CURRENTS AFFAIRS – 21st MAY 2021
श्री सुंदरलाल बहुगुणा
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विख्यात पर्यावरणविद् श्री सुंदरलाल बहुगुणा के निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त किया है।
प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, “श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी का निधन हमारे देश के लिए एक चिरस्मरणीय क्षति है। उन्होंने प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने के हमारे सदियों पुराने लोकाचार को सामने लाने का काम किया। उनकी सादगी और करुणा की भावना को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। मेरे विचार उनके परिवार और कई प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।”
चिपको आन्दोलन के प्रणेता सुन्दरलाल बहुगुणा का जन्म ९ जनवरी सन १९२७ को देवों की भूमि उत्तराखंड के ‘मरोडा नामक स्थान पर हुआ और उनकी मृत्यु 21 मई 2021 को ऋषिकेश मे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश मे हुई। अपनी प्राथमिक शिक्षा के बाद वे लाहौर चले गए और वहीं से बी.ए. किए।सन १९४९ में मीराबेन व ठक्कर बाप्पा के सम्पर्क में आने के बाद ये दलित वर्ग के विद्यार्थियों के उत्थान के लिए प्रयासरत हो गए तथा उनके लिए टिहरी में ठक्कर बाप्पा होस्टल की स्थापना भी किए। दलितों को मंदिर प्रवेश का अधिकार दिलाने के लिए उन्होंने आन्दोलन छेड़ दिया।
अपनी पत्नी श्रीमती विमला नौटियाल के सहयोग से इन्होंने सिलयारा में ही ‘पर्वतीय नवजीवन मण्डल’ की स्थापना भी की। सन १९७१ में शराब की दुकानों को खोलने से रोकने के लिए सुन्दरलाल बहुगुणा ने सोलह दिन तक अनशन किया। चिपको आन्दोलन के कारण वे विश्वभर में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध हो गए।
बहुगुणा के ‘चिपको आन्दोलन’ का घोषवाक्य है :
- क्या हैं जंगल के उपकार, मिट्टी, पानी और बयार।
- मिट्टी, पानी और बयार, जिन्दा रहने के आधार।
सुन्दरलाल बहुगुणा के अनुसार पेड़ों को काटने की अपेक्षा उन्हें लगाना अति महत्वपूर्ण है। बहुगुणा के कार्यों से प्रभावित होकर अमेरिका की फ्रेंड ऑफ नेचर नामक संस्था ने १९८० में इनको पुरस्कृत भी किया। इसके अलावा उन्हें कई सारे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
पर्यावरण को स्थाई सम्पति माननेवाला यह महापुरुष आज ‘पर्यावरण गाँधी’ बन गया है।
चिपको आन्दोलन
चिपको आन्दोलन एक पर्यावरण-रक्षा का आन्दोलन था। यह भारत के उत्तराखण्ड राज्य (तब उत्तर प्रदेश का भाग) में किसानो ने वृक्षों की कटाई का विरोध करने के लिए किया था। वे राज्य के वन विभाग के ठेकेदारों द्वारा वनों की कटाई का विरोध कर रहे थे और उन पर अपना परम्परागत अधिकार जता रहे थे।
यह आन्दोलन तत्कालीन उत्तर प्रदेश के चमोली जिले में सन 1973 में प्रारम्भ हुआ। एक दशक के अन्दर यह पूरे उत्तराखण्ड क्षेत्र में फैल गया था। चिपको आन्दोलन की एक मुख्य बात थी कि इसमें स्त्रियों ने भारी संख्या में भाग लिया था। इस आन्दोलन की शुरुवात 1970 में भारत के प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुन्दरलाल बहुगुणा, कामरेड गोविन्द सिंह रावत, चण्डीप्रसाद भट्ट तथा श्रीमती गौरादेवी के नेत्रत्व मे हुई थी।
यह भी कहा जाता है कि कामरेड गोविन्द सिंह रावत ही चिपको आन्दोलन के व्यावहारिक पक्ष थे, जब चिपको की मार व्यापक प्रतिबंधों के रूप में स्वयं चिपको की जन्मस्थली की घाटी पर पड़ी तब कामरेड गोविन्द सिंह रावत ने झपटो-छीनो आन्दोलन को दिशा प्रदान की। चिपको आंदोलन वनों का अव्यावहारिक कटान रोकने और वनों पर आश्रित लोगों के वनाधिकारों की रक्षा का आंदोलन था रेणी में 2400 से अधिक पेड़ों को काटा जाना था, इसलिए इस पर वन विभाग और ठेकेदार जान लडाने को तैयार बैठे थे जिसे गौरा देवी जी के नेतृत्व में रेणी गांव की 27 महिलाओं ने प्राणों की बाजी लगाकर असफल कर दिया था
SOURCE-PIB
कोविड-19 एंटीबॉडी पहचान किट
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की प्रयोगशाला डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी एण्ड एलायड सांसेज (डीआईपीएएस) ने सीरो-निगरानी के लिए एंटीबॉडी पहचान आधारित किट ‘डिपकोवैन‘, डीपास-वीडीएक्स कोविड-19 IgG एंटीबॉडी माइक्रोवेल एलिसा विकसित की है। डिपकोवैन किट 97 प्रतिशत उच्च संवेदनशीलता और 99 प्रतिशत विशिष्टता के साथ सार्स सीओवी-2 वायरस के स्पाइक के साथ-साथ न्यूक्लियोकैप्सिड (एस एंड एन) प्रोटीन दोनों का पता लगा सकती है। किट नई दिल्ली की कंपनी वैनगार्ड डायग्नोस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से विकसित की गई है।
डिपकोवैन किट स्वदेश में वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई है और बाद में दिल्ली में निर्दिष्ट अस्पतालों में 1,000 से अधिक मरीज नमूनों पर इसका व्यापक सत्यापन किया गया है। उत्पाद के तीन बैचों पर सत्यापन का काम पिछले एक वर्ष के दौरान किया गया। इस किट को अप्रैल, 2021 में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा मंजूरी दी गई।
इस उत्पाद को बिक्री और वितरण के लिए बनाने की नियामक मंजूरी मई 2021 में भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई), केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा दी गई।
डिपकोवैन का उद्देश्य मानव सीरम या प्लाज्मा में गुणात्मक दृष्टि से IgG एंटीबॉडी का पता लगाना है जो सार्स सीओवी-2 से संबंधित एंटीजेन लक्षित करता है। यह काफी तेज़ टर्न-अराउंड-टाइम प्रदान करता है क्योंकि अन्य बीमारियों के साथ किसी भी क्रॉस रिएक्टिविटी के बिना परीक्षण करने के लिए इसे केवल 75 मिनट की आवश्यकता होती है। किट की शेल्फ लाइफ 18 महीने की है।
उद्योग साझेदार कंपनी वैनगार्ड डायग्नोस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड जून 2021 के पहले सप्ताह में किट को वाणिज्यिक रूप से लांच करेगी। लांच किए जाने के समय आसानी से उपलब्ध स्टॉक 100 किट (लगभग 10,000 जांच) का होगा और लांच के बाद इसकी उत्पादन क्षमता 500 किट/ प्रति माह होगी। आशा है यह 75 रुपए प्रति जांच पर उपलब्ध होगी। यह किट कोविड-19 महामारी विज्ञान को समझने तथा व्यक्ति में पहले सार्स सीओवी-2 के एक्सपोजर के मूल्यांकन काफी उपयोगी होगी ।
SOURCE-PIB
गाजा पट्टी (Gaza Strip) में इजरायल–हमास
युद्धविराम लागू हुआ
हाल ही में गाजा पट्टी (Gaza Strip) में युद्धविराम लागू हो गया है। इसके साथ ही इजरायल और हमास के बीच लड़ाई रुक गई है।
मुख्य बिंदु
गौरतलब है कि इस युद्धविराम के लिए मिस्र ने पहल की। जिसके चलते 11 दिनों तक चली लड़ाई समाप्त हो गयी है। इजरायल के सुरक्षा मंत्रिमंडल ने गाजा पट्टी में युद्धविराम को मंजूरी दी है। कैबिनेट ने कहा कि उसने सर्वसम्मति से मिस्र द्वारा प्रस्तावित पारस्परिक और बिना शर्त संघर्ष विराम के पक्ष में मतदान किया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाईडेन ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू डी-एस्केलेशन की अपील की थी, मिस्र, कतर और संयुक्त राष्ट्र भी डी-एस्केलेशन के लिए प्रयासरत्त थे।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाईडेन ने बाद में संघर्ष विराम की सराहना करते हुए कहा कि वह स्थायी शांति के निर्माण के बड़े लक्ष्य की ओर एक वास्तविक अवसर देखते हैं। उन्होंने युद्धविराम की मध्यस्थता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का श्रेय मिस्र की सरकार को दिया।
मिस्र ने कहा है कि वह इस युद्धविराम की निगरानी के लिए दो प्रतिनिधिमंडल भेजेगा। बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने कहा कि उनके सुरक्षा मंत्रिमंडल की बैठक के बाद इजरायल ने मिस्र के प्रस्ताव को स्वीकार किया है। हमास ने तुरंत इसका अनुसरण किया और कहा कि वह इस सौदे का सम्मान करेगा।
गाजा में स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार 10 मई को लड़ाई शुरू होने के बाद से हवाई बमबारी में 65 बच्चे और 39 महिलाओं सहित 240 फिलिस्तीनी मारे गए हैं और 1,900 से अधिक घायल हुए हैं।
इजरायल के मुताबिक उसने गाजा में कम से कम 160 लड़ाकों को मार गिराया है। अधिकारियों ने इज़रायल में मौत की संख्या 12 बताई है, रॉकेट हमलों में सैंकड़ों लोग घायल हुए हैं।
अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस
हर साल, 21 मई को, संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस (International Tea Day) मनाता है। अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस मनाने का संकल्प 2019 में संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization – FAO) द्वारा अपनाया गया था ।
इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस 2005 से दुनिया के प्रमुख चाय उत्पादक देशों जैसे श्रीलंका, भारत, इंडोनेशिया, वियतनाम, बांग्लादेश, नेपाल, केन्या, मलेशिया, मलावी, युगांडा और तंजानिया में मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य वैश्विक चाय व्यापार के प्रभाव के बारे में नागरिकों, सरकारों का ध्यान आकर्षित करना है।
उद्देश्य
इस दिन का मुख्य लक्ष्य चाय के सतत उत्पादन को बढ़ावा देना और गरीबी और भूख से लड़ने के लिए जागरूकता बढ़ाना है।
चाय पर अंतरसरकारी समूह (Intergovernmental Group on Tea)
खाद्य और कृषि संगठन के तहत संचालित चाय के अंतर सरकारी समूह ने 2015 में अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस की अवधारणा का प्रस्ताव रखा था।
सतत विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals – SDG)
चाय उत्पादन निम्नलिखित लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है :
लक्ष्य 1 : गरीबी कम करना
लक्ष्य 2 : भूख से लड़ना
लक्ष्य 5 : महिला सशक्तिकरण
लक्ष्य 15 : स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र का सतत उपयोग
महत्व
चाय उत्पादन जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील है। चाय का उत्पादन केवल कृषि-पारिस्थितिक परिस्थितियों में ही किया जा सकता है। बहुत सीमित देश हैं जो चाय का उत्पादन करते हैं।इसलिए, चाय उत्पादक देशों को अपने चाय उत्पादन के साथ जलवायु चुनौतियों को एकीकृत करना चाहिए। यह अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य है।
भारत
भारत चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा चाय उत्पादक देश है। साथ ही, भारत दुनिया में चाय का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। भारत वैश्विक चाय उत्पादन का लगभग 30% खपत करता है।
आदर्श वाक्य
अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस आदर्श वाक्य पर मनाया जाता है, “Harnessing Benefits for all From Field to Cup”। यह इस दिवस की थीम नहीं है। यह वह आदर्श वाक्य है जिसके तहत हर साल यह दिवस मनाया जाता है।
SOURCE-GK TODAY
राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी दिवस
भारत हर साल 21 मई को राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी दिवस (National Anti-Terrorism Day) मनाता है। यह दिन पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है।
मुख्य बिंदु
राजीव गांधी भारत के छठे प्रधानमंत्री थे। उन्होंने 1984 और 1989 के बीच देश के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। मई 1991 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में उनकी हत्या कर दी गई थी।
राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी दिवस आतंकवाद और मानव समाज पर इसके प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। यह दिन शांति और मानवता का संदेश भी फैलाता है।
राजीव गांधी (Rajiv Gandhi)
राजीव गांधी ने अपनी मां और भारत की पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की हत्या के बाद प्रधानमंत्री का पद संभाला था।
राजीव गांधी की हत्या उस समय की गई जब वे श्रीपेरंबदूर में लोकसभा उम्मीदवार के लिए प्रचार कर रहे थे। वह एक बम विस्फोट में मारे गये थे। सुप्रीम कोर्ट ने पुष्टि की कि श्री गांधी कोलिट्टे संगठन द्वारा मारा गया था। भारत लिट्टे की गतिविधियों को रोकने के लिए श्रीलंका में एक भारतीय शांति सेना भेजने जा रहा था।