Current Affairs – 2 September, 2021
विश्व नारियल दिवस
विश्व नारियल दिवस (अंग्रेज़ी : World Coconut Day ) प्रत्येक वर्ष 2 सितंबर को मनाया जाता है। नारियल दिवस के दिन नारियल से बनी विभिन्न वस्तुओं की प्रदर्शनियाँ लगाई जाती हैं। नारियल एक ऐसा फल है, जिसके प्रत्येक भाग का हम तरह-तरह से उपयोग करते हैं। नारियल दिवस नारियल की महत्ता को रेखांकित करता है। यह मिल-बैठकर यह पता लगाने का दिवस है कि किस प्रकार से हम इसे और उपयोग में ला सकते हैं। आजकल हमारा देश पॉलिथीन के कहर से गुजर रहा है, जो सड़ता नहीं है और नालों, रेल पटरियों तथा सड़क के किनारों को गंदा एवं प्रदूषित कर देता है। पॉलिथीन को हटाकर हम नारियल की जटा से बने थैलों का उपयोग कर सकते हैं। नारियल हर तरह से हमारे लिए उपयोगी है।
नारियल की उपयोगिता
नारियल की खेती हमारे देश में लगभग एक करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान करती है। देश के चार दक्षिणी प्रदेश केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में नारियल की सघन खेती की जाती है। देश का 90 प्रतिशत तक नारियल यहीं से प्राप्त किया जाता है। यह नमकीन मिट्टी में समुद्र के किनारे उगाया जाता है।
यह नारियल-पानी पौष्टिक एवं स्वास्थ्यवर्द्धक होता है। गर्मी के मौसम में नारियल-पानी पीकर हम अपनी प्यास बुझाते हैं। जब नारियल पकता है, तो इसमें अंदर से सफेद नारियल का फल प्राप्त होता है। यह पूजा में काम आता है। सफेद नारियल हम कच्चा भी खाते हैं, मिठाई और कई पकवान बनाने में भी इस्तेमाल करते हैं। नारियल के रेशों से गद्दे, थैले तथा और भी कई प्रकार की उपयोगी चीजें बनाई जाती हैं। नारियल को विभिन्न प्रकार से उपयोग कर हम भिन्न-भिन्न वस्तुएँ बनाते हैं और देश के साथ-साथ दुनिया के अन्य देशों में इनका व्यापार भी करते हैं। इससे बनी वस्तुओं के निर्यात से हमारे देश को लगभग 470 करोड़ रुपए की राष्ट्रीय आमदनी होती है। नारियल का उपयोग धार्मिक कर्मकांडों में भी किया जाता हैं। भारत में इस लिए यह पवित्र माना गया है।
उत्पादक देश
नारियल का वैज्ञानिक नाम ‘कोकस न्यूसिफेरा’ है और यह पाम फैमिली से संबंध रखता है। दुनिया के मुख्य नारियल उत्पादक देश फेडरेटेड स्टेट्स ऑफ़ माइक्रोनेशिया, फिजी, भारत, इंडोनेशिया, किरिबाटी, मलेशिया, मार्शल आइलैंड, पपुआ न्यू गिनीया, फिलीपिंस, समोआ, सोलोमन आइलैंड, श्रीलंका, थाइलैंड, टोंगा, वनोतु, विएतनाम, जमैका और केनिया हैं, जिनमें सबसे ज्यादा नारियल उत्पादन इंडोनेशिया, फिलीपींस, भारत, ब्राजील और श्रीलंका में होता है। विश्व नारियल दिवस मनाने का उद्देश्य नारियल को उद्योगों के लिए कच्चे माल के रूप उपयोग किए जाने को प्रोत्साहन देना और इसके उपयोग के प्रति जागरूकता फैलाना है। इससे उद्योगों और नारियल उत्पादक किसानों को फायदा होगा।
SOURCE-BHARAT DISCOVERY
PAPER-G.S.3
ब्ल्यू स्ट्रैग्लर
ब्ल्यू स्ट्रैगलर्स खुले या गोलाकार समूहों में सितारों का एक ऐसा वर्ग जो अलग ही दिखाई देते हैं क्योंकि वे बाकी सितारों की तुलना में अपेक्षाकृत बड़े और नीले रंग के होते हैं। ये उन वैज्ञानिकों को चिंतित करते हैं जिन्होंने लंबे समय से इन तारों की उत्पत्ति का अध्ययन किया है।
ब्ल्यू स्ट्रैगलर का पहला व्यापक विश्लेषण करते हुए भारतीय शोधकर्ताओं ने पाया है कि उनके द्वारा देखे गए नमूनों में से आधे ब्ल्यू (नीले) स्ट्रैग्लर एक करीबी द्वि-ध्रुवीय (बाइनरी) साथी तारे से बड़े पैमाने पर द्रव्य स्थानांतरण के माध्यम से बनते हैं। एक तिहाई संभावित रूप से 2 सितारों के बीच टकराव के माध्यम से बनते हैं तथा शेष 2 से अधिक तारों की परस्पर क्रिया से बनते हैं।
तारा मंडल में विद्यमान एक ही बादल से एक ही निश्चित अवधि में जन्मे तारों का कोई एक समूह अलग से दूसरा समूह बना लेता है। जैसे-जैसे समय बीतता है, प्रत्येक तारा अपने द्रव्यमान के आधार पर अलग-अलग विकसित होने लगता है। इनमें सबसे विशाल और चमकीले तारे विकसित होने के बाद मुख्य अनुक्रम से हट जाते हैं, जिससे उनके मार्ग में एक ऐसा विपथन आ जाता है जिसे टर्नऑफ़ के रूप में जाना जाता है। इस मार्ग परिवर्तन के बाहर की परिधि में जा चुके गर्म और चमकीले तारों के फिर उसी समूह में बने रहने की अपेक्षा नहीं की जाती है, क्योंकि इसके बाद वे लाल दानव बनने के लिए मुख्य धारा को छोड़ देते हैं। लेकिन 1953 में, एलन सैंडेज ने पाया कि कुछ सितारे मूल समूह (पेरेंट क्लस्टर) के टर्नऑफ़ की तुलना में अधिक गर्म लगते हैं। प्रारंभ में टर्न ऑफ़ के ऊपर और आसपास ही मंडरा रहे ये नीले तारे इन समूहों का हिस्सा नहीं थे। हालांकि बाद में हुए अध्ययनों ने यह पुष्टि की कि ये सितारे वास्तव में उसी क्लस्टर के सदस्य हैं और तब उन्हें ” ब्ल्यू स्ट्रैगलर्स” कहा गया। ऐसे समूहों में इन सितारों के अभी भी मौजूद होने का एकमात्र तरीका यह हो सकता है कि उन्होंने संभवतः मुख्यधारा में रहते हुए ही रास्ते में किसी तरह से अतिरिक्त द्रव्यमान प्राप्त कर लिया हो। इस प्रकार अतिरिक्त द्रव्यमान हासिल कर लेने की प्रणाली की पुष्टि करने के लिए नीले-स्ट्रैगलर सितारों के एक बड़े नमूने और उनके द्वारा प्राप्त द्रव्यमान के अनुमानों का उपयोग करके एक समग्र अध्ययन की आवश्यकता होती है।
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स –आईआईए ) के विक्रांत जाधव और उनके पीएचडी पर्यवेक्षक, अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम ने 2013 में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा प्रक्षेपित (लॉन्च) किए गए गैया टेलीस्कोप का उपयोग अपनी उत्कृष्ट स्थिति सटीकता के साथ समूहों में ब्ल्यू स्ट्रैगलर का चयन करने और यह समझने के लिए किया था कि अभी ऐसे कितने सितारे हैं, कहां पर हैं और कैसे बनते हैं?
उन्होंने पाया कि जिन समूहों को उन्होंने देखा और स्कैन किया उन 868 में से कुल 228 ब्ल्यू स्ट्रैगलर्स हैं। ब्ल्यू स्ट्रैगलर का यह पहला व्यापक विश्लेषण रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के मासिक नोटिस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इससे पता चला कि ये तारे मुख्य रूप से पुराने और बड़े तारा समूहों में ही मौजूद हैं और उनके अधिक द्रव्यमान के कारण वे समूहों के केंद्र की ओर अलग कर दिए गए हैं। शोधकर्ताओं ने नीले स्ट्रैगलर्स के द्रव्यमान की तुलना उन टर्नऑफ सितारों के द्रव्यमान से की जो क्लस्टर में सबसे बड़े पैमाने पर ‘सामान्य’ सितारे हैंI साथ ही उन्होंने इनके संभावित निर्माण तंत्र का भी पूर्वानुमान लगाया।
इस कार्य का नेतृत्व करने वाले शोष छात्र विक्रांत जाधव ने कहा, “कुल मिलाकर, हमने पाया कि 54% से अधिक ब्ल्यू स्ट्रैगलर एक करीबी द्वि-ध्रुवीय (बाइनरी) साथी सितारे से बड़े पैमाने पर द्रव्यमान स्थानांतरण के माध्यम से बनते हैं और 30% ब्ल्यू स्ट्रैगलर आपसी टकराव के माध्यम से बनते हैं। शेष 2 सितारों की दिलचस्प बात यह है कि 10 -16 % ब्ल्यू स्ट्रगलर दो से अधिक सितारों की परस्पर क्रिया के माध्यम से बनते हैं”।
यह अध्ययन विभिन्न आकाशगंगाओं सहित बड़ी तारकीय आबादी के अध्ययन में रोमांचक परिणामों को उजागर करने के साथ ही इन तारकीय प्रणालियों (स्टेलर सिस्टम्स) की जानकारी की समझ में और सुधार लाने में सहायक बनेगा। इन निष्कर्षों के बाद, शोधकर्ता तारकीय गुणों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न श्रेणियों में अलग-अलग ब्ल्यू स्ट्रैगलर का विस्तृत विश्लेषण कर रहे हैं। इसके अलावा, इस अध्ययन में पहचाने गए दिलचस्प समूहों और ब्ल्यू स्ट्रैगलरर्स का अनुसरण भारत की पहली समर्पित अंतरिक्ष वेधशाला, एस्ट्रोसैट पर पराबैंगनी इमेजिंग (अल्ट्रा-वायलेट इमेजिंग) टेलीस्कोप के साथ-साथ नैनीताल स्थित 3.6 मीटर के देवस्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप के साथ किया जाएगा।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.3
बैरा स्यूल पावर स्टेशन
नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (एनएचपीसी) लिमिटेड ने अपने 180 मेगावाट बैरा स्यूल पावर स्टेशन का स्वदेशी रूप से नवीनीकरण और आधुनिकीकरण किया है। संयंत्र में वाणिज्यिक संचालन शुरू हो गया है। यह परियोजना हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में स्थित है। बैरा स्यूल पावर स्टेशन एनएचपीसी का पहला पावर स्टेशन है जिसमें 1 अप्रैल, 1982 से वाणिज्यिक संचालन हो रहा है। इसने 35 वर्षों का उपयोगी जीवन पूरा कर लिया है। इसकी तीनों इकाइयों का नवीनीकरण और आधुनिकीकरण सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। एनएचपीसी ने यूनिट #2 और यूनिट #1 का वाणिज्यिक संचालन क्रमशः 29.12.2019 और 07.11.2020 को शुरू किया था। यूनिट #3 को 31.08.2021 को वाणिज्यिक संचालन के तहत घोषित किया गया है। इस प्रकार आर एंड एम कार्यों के बाद एनएचपीसी ने बैरा स्यूल पावर स्टेशन की सभी तीनों इकाइयों (3 x 60 मेगावाट) का वाणिज्यिक संचालन शुरू कर दिया है। अब बैरा स्यूल पावर स्टेशन का जीवन और 25 साल बढ़ गया है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.1 PRE
2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का सपना
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री श्री मनसुख मंडाविया ने आज केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार की उपस्थिति में राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों और सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रधान सचिवों/अपर मुख्य सचिवों के साथ केन्द्र सरकार और राज्यों के केंद्रित और ठोस प्रयासों के माध्यम से क्षय रोग के खिलाफ लड़ाई में हुई प्रगति की समीक्षा करने के लिए बातचीत की।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने क्षय रोग के उन्मूलन के बारे में ध्यान केन्द्रित किए जाने पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए यह सुझाव दिया कि इस बारे में नियमित रूप से लगातार बातचीत की जाए ताकि राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की सर्वोत्तम प्रथाओं पर चर्चा की जा सके और उनका अनुकरण भी किया जा सके। इनसे आम नीतियों पर ध्यान केंद्रित करने और प्रभावी रूप से कार्यान्वयन करने के साथ-साथ लक्ष्यों को सामूहिक रूप से अर्जित करने में काफी योगदान मिलेगा। उन्होंने कहा कि समन्वित और सहयोगात्मक प्रयास साझा लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।
उन्होंने कहा कि हमें टीबी उन्मूलन के इस मिशन में आम आदमी को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। इसे जन पहल बनाना होगा। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने के प्रधानमंत्री के सपने को पूरा करने के इस मिशन में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के सभी सुझावों के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कोविड के सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अन्य कार्यक्रमों और पहलों के बारे में सुझाव देने के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को प्रोत्साहित किया।
कोविड-19 के कारण टीबी के खिलाफ अर्जित लाभों को हुए खतरों के बारे में बातचीत करते हुए उन्होंने कोविड टीकाकरण में तेजी लाये जाने का भी जिक्र किया। श्री मंडाविया ने 5 सितंबर तक सभी शिक्षकों का टीकाकरण करने के महत्व पर जोर दिया और कहा कि इसके लिए राज्यों को अतिरिक्त खुराक प्रदान की जा रही हैं। इस बारे में उन्होंने राज्यों को विशेष दिनों में उन विशेष समुदायों के लिए टीकाकरण अभियान शुरू करने का सुझाव दिया जो सीधे तौर पर लोगों के संपर्क में आते हैं। ऐसे लोगों में बाजारों में सब्जी विक्रेता या किसी विशेष क्षेत्र में रिक्शा चालक शामिल हैं। उन्होंने राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों को आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार किसी भी संभावित समस्या का हल करने के लिए वैक्सीन निर्माताओं के साथ लगातार संपर्क में है क्योंकि महीने दर महीने वैक्सीन के उत्पादन में बढोतरी होती है। उन्होंने राज्यों को यह सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित किया कि कोविड प्रोटोकॉल का लगातार अनुपालन किया जाए और देश में बेहतर स्थिति के बावजूद कोई ढिलाई न दी जाए।
सहकारी संघवाद की रूपरेखा का आह्वान करते हुए स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉक्टर पवार ने अगले तीन वर्षों के दौरान टीबी का उन्मूलन करने के हमारे प्रयासों को कई गुना करने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कोविड महामारी के दौरान टीबी और कोविड की दोहरी-दिशात्मक जांच और टीबी दवाओं की घर पर आपूर्ति करने जैसे विभिन्न कदमों की सराहना की। उन्होंने स्वास्थ्य प्रशासन की पूरी टीम को व्यापक सक्रिय मामलों का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित किया और कहा, “जन-जन को जगाना है, टीबी को भगाना है।”
इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले टीबी कार्यक्रम के साथ काम करने वाले सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने पिछले कुछ वर्षों में अपने काम के प्रभाव के बारे में जानकारी देत हुए वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन के लिए आंदोलन करने की अपनी योजनाओं को भी साझा किया।
यक्ष्मा, तपेदिक, क्षयरोग, एमटीबी या टीबी
यक्ष्मा, तपेदिक, क्षयरोग, एमटीबी या टीबी (tubercle bacillus का लघु रूप) एक आम और कई मामलों में घातक संक्रामक बीमारी है जो माइक्रोबैक्टीरिया, आमतौर पर माइकोबैक्टीरियम तपेदिक के विभिन्न प्रकारों की वजह से होती है।क्षय रोग आम तौर पर फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन यह शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता हैं। यह हवा के माध्यम से तब फैलता है, जब वे लोग जो सक्रिय टीबी संक्रमण से ग्रसित हैं, खांसी, छींक, या किसी अन्य प्रकार से हवा के माध्यम से अपना लार संचारित कर देते हैं। ज्यादातर संक्रमण स्पर्शोन्मुख और भीतरी होते हैं, लेकिन दस में से एक भीतरी संक्रमण, अंततः सक्रिय रोग में बदल जाते हैं, जिनको अगर बिना उपचार किये छोड़ दिया जाये तो ऐसे संक्रमित लोगों में से 50% से अधिक की मृत्यु हो जाती है।
सक्रिय टीबी संक्रमण के आदर्श लक्षण खून-वाली थूक के साथ पुरानी खांसी, बुखार, रात को पसीना आना और वजन घटना हैं (बाद का यह शब्द ही पहले इसे “खा जाने वाला/यक्ष्मा” कहा जाने के लिये जिम्मेदार है)। अन्य अंगों का संक्रमण, लक्षणों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रस्तुत करता है। सक्रिय टीबी का निदान रेडियोलोजी, (आम तौर पर छाती का एक्स-रे) के साथ-साथ माइक्रोस्कोपिक जांच तथा शरीर के तरलों की माइक्रोबायोलॉजिकल कल्चर पर निर्भर करता है। भीतरी या छिपी टीबी का निदान ट्यूबरक्यूलाइन त्वचा परीक्षण (TST) और/या रक्त परीक्षणों पर निर्भर करता है। उपचार मुश्किल है और इसके लिये, समय की एक लंबी अवधि में कई एंटीबायोटिक दवाओं के माध्यम से उपचार की आवश्यकता पड़ती है। यदि आवश्यक हो तो सामाजिक संपर्कों की भी जांच और उपचार किया जाता है। दवाओं के प्रतिरोधी तपेदिक (MDR-TB) संक्रमणों में एंटीबायोटिक प्रतिरोध एक बढ़ती हुई समस्या है। रोकथाम जांच कार्यक्रमों और बेसिलस काल्मेट-गुएरिन बैक्सीन द्वारा टीकाकरण पर निर्भर करती है।
ऐसा माना जाता है कि दुनिया की आबादी का एक तिहाई एम.तपेदिक, से संक्रमित है, नये संक्रमण प्रति सेकंड एक व्यक्ति की दर से बढ़ रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार, 2007 में विश्व में, 13.7 मिलियन जटिल सक्रिय मामले थे, जबकि 2010 में लगभग 8.8 मिलियन नये मामले और 1.5 मिलियन संबंधित मौतें हुई जो कि अधिकतर विकासशील देशों में हुई थीं। 2006 के बाद से तपेदिक मामलों की कुल संख्या कम हुई है और 2002 के बाद से नये मामलों में कमी आई है। तपेदिक का वितरण दुनिया भर में एक समान नहीं है; कई एशियाई और अफ्रीकी देशों में जनसंख्या का 80% ट्यूबरक्यूलाइन परीक्षणों में सकारात्मक पायी गयी, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका की आबादी का 5-10% परीक्षणों के प्रति सकारात्मक रहा है।[प्रतिरक्षा में समझौते के कारण, विकासशील दुनिया के अधिक लोग तपेदिक से पीड़ित होते हैं, जो कि मुख्य रूप से HIV संक्रमण की उच्च दर और उसके एड्स में विकास के कारण होता है
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.3
वैक्सीन वैज्ञानिक डॉ. फिरदौसी कादरी
बांग्लादेशी वैज्ञानिक डॉ. फिरदौसी कादरी ने रेमन मैग्सेसे पुरस्कार जीता।
डॉक्टर फिरदौसी कादरी कौन हैं ?
- डॉ. कादरी इंटरनेशनल सेंटर फॉर डायरियाल डिजीज रिसर्च, बांग्लादेश (ICddr,b) में एक एमेरिटस वैज्ञानिक हैं।
- वह 2020 लोरियल-यूनेस्को फॉर वीमेन इन साइंस अवार्ड की विजेता भी हैं, जो उन्हें शुरुआती निदान और वैश्विक टीकाकरण की वकालत और विकासशील देशों में बच्चों को प्रभावित करने वाले संक्रामक रोगों को समझने और रोकने पर उनके काम के लिए प्रदान किया गया था।
उन्होंने शुरुआत में ही चिकित्सा अनुसंधान में अपना करियर बनाने का फैसला किया था। वह संचारी रोगों, प्रतिरक्षा विज्ञान, वैक्सीन विकास और नैदानिक परीक्षणों पर अपने शोध पर ध्यान केंद्रित करने के लिए 1988 में ICddr,b में शामिल हुईं।
चुनौतीपूर्ण कार्य
उनके सामने सबसे कठिन कार्य हैजा और टाइफाइड के खिलाफ लड़ाई थे। ये दो प्रमुख बीमारियां बांग्लादेश के साथ-साथ एशियाई और अफ्रीकी देशों में पर्याप्त पानी, स्वच्छता, चिकित्सा उपचार और शिक्षा तक सीमित पहुंच के साथ प्रचलित हैं। डॉ. कादरी ने शिशुओं, बच्चों और वयस्कों के लिए अधिक किफायती ओरल हैजा वैक्सीन (OCV) के साथ-साथ टाइफाइड कॉन्जुगेट वैक्सीन (ViTCV) के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
रेमन मैग्सेसे पुरस्कार (Ramon Magsaysay Award)
रेमन मैग्सेसे पुरस्कार एशिया का सर्वोच्च सम्मान है। यह अप्रैल 1957 में स्थापित किया गया था और व्यापक रूप से एशिया में नोबेल पुरस्कार के समकक्ष माना जाता है। यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को प्रदान किया जाता है जिन्होंने एशिया में गरीबी उन्मूलन और समाज के विकास में असाधारण योगदान दिया है।
2021 में पुरस्कार के अन्य प्राप्तकर्ता
2021 में पुरस्कार के अन्य प्राप्तकर्ता हैं-
- पाकिस्तान से मोहम्मद अमजद साकिब
- दक्षिण-पूर्व एशिया से स्टीवन मुंसी
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.1 PRE
भारत ने तालिबान के साथ पहली बैठक में भाग लिया
विदेश मंत्रालय के अनुसार, कतर में भारतीय राजदूत दीपक मित्तल ने 31 अगस्त, 2021 को तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई से मुलाकात की।
- माना जा रहा है कि भारतीय सुरक्षा अधिकारी और राजनयिक पहले से ही कई महीनों से तालिबान प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर रहे हैं।
- यह बैठक तालिबान के अनुरोध पर हुई थी, क्योंकि तालिबान नेता स्वीकार्यता प्राप्त करने के इच्छुक हैं।
- इस बैठक के दौरान, अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और शीघ्र वापसी पर चर्चा हुई।
- भारत की एकमात्र चिंता यह थी कि “अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी भारतीय विरोधी गतिविधियों और आतंकवाद के लिए नहीं किया जाना चाहिए”।
- इस बैठक के दौरान, तालिबान नेता ने भारतीय राजदूत को आश्वासन दिया कि सभी मुद्दों को सकारात्मक रूप से संबोधित किया जाएगा।
अफगानिस्तान में फंसे भारतीय
140 भारतीय और सिख अल्पसंख्यक के सदस्य अभी भी काबुल में हैं। भारत अब तक 112 अफगान नागरिकों सहित 565 लोगों को दिल्ली पहुंचा चुका है। यह संख्या अमेरिका जैसे देशों की तुलना में बहुत कम है, अमेरिका ने लगभग 1,00,000 अफगान नागरिकों सहित 1,22,000 लोगों को निकाला है।
हक्कानी समूह के साथ मुद्दा
यह बैठक तब हुई जब भारत तालिबान पर एक आतंकवादी समूह के रूप में अपनी पिछली स्थिति पर पुनर्विचार कर रहा है, क्योंकि तालिबान आतंकवादियों ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लिया था। विशेष रूप से, भारत को हक्कानी समूह के बारे में चिंता है, जो तालिबान का एक हिस्सा है। इसके अलावा, यह माना जाता है कि तालिबान पाकिस्तान का प्रॉक्सी है।
SOURCE-DANIK JAGARAN
PAPER –G.S.2