26 March Current Affairs
रीशेप टुमोरो समिट
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज द इकनॉमिक टाइम्स द्वारा आयोजित ‘रीशेप टुमोरो समिट’ में वर्चुअल माध्यम से मुख्य भाषण दिया।
पिछले साल भर में विश्व ने जिन चुनौतियों का सामना किया और उन चुनौतियों में से भारत जिस तरह अधिक मजबूत, अधिक विवेकपूर्ण, अधिक लचीला और अधिक एकजुट होकर उभरा उसकी याद दिलाते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “मैंने कई बार वर्ष 2020 को विज्ञान का वर्ष कहा है। टीके के विकास की प्रक्रिया जो आमतौर पर बहुत वर्षों तक, यहां तक कि कई दशकों तक चलती है, उसे सिर्फ 11 महीने में पूरा किया गया। पिछली जनवरी में इस अज्ञात वायरस के बारे में अनुसंधान शुरू हुआ और हमारे पास इस समय एक नहीं बल्कि कई टीके मौजूद हैं, जिन्हें इस साल के अंत तक लाखों लोगों को लगाया जाना है। इसके साथ ही कोविड-19 के अन्य प्रकारों के लिए भी टीका बनाने की प्रक्रिया जारी है।” उन्होंने कहा कि ये दोनों ही टीके भारत में निर्मित किए गए हैं। भारत बायोटेक का कोवैक्सीन “आत्मनिर्भर भारत” कार्यक्रम के तहत विकसित किया गया है और यह हमारी अतुलनीय वैज्ञानिक क्षमता और टीके के विकास की क्षमता को दर्शाता है। उन्होंने कहा, “लोगों ने हमारे ‘मेड इन इंडिया’ टीके को उत्साहपूर्वक अपनाया है और इसी उत्साह और भरोसे के कारण हमने पिछले सिर्फ चार दिन में एक करोड़ लोगों के टीकाकरण के अपने पिछले लक्ष्य को पार कर लिया है।”
डॉ. हर्षवर्धन ने इस महामारी की ‘टेस्ट, ट्रैक एंड ट्रीट’ रणनीति में भारत के निवेश और इसके फलदायी व्यवहारगत बदलाव अभियान का ब्यौरा देते हुए कहा कि इन्हीं वजहों से भारत बीमारी से रिकवरी की उच्चतम दर और न्यूनतम मृत्यु दर को हासिल करने में कामयाब रहा है। उन्होंने वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण की इस बात के लिए प्रशंसा की कि उन्होंने 2021-22 के बजट में कोविड-19 टीकाकरण अभियान के लिए 35,000 करोड़ रुपए आवंटित करने का फैसला किया। उन्होंने टीकाकरण के लिए लाभार्थियों के विभिन्न समूहों के बीच प्राथमिकता तय करने के संबंध में नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन (एनटीएजीआई) और नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन फॉर कोविड-19 (एनईजीवीएसी) की सिफारिश के पीछे की युक्ति के बारे में भी ब्यौरा साझा किया।
टीकाकरण अभियान के संबंध में भारत द्वारा योजना बनाने और उसे लागू करने के लिए अपनाए गए सहयोगपूर्ण दृष्टिकोण की प्रशंसा करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यह अभियान इस संबंध में एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है कि संघीय व्यवस्था में किसी कार्यक्रम की अधिकतम नागरिकों तक पहुंच किस तरह बनाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि इस टीकाकरण अभियान में मंत्रियों, विभागों, पेशेवर संस्थाओं, मेडिकल कॉलेजों, स्वयं सेवी संस्थाओं, सीएसओ, मीडिया हाउसेस, निजी क्षेत्र, युवा और महिला स्वयं सेवा समूहों जैसे हितधारकों को शामिल कर इसे एक ‘जन भागीदारी आंदोलन’ का रूप दिया गया है।
डॉ. हर्षवर्धन ने अपने भाषण का समापन करते हुए बताया कि ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल का इस्तेमाल कर भारत ने वैश्विक कोविड टीकाकरण अभियान में किस तरह अपनी भूमिका अदा की और कोविड बाद के दौर में किस तरह भारत ने अपनी साख कायम की। उन्होंने कहा, “इस चुनौतीपूर्ण समय में जब ‘टीका देशभक्ति’ का कोलाहल बढ़ रहा है, तब वैश्विक सहयोग और सद्भाव के चैंपियन हमारे प्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। वैश्विक परिवार के लिए मदद का हाथ बढ़ाने का उनका फैसला सिर्फ हमारे परंपरागत ‘वसुधैव कुटंबकम्’ सिद्धांत, यानि पूरा विश्व एक परिवार है, का प्रतिपादन ही नहीं करता, बल्कि उसने विश्व के विभिन्न देशों का वास्तविक नेतृत्वकर्ता होने की भारत की छवि को भी सुदृढ़ किया है।”
Source-PIB
25 मार्च को प्रतिवर्ष गुलामी और ट्रान्सअटलांटिक स्लेव ट्रेड के पीड़ितों की याद का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day of Remembrance of the Victims of Slavery and the Transatlantic Slave Trade) मनाया जाता है।
मुख्य बिंदु
इस अवसर पर बोलते हुए, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने दासता के खतरनाक परिणामों को संबोधित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने ऐसी दुनिया के लिए नए सिरे से प्रतिबद्धताओं का आह्वान किया, जहां सभी शांति, गरिमा और अवसर के साथ रह सकें।
गुलामी के शिकार लोगों की याद का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day of Remembrance of Victims of Slavery)
वर्ष 2007 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा 25 मार्च को वार्षिक अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षण के लिए निर्धारित किया गया था। यह दिन उन लोगों को याद करता है, जो ‘ट्रान्सअटलांटिक दास व्यापार’ के कारण पीड़ित हुए और मर गए। इसे इतिहास में मानव अधिकारों का सबसे खराब उल्लंघन कहा गया है। ट्रान्सअटलांटिक दास व्यापार (Transatlantic Slave Trade) की स्थिति में, 400 वर्षों में 15 मिलियन पुरुष, महिलाएं और बच्चे इसके शिकार हुए थे। यह दिन नस्लवाद और पूर्वाग्रह के खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर भी फोकस करता है।
पृष्ठभूमि
इस दिवस को पहली बार 2008 में “Breaking the Silence, Lest We Forget” थीम के तहत मनाया गया था।
स्थायी स्मारक
वर्ष 2015 अफ्रीकी वंश के लोगों के लिए संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय दशक (UN’s International Decade for People of African Descent) की शुरुआत का प्रतीक है। इसे मनाने के लिए, न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक स्थायी स्मारक का अनावरण किया गया, जिसका शीर्षक था “The Ark of Return”।
दुनिया भर में आधुनिक गुलामी
2016 तक 40.3 मिलियन से अधिक लोगों के आधुनिक रूप में गुलाम होने का अनुमान है। इनमें से 71 प्रतिशत महिलाएं और लड़कियां हैं। नौकरी के नुकसान, नियमित प्रवास, बढ़ती गरीबी और श्रम मानकों की कम जांच की वजह से कोविड-19 महामारी के बीच आधुनिक दासता बढ़ गयी है। महामारी लोगों को ऐसी नौकरियों के लिए प्रेरित कर रही है जहां उनका शोषण किया जाता है।
SOURCE-G.K.TODAY
National Bank for Financing Infrastructure and Development Bill, 2021
नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट बिल, 2021
25 मार्च, 2021 को राज्यसभा द्वारा इसे मंजूरी देने के बाद संसद ने “नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट बिल, 2021” (National Bank for Financing Infrastructure and Development Bill, 2021 or NBFID Bill) को पारित कर दिया। 24 मार्च 2021 को लोकसभा में यह बिल पारित किया गया था।
NBFID Bill
इस बिल में देश भर में ‘बुनियादी ढाँचे के वित्तपोषण’ का समर्थन करने के लिए बुनियादी ढाँचे और विकास के लिए एक नेशनल बैंक की स्थापना की व्यवस्था की गई है। NBFID एक प्रमुख विकास वित्तीय संस्थान (DFI) के रूप में काम करेगा। इसमें बांड और डेरिवेटिव बाजारों का विकास शामिल है जो बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण के लिए आवश्यक हैं।
नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट (National Bank for Financing Infrastructure and Development – NBFID)
NBFID एक कॉर्पोरेट वैधानिक निकाय के रूप में स्थापित किया जाएगा। इसमें वित्तीय और विकासात्मक उद्देश्यों के साथ एक लाख करोड़ रुपये की अधिकृत शेयर पूंजी होगी। यह बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगा। NBFID संसद के प्रति जवाबदेह होगा। यह अध्यक्ष और बोर्ड नामित पेशेवरों द्वारा प्रबंधित किया जाएगा जिन्हें सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा। NBFID के शेयरों को केंद्र सरकार, वित्तीय संस्थानों, पेंशन फंड्स, बीमाकर्ताओं, बहुपक्षीय संस्थानों, बैंकों, संप्रभु धन कोषों, और केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित अन्य संस्थान द्वारा लिया जा सकता है।
NBFID के वित्तीय उद्देश्य
वित्तीय उद्देश्यों में भारत में बुनियादी परियोजनाओं के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उधार देना, निवेश करना शामिल है।
NBFID के विकासात्मक उद्देश्य
विकास के उद्देश्यों में शामिल हैं- बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण के लिए बांड, ऋण और डेरिवेटिव के लिए बाजार का विकास करना।
विकास वित्तीय संस्थान (Development Financial Institution – DFI)
Development Financial Institution का गठन अर्थव्यवस्था के उन क्षेत्रों के लिए दीर्घकालिक वित्त प्रदान करने के लिए किया जाता है जहां शामिल जोखिम वाणिज्यिक बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों की स्वीकार्य सीमा से परे हैं। Development Financial Institution लोगों से जमा स्वीकार नहीं करते हैं। इसके बजाय, वे बाजार, सरकार और बहु-पार्श्व संस्थानों से फण्ड प्राप्त हैं।
SOURCE-DANIK JAGARAN
सशस्त्र बलों में महिलाएं
सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि सेना की “चयनात्मक” मूल्यांकन प्रक्रिया से भेदभाव होता है और स्थायी रूप से कमीशन की मांग करने वाली शॉर्ट सर्विस कमीशन महिला अधिकारियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
अदालत ने कहा कि महिला अधिकारियों के मूल्यांकन पैटर्न ने उन्हें आर्थिक और मनोवैज्ञानिक नुकसान पहुंचाया है।
अदालत ने आदेश दिया कि स्थायी कमीशन के लिए आवेदन करने वाली महिला अधिकारियों के मामलों पर एक महीने में पुनर्विचार किया जाना चाहिए और उन पर फैसला दो महीने में दिया जाना चाहिए।
उन्हें अनुशासनात्मक और सतर्कता मंजूरी के बाद स्थायी कमीशन के लिए माना जाएगा। अदालत ने कहा कि चयन के दौरान शारीरिक मानकों को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने घोषणा की है कि शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) महिला अधिकारी उनकी सेवा के वर्षों के बावजूद सेना में स्थायी कमीशन और कमांड पदों के लिए पात्र हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की “सेक्स स्टीरियोटाइप” दलीलों को खारिज कर दिया कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में शारीरिक रूप से कमजोर हैं।
अदालत ने सरकार के 2019 के परिपत्र के एक हिस्से को निरस्त कर दिया, जिसने महिला अधिकारियों को स्थायी आयोग का प्रस्ताव दिया था, अगर उन्होंने 14 साल की सेवा पूरी नहीं की थी। इसने टिप्पणी में कहा कि स्थायी आयोग के लिए केवल 14 वर्ष से कम सेवा की महिलाओं पर विचार करने की केंद्र की नीति में “मौलिक तर्कदोष” थी।
एसएससी महिला अधिकारी को स्थायी कमीशन देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ सरकार द्वारा दायर लगभग 10-वर्ष पुरानी अपील पर यह फैसला आया।
SOURCE-DANIK JAGARAN
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम
केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर की उपस्थिति में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के अंतर्गत शहर केन्द्रित कार्य-योजनाओं के कार्यान्वयन के उद्देश्य से चिह्नित 132 शहरों के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों, शहरी स्थानीय निकायों और प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा आज समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।
इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री जावडेकर ने कहा कि ‘स्वच्छ भारत, स्वच्छ वायु’ के विजन को हकीकत बनाने की दिशा में देश में वायु की गुणवत्ता में सुधार के लिए राज्य सरकारों और सभी संबंधित विभागों द्वारा ठोस प्रयास किए जाने की जरूरत है। उन्होंने सभी से मिशन मोड में काम करने का आह्वान किया।
पर्यावरण मंत्री ने कहा, “आज की पहल प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के अगले 4 साल में 100 से ज्यादा शहरों में वायु प्रदूषण में 20 प्रतिशत तक कमी लाने के विजन के अनुरूप है। यह आसान कार्य नहीं बल्कि एक कठिन चुनौती है, जिसे हम सभी को मिलकर हासिल करने की जरूरत है।”
केन्द्रीय मंत्री ने फेम योजना के अंतर्गत सार्वजनिक परिवहन उद्देश्य के लिए स्वीकृत ई-बसों को जल्द से जल्द खरीदने का अनुरोध किया। विभिन्न शहरों के लिए 6,000 ई-बसें खरीदने के लिए धनराशि के आवंटन के बावजूद सिर्फ 600 बसें खरीदे जाने पर खेद प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि यदि कोई शहर ई-बसों की खरीद के लिए आवंटित धनराशि का उपयोग करने में नाकाम रहता है, तो उसे दूसरे शहरों के लिए आवंटित कर दिया जाएगा।
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) 2024 तक (आधार वर्ष 2017 के साथ) पार्टिकुलेट मैटर कंसन्ट्रेशन में 20 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक कटौती के लक्ष्य के साथ समग्र रूप में देश भर में वायु प्रदूषण की समस्या से पार पाने के लिए एक दीर्घकालिक, समयबद्ध, राष्ट्रीय स्तर की रणनीति है।
शहरी कार्य-योजनाएं, कई कार्यान्वयन एजेंसियों को जोड़कर बहुआयामी कदमों के माध्यम से मुख्य वायु प्रदूषण स्रोतों पर नियंत्रण के लिए तैयार की गई हैं। समग्र वायु गुणवत्ता नेटवर्क के विस्तार, स्रोत विभाजन अध्ययन, जन जागरूकता, शिकायत समाधान तंत्र और क्षेत्र केन्द्रित कार्य बिंदु इन कार्य योजनाओं का हिस्सा हैं।
सफल कार्यान्वयन के लिए, राज्य एजेंसियों के बीच सहयोग और समन्वय तथा प्रतिष्ठित विशेषज्ञ संस्थानों द्वारा तकनीक पर्यवेक्षण बेहद आवश्यक है। इस एमओयू से समय लक्षित तरीके से नियोजित रूप से सुगम और बाध्यकारी क्रियान्वयन सुनिश्चित होगा। अग्रणी वायु गुणवत्ता विशेषज्ञों को मिलाकर एक तकनीक परामर्श समूह के रूप में एक राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क का गठन भी किया गया है, जो एनसीएपी के अंतर्गत गतिविधियों को समर्थन देगा और वायु गुणवत्ता अनुसंधान में स्थानीय ख्याति प्राप्त संस्थानों (आईओआर) का मार्गदर्शन करेगा।
SOURCE-PIB
सड़क निर्माण में तेजीनौकरी और अर्थव्यवस्था में सतत वृद्धि प्रदान करेगा
सड़क परिवहन और राजमार्ग एवं सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री श्री नितिन गडकरी ने आज विश्वास व्यक्त किया कि सरकार द्वारा सड़क निर्माण पर जोर देने की वजह से मांग में भारी वृद्धि होगी। उन्होंने आगे कहा कि यह सतत और समावेशी विकास को मजबूत आधार प्रदान करेगा और देश के लाखों लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
श्री गडकरी ने आज “सड़क अवसंरचना- मांग निर्माण: प्रेरणादायक वृद्धि” विषयवस्तु पर आयोजित भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि सड़क अवसंरचना ने देश की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने आगे कहा कि लगभग 64.5 फीसदी माल और लगभग 90 फीसदी यात्री यातायात के लिए सड़क नेटवर्क का उपयोग करते हैं। मंत्री ने कहा कि देश की सतत वृद्धि और समग्र विकास पर सड़क अवसंरचना का प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रभाव है।
देशभर में विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने के लिए अपनी तरह की पहली पहल- राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन का उल्लेख करते हुए श्री गडकरी ने कहा कि साल 2025 तक 111 लाख करोड़ रुपये के संशोधित निवेश के साथ 73,00 से अधिक परियोजनाओं को कवर करने के लिए इसका विस्तार किया गया है। उन्होंने आगे बताया कि 44 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं कार्यान्वयन के अधीन हैं, जो कि 40 फीसदी है। वहीं34 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं अवधारणा के स्तर पर हैं, जो कि 30 फीसदी है। इनके अलावा 22 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं, जो कि 20 फीसदी है।
मंत्री ने लोगों को यह भी बताया कि इस साल सरकार ने साल-दर-साल अवसंरचना पूंजीगत व्यय को 34 फीसदी बढ़ाकर 5.54 लाख करोड़ रुपये किया है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के व्यापार-अनुकूल पहलों के बारे में श्री गडकरी ने कहा कि राजमार्ग निर्माण में अधिक से अधिक उद्योगपति हिस्सा ले सकें, इसके लिए नई निविदाओं की बोली लगाने के लिए ईएमडी (बयाना रकम जमा) की जरूरत को हटा दिया गया है। वहीं सरकार की एक और महत्वपूर्ण पहल का उल्लेख करते हुए मंत्री ने कहा कि मंत्रालय, एनएचएआई के माध्यम से अगले पांच वर्षों में टोल ऑपरेट ट्रांसपोर्ट मोड के तहत राजमार्ग के मुद्रीकरण के जरिए एक लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना पर काम कर रहा है।
श्री गडकरी ने कहा कि साल 2024-25 तक पांच ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की जीडीपी हासिल करने के लिए भारत को लगभग 1.4 ट्रिलियन डॉलर खर्च करने की जरूरत है।
वहीं श्री गडकरी ने बिजली आधारित सार्वजनिक परिवहन की ओर बढ़ने पर जोर दिया और उद्योग को इस दिशा में आने के लिए प्रेरित किया।
श्री नितिन गडकरी ने देश के विनिर्माण क्षेत्र से देश के जीडीपी में अपनी हिस्सेदारी को मौजूदा 22-24 फीसदी से बढ़ाकर 35-40 फीसदी करने का भी आह्वाहन किया।
SOURCE-PIB