Current Affairs – 23 December, 2021
दुग्ध उत्पादों की अनुरूपता मूल्यांकन योजना के लिए समर्पित एक पोर्टल और लोगों की शुरूआत की
पृष्ठभूमि
उपभोक्ताओं के लिए सुरक्षित, पौष्टिक और स्वच्छ दूध और दुग्ध उत्पाद सुनिश्चित करने के लिए गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा बहुत ही महत्वपूर्ण कारक हैं और डेयरी क्षेत्र का दीर्घकालिक संचालन करने के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।
एनडीडीबी और बीआईएस इन प्रक्रियाओं और उत्पादों के प्रमाणीकरण में शामिल रहे हैं। एक ओर, एनडीडीबी द्वारा डेयरी मूल्य श्रृंखला में प्रक्रिया मानकों का पालन करने वाले सहकारी समितियों के डेयरी संयंत्रों को ‘गुणवत्ता चिह्न’ प्रदान किया जा रहा है, जो सहकारी डेयरियों के लिए ब्रांड की पहचान बनाने और उपभोक्ताओं के बीच विश्वास को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। वहीं दूसरी ओर, बीआईएस के पास डेयरी उत्पाद संसाधक सहित निर्माताओं के लिए उत्पाद प्रमाणन की योजना है, जिसके माध्यम से उत्पादन स्तर पर खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित की गई है जिससे लाइसेंसधारकों को अपने उत्पादों पर ‘आईएसआई मार्क’ का उपयोग करने की अनुमति भी प्रदान की गई है।
हालांकि, इससे पहले उत्पाद और प्रक्रिया प्रमाणन एकीकृत नहीं थे- जिससे डेयरी संयंत्रों को अंततः प्रमाणन का लाभ उठाना मुश्किल हो रहा था। इसके अलावा दूध और दुग्ध उत्पादों की गुणवत्ता के बारे में उपभोक्ताओं की बीच जागरूकता का अभाव था।
पशुपालन और डेयरी विभाग, भारत सरकार की पहल से और व्यापक हितधारकों से परामर्श करने के बाद, बीआईएस द्वारा एनडीडीबी की मदद से एक एकीकृत अनुरूपता मूल्यांकन योजना को तैयार किया गया।
यह दूध और दुग्ध उत्पादों के खराब प्रकृति और लघु भंडारण और उपयोगिता की अवधि के साथ-साथ दूध और दुग्ध उत्पादों के उत्पादन और आपूर्ति में शामिल व्यापक कोल्ड-चेन को ध्यान में रखते हुए एक अनूठी और अपने प्रकार की पहली प्रमाणन योजना है। इसे पहले से प्रदान किए जा रहे संबंधित लोगो, बीआईएस-आईएसआई मार्क, एनडीडीबी-गुणवत्ता मार्क और कामधेनु गाय की विशेषता वाले एकीकृत लोगो के साथ एक ही छतरी के नीचे ‘उत्पाद-खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली-प्रक्रिया‘ प्रमाणन के अंतर्गत लाया गया है।
यह पूरे देश में दुग्ध और दुग्ध उत्पादों की गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि यह अनुरूपता के मूल्यांकन वाली योजना है।
- प्रमाणन प्रक्रिया को आसान बनाना
- डेयरी उत्पादों की गुणवत्ता के संदर्भ में नागरिकों को आश्वस्त करने के लिए तत्काल पहचान करने योग्य लोगो का निर्माण करना,
- संगठित क्षेत्र में दूध और दुग्ध उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देना और इसके बदले में किसानों की आय में बढ़ोत्तरी करना,
- डेयरी क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण संस्कृति का विकास करना।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.3
प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी की जयंती
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन किसान और ग्रामीण भारत के उत्थान के लिए समर्पित किया था। श्री अमित शाह ने ‘किसान दिवस’ पर देश के सभी किसान भाईयों को शुभकामनाएं भी दीं।
चौधरी चरण सिंह (23 दिसंबर 1902 – 29 मई 1987) वह भारत के किसान राजनेता एवं पाँचवें प्रधानमंत्री थे। उन्होंने यह पद 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक संभाला। चौधरी चरण सिंह ने अपना संपूर्ण जीवन भारतीयता और ग्रामीण परिवेश की मर्यादा में जिया।
कांग्रेस के लौहर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित हुआ था, जिससे प्रभावित होकर युवा चौधरी चरण सिंह राजनीति में सक्रिय हो गए। उन्होंने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी का गठन किया। 1930 में जब महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का आह्वान किया तो उन्होंने हिंडन नदी पर नमक बनाकर उनका साथ दिया। जिसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा।
वो किसानों के नेता माने जाते रहे हैं। उनके द्वारा तैयार किया गया जमींदारी उन्मूलन विधेयक राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत पर आधारित था। एक जुलाई 1952 को यूपी में उनके बदौलत जमींदारी प्रथा का उन्मूलन हुआ और गरीबों को अधिकार मिला। उन्होंने लेखापाल के पद का सृजन भी किया। किसानों के हित में उन्होंने 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को पारित कराया। वो 3 अप्रैल 1967 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 17 अप्रैल 1968 को उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। मध्यावधि चुनाव में उन्होंने अच्छी सफलता मिली और दुबारा 17 फ़रवरी 1970 के वे मुख्यमंत्री बने। उसके बाद वो केन्द्र सरकार में गृहमंत्री बने तो उन्होंने मंडल और अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की। 1979 में वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक [नाबार्ड] की स्थापना की। 28 जुलाई 1979 को चौधरी चरण सिंह समाजवादी पार्टियों तथा कांग्रेस (यू) के सहयोग से प्रधानमंत्री बने।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.1
सेमीकंडक्टर फैब इकाइयां
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र (electronics manufacturing ecosystem) को बढ़ावा देने के लिए सेमीकंडक्टर नीति (semiconductor policy) अधिसूचित की।
मुख्य बिंदु
- इलेक्ट्रॉनिक्स पर राष्ट्रीय नीति 2019 (NPE 2019) के अनुरूप हाल ही में कैबिनेट द्वारा सेमीकंडक्टर नीति को मंजूरी दी गई।
- भारत में सेमीकंडक्टर फैब स्थापित करने के लिए बड़े निवेश को आकर्षित करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा यह नीति शुरू की गई है।
- नीति भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण (Electronics System Design and Manufacturing – ESDM) के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाने का भी प्रयास करती है।
- सरकार की अधिसूचना के अनुसार, भारत में सेमीकंडक्टर फैब की स्थापना सार्वजनिक खरीद (मेक इन इंडिया) आदेश 2017 के तहत इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की खरीद में खरीद वरीयता द्वारा समर्थित होगी।
सरकार का आर्थिक सहयोग
- सरकार ने पूरे भारत में चिप निर्माण और डिजाइन सुविधाओं की स्थापना के लिए कंपनियों को प्रोत्साहित करने के लिए दिसंबर 2021 में 76,000 करोड़ रुपये के पैकेज का अनावरण किया था।
- इस नीति के कार्यान्वयन के लिए, सरकार भारत में दो सेमीकंडक्टर और दो डिस्प्ले फैब स्थापित करने के लिए परियोजना लागत के लगभग 50% की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
- इस योजना के लिए आवेदन विंडो 1 जनवरी, 2022 को 45 दिनों के लिए खुलेगी।
- इस योजना के तहत सरकार 6 साल के लिए समान आधार पर सहायता प्रदान करेगी।
- योजना परिव्यय का 5% भारत में सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिए अनुसंधान एवं विकास, कौशल विकास और प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपयोग किया जाएगा।
सरकार का बुनियादी ढांचा समर्थन
- सरकार संशोधित इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (Electronics Manufacturing Clusters – EMC 2.0) योजना के तहत अतिरिक्त बुनियादी ढांचा सहायता प्रदान करेगी।
- राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता के अलावा, सरकार अनुसंधान एवं विकास, कौशल विकास और प्रशिक्षण के लिए भी सहायता करेगी।
- अर्धचालक (semiconductor) उन पदार्थों को कहते हैं जिनकी विद्युत चालकता चालकों (जैसे ताँबा) से कम किन्तु अचालकों (जैसे काँच) से अधिक होती है। (आपेक्षिक प्रतिरोध प्रायः 10-5 से 108 ओम-मीटर के बीच) सिलिकॉन, जर्मेनियम, कैडमियम सल्फाइड, गैलियम आर्सेनाइड इत्यादि अर्धचालक पदार्थों के कुछ उदाहरण हैं। अर्धचालकों में चालन बैण्ड और संयोजक बैण्ड के बीच एक ‘बैण्ड गैप’ होता है जिसका मान ० से ६ एलेक्ट्रान-वोल्ट के बीच होता है।
अर्धचालक युक्तियों के निर्माण में सिलिकॉन (Si) का सबसे अधिक प्रयोग होता है। अन्य पदार्थों की तुलना में इसके मुख्य गुण हैं कच्चे माल की कम लागत, निर्माण मे आसानी और व्यापक तापमान परिचालन सीमा। वर्तमान में अर्धचालक युक्तियों के निर्माण के लिये पहले सिलिकॉन को कम से कम ३०० mm की चौडाई के बउल के निर्माण से किया जाता है, ताकी इस से इतनी ही चौडी वेफर बन सके।
पहले जर्मेनियम (Ge) का प्रयोग व्यापक था, किन्तु इसके उष्ण अतिसंवेदनशीलता के करण सिलिकॉन ने इसकी जगह ले ली है। आज जर्मेनियम और सिलिकॉन के कुधातु का प्रयोग अकसर अतिवेगशाली युक्तियों के निर्माण मे होता है; आई बी एम एसे युक्तियों का प्रमुख उत्पादक है।
गैलिअम आर्सेनाइड (GaAs) का प्रयोग भी व्यापक है अतिवेगशाली युक्तियों के निर्माण में, मगर इस पदार्थ के चौडे बउल नही बन पाते, जिसके कारण सिलिकॉन की तुलना में गैलिअम आर्सेनाइड से अर्धचालक युक्तियों को बनाना मेहंगा पडता है।
अन्य पदार्थ जिनका प्रयोग या तो कम व्यापक है, या उन पर अनुसंधान हो रहा है:
- सिलिकॉन कार्बाइड (SiC) का प्रयोग नीले प्रकाश उत्सर्जक डायोड (एल-ई-डी, LED) के लिये हो रहा है। प्रतिकूल वातावरण, जैसे उच्च तापमान या अत्याधिक आयनित विकिरण, के होने पर इसके उपयोग पर अनुसंधान हो रहा है। सिलिकॉन कार्बाइड से इंपैट डायोड (IMPATT) को भी बनाया गया है।
- इंडियम के समास, जैसे इंडियम आर्सेनाइड, इंडियम एन्टिमोनाइड और इंडियम फॉस्फाइड, का भी प्रयोग एल-ई-डी और ठोस अवस्था लेसर डायोड मे हो रहा है।
- सौर फोटो वोल्टायिक सेल के निर्माण के लिये सेलेनियम सल्फाइड पर अनुसंधान हो रहा है।
SOURCE-THE HINDU
PAPER-G.S.3
शिक्षक विश्वविद्यालय
20 दिसंबर, 2021 को दिल्ली कैबिनेट ने दिल्ली शिक्षक विश्वविद्यालय (Teachers University) की स्थापना को मंजूरी दी।
मुख्य बिंदु
- यह विश्वविद्यालय कक्षा 12 के बाद चार वर्षीय एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम (teacher education programme) की पेशकश करेगा।
- कार्यक्रम में BA & B.Ed, BSc & B.Ed, और BCom & B.Ed पाठ्यक्रम शामिल किए जाएंगे।
- इन पाठ्यक्रमों का अनुसरण करते हुए, विश्वविद्यालय में नामांकित लोगों को भी प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए दिल्ली सरकार के स्कूलों से जोड़ा जाएगा।
- सरकार दिल्ली विधानसभा के अगले सत्र में इसके लिए “दिल्ली शिक्षक विश्वविद्यालय विधेयक 2021” पेश करेगी।
दिल्ली शिक्षक विश्वविद्यालय (Delhi Teachers University)
दिल्ली शिक्षक विश्वविद्यालय एक सार्वजनिक विश्वविद्यालय होगा। यह विभिन्न स्कूल चरणों में दिल्ली के लिए उत्कृष्ट गुणवत्ता वाले शिक्षकों को तैयार करने के लिए समर्पित होगा। व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करने के लिए विश्वविद्यालय के छात्रों को पाठ्यक्रम की पूरी अवधि के लिए दिल्ली सरकार के स्कूलों से भी जोड़ा जाएगा। यह छात्रों को सैद्धांतिक ज्ञान के अलावा उत्कृष्ट व्यावहारिक ज्ञान (practical knowledge) प्राप्त करने में मदद करेगा।
विश्वविद्यालय का महत्व
- यह विश्वविद्यालय शिक्षा अध्ययन, नेतृत्व और नीति के क्षेत्रों में सेवा-पूर्व के साथ-साथ सेवाकालीन शिक्षकों को तैयार करने में उत्कृष्टता केंद्र के रूप में कार्य करेगा।
- शिक्षक तैयारी में अभ्यास, अनुसंधान और नीति के बीच की खाई को पाटने के लिए यह विश्वविद्यालय काम करेगा। यह दिल्ली की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की गतिशील अवधारणा और वास्तविकताओं के साथ भी लगातार जुड़ा रहेगा।
विश्वविद्यालय में प्रवेश
शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए नए विश्वविद्यालय में प्रवेश शुरू होगा।
विश्वविद्यालय कहां स्थापित होगा?
पश्चिमी दिल्ली के बक्करवाला में दिल्ली शिक्षक विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी।
एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम (Integrated Teacher Education Programme – ITEP)
एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम (Integrated Teacher Education Programme – ITEP) को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy – NEP) 2020 के अनुसार शिक्षा मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किया गया था। यह पाठ्यक्रम उन सभी छात्रों के लिए उपलब्ध होगा जो अपनी 12वीं की परीक्षा के बाद शिक्षक बनना चुनते हैं। चार वर्षीय ITEP शैक्षणिक सत्र 2022-23 से शुरू होगा। यह पाठ्यक्रम शुरू में भारत में 50 चयनित बहु-विषयक संस्थानों में पायलट मोड में पेश किया जाएगा। नेशनल कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (NCET) के माध्यम से नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा कोर्स के लिए प्रवेश दिया जाएगा।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.2
राष्ट्रीय किसान दिवस
प्रतिवर्ष 23 दिसम्बर को भारत में राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है, यह दिवस भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की स्मृति में मनाया जाता है। इस दिवस को चरण सिंह जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। 23 दिसम्बर को चौधरी चरण सिंह का जन्म हुआ था।
किसान आंदोलन
मौजूदा समय में पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा कृषि कानूनों का पुरजोर विरोध किया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा पारित किये तीन कृषि सुधार विधेयकों के खिलाफ किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इन कानूनों को सितंबर 2020 में लागू किया गया था। इस कानूनों ने कृषि उत्पादों की बिक्री, मूल्य निर्धारण और भंडारण के नियमों में थोड़ी ढील दी है।
इन कानूनों से असहमति के कारण किसानों ने एक शांतिपूर्ण विरोध शुरू किया, इस आन्दोलन को ‘दिल्ली चलो’ नाम दिया है। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व अधिकांश पंजाबी और सिख किसान कर रहे हैं। किसानों को भय है कि नए कृषि बिल उनकी आजीविका के लिए खतरा हैं।
चौधरी चरण सिंह
चौधरी चरण सिंह भारत के पांचवें प्रधानमंत्री थे, वे 28 जुलाई, 1979 से 14 जनवरी, 1980 के बीच देश के प्रधानमंत्री रहे। उनका जन्म 23 दिसम्बर, 1902 को ब्रिटिश भारत के संयुक्त प्रांत के नूरपुर (अब उत्तर प्रदेश) में हुआ था। वे 1967 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े रहे। तत्पश्चात 1967-77 के दौरान वे भारतीय लोक दल से जुड़े रहे। 1977 से 1980 के बीच में जनता पार्टी के साथ रहे। इसके पश्चात् 1980 से 1987 के दौरान वे लोकदल से जुड़े हुए थे।
चौधरी चरण सिंह 3 अप्रैल, 1967 से 25 फरवरी, 1968 के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। इसके पश्चात् वे 24 मार्च, 1977 से 1 जुलाई, 1978 के बीच केन्द्रीय गृह मंत्री रहे। 24 जनवरी, 1979 से 28 जुलाई, 1979 के दौरान वे देश के वित्त मंत्री रहे। उनका निधन 29 मई, 1987 को नई दिल्ली में हुआ था।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.1PRE