Current Affair 27 November 2021

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Current Affairs – 27 November, 2021

मॉडल रिटेल आउटलेट योजना

इंडियन ऑयल,भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने मॉडल रिटेल आउटलेट योजना और दर्पण@पेट्रोलपंप नामक एक डिजिटल ग्राहक प्रतिक्रिया कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा की है। तीन तेल सार्वजनिक उपक्रमों ने अपने नेटवर्क पर सेवा मानकों और सुविधाओं को बढ़ाने के लिए मॉडल रिटेल आउटलेट यानी आदर्श खुदरा दुकान लॉन्च करने के लिए हाथ मिलाया है, जो हर रोज 6 करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं को सेवा प्रदान करता है।

इस पहल का उद्घाटन भारत सरकार के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री श्री रामेश्वर तेली और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय में सचिव श्री तरुण कपूर की गरिमामयी उपस्थिति में किया।

तेजी से बदलते उपभोक्ता व्यवहार के साथ तालमेल बिठाने और खुदरा दुकानों में ग्राहकों को बेहतर अनुभव प्रदान करने की दृष्टि से तेल विपणन कंपनियों का लक्ष्य इन पहलों के माध्यम से मानकीकृत ग्राहक सुविधाओं को सुनिश्चित करने के लिए खुदरा दुकान मानकों को एक मानदंड बनाना है।

इस योजना में देश भर में 70,000 से अधिक खुदरा दुकानों की एक गहन 5 स्तरीय मूल्यांकन प्रक्रिया शामिल है, जिसमें मुख्य सेवा और सुविधा मापदंडों के साथ-साथ स्वच्छ एवं स्वास्थ्य कर शौचालय, ग्राहक केंद्रित अभिनव भेंट आदि जैसे ग्राहक सुविधाओं के मानक शामिल हैं। खुदरा दुकानों को डिजिटल इंडिया अनिवार्यता को ध्यान में रखते हुए बिक्री के प्रदर्शन, दी जाने वाली सुविधाओं और बिक्री केंद्र पर उनके डिजिटल लेनदेन के प्रतिशत के आधार पर 4 श्रेणियों में विभाजित किया गया है।

शीर्ष प्रदर्शन करने वालों को पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा “श्रेष्ठ” और “उत्तम” पुरस्कार और संबंधित तेल कंपनियों द्वारा “राज्य सर्व प्रथम” पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। डिजिटल ग्राहक प्रतिक्रिया कार्यक्रम दर्पण@पेट्रोलपंप एक अद्वितीय, तत्क्षण प्रतिक्रिया कार्यक्रम भी शुरू किया गया है। ग्राहकों को इसके जरिए अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया देने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे खुदरा दुकानों पर सेवा मानकों को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.1 PRE

 

बहुआयामी निर्धनता सूचकांक

कैबिनेट सचिव की सुधार एवं विकास हेतु वैश्विक सूचकांक (जीआईआरजी) पहल के तहत, मानव विकास सूचकांक (एचडीआई), वैश्विक भूख सूचकांक (जीएचआई), वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक (जीसीआई), मानव पूंजी सूचकांक (एचसीआई), वैश्विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई) सहित 29 वैश्विक सूचकांकों में देश के निष्पादन पर नजर रखी जा रही है। इस कार्य का लक्ष्य महत्वपूर्ण सामाजिक, आर्थिक और अन्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सूचकांकों के निगरानी तंत्र का लाभ उठाना है, ताकि परिणामों में सुधार लाने के लिए इन सूचकांकों को औजार के रूप में इस्तेमाल किया जा सके तथा वैश्विक स्तर पर इन सूचकांकों में भारत के निष्पादन में उन्हें तदनुसार दर्शाया जा सके। इस पहल के तहत, नीति आयोग बहुआयामी निर्धनता सूचकांक (एमपीआई) के लिए नोडल मंत्रालय है। ग्लोबल एमपीआई 2021 के अनुसार भारत की रैंक 109 देशों में 66वें स्थान पर है। राष्ट्रीय एमपीआई परियोजना का उद्देश्य वैश्विक एमपीआई के अनुरूप वैश्विक एमपीआई रैंकिंग में भारत की स्थिति में सुधार के बड़े लक्ष्य के साथ व्यापक सुधार संबंधी कार्य योजनाओं को तैयार करने के लिए विश्व स्तर पर गठबंधन बनाने के साथ-साथ भारत के लिए एक व्यवस्थित एमपीआई बनाना है। एमपीआई के लिए नोडल मंत्रालय के रूप में, नीति आयोग सूचकांक की प्रकाशन एजेंसियों के साथ जुड़ने, राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को उनके निष्पादन के आधार पर रैंकिंग प्रदान करने तथा प्रत्येक राष्ट्रीय एमपीआई संकेतक के लिए मैप किए गए बारह संबंधित मंत्रालयों से परामर्श करने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी एमपीआई समन्वय समिति (एमपीआईसीसी) गठित के लिए भी उत्तरदायी है।

राष्ट्रीय बहुआयामी निर्धनता सूचकांक: एनएफएचएस-4 (2015-16) पर आधारित बेसलाइन रिपोर्ट नीति आयोग द्वारा 12 संबंधित मंत्रालयों के परामर्श से तथा राज्य सरकारों और सूचकांक प्रकाशन एजेंसियों – ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की ऑक्सफोर्ड निर्धनता और मानव विकास पहल (ओपीएचआई) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के साथ साझेदारी में विकसित की गई है।

राष्ट्रीय बहुआयामी निर्धनता सूचकांक: बेसलाइन रिपोर्ट राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 पर आधारित है, जिसे 2015-16 में संचालित किया गया था। एनएफएचएस का संचालन भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (आईआईपीएस) द्वारा किया जाता है।

राष्ट्रीय बहुआयामी निर्धनता सूचकांक: एनएफएचएस-4 (2015-16) पर आधारित बेसलाइन रिपोर्ट सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के लक्ष्य-1.2 की दिशा में प्रगति को मापने के संदर्भ में एक योगदान है, जिसका उद्देश्य “सभी आयामों में गरीबी में जी रहे सभी उम्र के पुरुषों, महिलाएं और बच्चों के अनुपात को कम से कम आधा करना” है। स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के तीन आयामों में, इसमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ देखभाल, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, बैंक खाते और संपत्ति पर आधारित संकेतक शामिल हैं।

एनएफएचएस-4 (डेटा अवधि: 2015-16), आवास, पेयजल, स्वच्छता, बिजली, खाना पकाने के ईंधन, वित्तीय समावेशन पर आधारित फ्लैगशिप योजनाएं शुरू करना और स्कूल में उपस्थिति, पोषण, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, आदि में सुधार के उपाय करना शामिल है। इसलिए यह आधारभूत स्तर पर यानी राष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण योजनाओं के बड़े पैमाने पर शुरू होने से पहले स्थिति के मापन के लिए एक उपयोगी स्रोत के रूप में कार्य करता है। प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई), जल जीवन मिशन (जेजेएम), स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम), प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य), प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई), प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई), पोषण अभियान और समग्र शिक्षा उनमें से कुछ योजनाएं और कार्यक्रम हैं।

एनएफएचएस के लिए इकाई-स्तर पर एकत्रित घरेलू माइक्रोडेटा राष्ट्रीय एमपीआई की गणना के आधार के रूप में कार्य करता है। 2015-16 में एकत्र किए गए इस इकाई स्तर के माइक्रो डेटा का उपयोग वर्तमान एमपीआई रिपोर्ट में आधारभूत बहुआयामी निर्धनता संबंधी राय प्राप्त करने के लिए किया गया है, जहां उपर्युक्त योजनाओं के व्यापक तौर पर शुरू होने से पहले राष्ट्रीय एमपीआई के संबंध में था। इस बेसलाइन के संबंध में देश की प्रगति को 2019-20 में एकत्र किए गए एनएफएचएस-5 डेटा का उपयोग करके मापा जाएगा। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एनएफएचएस-5 (2019-20) का सारांश तथ्य-पत्रक 24 नवंबर, 2021 को आईआईपीएस और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किया गया था। डेटा अवधि 2019-20 के एनएफएचएस-5 पर आधारित राष्ट्रीय एमपीआई की गणना तब की जाएगी, जब इकाई स्तर के माइक्रो डेटा की गणना की जाएगी। इसे अगले साल आईआईपीएस और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किया गया है।

एनएफएचएस-5 (2019-20) के सारांश डेटा फैक्टशीट से प्राप्त प्रारंभिक अवलोकन उत्साहजनक हैं। वे स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन, स्वच्छता और बिजली तक पहुंच में सुधार का सुझाव देते हैं, जो अभाव में कमी का संकेत देता है। इसके अतिरिक्त, 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए जारी राज्य की रिपोर्ट में स्कूल में उपस्थिति, पेयजल, बैंक खातों और आवास में कमी को कम करने का सुझाव दिया गया है। ये सुधार एनएफएचएस-5 (2019-20) के घरेलू माइक्रो डेटा पर आधारित आगामी सूचकांक में बहुआयामी निर्धनता के मामलों में उल्लेखनीय कमी का संकेत देते हैं।

एनएफएचएस-4 (2015-16) के बाद से फोकस्ड प्रोग्रामेटिक इंटरवेंशन्‍स और फ्लैगशिप योजनाओं के माध्यम से प्राप्त महत्वपूर्ण लाभ एनएफएचएस-5 (2019-20) फैक्टशीट और राष्ट्रीय एमपीआई के दायरे में संकेतकों के लिए रिपोर्ट में परिलक्षित होता है। प्रगति रिपोर्ट, आधारभूत राष्ट्रीय एमपीआई रिपोर्ट की अनुवर्ती, 2015-16 (एनएफएचएस-4) और 2019-20 (एनएफएचएस-5) के बीच बहुआयामी निर्धनता में इस कमी को दर्ज करेगी। यह रिपोर्ट एनएफएचएस-5 का इकाई स्तरीय माइक्रो डाटा उपलब्ध होने के बाद जारी की जाएगी।

राष्ट्रीय एमपीआई (राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 पर आधारित, डेटा अवधि- 2015-16): आयाम, संकेतक और निष्कर्ष

भारत का राष्ट्रीय एमपीआई स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के तीन वृहद आयामों में परिवारों द्वारा सामना किए जाने वाले कई और एक साथ अभावों को शामिल करता है। राष्ट्रीय एमपीआई आयाम, संकेतक और मापन नीचे दिए गए हैं:

राष्ट्रीय एमपीआई हेडकाउंट अनुपात और तीव्रता के अनुमान न केवल राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए बल्कि सभी जिलों के लिए भी प्रस्तुत किए गए हैं, जो इस रिपोर्ट की एक अनूठी विशेषता है। यह न केवल राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच, बल्कि एक राज्य के जिलों के बीच तुलनात्मक और सापेक्ष प्रदर्शन के विश्लेषण को प्रस्तुत करेगा। यह देश के संघीय ढांचे और हस्तक्षेपों तथा योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए जिला प्रशासन की भागीदारी को महत्वपूर्ण मानता है।

हुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI)

  • इसे ‘ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव’ (OPHI) और ‘संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम’ (UNDP) द्वारा वर्ष 2010 में विकसित किया गया था।
  • MPI इस विचार पर आधारित है कि गरीबी एक आयाम नहीं है (यह न केवल आय पर निर्भर करती है और एक व्यक्ति में शिक्षा, स्वास्थ्य आदि जैसी कई बुनियादी ज़रूरतों की कमी हो सकती है), बल्कि यह बहुआयामी है।
  • यह सूचकांक वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक पर आधारित है, जो प्रत्येक वर्ष व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से गरीब लोगों के जीवन की जटिलताओं की माप करता है।
  • MPI तीन आयामों और दस संकेतकों का उपयोग करता है जो इस प्रकार हैं:
    • शिक्षा : स्कूली शिक्षा और बाल नामांकन के वर्ष (प्रत्येक का 1/6 भार, कुल 2/6)
    • स्वास्थ्य : बाल मृत्यु दर और पोषण (प्रत्येक का 1/6 भार, कुल 2/6)
    • जीवन स्तर : बिजली, फर्श, पीने का पानी, स्वच्छता, खाना पकाने का ईंधन और संपत्ति (प्रत्येक का 1/18 भार, कुल 2/6)।

यह बताता है कि लोग तीन प्रमुख आयामों में किस प्रकार पीछे रह जाते हैं: स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर, जिसमें 10 संकेतक शामिल हैं। जो लोग इन भारित संकेतकों में से कम-से-कम एक-तिहाई (अर्थात् 33% या अधिक) में अभाव का अनुभव करते हैं, वे बहुआयामी रूप से गरीब की श्रेणी में आते हैं।

  • MPI इसलिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह पारंपरिक पद्धति की तुलना में गरीबी को विभिन्न आयामों से पहचानता है जो केवल आय या मौद्रिक शर्तों से गरीबी को मापता है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

टेक्सटाइल वीक

वस्त्र मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव श्री विजय कुमार सिंह ने “दुबई एक्सपो” 2020 में इंडियन पवेलियन के ट्रेड एडवाइजर श्री जय करण सिंह के साथ निर्यात संवर्धन परिषदों के प्रमुखों की उपस्थिति में कल ‘टेक्सटाइल वीक’ का उद्घाटन किया। दुबई एक्सपो में ‘वस्त्र उद्योग के लिए उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के लिए आपूर्ति और निवेश स्थल- एक गेम चेंजर’ पर एक संवाद सत्र का भी आयोजन किया गया। इस संवाद का उद्देश्य वस्त्र क्षेत्र में निवेश लुभाने की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाना है, जिससे उत्पादन और फिर निर्यात बढ़ाया जा सके।

बई एक्सपो एक वैश्विक एक्सपो है, जिसकी 192 प्रतिभागियों के साथ 1 अक्टूबर, 2021 से 31 मार्च, 2022 तक संयुक्त अरब अमीरात में दुबई द्वारा मेजबानी की जा रही है। केंद्रीय वस्त्र, वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री पीयूष गोयल ने पहली अक्टूबर, 2021 को इंडिया पवेलियन का शुभारम्भ किया। ईपीसीएच चेयरमैन श्री राज कुमार मल्होत्रा ने बताया, एक्सपो 2020 में इंडिया पवेलियन से लोका: समस्ता: सुखिनोभवन्तु  के दर्शन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का पता चलता है, जिसका मतलब है, “पूरी दुनिया का हर व्यक्ति खुश रहे।”

ईपीसीएच देश से दुनिया के विभिन्न स्थानों को हस्तशिल्प के निर्यात को प्रोत्साहन देने और विदेश में उच्च स्तर के गुणवत्तापूर्ण हस्तशिल्प सामान तथा सेवाओं के विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की छवि को प्रचारित करने के लिए वस्त्र मंत्रालय के तहत आने वाली नोडल एजेंसी है। वर्तमान वित्त वर्ष के अप्रैल से अक्टूबर, 2021-22 तक सात महीनों के दौरान 19,119.48 करोड़ रुपये के हस्तशिल्प का निर्यात रहा, जो बीते साल की समान अवधि की तुलना में 50.88 प्रतिशत ज्यादा है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.1 PRE

 

आयुर्वेद पर्व-2021

आयुष राज्य मंत्री मुंजपारा महेद्रभाई ने 26 नवंबर, 2021 को नई दिल्ली उद्घाटन किया।

मुख्य बिंदु

  • आयुर्वेद पर्व-2021 तीन दिवसीय कार्यक्रम है, जिसका आयोजन आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है।
  • इस आयोजन के तहत फार्मास्युटिकल कंपनियों की भागीदारी के अलावा 40 स्टालों वाली एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है।
  • यह आयोजन आयुर्वेदिक स्वास्थ्य देखभाल के उचित उपयोग के साथ-साथ आयुर्वेदिक शिक्षा, अनुसंधान और दवाओं के निर्माण के समन्वय और बेहतर उपयोग के लिए आयोजित किया गया है।

आयुर्वेद पर्व (Ayurveda Parv)

आयुर्वेद पर्व का आयोजन लोगों के बीच आयुर्वेद की अधिक स्वीकृति सुनिश्चित करने और आयुर्वेद को कई जीवनशैली रोगों के लिए मुख्य उपचार के रूप में लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से किया जाता है। यह पहल आयुष मंत्रालय द्वारा समर्थित है।

महत्व

पिछले दो वर्षों में कोविड-19 की स्थिति के आलोक में यह पहल और भी महत्वपूर्ण हो गई है। इसने महामारी की स्थिति के बीच आयुर्वेद को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया।

आयुर्वेद

आयुर्वेद एक प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है जिसकी जड़ें भारतीय उपमहाद्वीप में हैं। आयुर्वेद भारत और नेपाल जैसे देशों में बहुत प्रचलित है। लगभग 80% आबादी को जीवन शैली की बीमारियों को ठीक करने के लिए आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली का उपयोग करती है। भारत में, आयुर्वेद को आयुष मंत्रालय द्वारा बढ़ावा दिया जाता है, जिसे 9 नवंबर, 2014 को भारत सरकार द्वारा गठित किया गया था। भारत धनतेरस पर “राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस” भी मनाता है, जो धन्वंतरि के जन्म का प्रतीक है।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.1 PRE

 

मजदूरी दर सूचकांक

हाल ही में, श्रम मंत्रालय ने आधार वर्ष 2016 के साथ मजदूरी दर सूचकांक (WRI) की एक नई श्रृंखला जारी की।

मुख्य बिंदु

  • श्रम ब्यूरो द्वारा मजदूरी दर सूचकांक (Wage Rate Index – WRI) का संकलन और रखरखाव किया जा रहा है।
  • आधार 2016=100 के साथ WRI की नई श्रृंखला पुरानी श्रृंखला को आधार 1963-65 से बदलने जा रही है।

आधार वर्ष को क्यों संशोधित किया गया?

केंद्र सरकार समय-समय पर प्रमुख आर्थिक संकेतकों के लिए आधार वर्ष में संशोधन करती है ताकि अर्थव्यवस्था में बदलाव को दर्शाया जा सके और श्रमिकों के वेतन पैटर्न को कैप्चर किया जा सके। इस बार, कवरेज बढ़ाने और सूचकांक को अधिक प्रतिनिधि बनाने के लिए राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन आदि की सिफारिशों पर WRI आधार वर्ष को संशोधित किया गया है।

नई श्रृंखला का महत्व

WRI की नई श्रृंखला ने उद्योगों की संख्या, चयनित उद्योगों के तहत व्यवसायों, नमूना आकार, उद्योगों के भार आदि के मामले में दायरा और कवरेज में वृद्धि की है। WRI का संशोधन न्यूनतम मजदूरी और अन्य सहित राष्ट्रीय फ्लोर मजदूरी निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

नई WRI श्रृंखला

नई WRI श्रृंखला को वर्ष में दो बार  (प्रत्येक वर्ष 1 जनवरी और 1 जुलाई को) संकलित किया जाएगा। व्यावसायिक वेतन सर्वेक्षण के सातवें दौर के परिणामों के आधार पर नई WRI श्रृंखला में भार आरेख तैयार किया गया था। नई WRI टोकरी में, 1963-65 श्रृंखला में 21 उद्योगों के विपरीत कुल 37 उद्योगों को शामिल किया गया है।

नई WRI श्रृंखला में शामिल क्षेत्र

नई श्रृंखला में चयनित 37 उद्योगों को वृक्षारोपण क्षेत्र से 3 उद्योग, खनन क्षेत्र से 4 उद्योग और विनिर्माण क्षेत्र से 30 उद्योग के रूप में वर्गीकृत किया गया है। पिछली श्रृंखला में, विनिर्माण क्षेत्र से 14 उद्योग, खनन से 4 और वृक्षारोपण क्षेत्र से 3 उद्योग थे।

SOURCE-DANIK JAGRAN

PAPER-G.S.3

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