल के दिनों में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं।
  • इस सम्मेलन के दौरान, भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, भारत ने तेल उत्पादन पर ओपेक+ के साथ “एकजुट प्रयास” किया।

ब्लू अमोनिया

जापान की मित्सुई और दक्षिण कोरिया की जी.एस. एनर्जी ब्लू अमोनिया विकसित करने के लिए एडनोक और फर्टिग्लोब के साथ साझेदारी करेगी। ब्लू अमोनिया को रुवाइस, अबू धाबी में ताज़ीज़ औद्योगिक क्षेत्र में विकसित किया जाएगा।

ब्लू हाइड्रोजन (Blue Hydrogen)

फारस की खाड़ी में कई प्रमुख ऊर्जा फर्म, जैसे एडनोक और सऊदी अरामको, ब्लू हाइड्रोजन के लिए दीर्घकालिक आपूर्ति अनुबंधों के संबंध में एशिया में कंपनियों के साथ बातचीत कर रही हैं। ब्लू हाइड्रोजन ईंधन प्राकृतिक गैस को परिवर्तित करके और कार्बन को कैप्चर करके बनाया जाता है।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.3

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