Current Affair 30 June 2021

Current Affairs – 30 June, 2021

श्री के.वी. संपत कुमार

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने संस्कृत दैनिक सुधर्मा के संपादक, श्री के.वी. संपत कुमार जी के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की है।

एक ट्वीट संदेश में, प्रधानमंत्री ने कहा, “श्री के.वी. संपत कुमार जी एक प्रेरक व्यक्तित्व थे, जिन्होंने विशेष रूप से युवाओं के बीच संस्कृत को संरक्षित और लोकप्रिय बनाने के लिए अथक प्रयास किया। उनका जुनून और दृढ़ संकल्प प्रेरणादायक था। उनके निधन से दुखी हूं। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना।

दुनिया के एकमात्र संस्कृत दैनिक समाचार पत्र ‘सुधर्मा’ के संपादक के वी संपत कुमार का मैसूर में बुधवार दोपहर में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनके परिवार से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी. संपत कुमार 64 साल के थे।

साल 2020 में हुए थे पद्मश्री से सम्मानित

बताया जाता है कि ‘सुधर्मा’ विश्व का एकमात्र दैनिक संस्कृत समाचार पत्र है। संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार में योगदान और कई चुनौतियों के बावजूद समाचार पत्र का प्रकाशन जारी रखने के लिए संपत कुमार और उनकी पत्नी के एस जयलक्ष्मी को 2020 में ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया था।

वरदराजा अय्यंगर ने की थी समाचार पत्र का शुरुआत

पारिवारिक सूत्रों के अनुसार ‘सुधर्मा’ की शुरुआत कुमार के पिता वरदराजा अय्यंगर ने 15 जुलाई 1970 को की थी। संपत कुमार ने बाद में यह बीड़ा अपने कंधों पर उठाया और समाचार पत्र के रिपोर्टर, संपादक तथा प्रकाशक के रूप में कार्य किया।

SOUREC-PIB

 

जीएसटी

जीएसटी के 4 वर्ष पूरे होने पर इसकी सराहना की है। उन्होंने कहा है कि यह भारत के आर्थिक परिदृश्य में मील का पत्थर साबित हुआ है।

प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, “जीएसटी भारत के आर्थिक परिदृश्य में मील का पत्थर साबित हुआ है। इसने करों की संख्या, अनुपालन बोझ और आम आदमी पर समग्र कर बोझ में कमी की है जबकि पारदर्शिता, अनुपालन और समग्र संग्रह में काफी वृद्धि हुई है।

वस्तु एवं सेवा कर या जी एस टी भारत सरकार की नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है जो  1 जुलाई 2017 से लागू हो रही है वस्तु एवं सेवा कर (संक्षेप मे : वसेक या जीएसटी अंग्रेज़ी: GST, अंग्रेज़ी : Goods and Services Tax) भारत में 1 जुलाई 2017 से लागू एक महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है जिसे सरकार व कई अर्थशास्त्रियों द्वारा इसे स्वतंत्रता के पश्चात् सबसे बड़ा आर्थिक सुधार बताया है। इसके लागू होने से केन्द्र सरकार एवम् विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा भिन्न भिन्न दरों पर लगाए जा रहे विभिन्न करों को हटाकर पूरे देश के लिए एक ही अप्रत्‍यक्ष कर प्रणाली लागू हो गयी है। इस कर व्यवस्था को लागू करने के लिए भारतीय संविधान में संशोधन किया गया था।

वस्तु एवं सेवा कर, वस्तु एवं सेवा कर परिषद द्वारा संचालित है। भारत के वित्त मंत्री इसके अध्यक्ष होते हैं। जीएसटी के तहत, वस्तुओं और सेवाओं को निम्न दरों पर लगाया जाता है, 0%, 5%, 12% और 18%। मोटे कीमती और अर्ध कीमती पत्थरों पर 0.25% की एक विशेष दर तथा सोने पर 3% की दर है।

जी एस टी (GST) गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स है। भारत में जीएसटी लागू करने का इरादा व्यापार के लिए अनुपालन को आसान बनाना था। इस लेख में जी एस टी (GST),  उसकी प्रमुख अवधारणाओं और जहां यह वर्तमान में है, उसका पूरा अवलोकन दिया गया है।

जी एस टी क्या है?

वस्तु एवं सेवा कर या जी एस टी एक व्यापक, बहु-स्तरीय, गंतव्य-आधारित कर है जो प्रत्येक मूल्य में जोड़ पर लगाया जाएगा। इसे समझने के लिए, हमें इस परिभाषा के तहत शब्दों को समझना होगा। आइए हम ‘बहु-स्तरीय’ शब्द के साथ शुरू करें। कोई भी वस्तु निर्माण से लेकर अंतिम उपभोग तक कई चरणों के माध्यम से गुजरता है। पहला चरण है कच्चे माल की खरीदना। दूसरा चरण उत्पादन या निर्माण होता है। फिर, सामग्रियों के भंडारण या वेर्हाउस में डालने की व्यवस्था है। इसके बाद, उत्पाद रीटैलर या फुटकर विक्रेता के पास आता है। और अंतिम चरण में, रिटेलर आपको या अंतिम उपभोक्ता को अंतिम माल बेचता है।

यह एक बहु-स्तरीय टैक्स होगा। कैसे? हम शीघ्र ही देखेंगे, लेकिन इससे पहले, आइए हम ‘वैल्यू ऐडिशन‘ के बारे में बात करें। मान लें कि निर्माता एक शर्ट बनाना चाहता है। इसके लिए उसे धागा खरीदना होगा। यह धागा निर्माण के बाद एक शर्ट बन जाएगा। तो इसका मतलब है, जब यह एक शर्ट में बुना जाता है, धागे का मूल्य बढ़ जाता है। फिर, निर्माता इसे वेयरहाउसिंग एजेंट को बेचता है जो प्रत्येक शर्ट में लेबल और टैग जोड़ता है। यह मूल्य का एक और संवर्धन हो जाता है। इसके बाद वेयरहाउस उसे रिटेलर को बेचता है जो प्रत्येक शर्ट को अलग से पैकेज करता है और शर्ट के विपणन में निवेश करता है। इस प्रकार निवेश करने से प्रत्येक शर्ट के मूल्य में बढ़ौती होती है। इस तरह से प्रत्येक चरण में मौद्रिक मूल्य जोड़ दिया जाता है जो मूल रूप से मूल्य संवर्धन होता है। इस मूल्य संवर्धन पर जी एस टी लगाया जाएगा।

परिभाषा में एक और शब्द है जिसके बारे में हमें बात करने की आवश्यकता है –  गंतव्य-आधारित। पूरे विनिर्माण श्रृंखला के दौरान होने वाले सभी लेनदेन पर जी एस टी लगाया जाएगा। इससे पहले, जब एक उत्पाद का निर्माण किया जाता था, तो केंद्र ने विनिर्माण पर उत्पाद शुल्क या एक्साइस ड्यूटी लगाता था। अगले चरण में, जब आइटम बेचा जाता है तो राज्य वैट जोड़ता है। फिर बिक्री के अगले स्तर पर एक वैट होगा। तो, पहले टैक्स लेवी का स्वरूप इस तरह था :

अब, बिक्री के हर स्तर पर जीएसटी लगाया जाएगा। मान लें कि पूरे निर्माण प्रक्रिया राजस्थान में हो रही है और कर्नाटक में अंतिम बिक्री हो रही है। चूंकि जी एस टी खपत के समय लगाया जाता है, इसलिए राजस्थान राज्य को उत्पादन और वेयरहाउसिंग के चरणों में राजस्व मिलेगा। लेकिन जब उत्पाद राजस्थान से बाहर हो जाता है और कर्नाटक में अंतिम उपभोक्ता तक पहुंच जाता है तो राजस्थान को राजस्व नहीं मिलेगा। इसका मतलब यह है कि कर्नाटक अंतिम बिक्री पर राजस्व अर्जित करेगा, क्योंकि यह गंतव्य-आधारित कर है। इसका मतलब यह है कि कर्नाटक अंतिम बिक्री पर राजस्व अर्जित करेगा, क्योंकि यह गंतव्य-आधारित कर है और यह राजस्व बिक्री के अंतिम गंतव्य पर एकत्र किया जाएगा जो कि कर्नाटक है।

जीएसटी कैसे काम करेगी?

सख्त निर्देशों और प्रावधानों के बिना एक देशव्यापी कर सुधार काम नहीं कर सकता है। जीएसटी कौंसिल ने इस नए कर व्यवस्था को तीन श्रेणियों में विभाजित करके, इसे लागू करने का एक नियम तैयार किया है।

जीएसटी में 3 प्रकार के टैक्स हैं :

सीजीएसटी : जहां केंद्र सरकार द्वारा राजस्व एकत्र किया जाएगा।

एसजीएसटी : राज्य में बिक्री के लिए राज्य सरकारों द्वारा राजस्व एकत्र किया जाएगा।

आईजीएसटी : जहां अंतरराज्यीय बिक्री के लिए केंद्र सरकार द्वारा राजस्व एकत्र किया जाएगा ज्यादातर मामलों में, नए शासन के तहत कर संरचना निम्नानुसार होगी :

लेन-देन वर्तमान प्रणाली पुराने नियम व्याख्या
राज्य के भीतर बिक्री सीजीएसटी + एसजीएसटी वैट + केंद्रीय उत्पाद शुल्क / सेवा कर राजस्व अब केंद्र और राज्य के बीच साझा किया जाएगा
दूसरे राज्य को बिक्री आईजीएसटी केंद्रीय बिक्री कर + उत्पाद शुल्क / सेवा कर अंतरराज्यीय बिक्री के मामले में अब केवल एक प्रकार का कर (केंद्रीय) होगा।

 

GST के तहत नए अनुपालन क्या हैं?

जीएसटी रिटर्न के ऑनलाइन फाइलिंग के अलावा, जीएसटी शासन ने इसके साथ कई नई प्रणालियों को पेश किया है।

ई-वे (e-Way) बिल

जीएसटी ने “ई-वे बिल” की शुरुआत के द्वारा एक तरह से केंद्रीकृत प्रणाली शुरू की।  इस प्रणाली को 1 अप्रैल 2018 को सामान की अंतर-राज्य आवाजाही के लिए और 15 अप्रैल 2018 को सामान की अंतर-राज्य आवाजाही के लिए शुरू किया गया था।

ई-वे बिल प्रणाली के तहत, निर्माता, व्यापारी और ट्रांसपोर्टर्स प्लेस ऑफ़ ओरिजिन से डेस्टिनेशन तक ले जाने वाले सामान के लिए ई-वे बिल जेनरेट कर सकते हैं जो कि एक आम पोर्टल पर आसानी से उपलब्ध हैं। कर अधिकारियों को भी इससे लाभ होता है क्योंकि इस प्रणाली से चेकपोस्ट पर कम समय लगता है और कर चोरी को कम करने में मदद मिलती है।

ई-इनवॉइसिंग (e-Invoicing)

ई-इनवॉइसिंग प्रणाली को 1 अक्टूबर 2020 से उन व्यवसायों के लिए लागू किया गया था, जिनका किसी भी पिछले वित्तीय वर्ष (2017-18 से) में 500 करोड़ रुपये से अधिक का वार्षिक कुल कारोबार है। इसके अलावा, 1 जनवरी 2021 से, इस प्रणाली को उन लोगों के लिए बढ़ा दिया गया, जिनका वार्षिक कुल कारोबार 100 करोड़ रुपये से अधिक है। वर्तमान में, इसे 1 अप्रैल 2021 से 50 करोड़ रुपये से लेकर 100 करोड़ रुपये तक के वार्षिक कुल कारोबार वाले लोगों के लिए बढ़ाया गया है।

इन व्यवसायों को GSTN के चालान रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर अपलोड करके प्रत्येक बिज़नेस-to-बिज़नेस चालान के लिए एक यूनिक इनवॉइस रिफरेन्स नंबर प्राप्त करनी चाहिए। पोर्टल चालान की सत्यता और वास्तविकता की पुष्टि करता है। इसके बाद, यह एक क्यू आर कोड के साथ डिजिटल हस्ताक्षर का उपयोग करने को अधिकृत करता है।

ई-इनवॉइसिंग इनवॉइस की इंटरऑपरेबिलिटी की अनुमति देता है और डाटा एंट्री एरर्स को कम करने में मदद करता है। इसे आईआरपी से सीधे जीएसटी पोर्टल और ई-वे बिल पोर्टल पर चालान की जानकारी ट्रांसफर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसलिए, यह GSTR-1 दाखिल करते समय मैन्युअल डाटा एंट्री की आवश्यकता को समाप्त कर देगा और ई-वे बिल के निर्माण में भी मदद करेगा।

SOURCE-PIB &CLEAR TAX

 

कार्मिक प्रशासन और शासन सुधारों के नवीनीकरण पर भारत और गाम्बिया गणराज्य के बीच हुए समझौता ज्ञापन

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के अंतर्गत प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग तथा गाम्बिया गणराज्य के राष्ट्रपतिकार्यालय के तहत लोक सेवा आयोग के बीच कार्मिक प्रशासन और शासन सुधारों के नवीनीकरण पर समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दे दी है।

प्रभाव :

समझौता ज्ञापन दोनों देशों के कार्मिक प्रशासन को समझने में मदद करेगा और कुछ सर्वोत्तम प्रथाओं और प्रक्रियाओं को अपनाने, अनुकूल बनाने और नवाचार के माध्यम से शासन प्रणाली में सुधार करने में सक्षम होगा।

वित्तीय प्रभाव :

इस समझौता ज्ञापन के कार्यान्वयन में प्रत्येक देश,अपना खर्च वहन करेगा। व्यय की वास्तविक राशि, समझौता ज्ञापन के तहत होने वाली गतिविधियों पर निर्भर करेगी।

विवरण :

इस समझौता ज्ञापन के तहत सहयोग के निम्न क्षेत्रशामिल होंगे, लेकिन सहयोग केवल इन्हीं क्षेत्रों तक सीमितनहीं होगा :

क)       सरकार में प्रदर्शन प्रबंधन प्रणाली में सुधार।

ख)      अंशदायी पेंशन योजना का कार्यान्वयन।

ग)       सरकारी भर्ती के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया (ई-भर्ती)।

समझौता ज्ञापन का मुख्य उद्देश्य कार्मिक प्रशासन और शासन सुधार के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करना और बढ़ावा देना है, क्योंकि इससे भारत सरकार की एजेंसियों और गाम्बिया गणराज्य की एजेंसियों के बीच आपसी बातचीत में सुविधा होगी। इसके अलावा, गाम्बिया; सरकार में प्रदर्शन प्रबंधन प्रणाली में सुधार, अंशदायी पेंशन योजना के कार्यान्वयन और सरकारी भर्ती के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत के साथ जुड़ने का इच्छुक है।

गाम्बिया गणराज्य के साथ समझौता ज्ञापन, कार्मिक प्रशासन और शासन सुधारों के नवीनीकरण पर दोनों देशों के बीच सहयोग के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करेगा, ताकि कार्मिक प्रशासन और शासन सुधार के क्षेत्र में प्रशासनिक अनुभवों को सीखने, साझा करने और आदान-प्रदान करके शासन की मौजूदा प्रणाली में सुधार किया जा सके तथा जिससे जवाबदेही और पारदर्शिता की मज़बूत भावना पैदा हो सके।

पृष्ठभूमि :

भारत सरकार ने देश भर में सरकारी सेवाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिएव्यापक व प्रभावी बदलाव का लक्ष्य निर्धारित किया है और इसका उद्देश्य कार्मिक प्रशासन व शासन सुधार के लिए सरकार के प्रयासों को आगे बढ़ाना है, जो ‘न्यूनतम सरकार के साथ अधिकतम शासन’ के संदर्भ में प्रासंगिक है।

गाम्बिया

गाम्बिया (आधिकारिक रूप से इस्लामी गणराज्य गाम्बिया), पश्चिमी अफ्रीका में स्थित एक देश है। गाम्बिया अफ्रीकी मुख्य भूमि पर स्थित सबसे छोटा देश है, इसकी उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी सीमा सेनेगल से मिलती है, पश्चिम में अन्ध महासागर से लगा छोटा सा तटीय क्षेत्र है। देश का नाम गाम्बिया नदी पर से पड़ा है, जिसके प्रवाह के रास्ते इसकी सीमा लगी हुई है। नदी देश के मध्य से होते हुए अन्ध महासागर में जाकर मिल जाती है। लगभग 10,500 वर्ग किमी क्षेत्रफल वाले इस देश की अनुमानित जनसंख्या 17,00,000 है। 18 फरवरी, 1965 को गाम्बिया ब्रिटेन से स्वतन्त्र हुआ और राष्ट्रमण्डल में सम्मिलित हो गया। बांजुल गाम्बिया की राजधानी है, लेकिन सबसे बड़ा महानगर सेरीकुंदा है।

गाम्बिया अन्य पश्चिम अफ़्रीकी देशों के साथ एतिहासिक दास व्यापार का एक भाग था, जो गाम्बिया नदी पर उपनिवेश स्थापित करने का एक प्रमुख कारण था, प्रथम पुर्तगालियों द्वारा और बाद में अंग्रेज़ों द्वारा। 1965 में स्वतन्त्रता प्राप्त करने के बाद, गाम्बिया अपेक्षाकृत स्थिर देश रहा है, केवल 1994 में सैन्य शासन की एक संक्षिप्त अवधि के अपवाद को छोड़कर।

यह एक कृषि सम्पन्न देश है और देश की अर्थव्यस्था में खेती-बाड़ी, मत्स्य-ग्रहण और पर्यटन-उद्योग की प्रमुख भूमिका है। लगभग एक तिहाई जनसंख्या अन्तर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा की सीमा 1.25 डॉलर प्रतिदिन से नीचे रहती है।

SOURCE-PIB

 

एक सुधार आधारित और परिणाम से जुड़ी योजना

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र  मोदी की अध्यमक्षता में केन्द्रीखय मंत्रिमंडल ने एक सुधार-आधारित और परिणाम-से जुड़ी, पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना को स्वीकृति दे दी है। इस योजना का उद्देश्य आपूर्ति बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए डिस्कॉम्सको सशर्त वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए निजी क्षेत्र के डिस्कॉम्सके अलावा सभीडिस्कॉम्स/विद्युतविभागों की परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिरता में सुधार करना है। यह सहायता पूर्व-योग्यता मानदंडों को पूरा करने के साथ-साथ वित्तीय सुधारों से जुड़े निर्धारित मूल्यांकन ढांचे के आधार पर मूल्यांकित किए गए डिस्कॉमद्वारा बुनियादी स्तर पर न्यूनतम मानकों की उपलब्धि हासिल करने पर आधारित होगी। योजना का कार्यान्वयन “सभी के लिए अनुकूलएक व्यवस्था” दृष्टिकोण के बजाय प्रत्येक राज्य के लिए तैयार की गई कार्य योजना पर आधारित होगा।

पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना का उद्देश्य पूर्व-योग्यता मानदंडों को पूरा करने और बुनियादी न्यूनतम उपलब्धि हासिल करने के आधार पर आपूर्ति बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए डिस्कॉम्स को परिणाम से जुड़ी वित्तीय सहायता प्रदान करके उनकी परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिरता में सुधार लाना है। यह योजना वर्ष 2025-26 तक उपलब्ध रहेगी। योजना के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिए आरईसी और पीएफसी को नोडल एजेंसियों के रूप में नामित किया गया है।

योजना के उद्देश्य

  1. 2024-25 तक अखिल भारतीय स्तर पर एटी एंड सी हानियों को 12-15% तक कम करना।
  2. 2024-25 तक एसीएस-एआरआर अंतराल को घटाकर शून्य करना।
  3. आधुनिक डिस्कॉम्स के लिए संस्थागत क्षमताओं का विकास करना।
  4. वित्तीय रूप से टिकाऊ और परिचालन रूप से कुशल वितरण क्षेत्र के माध्यम से उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और सामर्थ्य में सुधार करना।

विवरण

यह योजना एटी एंड सी हानियों, एसीएस-एआरआर अंतरालों, बुनियादी ढांचे के उन्नयन संबंधित प्रदर्शन, उपभोक्ता सेवाओं, आपूर्ति के घंटे, कॉर्पोरेट प्रशासन, आदि सहित पूर्व-निर्धारित और तय प्रदर्शन के संकेतों के मामले में डिस्कॉम के प्रदर्शन का वार्षिक मूल्यांकन प्रदान करती है। डिस्कॉम को न्यूनतम 60 प्रतिशत अंकों का स्कोर करना होगा और उस वर्ष में योजना के तहत वित्त पोषण के लिए पात्र होने के लिए कुछ मापदंडों के संबंध में न्यूनतम व्यवस्थाओं को पूरा करना होगा।

इस योजना में किसानों के लिए बिजली की आपूर्ति में सुधार लाने और कृषि फीडरों के सौरकरण के माध्यम से उन्हें दिन के समय बिजली उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान दिया गया है।

यह योजना प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) योजना के साथ कार्य करती है, जिसका उद्देश्य सभी फीडरों को सौर ऊर्जायुक्तबनाना और किसानों को अतिरिक्त आय के अवसर प्रदान करना है

इस योजना की एक प्रमुख विशेषता प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग के माध्यम से सार्वजनिक-निजी-साझेदारी (पीपीपी) मोड को लागू करने के लिए उपभोक्ता सशक्तिकरण को सक्षम बनाना है। इससे स्मार्ट मीटर उपभोक्ता मासिक आधार के बजाय नियमित आधार पर अपनी बिजली की खपत की निगरानी कर सकेंगे, जो उन्हें अपनी जरूरतों के अनुसार और उपलब्ध संसाधनों के संदर्भ में बिजली के उपयोग में मदद कर सकता है।

शहरी क्षेत्रों में वितरण प्रणाली का आधुनिकीकरण

ए.        सभी शहरी क्षेत्रों में पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण (एससीएडीए)

बी.       100 शहरी केंद्रों में डीएमएस

ग्रामीण और शहरी क्षेत्र प्रणाली का सुदृढ़ीकरण

विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए प्रावधान :

पूर्वोत्तर राज्यों केसिक्किम और जम्मू एवं कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों सहित सभी विशेष श्रेणी के राज्यों को विशेष श्रेणी के राज्यों के रूप में माना जाएगा।

प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग के लिए, 900 रुपये का अनुदान या पूरी परियोजना के लिए प्रति उपभोक्ता मीटर की लागत का 15%, जो भी कम हो, “विशेष श्रेणी के अलावा” राज्यों के लिए उपलब्ध होगा। “विशेष श्रेणी” राज्यों के लिए, संबंधित अनुदान रु 1,350 या प्रति उपभोक्ता लागत का 22.5%, जो भी कम हो, होगा।

इसके अलावा, डिस्कॉम्स यदि दिसंबर, 2023 तक लक्षित संख्या में स्मार्ट मीटर स्थापित करते हैं तो उपरोक्त अनुदान के 50% के अतिरिक्त विशेष प्रोत्साहन का भी लाभ उठा सकते हैं।

स्मार्ट मीटरिंग के अलावा अन्य कार्यों के लिए, “विशेष श्रेणी के अलावा” राज्यों के डिस्कॉम्स को दी जाने वाली अधिकतम वित्तीय सहायता स्वीकृत लागत का 60% होगी, जबकि विशेष श्रेणी के राज्यों में डिस्कॉम्सके लिए, अधिकतम वित्तीय सहायता स्वीकृत लागतराशि का 90% होगी।

SOURCE-PIB

 

आठ कोर उद्योगों

उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के आर्थिक सलाहकार कार्यालय ने मई, 2021 के लिए आठ कोर उद्योगों का सूचकांक जारी किया है। आईसीआई चयनित आठ प्रमुख उद्योगों – कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पांद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली में संयुक्त और व्यक्तिगत उत्पादन का आकलन करता है। औद्योगिक उत्पाउदन सूचकांक (आईआईपी) में शामिल वस्तुओं के कुल भारांक (वेटेज) का 40.27 प्रतिशत हिस्सा आठ कोर उद्योगों में ही निहित होता है। वार्षिक/मासिक सूचकांक और वृद्धि दर का विवरण अनुलग्नक I और II में दिया गया है।

मई, 2021 में संयुक्त आईसीआई 125.8 पर रहा जिसमें मई 2020 की तुलना में 16.8 प्रतिशत (अनंतिम) की बढ़त दर्ज की गई। मई 2021 में कोयला, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, स्टील, सीमेंट और बिजली उद्योगों का उत्पादन पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में बढ़ा है।

फरवरी, 2021 में आठ कोर उद्योगों के सूचकांक की अंतिम वृद्धि दर को इसके अनंतिम स्तर  (-) 4.6 प्रतिशत से संशोधित कर (-) 3.3 प्रतिशत कर दिया गया है। अप्रैल-मई 2021-22 के दौरान आईसीआई की वृद्धि दर पिछले वित्तीय वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 35.8 प्रतिशत (अनंतिम) थी।

आठ कोर उद्योगों (कुल मिलाकर) के सूचकांक के वार्षिक और मासिक वृद्धि दरों को नीचे की तालिका में दर्शाया गया है :

कोयला – मई 2020 की तुलना में मई 2021 में मासिक कोयला उत्पादन (भारांक : 10.33 प्रतिशत) में 6.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। अप्रैल से मई, 2021-22 के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 8.2 प्रतिशत बढ़ा।

कच्चा तेल – मई 2020 की तुलना में मई 2021 में मासिक कच्चे तेल का उत्पादन (भारांक : 8.98 प्रतिशत) 6.3 प्रतिशत कम हो गया। इसका संचयी सूचकांक अप्रैल से मई, 2021-22 के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 4.2 प्रतिशत कम हो गया।

प्राकृतिक गैस – मई 2020 की तुलना में मई 2021 में मासिक प्राकृतिक गैस उत्पादन (भारांक : 6.88 प्रतिशत) में 20.1 प्रतिशत बढ़ गया। इसका संचयी सूचकांक अप्रैल से मई, 2021-22 के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 22.5 प्रतिशत अधिक हो गया है।

पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पाद – मई 2020 की तुलना में मई 2021 में मासिक पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पादन (भारांक : 28.04 प्रतिशत) में 15.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। इसका संचयी सूचकांक अप्रैल-मई, 2021-22 के दौरान पिछले की इसी अवधि की तुलना में 22.8 प्रतिशत अधिक रहा है।

उर्वरक – मई 2020 की तुलना में मई 2021 में मासिक उर्वरक उत्पादन (भारांक : 2.63 प्रतिशत) में 9.6 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। इसका संचयी सूचकांक अप्रैल से मई, 2021-22 के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 3.9 प्रतिशत कम हो गया।

इस्पात – मई 2021 की तुलना में मई 2021 में मासिक इस्पात उत्पादन (भारांक : 17.92 प्रतिशत) में 59.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इसका संचयी सूचकांक अप्रैल से मई, 2021-22 के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 149.5 प्रतिशत बढ़ा।

सीमेंट – मई 2020 की तुलना में मई 2020 में मासिक सीमेंट उत्पादन (भारांक : 5.37 प्रतिशत) में 7.9 प्रतिशत की बढोतरी दर्ज की गई। इसका संचयी सूचकांक में अप्रैल से मई, 2021-22 के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 100.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

बिजली – मई 2020 की तुलना में मई 2021 में मासिक बिजली उत्पादन (भारांक : 19.85 प्रतिशत) में 7.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इसके संचयी सूचकांक में अप्रैल से मई, 2021-22 के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 21.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।

SOURCE-PIB

 

साइबर सुरक्षा सूचकांक

साइबर सुरक्षा सूचकांक में भारत को 10वें स्थान पर रखा गया है।

मुख्य बिंदु

  • देशों की वैश्विक साइबर सुरक्षा रैंकिंग में भारत चीन (नंबर 33) और पाकिस्तान (नंबर 79) से आगे है।
  • भारत ने संयुक्त राष्ट्र के ITU Global Cybersecurity Agenda (GCA) में अपनी रैंकिंग 47 से 10 तक सुधारी है।
  • अमेरिका पहले स्थान पर है और उसके बाद यूनाइटेड किंगडम है।
  • बेहतर रैंकिंग CERT (Cyber Emergency Response Team) के साथ भारत द्वारा की गई कई पहलों को स्वीकार करती है।

पृष्ठभूमि

इस रैंकिंग की घोषणा ऐसे समय की गई जब सरकार सीमा पार साइबर हमलों के मामलों से निपट रही है। फरवरी 2021 में, कई उदाहरण देखे गए जहां साइबर हमले शुरू करने के लिए सरकारी डोमेन ईमेल पते का उपयोग किया गया था।

Global Cybersecurity Index (GCI)

GCI दुनिया भर के देशों की साइबर सुरक्षा क्षमताओं को रैंक करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) की एक परियोजना है। यह विश्व स्तर पर साइबर सुरक्षा के लिए राष्ट्रों की प्रतिबद्धता को मापने वाला एक विश्वसनीय संदर्भ है। यह साइबर सुरक्षा के मुद्दों के महत्व और विभिन्न आयामों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रकाशित किया जाता है। साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में देश के विकास या जुड़ाव के स्तर का आकलन पांच स्तंभों में किया जाता है :

  1. कानूनी उपाय
  2. तकनीकी उपाय
  3. संगठनात्मक उपाय
  4. क्षमता विकास और
  5. सहयोग

और फिर डेटा को समग्र स्कोर में एकत्रित किया जाता है। सर्वेक्षण की गुणवत्ता में सुधार करने और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए GCI विभिन्न संगठनों की क्षमता और विशेषज्ञता का लाभ उठाता है।

अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (International Telecommunication Union – ITU)

ITU की स्थापना 1865 में हुई थी और यह संयुक्त राष्ट्र 1947 का एक अभिन्न अंग है। इसमें संबोधित मुद्दों और किए गए निर्णयों के प्रकार के संबंध में अंतरराष्ट्रीय आईसीटी संगठनों के बीच व्यापक निर्णय लेने का दायरा है।

SOURCE-GK TODAY

 

ग्रीन पास

यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी (EMA) ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा निर्मित कोविशील्ड को ‘ग्रीन पास’ के लिए अनुमोदित टीकों की सूची से बाहर कर दिया है। EMA के अनुसार, इस वैक्सीन को सूची से बाहर रखा गया था क्योंकि इसके पास यूरोपीय संघ (EU) में विपणन प्राधिकरण (marketing authorisation) नहीं है।

मुख्य बिंदु

  • कोविशील्ड के पास मार्केटिंग प्राधिकरण नहीं है, भले ही वह वैक्सज़ेवरिया (Vaxzevria) के अनुरूप उत्पादन तकनीक का उपयोग कर सकता है।
  • एस्ट्राजेनेका की ओर से वैक्सज़ेवरिया एकमात्र कोविड -19 वैक्सीन है जिसके लिए EMA द्वारा विपणन प्राधिकरण आवेदन जमा किया गया था और उसका मूल्यांकन किया गया था।इसे अनुमति दी गई थी।
  • EMA के मुताबिक विनिर्माण स्थितियों में छोटे अंतर के परिणामस्वरूप अंतिम उपज में अंतर हो सकता है क्योंकि टीके जैविक उत्पाद हैं।

यूरोपीय संघ टीकों को कैसे मंजूरी देता है?

यूरोपीय संघ के कानून में टीकों को मंजूरी देने से पहले विनिर्माण स्थलों और उत्पादन प्रक्रिया का आकलन करने की आवश्यकता होती  है।

यह भारतीयों को कैसे प्रभावित करेगा?

कोविशील्ड (Covishield) टीका लगाने वाले भारतीय यात्री यूरोपीय संघ ‘ग्रीन पास’ प्राप्त करने के पात्र नहीं हो सकते हैं।

ग्रीन पास क्या है?

यूरोपीय संघ के सदस्य देशों ने काम और पर्यटन के उद्देश्य से यूरोपीय संघ के देशों में और उनके बीच आसान यात्रा को सक्षम करने के लिए डिजिटल ‘वैक्सीन पासपोर्ट’ जारी करना शुरू कर दिया है। ईयू ‘ग्रीन पास’ भी एक तरह का डिजिटल वैक्सीन पासपोर्ट है, जो एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के EMA अनुमोदित वैक्सजेवरिया संस्करण को मान्यता देता है, जो यूके और यूरोप में उत्पादित होते हैं, भले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दुनिया भर में आपातकालीन उपयोग के लिए SII के कोविशील्ड का समर्थन किया हो। ग्रीन पास 1 जुलाई, 2021 को शुरू किया जाएगा।

EMA द्वारा कौन से टीके स्वीकृत हैं?

EMA ने अब तक चार कोविड-19 टीकों को मंजूरी दे दी है, जैसे कि कॉमिरनाटी, मॉडर्ना, वैक्सजेवरिया और जानसेन। लेकिन कोविशील्ड, जो कि एस्ट्राजेनेका का भारतीय संस्करण है और यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड का कोविड वैक्सीन है, को अभी तक यूरोपीय बाजार के लिए EMA द्वारा मान्यता नहीं दी गई है।

SOURCE-INDIAN EXPRESS

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