Current Affair 26 August 2021

Current Affairs – 26 August, 2021

जलियांवाला बाग स्मारक

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 28 अगस्त, 2021 को शाम 6:25 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जलियांवाला बाग स्मारक के पुनर्निर्मित परिसर को राष्ट्र को समर्पित करेंगे। प्रधानमंत्री इस स्मारक में निर्मित संग्रहालय दीर्घाओं का भी उद्घाटन करेंगे। इस आयोजन के दौरान समूचे परिसर को उन्नत करने के लिए सरकार द्वारा की गई अनगिनत विकास पहलों को भी दर्शाया जाएगा।

पूरे किए गए कार्य

लंबे समय से बेकार पड़ी और कम उपयोग वाली इमारतों का दोबारा अनुकूल इस्तेमाल सुनिश्चित करते हुए चार संग्रहालय दीर्घाएं निर्मित की गई हैं। ये दीर्घाएं उस अवधि के दौरान पंजाब में घटित विभिन्न घटनाओं के विशेष ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती हैं। इन घटनाओं को दिखाने के लिए श्रव्य-दृश्य प्रौद्योगिकी के माध्यम से प्रस्तुति दी जाएगी जिसमें मैपिंग और 3डी चित्रण के साथ-साथ कला एवं मूर्तिकला अधिष्ठापन भी शामिल हैं।

13 अप्रैल, 1919 को घटित विभिन्न घटनाओं को दर्शाने के लिए एक साउंड एंड लाइट शो की व्यवस्था की गई है।

इस परिसर में विकास से जुड़ी कई पहल की गई हैं। पंजाब की स्थानीय स्थापत्य शैली के अनुरूप धरोहर संबंधी विस्तृत पुनर्निर्माण कार्य किए गए हैं। शहीदी कुएं की मरम्मत की गई है और नवविकसित उत्तम संरचना के साथ इसका पुनर्निर्माण किया गया है। इस बाग का केंद्रीय स्थल माने जाने वाले ‘ज्वाला स्मारक’ की मरम्मत करने के साथ-साथ इसका पुनर्निर्माण किया गया है, यहां स्थित तालाब को एक ‘लिली तालाब’ के रूप में फिर से विकसित किया गया है, और लोगों को आने-जाने में सुविधा के लिए यहां स्थित मार्गों को चौड़ा किया गया है।

इसमें अनेक नई और आधुनिक सुविधाओं को जोड़ा गया है जिनमें लोगों की आवाजाही के लिए उपयुक्त संकेतकों से युक्त नव विकसित मार्ग; महत्वपूर्ण स्थानों को रोशन करना; देशी वृक्षारोपण के साथ बेहतर भूदृश्य एवं चट्टानों युक्त निर्माण कार्य, इत्यादि; पूरे बगीचे में ऑडियो नोड्स लगाना शामिल हैं। इसके अलावा मोक्ष स्थल, अमर ज्योत और ध्वज मस्तूल को समाहित करने के लिए अनेक नए क्षेत्रों का विकास किया गया है।

जलियाँवाला बाग हत्याकांड

रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी जिसमें जनरल डायर नामक एक अँग्रेज जालियाँवाला बाग हत्याकांड भारत के पंजाब प्रान्त के अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर के निकट जलियाँवाला बाग में १३ अप्रैल १९१९ (बैसाखी के दिन) हुआ था।ऑफिसर ने अकारण उस सभा में उपस्थित भीड़ पर गोलियाँ चलवा दीं जिसमें 400 से अधिक व्यक्ति मरे और २से अधिक घायल हुए। अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में 484 शहीदों की सूची है, जबकि जलियांवाला बाग में कुल 388 शहीदों की सूची है। ब्रिटिश राज के अभिलेख इस घटना में 200 लोगों के घायल होने और 379 लोगों के शहीद होने की बात स्वीकार करते है जिनमें से 337 पुरुष, 41 नाबालिग लड़के और एक 6-सप्ताह का बच्चा था। अनाधिकारिक आँकड़ों के अनुसार 1000 से अधिक लोग मारे गए और 2000 से अधिक घायल हुए। यदि किसी एक घटना ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर सबसे अधिक प्रभाव डाला था तो वह घटना यह जघन्य हत्याकाण्ड ही था। माना जाता है कि यह घटना ही भारत में ब्रिटिश शासन के अंत की शुरुआत बनी। १९९७ में महारानी एलिज़ाबेथ ने इस स्मारक पर मृतकों को श्रद्धांजलि दी थी। २०१३ में ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरॉन भी इस स्मारक पर आए थे। विजिटर्स बुक में उन्होंनें लिखा कि “ब्रिटिश इतिहास की यह एक शर्मनाक घटना थी।

अंग्रेज़ों के अत्याचार

आंदोलन के दो नेताओं सत्यपाल और सैफ़ुद्दीन किचलू को गिरफ्तार कर कालापानी की सजा दे दी गई। 10 अप्रैल 1919 को अमृतसर के उप कमिश्नर के घर पर इन दोनों नेताओं को रिहा करने की माँग पेश की गई। परंतु ब्रिटिशों ने शांतिप्रिय और सभ्य तरीके से विरोध प्रकट कर रही जनता पर गोलियाँ चलवा दीं जिससे तनाव बहुत बढ़ गया और उस दिन कई बैंकों, सरकारी भवनों, टाउन हॉल, रेलवे स्टेशन में आगज़नी की गई। इस प्रकार हुई हिंसा में 5 यूरोपीय नागरिकों की हत्या हुई। इसके विरोध में ब्रिटिश सिपाही भारतीय जनता पर जहाँ-तहाँ गोलियाँ चलाते रहे जिसमें 8 से 20 भारतीयों की मृत्यु हुई। अगले दो दिनों में अमृतसर तो शाँत रहा पर हिंसा पंजाब के कई क्षेत्रों में फैल गई और 3 अन्य यूरोपीय नागरिकों की हत्या हुई। इसे कुचलने के लिए ब्रिटिशों ने पंजाब के अधिकतर भाग पर मार्शल लॉ लागू कर दिया।

काण्ड का विवरण

कांड के महीनों बाद 1919 में बाग का दृश्य

बैसाखी के दिन 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक सभा रखी गई, जिसमें कुछ नेता भाषण देने वाले थे। शहर में कर्फ्यू लगा हुआ था, फिर भी इसमें सैंकड़ों लोग ऐसे भी थे, जो बैसाखी के मौके पर परिवार के साथ मेला देखने और शहर घूमने आए थे और सभा की खबर सुन कर वहां जा पहुंचे थे। जब नेता बाग में पड़ी रोड़ियों के ढेर पर खड़े हो कर भाषण दे रहे थे, तभी ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर 90 ब्रिटिश सैनिकों को लेकर वहां पहुँच गया। उन सब के हाथों में भरी हुई राइफलें थीं। नेताओं ने सैनिकों को देखा, तो उन्होंने वहां मौजूद लोगों से शांत बैठे रहने के लिए कहा।

गोलीबारी

सैनिकों ने बाग को घेर कर बिना कोई चेतावनी दिए निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलानी शुरू कर दीं। १० मिनट में कुल 1650 राउंड गोलियां चलाई गईं। जलियांवाला बाग उस समय मकानों के पीछे पड़ा एक खाली मैदान था। वहाँ तक जाने या बाहर निकलने के लिए केवल एक संकरा रास्ता था और चारों ओर मकान थे। भागने का कोई रास्ता नहीं था। कुछ लोग जान बचाने के लिए मैदान में मौजूद एकमात्र कुएं में कूद गए, पर देखते ही देखते वह कुआं भी लाशों से पट गया। जलियांवाला बाग कभी जलली नामक आदमी की संपत्ति थी।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.1

TOPIC-HISTORY

 

राष्ट्रीय खाद्य एवं पोषण अभियान

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि भारत ने खाद्यान्न के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। कृषि व सम्बद्ध उत्पादों में हमारा देश दुनिया में नंबर एक या दो पर है। हमारे किसानों व वैज्ञानिकों की इतनी ताकत है कि हम दुनिया में प्रतिस्पर्धा करें तो लगभग सभी जिंसों में नंबर एक हो सकते हैं। आज इतना उत्पादन व बढ़ती हुई उत्पादकता हम सब के लिए गौरव व प्रसन्नता का विषय है, लेकिन आजादी के 75वें वर्ष में हम ऐसे मुकाम पर खड़े है, जहां हमें आत्मावलोकन करने के साथ ही चुनौतियां तथा उनके समाधान पर विचार करना होगा। श्री तोमर ने यह बात किसानों के लिए राष्ट्रीय खाद्य एवं पोषण अभियान का शुभारंभ करते हुए कही। इसका आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने किया है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी एक व्यापक दृष्टिकोण के आधार पर वर्ष 2014 से लगातार काम कर रहे हैं। मोदी जी की सरकार आने के समय भारत सरकार का कृषि का बजट लगभग 21 हजार करोड़ रूपए होता था, जिसे बढ़ाकर अब 1.23 लाख करोड़ रू. से अधिक कर दिया गया है। मोदी जी द्वारा ग्राम पंचायतों के विकास के लिए भी वित्त आयोग के अनुदान की राशि लगभग पांच गुना कर दी गई है। कृषि हमारी प्रधानता है, कृषि ने प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अपनी प्रासंगिकता बार-बार सिद्ध की है। कोविड संकट के बावजूद कृषि का न कोई संस्थान बंद हुआ, न उत्पादन प्रभावित हुआ बल्कि कठिन परिस्थितियों में भी ज्यादा बुआई व बंपर उत्पादन हुआ और सरकार ने पहले से ज्यादा उपार्जन किया है।

श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री जी द्वारा 75 सप्ताह तक आजादी का अमृत महोत्सव मनाने का निर्णय लिया गया है। हमारे देश की आजादी हमें आसानी से नहीं मिली, हमारे पूर्वजों ने अपने प्राणों का बलिदान किया, हंसते-हंसते फांदी के फंदों को चूम लिया, तब जाकर लहू से सनी हुई यह महत्वपूर्ण आजादी हम लोगों को प्राप्त हुई है। आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के साथ प्रधानमंत्री जी ने युवा पीढ़ी में देश के प्रति जज्बे को और मजबूत करना चाहते हैं। साथ ही, उन्होंने हर क्षेत्र- हर जगह इस महोत्सव का लाभ देश की प्रगति के लिए लेने की जरूरत पर बल दिया है।

कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी ने कहा कि सरकरा ने प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में कुपोषण की समस्या हल करने का संकल्प लिया है, साथ ही इस दिशा में अनेक योजनाएं व कार्यक्रम हाथ में लिए हैं। श्री चौधरी ने कहा कि वर्ष 2023 को भारत के नेतृत्व में पोषक-अनाज वर्ष मनाया जाएगा, जो हमारे लिए गर्व का विषय है।

राष्ट्रीय पोषण सप्ताह

राष्ट्रीय पोषण सप्ताह (एनएनडब्ल्यू), भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, खाद्य और पोषण बोर्ड द्वारा शुरू किया गया वार्षिक पोषण कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम पूरे देश में प्रतिवर्ष 1 से 7 सितंबर तक मनाया जाता है। पोषण सप्ताह मनाने का मुख्य उद्देश्य बेहत्तर स्वास्थ्य के लिए पोषण के महत्व पर जागरूकता बढ़ाना है, जिसका विकास, उत्पादकता, आर्थिक विकास और अंततः राष्ट्रीय विकास पर प्रभाव पड़ता है।

प्रत्येक वर्ष पोषण सप्ताह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाता है जिसमें इस अवधि के दौरान बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा और उनकी बेहतरी में उचित पोषण के महत्व के बारे में जन जागरूकता पैदा करने के लिए एक सप्ताह का अभियान चलाया जाता है।

नवजात शिशु एवं बाल आहार प्रथाओं को अधिकतम बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय ने “मां- मां की असीम ममता” कार्यक्रम शुरू किया है ताकि देश में स्तनपान का दायरा बढ़ाया जा सके। मां कार्यक्रम के अंतर्गत स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर कार्यक्रम प्रबंधकों सहित डॉक्टरों, नर्सों और एएनएम के साथ करीब 3.7 लाख आशा और करीब 82,000 स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को संवेदनशील बनाया गया है और 23,000 से ज्यादा स्वास्थ्य सुविधा कर्मचारियों को आईबाईसीएफ प्रशिक्षण दिया गया है। साथ ही उपयुक्त स्तनपान परंपराओं के महत्व के संबंध में माताओं को संवेदनशील बनाने के लिए ग्रामीण स्तरों पर आशा द्वारा 1.49 लाख से अधिक माताओं की बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

TOPIC-ECONOMY

 

ड्रोन नियमावली, 2021

नागर विमानन मंत्रालय ने मार्च, 2021 में यूएएस नियमावली, 2021 प्रकाशित की थी जिसे शिक्षाविदों, स्टार्टअप्स, एंड-यूजर्स और अन्य हितधारकों ने स्वाभाविक रूप से प्रतिबंधात्मक माना था, क्योंकि इनमें अधिक कागजी कार्रवाई की जरूरत थी और ड्रोन की प्रत्येक उड़ान के लिए कई अनुमति लेने की जरूरत के साथ-साथ बहुत कम ‘फ्री टू फ्लाई’ ग्रीन जोन उपलब्ध थे। इनके बारे में प्राप्त हुए फीडबैक के आधार पर सरकार ने यूएएस नियमावली, 2021 को रद्द करने और उसकी जगह उदार बनाई गई ड्रोन नियमावली, 2021 लागू करने का निर्णय लिया है।

मानव रहित विमान प्रणाली को आमतौर पर ड्रोन के रूप में जाना जाता है। यह प्रणाली अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों जैसे कृषि, खनन, बुनियादी ढांचा, निगरानी, आपातकालीन प्रतिक्रिया, परिवहन, भू-स्थानिक मानचित्रण, रक्षा और कानून लागू करने के बारे में अधिक लाभों का प्रस्ताव करती है। ड्रोन अपनी पहुंच, प्रतिभा, सरल उपयोग के कारण, विशेष रूप से भारत के दूर-दर्राज तथा दुर्गम क्षेत्रों में रोजगार और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर सकते हैं। नवाचार, सूचना प्रौद्योगिकी, मितव्ययी इंजीनियरिंग में अपनी परंपरागत मजबूती और व्यापक घरेलू मांग को देखते हुए भारत में वर्ष 2030 तक वैश्विक ड्रोन केन्द्र बनने की संभावना है।

ड्रोन नियमावली, 2021 की 30 प्रमुख विशेषताएं

  1. यह विश्वास, स्व-प्रमाणन और बिना दखल देने वाली निगरानी के आधार पर निर्मित है।
  2. सुरक्षा और संरक्षा विचारों को संतुलित रखते हुए सुपर-नॉर्मल विकास के युग में प्रवेश करने के लिए तैयार किया गया है।
  3. अनेक अनुमोदन समाप्त कर दिए गए हैं : विशिष्ट प्राधिकार संख्या, विशिष्ट प्रोटोटाइप पहचान विनिर्माण और उड़ान योग्यता का प्रमाण पत्र, अनुरूपता का प्रमाण पत्र, रखरखाव का प्रमाण पत्र, आयात मंजूरी, मौजूदा ड्रोनों की स्वीकृति, ऑपरेटर परमिट, अनुसंधान एवं विकास संगठन का प्राधिकार, छात्र रिमोट पायलट लाइसेंस, रिमोट पायलट प्रशिक्षक प्राधिकार, ड्रोन बंदरगाह प्राधिकार आदि।
  4. प्रपत्रों की संख्या 25 से घटाकर 5 कर दी गई हैं।
  5. 72 प्रकार के शुल्कों की संख्या घटाकर 4 कर दी गई हैं।
  6. शुल्क की मात्रा को घटाकर नाममात्र स्तर पर कर दिया गया है और जिनका ड्रोन के आकार के साथ कोई संबंध नहीं रहा है। उदाहरण के लिए, रिमोट पायलट लाइसेंस शुल्क जो बड़े ड्रोन के लिए 3000 रुपये था उसे सभी श्रेणियों के लिए घटाकर 100 रुपये कर दिया गया है जो 10 साल के लिए वैध रहेगा।
  7. डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म को उपयोगकर्ता के अनुकूल सिंगल-विंडो सिस्टम के रूप में विकसित किया जाएगा। इसमें न्यूनतम मानव इंटरफेस होगा और अधिकांश अनुमति स्व:जनित होंगी।
  8. इस नियमावली के प्रकाशन के 30 दिनों के अंदर डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर हरे, पीले और लाल क्षेत्रों के साथ इंटरएक्टिव एयरस्पेस नक्शा प्रदर्शित किया जाएगा।
  9. ग्रीन जोन में ड्रोन के परिचालन के लिए किसी प्रकार की अनुमति की आवश्यकता नहीं है। ग्रीन जोन का अर्थ है 400 फीट या 120 मीटर की ऊर्ध्वाधर दूरी तक का हवाई क्षेत्र है जिसे एयरस्पेस नक्शे में लाल क्षेत्र या पीले क्षेत्र के रूप में नामित नहीं किया गया है; और एक परिचालन हवाई अड्डे की परिधि से 8 और 12 किलोमीटर की पार्श्व दूरी के बीच स्थित क्षेत्र से 200 फीट या 60 मीटर की ऊर्ध्वाधर दूरी के ऊपर का हवाई क्षेत्र।
  10. पीले जोन के हवाई अड्डे की परिधि के 45 किलोमीटर से घटाकर 12 किलोमीटर तक कर दिया गया है।
  11. माइक्रो ड्रोन्स (गैर-व्यावसायिक उपयोग के लिए) और नैनो ड्रोन के लिए रिमोट पायलट लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है।
  12. किसी भी पंजीकरण या लाइसेंस को जारी करने से पहले सुरक्षा मंजूरी की कोई आवश्यकता नहीं होगी।
  13. ग्रीन जोन में स्थित अपने या किराए के परिसर में ड्रोन का संचालन करने वाली अनुसंधान एवं विकास संस्थाओं को टाइप सर्टिफिकेट, विशिष्ट पहचान संख्या और रिमोट पायलट लाइसेंस की कोई जरूरत नहीं है।
  14. भारतीय ड्रोन कंपनियों में विदेशी स्वामित्व के बारे में कोई प्रतिबंध नहीं है।
  15. ड्रोन का आयात डीजीएफटी द्वारा नियंत्रित होगा।
  16. डीजीसीए से आयात मंजूरी की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया है।
  17. ड्रोन नियमावली, 2021 के तहत ड्रोन का कवरेज 300 किलोग्राम से बढ़ाकर 500 किलोग्राम कर दिया गया है। जिसमें ड्रोन टैक्सियां भी शामिल होंगी।
  18. डीजीसीए ड्रोन प्रशिक्षण जरूरतों का निर्धारण करेगा, ड्रोन स्कूलों की निगरानी करेगा और ऑनलाइन पायलट लाइसेंस भी उपलब्ध कराएगा।
  19. डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म के माध्यम से अधिकृत ड्रोन स्कूल से रिमोट पायलट सर्टिफिकेट प्राप्त करने के 15 दिनों के अंदर डीजीसीए द्वारा रिमोट पायलट लाइसेंस जारी कर दिया जाएगा।
  20. क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया या अधिकृत परीक्षण संस्थाओं द्वारा टाइप सर्टिफिकेट जारी करने के लिए ड्रोन का परीक्षण किया जाएगा।
  21. टाइप सर्टिफिकेट की आवश्यकता तभी होगी जब ड्रोन भारत में परिचालित किया जाएगा। केवल निर्यात के लिए ड्रोन के आयात और विनिर्माण को टाइप प्रमाणन और विशिष्ट पहचान संख्या से छूट दी जाएगी।
  22. नैनो और मॉडल ड्रोन (अनुसंधान या मनोरंजन के उद्देश्य से बने) को टाइप प्रमाणीकरण से छूट दी गई है।
  23. निर्माता और आयातकर्ता स्व-प्रमाणन मार्ग के माध्यम से डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर अपने ड्रोन की विशिष्ट पहचान संख्या का सृजन कर सकते हैं।
  24. डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म के माध्यम से ड्रोन के हस्तांतरण और पंजीकरण को रद्द करने के लिए एक आसान प्रक्रिया निर्दिष्ट की गई है।
  25. 30 नवम्बर, 2021 को या उससे पहले भारत में मौजूद ड्रोन को डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म के माध्यम से एक विशिष्ट पहचान संख्या जारी की जाएगी, बशर्ते उनके पास एक डीएएन, एक जीएसटी-भुगतान बिल हो और ड्रोन डीजीसीए द्वारा अनुमोदित ड्रोन की सूची का हिस्सा हो।
  26. उपयोगकर्ताओं द्वारा स्व-निगरानी के लिए डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर डीजीसीए द्वारा मानक परिचालन प्रक्रिया (एसओपी) और प्रशिक्षण प्रक्रिया नियमावली (टीपीएम) निर्धारित की जाएगी। जब तक निर्धारित प्रक्रियाओं से महत्वपूर्ण रवानगी न हो, तब तक किसी प्रकार के अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है।
  27. नियमों के उल्लंघन के लिए अधिकतम जुर्माने की राशि को घटाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया।
  28. भविष्य में ‘नो परमिशन-नो टेकऑफ’ (एनपीएनटी), रीयल-टाइम ट्रैकिंग बीकन, जियो-फेंसिंग आदि जैसी सुरक्षा और संरक्षा सुविधाओं को अधिसूचित किया जाएगा। इसके अनुपालन के लिए उद्योग को छह महीने का समय दिया जाएगा।
  29. कार्गो डिलीवरी के लिए ड्रोन कॉरिडोर विकसित किए जाएंगे।
  30. सरकार द्वारा विकासोन्मुखी नियामक व्यवस्था को सुगम बनाने के लिए शिक्षा जगत, स्टार्टअप्स और अन्य हितधारकों की भागीदारी के साथ ड्रोन प्रोत्साहन परिषद की स्थापना की जाएगी।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

भारत में महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए नीति आयोग ने सिस्को के साथ साझेदारी की

भारत सरकार की सार्वजनिक नीति के थिंक टैंक नीति आयोग ने अपनी साझा प्रतिबद्धता के आधार पर देशभर में महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए सिस्को के साथ मिलकर आज महिला उद्यमिता मंच (डब्ल्यूईपी) के अगले चरण का शुभारंभ किया। “डब्ल्यूईपी नेक्स्ट” शीर्षक से नीति आयोग  के प्रमुख मंच का यह अगला चरण देश भर में अधिक महिला-स्वामित्व वाले व्यवसायों को सक्षम करने के लिए भारत के स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के साथ काम करने के लिए सिस्को की तकनीक और अनुभव का लाभ उठाएगा। इस शुभारम्भ के अवसर पर श्री अमिताभ कांत (नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी), अन्ना रॉय (नीति आयोग की वरिष्ठ सलाहकार), मारिया मार्टिनेज, सिस्को की कार्यकारी उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ संचालन अधिकारी (ईवीपी और सीओओ, सिस्को), सिस्को इंडिया और सार्क (एसएएआरसी) की अध्यक्ष डेज़ी चित्तिलापिल्ली और हरीश कृष्णन, (प्रबंध निदेशक, सार्वजनिक मामले और रणनीतिक जुड़ाव, सिस्को इंडिया और सार्क) उपस्थित थे।

नीति आयोग ने महिला उद्यमिता मंच (डब्ल्यूईपी) को 2017 में शुरू किया गया था। यह अपनी तरह का पहला, एकीकृत पोर्टल है जो विविध पृष्ठभूमि की महिलाओं को एक साथ लाता है और उन्हें संसाधनों, समर्थन और सीखने के विविध आयामों तक पहुंच प्रदान करता है। डब्ल्यूईपी नेक्स्ट  इन प्रयासों को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। भारतीय महिला उद्यमियों के एक केंद्रित अध्ययन और छह प्रमुख कार्यक्षेत्रों में उनकी सबसे जरूरी जरूरतों के आधार पर – समुदाय और नेटवर्किंग, कौशल और सलाह, ऊष्मायन (इनक्यूबेशन) और गतिशीलता के कार्यक्रम के साथ ही वित्तीय सहायता, अनुपालन और विपणन में सहायता – के लिए डब्ल्यूईपी नेक्स्ट साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने से प्रेरित होगा। इस परिवर्तन को बढ़ावा देने वाला केंद्रित अध्ययन भी पारिस्थितिकी तंत्र के लाभ के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है।

इसके अतिरिक्त, इस पहल के एक हिस्से के रूप में, सिस्को, नैसकॉम फाउंडेशन, सत्त्व कंसल्टिंग और डीआसरा फाउंडेशन के सहयोग से व्यक्तिगत और उद्यम स्तरों पर महिला उद्यमियों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रौद्योगिकी के नेतृत्व वाले अनुभवों और जुड़ावों को सक्षम करेगा और वृद्धि के नए अवसरों का निर्माण करेगा।

इस अवसर पर नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अमिताभ कान्त ने कहा कि “छठी आर्थिक जनगणना के अनुसार, महिलाएं कुल उद्यमियों का केवल 13.76% हैं, यानी देश के 5 करोड़ 85 लाख उद्यमियों में से 80 लाख पांच हजार I यह अतीत में एक छूट गया अवसर हो सकता है, लेकिन मुझे विश्वास है कि भारत सरकार और निजी क्षेत्र महिला उद्यमिता मंच (डब्ल्यूईपी) जैसी पहलों के माध्यम से एक साथ मिलकर, हम एक नए भारत की उस  परिकल्पना को साकार कर सकेंगे – जहां निर्माण और उपलब्धि की गौरव गाथा में साझा करने के लिए पुरुषों और महिलाओं के लिए समान अवसर मिल सकते हैं। “डब्ल्यूईपी नेक्स्ट” इस आंदोलन को और उत्प्रेरित करेगा और मुझे विश्वास है कि सिस्को के साथ हमारी भागीदारी के  बाद, यह प्रौद्योगिकी मंच जल्द ही देश की प्रत्येक महिला उद्यमी के लिए अपने सपनों को साकार करने के लिए एक व्यक्तिगत मार्गदर्शक बन सकेगा”I

सिस्को की मुख्य संचालन अधिकारी मारिया मार्टिनेज ने कहा कि “जब भी हम पुनर्प्राप्ति के एक नए चरण में प्रवेश करते हैं तब एक ऐसा एक सामूहिक समझौता हमे मिलता हैं जिसमे एक विविध, समावेशी और डिजिटल रूप से कहीं अधिक समृद्ध सक्षम दुनिया विद्यमान होती है।” “यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम असमानता की चुनौतियों के का सामना करने लिए कदम बढ़ाएं और आर्थिक समृद्धि के लिए ऐसे नए रास्ते बनाएं जो लोगों और समुदायों, विशेष रूप से महिलाओं को बाधाओं को तोड़ने, नए विचारों को प्रस्फुटित कर और नवाचार को प्रज्वलित करने के लिए सक्षम बनाएं। हम नीति आयोग के साथ अपनी साझेदारी को लेकर उत्साहित हैं। और उम्मीद है कि डिजिटल तकनीक का लाभ महिलाओं के स्वामित्व वाले और अधिक उद्यमों तक पहुंचेगा।”

सिस्को इंडिया और सार्क के प्रबंध निदेशक और मुख्य नीति अधिकारी श्री हरीश कृष्णन ने कहा  कि “महिला उद्मिता मंच (डब्ल्यूईपी) पर केंद्रित अध्ययन के अनुसार अधिक नवाचार के अलावा 2030 तक 17 करोड़ तक नौकरियां पैदा की जा सकती हैं और अगर अधिक महिलाओं उद्यमिता को अपनाती हैं तो हमारा वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद 1.5% और बढ़ सकता है – यदि हम ऐसा करने में देरी करते हैं तो एक बड़ा अवसर हाथ से निकल जाएगा। महिलाओं के स्वामित्व वाले व्यवसायों का उत्थान करें”। उन्होंने कहा कि “डब्ल्यूईपी नेक्स्ट” का उद्देश्य भारत में महिलाओं के लिए मौजूदा अंतर को पाटना और नई संभावनाओं को गढ़ना है। हमें सभी के लिए अधिक समावेशी और समान भविष्य के अपने साझा दृष्टिकोण को गति देने के लिए नीति आयोग  के साथ साझेदारी करने पर गर्व है।”

सिस्को के बारे में

सिस्को (एनएएसडीएक्यू.सीएससीओ) प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दुनिया भर में अग्रणी है और इंटरनेट को शक्ति प्रदान करता है। सिस्को आपके लिए अनुप्रयोगों की फिर से कल्पना करके, आपके डेटा को सुरक्षित करके, आपके बुनियादी ढांचे को बदलकर, और वैश्विक और समावेशी भविष्य के लिए आपकी टीमों को सशक्त बनाकर नई संभावनाओं को प्रेरित करता है। Cisco.com पर और खोजें और हमें Twitter @Cisco पर फॉलो करें।

महिला उद्यमिता मंच, नीति आयोग के बारे में

महिला उद्यमिता मंच (डब्ल्यूईपी) नीति आयोग की प्रमुख पहल है – यह और महिला उद्यमियों के लिए अपनी तरह का एक एकीकृत सूचना पोर्टल है। यह उद्योग संबंधों और मौजूदा कार्यक्रमों और सेवाओं के बारे में जागरूकता में सुधार करने का प्रयास करता है और सभी की सहायता करने, सीखने के संसाधनों, धन की व्यवस्था करने के अवसरों और संरक्षक परामर्शदाताओं तक पहुंच प्रदान करता है। पारिस्थितिकी तंत्र में सूचना विषमता को हल करने वाले एक एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म बनने के एक व्यापक उद्देश्य के साथ, महिला उद्यमिता मंच (डब्ल्यूईपी) महिला उद्यमियों के लिए आवश्यक प्रासंगिक सूचना और सेवाओं के लिए एक ही  स्थान पर समाधान देने वाले के रूप में कार्य करता है। यह मंच वर्तमान में 16,000 से अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ताओं और 30 भागीदारों की व्यवस्था करता है और वित्त पोषण और वित्तीय प्रबंधन, ऊष्मायन संयोजनों (इन्क्यूबेशन कनेक्ट), कराधान और अनुपालन सहायता, उद्यमी कौशल और संरक्षकों, समुदाय और नेटवर्किंग और विपणन सहायता जैसे छह प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान देता है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.2

 

मिशन वात्सल्य

महाराष्ट्र सरकार ने COVID-19 में पति को खोने वाली महिलाओं की मदद करने के लिए “मिशन वात्सल्य” नामक एक विशेष मिशन लांच किया।

मुख्य बिंदु

  • ‘मिशन वात्सल्य’ उन महिलाओं को एक छत के नीचे कई सेवाएं और लगभग 18 लाभ प्रदान करेगा।
  • यह ग्रामीण क्षेत्रों, गरीब पृष्ठभूमि और वंचित वर्गों से आने वाली विधवाओं पर विशेष ध्यान देने के साथ विधवाओं के लिए डिजाइन किया गया है।
  • इस मिशन के तहत ‘संजय गांधी निराधार योजना’ और ‘घरकुल योजना’ जैसी योजनाओं से महिलाओं को फायदा होगा।

लाभार्थियों की संख्या

कोविड-19 महामारी के बीच, पिछले 18 महीनों में लगभग 15,095 महिलाओं ने अपने पति खो दिए। जिला टास्क फोर्स ने 14,661 ऐसी महिलाओं को योजना का लाभ प्रदान करने के लिए सूचीबद्ध किया है।

लाभ प्रदान करने वाला नोडल विभाग

यह मिशन महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी, बाल विकास परियोजना अधिकारी, आंगनबाडी कार्यकर्ता एवं स्थानीय इकाई के अधिकारी इन महिलाओं को सेवाएं प्रदान करने के लिए उनके घर जायेंगे।

संजय गांधी निराधार योजना (Sanjay Gandhi Niradhar Yojana)

यह योजना निराश्रित व्यक्तियों, विकलांग, नेत्रहीन, तलाकशुदा महिलाओं, वेश्यावृत्ति से मुक्त महिलाओं, अनाथ बच्चों, बड़ी बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों, ट्रांसजेंडर आदि को वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। प्रत्येक लाभार्थी को प्रति माह 600 रुपये मिलते हैं जबकि परिवार को एक से अधिक लाभार्थी को प्रतिमाह 900 रुपये मिलते हैं। यह लाभ लाभार्थी को तब तक दिया जाएगा जब तक कि उनके बच्चे 25 वर्ष के नहीं हो जाते या जब तक वे नौकरी प्राप्त नहीं कर लेते।

SOURCE-GKTODAY

PAPER-G.S.2

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