Current Affair 26 April 2021

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CURRENTS AFFAIRS – 26th APRIL

डीजीएफटी कोविड-19 हेल्पडेस्क

भारत सरकार के वाणिज्य विभाग और विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने कोविड-19 मामलों में आयी तेजी को देखते हुए निर्यात एवं आयात की स्थिति और व्यापार हितधारकों के सामने आने वाली कठिनाइयों की निगरानी करने का काम शुरू किया है। डीजीएफटी ने तदनुसार अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से जुड़े मुद्दों में मदद करने और उनका उपयुक्त हल तलाशने के लिए ‘कोविड-19 हेल्पडेस्क’चालू किया है।

यह ‘कोविड-19 हेल्पडेस्क’ वाणिज्य विभाग/डीजीएफटी, आयात एवं निर्यात के लाइसेंस से जुड़ी समस्याओं, सीमा शुल्क मंजूरी में होने वाली देरी और उससे पैदा होने वाली जटिलताओं, आयात/ निर्यात प्रलेखन मुद्दों, बैंकिंग मामलों आदि से संबंधित मुद्दों पर ध्यान देगा। हेल्पडेस्क केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के अन्य मंत्रालयों/विभागों/एजेंसियों से जुड़े मुद्दों का पता लगाएगा, उनका संकलन करेगा और उनसे मदद जुटानेएवं संभव हल प्रदान करने के लिए समन्वय करेगा।

सभी हितधारक, विशेष रूप से निर्यातकऔर आयातकनिम्नलिखित चरणों काइस्तेमाल करते हुए डीजीएफटीवेबसाइट पर जानकारी डाल सकते हैं और अपनी उन समस्याओं से जुड़ी जानकारी डाल सकते हैं जिन्हें लेकर उन्हें मदद चाहिए –

डीजीएफटी कीवेबसाइट (https://dgft.gov.in) https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/ image/image001DUDX.pngसेवाएंhttps://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image001DUDX.pngहेल्पडेस्क सेवा पर जाएं

‘नया अनुरोध तैयार करें’ और ‘कोविड-19 ’के रूप में श्रेणी का चयन करें।

उपयुक्त उप-श्रेणी का चयन करें, दूसरे जरूरी विवरण दर्ज करें और सबमिट करें।

वैकल्पिक रूप से, कोई व्यक्ति,विषय शीर्षक: ‘कोविड-19 हेल्पडेस्क’ के साथ ईमेल आईडी: dgftedi@nic.in पर अपनी समस्याएं भेज सकता है या टोल फ्री नंबर: 1800-111-550 पर कॉल कर सकता है।

डीजीएफटी  हेल्पडेस्क सेवाओं के तहत स्टेटस ट्रैकर का इस्तेमाल करके समस्या के हल और फीडबैक की स्थिति का पता लगाया जा सकता है। इन टिकटों की स्थिति अपडेट होने पर ईमेल और एसएमएस भी भेजे जाएंगे।

SOURCE-PIB

 

दंतक परियोजना

भूटान में दंतक परियोजना अपनी डायमंड जुबली मना रही है। भूटान में भारतीय राजदूत श्रीमती रुचिरा कंबोज ने 24 अप्रैल, 2021 को सिम्टोखा के दंतक स्मारक में एक पुष्पांजलि अर्पित की। भारतीय सैन्य प्रशिक्षण दल (आईएमटीआरएटी) के कमांडेंट मेजर जनरल संजीव चौहान और मुख्य अभियंता दंतक ब्रिग कबीर कश्यप ने भी इस स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की। यह भारत और भूटान के बीच दोस्ती के बंधन को मजबूत करने में दंतक के कर्मियों द्वारा किए गए बलिदान के लिए एक श्रद्धांजलि थी। याद रहे कि भूटान में महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे का निर्माण करते समय 1,200 से अधिक दंतक कर्मियों ने अपने जीवन का बलिदान दिया है।

24 अप्रैल, 1961 को भूटान के महामहिम तीसरे राजा और तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के दूरदर्शी नेतृत्व के परिणामस्वरूप प्रोजेक्ट दंतक की स्थापना की गई थी। भूटान के सामाजिक-आर्थिक विकास और तरक्की को प्रभावित करने में कनेक्टिविटी के अत्यधिक महत्व की पहचान करते हुए, दंतक को राज्य में अग्रणी मोटर योग्य सड़कों के निर्माण का काम सौंपा गया था। दंतक ने 1968 में समद्रुप जोंगखर को त्रासीगंग से जोड़ने वाली सड़क को पूरा किया था। उसी वर्ष, थिम्फू को दंतक द्वारा फुंटशोलिंग से जोड़ा गया। कई भूटानियों ने भी स्वेच्छा से काम करना शुरू कर दिया था।

इन वर्षों में दंतक ने भूटान में असंख्य राजसी जरूरतों को पूरा किया है, जो कि वहां की राजशाही की दृष्टि और लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप है। परियोजना द्वारा निष्पादित कुछ अन्य उल्लेखनीय परियोजनाओं में पारो हवाई अड्डे, योनफुला एयरफील्ड, थिम्फू – त्रासीगंग राजमार्ग, दूरसंचार और हाइड्रो पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर, शेरुबसे कॉलेज, कांग्लुंग और इंडिया हाउस एस्टेट का निर्माण शामिल है।

दंतक द्वारा सुदूरवर्ती क्षेत्रों में स्थापित चिकित्सा और शिक्षा सुविधाएं उन स्थानों में पहली थीं। सड़क के किनारे भोजन की दुकानों ने भूटानी लोगों को भारतीय व्यंजनों से परिचित कराया और भारतीय भोजन के लिए उनका स्वाद विकसित हुआ। फुंटशोलिंग और थिम्फू के बीच पड़ने वाली प्रसिद्ध तक्थी कैंटीन यात्रियों के लिए एक अनिवार्य पड़ाव बना रहा है।

जैसा कि दंतक भूटान में छह दशक का जश्न मना रहा है, यह परियोजना भूटान के महामहिम ड्रुक ग्यालपो के सपनों को साकार करने की दिशा में भूटान के समर्थन में अपनी प्रतिबद्धता, भूटान की शाही सरकार की योजनाओं और राज्य के लोगों की आकांक्षाओं की पुष्टि करती है।

SOURCE-PIB

 

सिंगल क्रिस्टल ब्लेड

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन – डीआरडीओ ने सिंगल क्रिस्टल ब्लेड प्रौद्योगिकी विकसित की है और इनमें से 60 ब्लेड की आपूर्ति हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड – एचएएल को हेलीकॉप्टर इंजन एप्लीकेशन के लिए स्वदेशी हेलीकॉप्टर विकास कार्यक्रम के हिस्से के रूप में की है। यह डीआरडीओ की प्रीमियम प्रयोगशाला डिफेंस मेटालर्जिकल रिसर्च लेबोरेटरी (डीएमआरएल) द्वारा शुरू किये गए एक कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसमें निकल-आधारित उत्कृष्ट मिश्रित धातु का उपयोग करके सिंगल क्रिस्टल उच्च दबाव वाले टरबाइन (एचपीटी) ब्लेड के पांच सेट (300 की संख्या में) विकसित किए जा रहे हैं। शेष चार सेटों की आपूर्ति उचित समय पर पूरी की जाएगी।

रणनीतिक व रक्षा एप्लीकेशन्स में इस्तेमाल किए जाने वाले हेलीकाप्टरों को चरम स्थितियों में अपने विश्वसनीय संचालन के लिए कॉम्पैक्ट तथा शक्तिशाली एयरो-इंजन की आवश्यकता होती है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए, जटिल आकार और ज्यामिति वाले अत्याधुनिक सिंगल क्रिस्टल ब्लेड, जो ऑपरेशन के उच्च तापमान को सहन करने में सक्षम निकल आधारित उत्कृष्ट मिश्रित धातु से निर्मित हैं, का उपयोग किया जाता है। दुनिया के बहुत ही कम देशों जैसे अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस में ऐसे सिंगल क्रिस्टल (एसएक्स) पुर्जों को डिजाइन एवं निर्माण करने की क्षमता है।

डीएमआरएल ने पूर्व में एयरो-इंजन परियोजना के लिए इस तरह की तकनीक के विकास के दौरान प्राप्त की गई विशेषज्ञता के आधार पर यह कार्य किया था। ब्लेड को बनाने के लिए पूर्ण वैक्यूम निवेश कास्टिंग प्रक्रिया, जिसमें डाई डिजाइन, वैक्स पैटरिंग, सिरेमिक मोल्डिंग, पुर्जों की वास्तविक कास्टिंग गैर-विनाशकारी मूल्यांकन (एनडीई), ताप उपचार और आयामी माप शामिल है, को डीएमआरएल में स्थापित किया गया है।

विशेष सिरेमिक संघटक को मजबूत सिरेमिक मोल्ड बनाने के लिए तैयार किया जाना था, जो कास्टिंग ऑपरेशन के दौरान 1500 डिग्री सेल्सियस और उससे अधिक तापमान पर तरल सीएमएसएक्स -4 मिश्र धातु के दबाव का सामना कर सकता है। आवश्यक तापमान के उतार-चढ़ाव को बनाए रखने की चुनौती भी कास्टिंग मापदंडों को अनुकूलित करके दूर की गई है। जरूरी माइक्रोस्ट्रक्चर और यांत्रिक गुणों को प्राप्त करने के लिए जटिल सीएमएसएक्स -4 उत्कृष्ट मिश्रित धातु के लिए एक बहु-चरणीय वैक्यूम समाधान ताप उपचार शिड्यूल भी स्थापित किया गया है। इसके अलावा, ब्लेड के लिए एक कठोर गैर-विनाशकारी मूल्यांकन (एनडीई) पद्धति के साथ-साथ इनके क्रिस्टलोग्राफिक झुकाव का निर्धारण करने की तकनीक विकसित की गई है।

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ, एचएएल और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के विकास में शामिल उद्योग को बधाई दी है।

रक्षा विभाग में अनुसंधान एवं विकास सचिव तथा डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी ने भी इस उपलब्धि पर बधाई दी और इस महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के स्वदेशी विकास में शामिल लोगों के प्रयासों की सराहना की।

SOURCE-PIB

                                 

SpaceX Crew 2

SpaceX Crew 2 क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान की चालक दल सहित दूसरी उड़ान है। क्रू 2 मिशन के तहत, नासा और स्पेसएक्स ने हाल ही में मिलकर चार अंतरिक्ष यात्रियों को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में पहुंचाया।

Crew 2

इसने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों और नासा से चार सदस्यों को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक पहुँचाया।

यह डेमो-2 के समान कैप्सूल का उपयोग करता था। डेमो-2 को एंडेवर (Endeavour) भी कहा जाता है। एंडेवर स्पेसएक्स द्वारा निर्मित और संचालित था। इसका उपयोग नासा के वाणिज्यिक क्रू कार्यक्रम के लिए किया गया था।

यह क्रू-1 के समान बूस्टर का उपयोग करता था।

यह हार्मनी मॉड्यूल पर अंतर्राष्ट्रीय डॉकिंग एडॉप्टर के लिए डॉक करेगा। हार्मनी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का यूटिलिटी हब है। यह यूरोप, अमेरिका और जापान के प्रयोगशाला मॉड्यूल को जोड़ता है।

क्रू 2 मिशन में प्रथम

अंतरराष्ट्रीय साझेदारों को उड़ाने वाला यह पहला वाणिज्यिक चालक दल मिशन है।

यह क्रू मिशन पर क्रू ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट (Crew Dragon Spacecraft) और फाल्कन 9 रॉकेट (Falcon 9 rocket) का पहला पुन: उपयोग (reuse) है।

यह पहली बार है जब दो वाणिज्यिक चालक दल के अंतरिक्ष यान को उसी समय स्टेशन पर डॉक किया जाएगा।

क्रू-1

यह क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान की चालक दल सहित पहली उड़ान थी।

यह नासा के वाणिज्यिक क्रू कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए पहला परिचालन मिशन था।

वाणिज्यिक क्रू कार्यक्रम (Commercial Crew Programme)

यह नासा द्वारा संचालित एक मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम है। इसे अंतरिक्ष यात्रियों को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक ले जाने और वापस लाने के लिए लॉन्च किया गया था।

स्पेसएक्स ड्रैगन (SpaceX Dragon)

क्रू 2 मिशन ने अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने के लिए ड्रैगन अंतरिक्ष यान का इस्तेमाल किया।ड्रैगन की पहली उड़ान 2010 में हुई थी।

ट्रैकोमा

गाम्बिया हाल ही में ट्रैकोमा को खत्म करने वाला दूसरा अफ्रीकी देश बना। ट्रैकोमा अंधापन के प्रमुख कारणों में से एक है। 2018 में ट्रेकोमा को खत्म करने वाला घाना पहला अफ्रीकी देश बना था।

ट्रैकोमा क्या है? (What is Trachoma?)

यह एक जीवाणु नेत्र संक्रमण है जो आंख की पलकों को नुकसान पहुंचाता है। इससे आंख की पलकें अंदर की तरफ मुड़ जाती हैं। ट्रैकोमा उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों (Neglected Tropical Diseases) में से एक है। अगर इसे सर्जरी के साथ ठीक नहीं किया जाता है तो यह अपरिवर्तनीय दृष्टि हानि और अंधापन का कारण बन सकता है।

ट्रैकोमा जीवाणु क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस (Chlamydia trachomatis) के कारण होता है।

अफ्रीका में ट्रैकोमा

2000 के बाद से बीमारी के जोखिम वाले लोगों की संख्या में 90% से अधिक की कमी आई। हालांकि, अफ्रीका में 40 से अधिक देश अभी भी ट्रैकोमा से प्रभावित हैं।

गाम्बिया की सफलता

एनजीओ, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और स्थानीय समुदायों द्वारा चार दशकों के मज़बूत प्रयासों के बाद गाम्बिया ने ट्रैकोमा को समाप्त कर दिया। एनजीओ की मदद से नेत्र इकाइयों का एक नेटवर्क बनाया गया था। इन इकाइयों ने ट्रैकोमा के साथ लोगों की पहचान की।

पृष्ठभूमि

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ट्रैकोमा सहित 20 उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों से निपटने के लिए वैश्विक लक्ष्य का एक रोडमैप लॉन्च किया। इस रोडमैप का लक्ष्य 2030 तक सभी 20 बीमारियों को खत्म करना है।

भारत में ट्रैकोमा

भारत 2017 में ट्रैकोमा से मुक्त हो गया था। नेशनल ट्रेकोमा सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, देश में ट्रेकोमा का समग्र प्रसार 0.7% था। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा परिभाषित उन्मूलन मानदंडों से बहुत नीचे है।

ट्रैकोमा का क्या कारण है?

ट्रैकोमा खराब पर्यावरण और व्यक्तिगत स्वच्छता के कारण होता है। यह मुख्य रूप से तब होता है जब व्यक्ति पानी और स्वच्छता की अपर्याप्त पहुंच का सामना करता है।

SOURCE-GK TODAY

 

विश्व बौद्धिक संपदा दिवस

हर साल, विश्व बौद्धिक संपदा दिवस (World Intellectual Property Day) 26 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिन बौद्धिक संपदा के महत्व को उजागर करने के लिए मनाया जाता है।

इस वर्ष, विश्व बौद्धिक संपदा दिवस निम्नलिखित थीम  के तहत मनाया जा रहा है:

थीम : IP and SMEs: Taking your ideas to market

विश्व बौद्धिक संपदा दिवस (World Intellectual Property Day)

यह दिन विश्व बौद्धिक संपदा संगठन द्वारा 2000 में स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य कॉपीराइट, पेटेंट, डिजाइन और ट्रेडमार्क के दैनिक जीवन पर प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

26 अप्रैल ही क्यों?

26 अप्रैल को विश्व बौद्धिक संपदा दिवस के रूप में मनाने के लिए चुना गया था क्योंकि इस दिन “विश्व बौद्धिक संपदा संगठन की स्थापना करने के लिए कन्वेंशन” लागू हुआ था।

विश्व बौद्धिक संपदा दिवस चीन द्वारा प्रस्तावित किया गया था।

विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (World Intellectual Property Organisation)

WIPO 1967 में स्थापित किया गया था। यह 1970 में लागू हुआ। यह संयुक्त राष्ट्र की 15 विशिष्ट एजेंसियों में से एक है। यह संगठन 26 अंतरराष्ट्रीय संधियों का प्रबंधन करता है।

भारत WIPO का सदस्य है। भारत निम्नलिखित WIPO प्रशासित अंतर्राष्ट्रीय संधियों का भी सदस्य है:

मारकेश संधि

ओलंपिक प्रतीक के संरक्षण पर नैरोबी संधि

इंटीग्रेटेड सर्किट के संबंध में बौद्धिक संपदा पर वाशिंगटन संधि

पेटेंट सहयोग संधि

साहित्य और कलात्मक कार्यों के संरक्षण के लिए बर्न कन्वेंशन

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