31 March Current Affairs
पीएलआईएसएफपीआई
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में केंद्रीय योजना “खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएफपीआई)” को मंजूरी दी गई। इस योजना में 10,900 करोड़ रुपए का प्रावधान है और इसका उद्देश्य देश को वैश्विक स्तर पर खाद्य विनिर्माण क्षेत्र में अग्रणी स्थान पर लाना है तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय खाद्य उत्पादों के ब्रांडों को बढ़ावा देना है।
योजना का उद्देश्यः
इस योजना का उद्देश्य खाद्य विनिर्माण से जुड़ी इकाइयों को निर्धारित न्यूनतम बिक्री और प्रसंस्करण क्षमता में बढ़ोतरी के लिए न्यूनतम निर्धारित निवेश के लिए समर्थन करना है तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय उत्पादों के लिए एक बेहतर बाजार बनाना और उनकी ब्रांडिंग शामिल है।
वैश्विक स्तर पर खाद्य क्षेत्र से जुड़ी भारतीय इकाइयों को अग्रणी बनाना।
वैश्विक स्तर पर चुनिंदा भारतीय खाद्य उत्पादों को बढ़ावा देना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इनकी व्यापक स्वीकार्यता बनाना।
कृषि क्षेत्र से इतर रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना।
कृषि उपज के लिए उपयुक्त लाभकारी मूल्य और किसानों के लिए उच्च आय सुनिश्चित करना।
मुख्य विशेषताएं:
इसके पहले घटक में चार बड़े खाद्य उत्पादों के विनिर्माण को प्रोत्साहन देना है जिनमें पकाने के लिए तैयार/खाने के लिए तैयार (रेडी टू कुक/रेडी टू ईट) भोजन, प्रसंस्कृत फल एवं सब्जियां, समुद्री उत्पाद और मोजरेला चीज़ शामिल है।
लघु एवं मध्यम उद्योगों के नवोन्मेषी/ऑर्गेनिक उत्पादन जिनमें अंडे, पोल्ट्री मांस, अंडे उत्पाद भी ऊपरी घटक में शामिल हैं।
चयनित उद्यमियों (एप्लिकेंट्स) को पहले दो वर्षों 2021-21 और 2022-23 में उनके आवेदन पत्र (न्यूनतम निर्धारित) में वर्णित संयंत्र एवं मशीनरी में निवेश करना होगा।
निर्धारित निवेश पूरा करने के लिए 2020-21 में किए गए निवेश की भी गणना की जाएगी।
नवाचारी/जैविक उत्पाद बनाने वाली चयनित कंपनियों के मामले में निर्धारित न्यूनतम बिक्री तथा निवेश की शर्तें लागू नहीं होंगी।
दूसरा घटक ब्रांडिंग तथा विदेशों में मार्केंटिंग से संबंधित है ताकि मजबूत भारतीय ब्रांडों को उभरने के लिए प्रोत्साहन दिया जा सके।
भारतीय ब्रांड को विदेश में प्रोत्साहित करने के लिए योजना में आवेदक कंपनियों को अनुदान की व्यवस्था है। यह व्यवस्था स्टोर ब्रांडिंग, शेल्फ स्पेस रेंटिंग तथा मार्केटिंग के लिए है।
योजना 2021-22 से 2026-27 तक छह वर्षों की अवधि के लिए लागू की जाएगी।
रोजगार सृजन क्षमता सहित प्रभाव
योजना के लागू होने से प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाने में भी मदद मिलेगी ताकि 33,494 करोड़ रुपए का प्रसंस्कृत खाद्य तैयार हो सके।
वर्ष 2026-27 तक लगभग 2.5 लाख व्यक्तियों के लिए रोजगार सृजन होगा।
क्रियान्वयन रणनीति तथा लक्ष्य:
यह योजना अखिल भारतीय आधार पर लागू की जाएगी।
यह योजना परियोजना प्रबंधन एजेंसी (पीएमए) के माध्यम से लागू की जाएगी।
पीएमए आवेदनों/प्रस्तावों के मूल्यांकन, समर्थन के लिए पात्रता के सत्यापन, प्रोत्साहन वितरण के लिए पात्र दावों की जांच के लिए उत्तरदायी होगी।
योजना के अंतर्गत 2026-27 में समाप्त होने वाले छह वर्षों के लिए प्रोत्साहन का भुगतान किया जाएगा। वर्ष विशेष के लिए देय योग्य प्रोत्साहन अगले वर्ष में भुगतान के लिए देय रहेगा। योजना की अवधि 2021-22 से 2026-27 तक छह वर्ष के लिए होगी।
योजना ‘फंड लिमिटेड’ हैयानी लागत स्वीकृत राशि तक प्रतिबंधित है। लाभार्थी को भुगतान योग्य अधिकतम प्रोत्साहन का निर्धारण उस लाभार्थी की स्वीकृति के समय अग्रिम रूप में होगा। उपलब्धि/कार्य प्रदर्शन कुछ भी हो यह अधिकतम सीमा बढ़ायी नहीं जाएगी।
योजना के क्रियान्वयन से प्रसंस्करण क्षमता का विस्तार होगा और 33,494 करोड़ रुपए का प्रसंस्कृत खाद्य तैयार होगा और वर्ष 2026-27 तक लगभग 2.5 लाख व्यक्तियों के लिए रोजगार सृजन होगा।
योजना क्रियान्वयन:
योजना की निगरानी, केंद्र में मंत्रिमंडल सचिव की अध्यक्षता वाले सचिवों के अधिकार संपन्न समूह द्वारा की जाएगी।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय योजना के अंतर्गत कवरेज के लिए आवेदकों के चयन को स्वीकृति देगा, प्रोत्साहन रूप में धन स्वीकृत और जारी करेगा।
योजना क्रियान्वयन के लिए विभिन्न गतिविधियों को कवर करते हुए मंत्रालय वार्षिक कार्य योजना तैयार करेगा।
कार्यक्रम में तीसरे पक्ष द्वारा मूल्यांकन और बीच की अवधि में समीक्षा का प्रावधान है।
राष्ट्रीय पोर्टल एवं सूचना प्रणाली प्रबंधन
एक राष्ट्रीय पोर्टल की स्थापना की जाएगी, जहां आवेदक उद्यमी इस योजना में हिस्सा लेने के लिए आवदेन कर सकता है।
योजना संबंधी सभी गतिविधियां राष्ट्रीय पोर्टल पर भी की जाएंगी।
समायोजन ढांचा
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की ओर से क्रियान्वित की जा रही प्रधानमंत्री कृषि संपदा योजना (पीएमकेएसवाई) में लघु एवं मध्यम खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों की आपूर्ति श्रृंखला आधारभूत ढांचे को मजबूत करने, प्रसंस्करण क्षमता का विस्तार करने, औद्योगिक प्लॉट्स की उपलब्धता को बढ़ाना, कौशल विकास में सहायता करना, शोध एवं विकास और परीक्षण सुविधाओं की उपलब्धता में सहायता प्रदान करना शामिल है।
अन्य विभागों/मंत्रालयों-कृषि सहयोग एवं कृषक कल्याण, पशु पालन और डेयरी, मत्स्य, उद्योग एवं आंतरिक व्यापार, वाणिज्य संवर्धन विभागों की ओर से क्रियान्वित की गई अनेक योजनाओं का खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रभाव है।
प्रस्तावित योजना के दायरे में आने वाले आवेदकों को अन्य दूसरी योजनाओं (जहां व्यवहार्य हो) अन्य सेवाओं की अनुमति भी प्रदान की जाएगी। इस संबंध में यह विचार किया गया है कि प्रोत्साहन संबंधी योजना के दायरे में आने वाले आवेदकों की उपयुक्तता अन्य दूसरी योजनाओं या इसके विपरीत प्रभावित नहीं होगी।
पृष्ठभूमि
भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में लघु एवं बड़े उद्यमों से जुड़े क्षेत्रों के विनिर्माण उपक्रम शामिल हैं।
संसाधनों की प्रचुरता, विशाल घरेलू बाजार और मूल्य संवर्धित उत्पादों को देखते हुए भारत के पास प्रति-स्पर्धात्मक स्थान है।
इस क्षेत्र की पूर्ण क्षमताओं को हासिल करने के लिए भारतीय कंपनियों को प्रतिस्पर्धी आधार पर अपने आपको मजबूत करना होगा, अर्थात वैश्विक स्तर पर जो बड़ी कंपनियां हैं उनकी उत्पादन क्षमता, उत्पादकता, मूल्य संवर्धन और वैश्विक श्रृंखला के साथ जुड़ने जैसी बातों पर ध्यान देना होगा।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना देश में विनिर्माण क्षमताओं और निर्यात को बढ़ावा देने के ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत नीति आयोग की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के आधार पर बनाई गई है।
Source –PIB
फरवरी, 2021 में आठ कोर उद्योगों का सूचकांक
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के आर्थिक सलाहकार कार्यालय ने जनवरी, 2021 के लिए आठ कोर उद्योगों का सूचकांक जारी किया है।आठ कोर इंडस्ट्रीज का संयुक्त सूचकांक फरवरी, 2021 में 127.8 पर रहा जिसमें फरवरी 2020 की तुलना में 4.6 फीसदी (अनंतिम) की गिरावट दर्ज की गई। इनकी संचयी वृद्धि दर अप्रैल-फरवरी, 2020-21 में (-) 8.3 प्रतिशत थी।
नवंबर, 2020 में आठ कोर उद्योगों के सूचकांक की अंतिम वृद्धि दर को इसके अनंतिम स्तर (-2.6%) से संशोधित कर (-) 1.1 % कर दिया गया है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में शामिल वस्तुओं के कुल भारांक (वेटेज) का 40.27 प्रतिशत हिस्सा आठ कोर उद्योगों में ही निहित होता है। वार्षिक/मासिक सूचकांक और वृद्धि दर का विवरण अनुलग्नक I और II में दिया गया है।
आठ कोर उद्योगों (कुल मिलाकर) के सूचकांक की मासिक वृद्धि दरों को ग्राफ में दर्शाया गया है:
आठ कोर उद्योगों के सूचकांक का सार नीचे दिया गया है:
कोयला
फरवरी, 2021 में कोयला उत्पादन (भारांक : 10.33%) फरवरी, 2020 के मुकाबले 4.4 प्रतिशत घट गया। वर्ष 2020-21 की अप्रैल-फरवरी अवधि के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 2.2 प्रतिशत गिर गया।
कच्चा तेल
फरवरी, 2021 के दौरान कच्चे तेल का उत्पादन (भारांक : 8.98%) फरवरी, 2020 की तुलना में 3.2 प्रतिशत गिर गया। वर्ष 2020-21 की अप्रैल-फरवरी अवधि के दौरान इसका संचयी सूचकांक बीते वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 5.4 प्रतिशत कम रहा।
प्राकृतिक गैस
फरवरी, 2021 में प्राकृतिक गैस का उत्पादन (भारांक : 6.88%) फरवरी, 2020 के मुकाबले 1.0 प्रतिशत गिर गया। वर्ष 2020-21 की अप्रैल-फरवरी अवधि के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 9.9 प्रतिशत घट गया।
पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पाद
पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पादों का उत्पादन (भारांक : 28.04%) फरवरी, 2021 में फरवरी, 2020 के मुकाबले 10.9 प्रतिशत घट गया। वहीं, वर्ष 2020-21 की अप्रैल-फरवरी अवधि के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 12.2 प्रतिशत कम रहा।
उर्वरक
फरवरी, 2021 के दौरान उर्वरक उत्पादन (भारांक : 2.63%) फरवरी, 2020 के मुकाबले 3.7 प्रतिशत गिर गया। उधर, वर्ष 2020-21 की अप्रैल-फरवरी अवधि के दौरान इसका संचयी सूचकांक बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 2.4 प्रतिशत अधिक रहा।
इस्पात
फरवरी, 2021 में इस्पात उत्पादन (भारांक : 17.92%) फरवरी, 2020 के मुकाबले 1.8 प्रतिशत घट गया। वर्ष 2020-21 की अप्रैल-फरवरी अवधि के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 12.4 प्रतिशत कम रहा।
सीमेंट
फरवरी, 2021 के दौरान सीमेंट उत्पादन (भारांक : 5.37%) जनवरी, 2020 के मुकाबले 5.5 प्रतिशत घट गया। वर्ष 2020-21 की अप्रैल-फरवरी अवधि के दौरान इसका संचयी सूचकांक बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 15.5 प्रतिशत कम रहा।
बिजली
फरवरी, 2021 के दौरान बिजली उत्पादन (भारांक : 19.85%) जनवरी, 2020 के मुकाबले 0.2 फीसदी घट गया। वर्ष 2020-21 की अप्रैल-फरवरी, 2020-21 अवधि के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 2.5 प्रतिशत कम रहा।
नोट 1: दिसंबर 2020, जनवरी 2021 और फरवरी, 2021 के आंकड़े अनंतिम हैं।
नोट 2: अप्रैल, 2014 से ही बिजली उत्पादन के आंकड़ों में नवीकरणीय अथवा अक्षय स्रोतों से प्राप्त बिजली को भी शामिल किया जा रहा है।
नोट 3: ऊपर दिए गए उद्योग-वार भारांक दरअसल आईआईपी से प्राप्त अलग-अलग उद्योग भारांक हैं और इसे 100 के बराबर आईसीआई के संयुक्त भारांक में समानुपातिक आधार पर बढ़ाकर दिखाया गया है।
नोट 4: मार्च 2019 से ही तैयार इस्पात के उत्पादन के अंतर्गत ‘कोल्ड रोल्ड (सीआर) क्वायल्स’ मद के तहत हॉट रोल्ड पिकल्ड एंड ऑयल्ड (एचआरपीओ) नामक एक नए स्टील उत्पाद को भी शामिल किया जा रहा है।
नोट 5: मार्च, 2021 के लिए सूचकांक शुक्रवार, 30 अप्रैल, 2021 को जारी किया जाएगा।
SOURCE-PIB
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (2016=100)- फ़रवरी, 2021
मुख्य बिंदु
औद्योगिक श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (2016=100) फरवरी 2021, जनवरी 2021 के 118.2 अंक से बढ़कर 119.0 अंक हो गया है।
प्रतिशतता के संदर्भ में, खाद्य एवं पेय, ईंधन एवं प्रकाश और विविध समूहों में वृद्धि की वजह से पिछले महीने की तुलना में 0.68 प्रतिशत ऊपर चला गया है। इस अवधि के दौरान, दूध, सरसों तेल, सोयाबीन के तेल, सूरजमुखी के तेल, सेब, आम, संतरा, भिंडी, प्याज, परवल, तैयार एवं प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, कुकिंग गैस, पेट्रोल आदि जैसी वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि का व्यापक प्रभाव पड़ा है।
फ़रवरी, 2021 के लिए मुद्रास्फीति दर पिछले महीने के 3.15 प्रतिशत की तुलना में बढ़कर 4.48 प्रतिशत हुई। खाद्य-स्फीति दर भी पिछले माह के 2.38 प्रतिशत की तुलना में बढ़कर 4.64 प्रतिशत हुई।
फ़रवरी, 2021 का अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (औद्योगिक श्रमिक) 0.8 अंक बढ़कर 119.0 (एक सौ उन्नीस दशमलव शून्य) अंकों के स्तर पर पहुंचा। सूचकांक में पिछले माह की तुलना में 0.68 प्रतिशत की वृद्धि रही जबकि एक वर्ष पूर्व इन्हीं दो महीनों के बीच 0.61 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई थी।
सूचकांक में दर्ज वृद्धि में अधिकतम योगदान ईंधन एवं प्रकाश समूह का रहा जिसने कुल बदलाव को 0.31 बिन्दु प्रतिशतता से प्रभावित किया। इस वृद्धि को विविध एवं खाद्य व पेय समूहों ने 0.23 व 0.21 बिन्दु प्रतिशतता से प्रभावित कर संपूरित किया। मदों में, दूध, सरसों तेल, सोयाबीन के तेल, सूरजमुखी के तेल, सेब, आम, संतरा, भिंडी, प्याज, परवल, तैयार एवं प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, कुकिंग गैस, पेट्रोल, इत्यादि सूचकांक को बढ़ाने में सहायक रहे। इसके विपरीत चावल, आलू, टमाटर, अंडा-मुर्गी, पत्तागोभी, अदरक, आदि ने सूचकांक में दर्ज वृद्धि को नियंत्रित करने का प्रयास किया।
केंद्र-स्तर पर मदुरई केंद्र के सूचकांक में अधिकतम 4.0 अंकों की वृद्धि रही। अन्य 3 केंद्रों में 3 से 3.9 अंक के बीच वृद्धि दर्ज की गई जिसके पश्चात 7 केंद्रों में 2 से 2.9 अंक के बीच, 22 केंद्रों में 1 से 1.9 अंक के बीच तथा 34 केंद्रों में 0 से 0.9 अंक के बीच वृद्धि रही। इसके विपरीत, लबाक-सिलचर एवं कलकत्ता में 2.4 एवं 2.0 अंकों की कमी दर्ज की गई। अन्य 5 केंद्रों में 1 से 1.9 अंक तथा शेष 14 केंद्रों में 0 से 0.9 अंक की कमी पाई गई।
फ़रवरी, 2021 के लिए मुद्रास्फीति दर पिछले महीने के 3.15 प्रतिशत तथा गत वर्ष के इसी माह के 6.84 प्रतिशत की तुलना में 4.48 प्रतिशत रही। इसी तरह, खाद्य-स्फीति दर पिछले माह के 2.38 प्रतिशत एवं एक वर्ष पूर्व इसी माह के 8.33 प्रतिशत की तुलना में 4.64 प्रतिशत रही।
केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री संतोष कुमार गंगवार ने सूचकांक में वृद्धि का स्वागत करते हुए कहा कि सूचकांक में वृद्धि के परिणामस्वरूप कामगार आबादी के महंगाई भत्तों में बढ़ोतरी से वेतन में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा कि फरवरी 2021 के दौरान दूध, सरसों तेल, सोयाबीन के तेल, सूरजमुखी के तेल, सेब, आम, संतरा, भिंडी, प्याज, परवल, तैयार एवं प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, नाई के शुल्क, कुकिंग गैस, पेट्रोल आदि के दामों में बढ़ोतरी के कारण मुद्रास्फीति में वृद्धि दर्ज की गई है।
श्रम ब्यूरो के महानिदेशक श्री पीडी पी एस नेगी ने कहा कि फरवरी 2021 के दौरान मुद्रास्फीति में वृद्धि अन्य सरकारी एजेंसियों द्वारा जारी विभिन्न मूल्य सूचकांकों के संबंध में सभी क्षेत्र में देखी गई है।
श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय के तहत श्रम ब्यूरो द्वारा हर महीने औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का संकलन सम्पूर्ण देश में फैले हुए 88 महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्रों के 317 बाजारों से एकत्रित खुदरा मूल्यों के आधार पर किया जाता है। सूचकांक का संकलन 88 औद्योगिक केंद्रों एवं अखिल भारत के लिए किया जाता है और आगामी महीने के अंतिम कार्यदिवस पर जारी किया जाता है। फ़रवरी, 2021 के लिए सूचकांक इस प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से जारी किया जा रहा है।
सूचकांक की आगामी कड़ी मार्च, 2021 माह के लिए दिन शुक्रवार, 30 अप्रैल, 2021 को जारी की जाएगी।
SOURCE-PIB
क्यूलेक्स मच्छर
मौसम में बदलाव और तापमान में वृद्धि के साथ, क्यूलेक्स या सामान्य घर के मच्छरों ने दिल्ली भर में फिर से उपस्थिति बनाई है।
इन मच्छरों के दिखने का मुख्य कारण गर्म तापमान होता है।
उनकी उपस्थिति विशेष रूप से पूर्वी और दक्षिणी दिल्ली में बाढ़ के आसपास के क्षेत्रों में अधिक महसूस की जाती है क्योंकि यह प्रजनन की एक आदर्श स्थिति है।
क्यूलेक्स मच्छरों को जापानी एन्सेफलाइटिस के संभावित वाहक माना जाता है, जो एक संभावित जान लेवा लेकिन दुर्लभ वायरल बीमारी है जो मस्तिष्क के “तीव्र सूजन” का कारण बनती है। वे गंदे, स्थिर पानी में प्रजनन करते हैं।
वे 1-1.5 किमी की दूरी तक उड़ सकते हैं।
एडीस एजिप्टी मच्छरों के विपरीत, जो डेंगू और चिकनगुनिया फैलाते हैं और साफ पानी में प्रजनन करते हैं, क्यूलेक्स मच्छर अशुद्ध पानी में प्रजनन करते हैं।
SOURCE-INDIAN EXPRESS
सरस्वती सम्मान 2020
प्रसिद्ध मराठी लेखक डॉ. शरणकुमार लिंबाले (Dr. Sharankumar Limbale) को उनकी पुस्तक ‘सनातन’ (Sanatan) के लिए सरस्वती सम्मान, 2020 से सम्मानित किया जायेगा। डॉ. लिंबाले की पुस्तक ‘सनातन’ को 2018 में प्रकाशित किया गया था। इस पुरस्कार में पंद्रह लाख रुपये, एक प्रशस्ति पत्र और एक पट्टिका प्रदान की है। के.के. बिड़ला फाउंडेशन द्वारा 1991 में स्थापित सरस्वती सम्मान को देश में सबसे प्रतिष्ठित और सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार के रूप में मान्यता प्राप्त है।
सरस्वती सम्मान पुरस्कार (Saraswati Samman)
सरस्वती सम्मान पुरस्कार की शुरुआत के.के. बिड़ला फाउंडेशन द्वारा वर्ष 1991 में की गई थी। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष किसी भी आधिकारिक भारतीय भाषा में लिखे गए उत्कृष्ट साहित्यिक कार्य के लिए दिया जाता है। इसमें एक प्रशस्ति पत्र और एक पट्टिका के अलावा, 15 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है।
बिड़ला फाउंडेशन द्वारा गठित अन्य लोकप्रिय साहित्यिक पुरस्कार व्यास सम्मान (हिंदी के लिए) और बिहारी पुरस्कार (हिंदी और राजस्थान के राजस्थानी लेखकों के लिए) हैं।
पिछले वर्ष यह पुरस्कार वासदेव मोहि को प्रदान किया गया था। 1991 में हरिवंश राय बच्चन इस पुरस्कार के पहले विजेता थे।
SOURCE-G.K.TODAY
RBI ने बेस रेट को 15 बेसिस पॉइंट्स घटाकर 7.81% किया
गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (NBFC) और माइक्रो फाइनेंस संस्थानों (MFI) द्वारा दिए जाने वाले विभिन्न ऋणों को कल से सस्ता होने की उम्मीद है।
मुख्य बिंदु
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज सूचित किया कि आधार दर 7.81 प्रतिशत है। मौजूदा तिमाही की तुलना में यह 15 बेसिस पॉइंट्स (0.15%) कम है। पिछले साल यह इसी अवधि के दौरान 8.76% थी।
हर तिमाही के अंतिम कार्य दिवस पर, RBI NBFC-MFI द्वारा आगामी तिमाही में अपने उधारकर्ताओं से वसूली जाने वाली ब्याज दर निर्धारित करता है। यह पांच सबसे बड़े वाणिज्यिक बैंकों की आधार दरों के औसत पर आधारित होती है।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI)
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अनुसार 1 अप्रैल 1935 को भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना हुई थी। शुरू में रिज़र्व बैंक का केंद्रीय कार्यालय कोलकाता में स्थापित किया गया था लेकिन 1937 में स्थायी रूप से इसे मुंबई में हस्तांतरित कर दिया गया था। केंद्रीय कार्यालय वह स्थान है, जहां गवर्नर बैठता है तथा जहां नीतियां तैयार की जाती हैं। 1949 मे राष्ट्रीयकरण के बाद से रिज़र्व बैंक पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व में है।
DFI की स्थापना
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत अगले तीन वर्षों में 69 बिलियन डॉलर के ऋण लक्ष्य के साथ लगभग 3 बिलियन डॉलर की प्रारंभिक भुगतान पूंजी के साथ एक नया विकास वित्तीय संस्थान (Development Finance Institution) स्थापित करने जा रहा है।
विकास वित्त संस्थान (Development Finance Institution-DFI)
दीर्घकालिक वित्त जुटाने के लिए विकास वित्त संस्थान की स्थापना की जाएगी। 10 वर्षों की अवधि के लिए DFI पर कुछ कर लाभ भी होंगे। DFI में एक पेशेवर बोर्ड शामिल होगा जिसमें 50 प्रतिशत सदस्य गैर-आधिकारिक निदेशक होंगे। इसके तहत प्रारंभिक अनुदान 5,000 करोड़ रुपये की होगी। शुरुआती चरण में, नए संस्थान का स्वामित्व सरकार के पास होगा जबकि बाद के चरण में, सरकार की हिस्सेदारी 26 प्रतिशत तक कम की जाएगी।
DFI का महत्व
सरकार डीएफआई को प्रतिभूतियां जारी करने की भी योजना बना रही है जो बदले में फंड्स की लागत को कम करने में मदद करेगी। इससे संस्था को कई स्रोतों से प्रारंभिक पूंजी और फंड प्राप्त करने में मदद मिलेगी। यह भारत में बांड बाजार पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगा। यह संस्थान नई परियोजनाओं में निवेश करने के लिए वैश्विक पेंशन और बीमा क्षेत्रों से धन जुटाने का प्रयास भी करेगा।
SOURCE-G.K.TODAY