Current Affair 26 December 2021

Current Affairs – 26 Descember, 2021

मिशन सागर

मिशन सागर के तहत मई 2020 से भारतीय नौसेना द्वारा की गई एक और तैनाती के हिस्से के रूप में, भारतीय नौसेना के जहाज केसरी ने 25 दिसंबर 2021 को मोजाम्बिक के मापुटो बंदरगाह में प्रवेश किया। यह क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास के माननीय प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप ऐसी आठवीं तैनाती है और विदेश मंत्रालय तथा भारत सरकार की अन्य एजेंसियों के साथ घनिष्ठ समन्वय में संचालित की जा रही है।

ये तैनातियां भारत के विस्तारित समुद्री पड़ोस के साथ एकजुटता में की गई और ये इन विशेष संबंधों को भारत द्वारा दिए गए महत्व को रेखांकित करती हैं। वर्तमान में जारी सूखे और महामारी की चुनौतियों से निपटने के लिए मोजाम्बिक सरकार के प्रयासों का समर्थन करने के लिए आईएनएस केसरी द्वारा 500 टन खाद्य सहायता भेज दी गई है। भारत मोजाम्बिक के सशस्त्र बलों के क्षमता निर्माण प्रयासों की सहायता करने के लिए भी प्रतिबद्ध है। इसके लिए आईएनएस केसरी मोजाम्बिक के सशस्त्र बलों को सुपुर्द करने के लिए दो फास्ट इंटरसेप्टर क्राफ्ट और आत्मरक्षा उपकरण ले जा रहा है।

एक लैंडिंग शिप टैंक (बड़ा) आईएनएस केसरी ने मई-जून 2020 में मालदीव, मॉरीशस, सेशेल्स, मेडागास्कर और कोमोरोस को मानवीय और चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए इसी तरह का मिशन शुरू किया था, जिसमें विभिन्न स्थानों पर भारतीय नौसेना की चिकित्सा सहायता टीमों की तैनाती भी शामिल थी।

मई 2020 से, भारतीय नौसेना ने सागर मिशन के तहत 15 मित्र देशों में जहाजों को तैनात किया है। समुद्र में 215 दिनों से अधिक समय में की गई इन तैनातियों ने कुल मिलाकर 3,000 मीट्रिक टन से अधिक खाद्य सहायता, 300 मीट्रिक टन से अधिक एलएमओ, 900 ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर और 20 आईएसओ कंटेनरों की सहायता प्रदान की है। इन मिशनों के संचालन के दौरान, भारतीय नौसेना के जहाजों ने लगभग 40,000 एनएम की कुल दूरी तय की है जो पृथ्वी की परिधि की लगभग दोगुनी है। इतनी अधिक मात्रा में मानवीय सहायता के समय पर अपने गंतव्य तक पहुंचाने के दृढ़ इरादे के साथ, भारतीय नौसेना के जहाजों और तट संगठनों के कर्मियों ने विदेशों में हमारे मित्रों को सहायता उपलब्ध कराने के लिए लगभग दस लाख मानव-घंटे का निवेश किया है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.2

 

पुनरोत्थान वितरण क्षेत्र योजना

विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार ने अंतिम छोर तक के उपभोक्ताओं को आपूर्ति की विश्वसनीयता और गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से वितरण ढांचे के आधुनिकीकरण और सुदृढ़ीकरण के लिए बिजली वितरण कंपनियों को वित्तीय सहायता प्रदान करके सरकारी स्वामित्व वाली वितरण कंपनियों/विद्युत विभागों की परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिरता में सुधार के उद्देश्य के साथ सुधार-आधारित और परिणाम से जुड़ी पुनरोत्‍थान वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) शुरू की थी।

मेघालय और असम की राज्य सरकारें अपने परिचालन और वित्तीय सुधारों के साथ-साथ पुरनरोत्‍थान वितरण क्षेत्र योजना (नोडल एजेंसी – आरईसी) के तहत इसे पूरा करने के लिए अंतर्निहित कार्यों की योजना बनाने में अग्रणी बन गई हैं। तदनुसार, उनकी राज्य स्तरीय वितरण सुधार समिति (डीआरसी) और राज्य मंत्रिमंडल ने योजना के तहत कार्य योजना और डीपीआर सहित कई प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है।

कई सुधार उपायों सहित राज्यों की कार्य योजनाओं का उद्देश्य आपूर्ति की गुणवत्ता और विश्वसनीयता में सुधार लाने की दिशा में काम करने के अलावा इसमें होने वाले नुकसान में कमी लाना, उनके अधिकांश उपभोक्ता आधार के स्मार्ट प्रीपेड मीटरिंग को लागू करना, वित्त वर्ष 2023 तक 100% फीडर स्तर ऊर्जा अकाउंटिंग, पुराने कंडक्टरों का पुन: संचालन, एलटी एबीसी में रूपांतरण, फीडरों का विभाजन, कृषि फीडरों का पृथक्करणऔर बिलिंग तथा अन्य आईटी/ओटी प्रणालियों का उन्नयन शामिल हैं।

इन योजनाओं के तहत, राज्य सरकारें वितरण कंपनियों की वित्तीय व्यवहार्यता सुनिश्चित करने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं, जैसे कि शेष सब्सिडी बकाया और सरकारी विभाग की बकाया राशि का भुगतान, टैरिफ सुधारों का कार्यान्वयन, उपभोक्ता सेवाओं को बढ़ाने के उपाय आदि। इन प्रस्तावों को अब अनुमोदन के लिए विद्युत मंत्रालय द्वारा गठित निगरानी समिति के सामने रखा जाएगा।

प्रमुख बिंदु:

  • संदर्भ:
    • यह डिस्कॉम (बिजली वितरण कंपनियों) की आपूर्ति के आधारभूत ढाँचे को मज़बूत करने के लिये सशर्त वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।
      • वित्तीय सहायता पूर्व-अर्हता मानदंडों को पूरा करने और बुनियादी न्यूनतम बेंचमार्क की उपलब्धि पर आधारित होगी।
    • एकीकृत विद्युत विकास योजना, दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना और प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना जैसी सभी मौज़ूदा विद्युत् क्षेत्र सुधार योजनाओं को इस अम्ब्रेला कार्यक्रम में शामिल कर दिया जाएगा।
    • यह योजना वर्ष 2025-26 तक उपलब्ध रहेगी
  • कार्यान्वयन:
    • यह प्रत्येक राज्य के लिये बनाई गई कार्य योजना पर आधारित होगा, न कि वन-साईज-फिट्स-ऑलदृष्टिकोण पर।
  • नोडल एजेंसियाँ:
    • ग्रामीण विद्युतीकरण निगम और विद्युत वित्त निगम
  • घटक:
    • उपभोक्ता मीटर और सिस्टम मीटर:
      • इस योजना में वितरण क्षेत्र- बिजली फीडर से लेकर उपभोक्ता स्तर तक, जिसमें लगभग 250 मिलियन परिवार शामिल हैं, में एक अनिवार्य स्मार्ट मीटरिंग इकोसिस्टम शामिल है।
      • प्रथम चरण में वर्ष 2023 तक लगभग 10 करोड़ प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जाने का प्रस्ताव है।
    • फीडर का वर्गीकरण:
      • यह योजना असंबद्ध फीडरों के लिए फीडर वर्गीकरण हेतु वित्तपोषण पर भी ध्यान केंद्रित करती है, जो पीएम-कुसुम योजना के तहत सौरकरण को सक्षम बनाएगा।
      • फीडरों के सौरकरण से सिंचाई के लिये दिन में सस्ती/निःशुल्क बिजली मिलेगी और किसानों को अतिरिक्त आय होगी।
    • शहरी क्षेत्रों में वितरण प्रणाली का आधुनिकीकरण:
      • सभी शहरी क्षेत्रों में पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण (Supervisory Control and Data Acquisition-SCADA)।
    • ग्रामीण और शहरी क्षेत्र प्रणाली का सुदृढ़ीकरण।
  • विशेष श्रेणी के राज्य:
    • पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम और जम्मू एवं कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों सहित सभी विशेष श्रेणी के राज्यों को विशेष श्रेणी के राज्यों के रूप में माना जाएगा।
  • उद्देश्य:
    • वर्ष 2024-25 तक अखिल भारतीय स्तर पर AT&C हानियों (अक्षम बिजली व्यवस्था के कारण परिचालन नुकसान) को 12-15% तक कम करना।
    • वर्ष 2024-25 तक लागत-राजस्व अंतराल को घटाकर शून्य करना।
    • आधुनिक डिस्कॉम्स के लिये संस्थागत क्षमताओं का विकास करना।
  • प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य): देश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में सभी इच्छुक घरों का विद्युतीकरण सुनिश्चित करना।
  • एकीकृत विद्युत विकास योजना (IPDS): योजना के तहत किये गए प्रावधानों में शामिल हैं:
    • शहरी क्षेत्रों में उप-पारेषण और वितरण नेटवर्क को मज़बूत करना;
    • शहरी क्षेत्रों में वितरण ट्रांसफार्मर/फीडर/उपभोक्ताओं की मीटरिंग; तथा
    • वितरण क्षेत्र की आईटी सक्षमता और वितरण नेटवर्क को मज़बूत करना।
  • दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (DDUGJY): इस ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के के तहत किये गए प्रावधानों में शामिल हैं:
    • कृषि और गैर-कृषि फीडरों को अलग करना;
    • वितरण ट्रांसफार्मर, फीडर और उपभोक्ताओं के स्तर पर मीटरिंग सहित ग्रामीण क्षेत्रों में उप-पारेषण तथा वितरण बुनियादी ढाँचे को मज़बूती प्रदान करने के साथ ही इनमें वृद्धि करना।
  • गर्व (ग्रामीण विद्युतीकरण) एप: विद्युतीकरण योजनाओं के कार्यान्वयन में पारदर्शिता की निगरानी के लिये सरकार द्वारा ग्रामीण विद्युत अभियंताओं (GVAs) को GARV एप के माध्यम से प्रगति की रिपोर्ट करने के लिये नियुक्त किया गया है।
  • उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना (UDAY): डिस्कॉम के परिचालन और वित्तीय बदलाव के लये।
  • संशोधित टैरिफ नीति में ‘4 E’: 4ई में सभी के लिये विद्युत्, किफायती टैरिफ सुनिश्चित करने की क्षमता, एक स्थायी भविष्य के लिये पर्यावरण, निवेश को आकर्षित करने और वित्तीय व्यवहार्यता सुनिश्चित करने के लिये व्यापार करने में आसानी शामिल है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्या योजना

आजादी का अमृत महोत्सव अभियान के तहत 30 प्रमुख सेक्टरों के बड़े उद्योगों ने 17 से 23 दिसंबर, 2021 के बीच सात दिनों की अवधि में देश भर में आयोजित रोजगार मेलों में भाग लिया। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्या योजना (डीडीयू-जीकेवाई) कार्यक्रम के तहत आयोजित इन रोजगार मेलों को विभिन्न राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) और परियोजना कार्यान्वयन एजेंसियों (पीआईए) द्वारा सुगम बनाया गया था।

दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्या योजना (डीडीयू-जीकेवाई) को वैश्विक मानकों के अनुरूप वेतन प्लेसमेंट से जुड़े कार्यक्रमों के मानदण्ड निर्माण करने के एक महत्वाकांक्षी एजेंडे के साथ आरंभ किया गया था। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 25 सितंबर, 2014 को दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (डीडीयू-जीकेवाई) के रूप में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत प्लेसमेंट से जुड़े कौशल विकास कार्यक्रम को नया रूप दिया। डीडीयू-जीकेवाई भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित एक राष्ट्रव्यापी प्लेसमेंट से जुड़ा कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम है।

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 15 वर्ष से लेकर 35 वर्ष की उम्र के बीच के 5.50 करोड़ संभावित कामगार हैं। इससे भारत के लिए अपनी अतिरिक्‍त जनसंख्‍या को एक जनसांख्यिक लाभांश के रूप में परिणत करने का एक ऐतिहासिक अवसर सामने आ रहा है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने गरीब परिवारों के ग्रामीण युवाओं के कौशल विकास और उत्‍पादक क्षमता का विकास के बल पर दीनदयाल उपाध्‍याय ग्रामीण कौशल्‍य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) के कार्यान्‍वयन से देश के समावेशी विकास के लिए इस राष्‍ट्रीय एजेंडे पर जोर दिया है।

आधुनिक बाजार में भारत के ग्रामीण निर्धनों को आगे लाने में कई चुनौतियां हैं, जैसे औपचारिक शिक्षा और बाजार के अनुकूल कौशल की कमी होना। विश्‍वस्‍तरीय प्रशिक्षण, वित्‍तपोषण,  रोजगार उपलब्‍ध कराने पर जोर देने, रोजगार स्‍थायी बनाने, आजीविका उन्‍नयन और विदेश में रोजगार प्रदान करने जैसे उपायों के माध्‍यम से डीडीयू-जीकेवाई इस अंतर को पाटने का काम करती है।

योजना की विशेषताएं

  • लाभकारी योजनाओं तक निर्धनों और सीमांत लोगों को पहुंचने में सक्षम बनाना
  • ग्रामीण गरीबों के लिए मांग आधारित नि:शुल्‍क कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना
  • समावेशी कार्यक्रम तैयार करना
  • सामाजिक तौर पर वंचित समूहों (अजा/अजजा 50 प्रतिशत, अल्‍पसंख्‍यक 15 प्रतिशत, महिला 33 प्रतिशत) को अनिवार्य रूप से शामिल करना।
  • प्रशिक्षण से लेकर आजीविका उन्‍नयन पर जोर देना
  • रोजगार स्‍थायी करने, आजीविका उन्‍नयन और विदेश में रोजगार प्रदान करने के उद्देश्‍य से पथ-प्रदर्शन के उपाय करना।
  • नियोजित उम्‍मीदवारों के लिए अतिरिक्‍त सहायता
  • नियोजन-पश्‍चात सहायता, प्रवास सहायता और पूर्व-छात्र नेटवर्क तैयार करना।
  • रोजगार साझेदारी तैयार करने की दिशा में सकारात्‍मक पहल
  • कम से कम 75 प्रतिशत प्रशिक्षित उम्‍मीदवारों के लिए रोजगार की गारंटी करना।
  • कार्यान्‍वयन साझेदारों की क्षमता बढ़ाना
  • प्रशिक्षण सेवा प्रदान करने वाली नई एजेंसियां तैयार करके कौशल विकास करना।
  • क्षेत्रीय तौर पर जोर देना
  • जम्‍मू-कश्‍मीर (हिमायत), पूर्वोत्‍तर क्षेत्र और वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित 27 जिले (रोशिनी) में निर्धन ग्रामीण युवाओं के लिए परियोजनाओं पर अधिक जोर देना।
  • स्‍तरीय सेवा वितरण
  • कार्यक्रम से जुडी सभी गति‍विधियां स्‍तरीय संचालन प्रक्रिया पर आधारित होंगी जो स्‍थानीय निरीक्षकों द्वारा बताए जाने के लिए नहीं हैं। सभी प्रकार के निरीक्षण भू-स्‍थैतिक प्रमाण, समय के विवरण सहित वीडियो/तस्‍वीरों द्वारा समर्थित होंगे।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

ASIGMA (Army Secure IndiGeneous Messaging Application)

भारतीय सेना ने ASIGMA नाम से एक मैसेजिंग एप्लिकेशन लॉन्च किया, जिसे “Army Secure IndiGeneous Messaging Application” कहा जाता है।

पृष्ठभूमि

यह AWAN (Army Wide Area Network) मैसेजिंग एप्लिकेशन की जगह लेगा। AWAN पिछले 15 वर्षों से सेवा में है।

ASIGMA एप्प किसने विकसित किया है?

  • नई पीढ़ी के वेब-आधारित मैसेजिंग एप्लिकेशन को पूरी तरह से इन-हाउस विकसित किया गया है, विशेष रूप से भारतीय सेना के ‘कोर ऑफ सिग्नल’ के अधिकारियों की एक टीम द्वारा।
  • इस मैसेजिंग ऐप को सेना के आंतरिक नेटवर्क पर विकसित किया जा रहा है।
  • इसे सरकार की मेक इन इंडिया पहल के अनुरूप विकसित किया गया है।

ASIGMA एप्प

  • यह भारतीय सेना के लिए सभी भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और एक बेहतर उपयोगकर्ता अनुभव का दावा करता है।
  • इस एप्प में कई समकालीन विशेषताएं शामिल हैं जिनमें बहु-स्तरीय सुरक्षा, संदेश प्राथमिकता और ट्रैकिंग, गतिशील वैश्विक पता पुस्तिका शामिल हैं।
  • यह विशेष रूप से वर्तमान भू-राजनीतिक सुरक्षा वातावरण की पृष्ठभूमि में सेना की रीयल-टाइम डेटा ट्रांसफर और मैसेजिंग आवश्यकताओं को पूरा करेगा।

महत्व

COVID-19 महामारी के बाद, भारतीय सेना को बड़े पैमाने पर ऑटोमेशन के लिए तैयार किया है। यह पेपरलेस कामकाज की दिशा में कई कदम उठा रही है। ASIGMA एप्प सेना के इन प्रयासों को और बढ़ावा देगा।

SOURCE-THE HINDU

PAPER-G.S.1PRE

 

INS खुकरी

भारत की पहली स्वदेश निर्मित मिसाइल कार्वेट INS खुकरी (P49) को 24 दिसंबर, 2021 को विशाखापत्तनम में 32 साल की सेवा के बाद सेवामुक्त कर दिया गया था।

मुख्य बिंदु

  • डीकमीशनिंग समारोह के दौरान, सूर्यास्त के समय राष्ट्रीय ध्वज, डीकमीशनिंग पेनेंट और नौसैनिक ध्वज को उतारा गया।
  • INS खुकरी को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स ने 23 अगस्त, 1989 को बनाया था।
  • इसे पश्चिमी और पूर्वी बेड़े का हिस्सा होने का गौरव प्राप्त था।
  • इसने कुल मिलाकर 6,44,897 समुद्री मील से अधिक की दूरी तय की।
  • यह जहाज भारतीय सेना के गोरखा ब्रिगेड से सम्बंधित था।

INS खुकरी (F149)

INS खुकरी एक टाइप 14 फ्रिगेट थी, जो भारतीय नौसेना में सेवारत थी। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पाकिस्तान की डाफ्ने-श्रेणी की पनडुब्बी हैंगर द्वारा दिसंबर 1971 में गुजरात में दीव के तट पर इस जहाज को डुबो दिया गया था। INS खुकरी द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पनडुब्बी द्वारा डुबाया गया पहला युद्धपोत था। यह भारतीय नौसेना का एकमात्र युद्धपोत है, जो युद्ध में खो गया था।

INS खुकरी (P49)

INS खुकरी (P49) का नाम INS खुकरी (F149) के नाम पर रखा गया था।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.1 PRE

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