Current Affairs – 6 September, 2021
ऑपरेशन ‘समुद्र सेतु’ और ‘मिशन सागर’
राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने कहा कि भारतीय नौसेना ने सभी क्षेत्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मित्रों और भागीदारों के साथ हमारे राजनयिक संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। ऑपरेशन ‘समुद्र सेतु’ और ‘मिशन सागर’ जैसे अभियानों के साथ, भारतीय नौसेना देश के कोविड आउटरीच कार्यक्रम का एक प्रमुख साधन थी जिसने हिंद महासागर क्षेत्र में हमारे समुद्री पड़ोसियों और भागीदारों को सहायता प्रदान की। संकट के समय में भारतीय नौसेना की त्वरित और प्रभावी तैनाती ने हिंद महासागर क्षेत्र में ‘पसंदीदा सुरक्षा भागीदार’ और ‘प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता’ होने के भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित किया है।
राष्ट्रपति ने उल्लेख किया कि भारतीय नौसेना विमानन ने कई मानवीय सहायता और आपदा राहत कार्यों के माध्यम से योगदान दिया है, जिसके दौरान इसने साथी नागरिकों को राहत प्रदान की है। मई 2021 में चक्रवात ताउते के दौरान मुंबई में चलाया गया बचाव अभियान एक मिसाल है। हिंद महासागर क्षेत्र में पड़ोसी देशों के कई लोगों को महत्वपूर्ण सहायता भी प्रदान की है।
भारतीय नौसेना के स्वदेशीकरण कार्यक्रम के बारे में बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय नौसेना ने सक्रिय रूप से स्वदेशीकरण किया है जो इसकी वर्तमान और भविष्य की अधिग्रहण योजनाओं में अच्छी तरह से परिलक्षित होता है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के अनुसरण में, भारतीय नौसेना उड्डयन ने भी मेक इन इंडिया अभियान के अनुरूप लगातार प्रगति की है। उन्होंने कहा कि विमानन प्रौद्योगिकी में शानदार प्रगति के साथ, आधुनिक, अत्याधुनिक स्वदेशी, हथियार, सेंसर और डेटा लिंक सूट के साथ नौसेना के विमान स्थापित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा स्वदेशी रूप से निर्मित उन्नत हल्के हेलीकाप्टरों के साथ-साथ डोर्नियर और चेतक विमानों को हाल ही में शामिल किया गया है जो रक्षा क्षेत्र में ‘आत्म-निर्भरता’ की ओर आगे बढ़ने के हमारे प्रयासों को उजागर करता है।
ऑपरेशन समुद्र सेतु :
- इसे वंदे भारत मिशन (VBM) के साथ लॉन्च किया गया था।
- कोरोना वायरस के मद्देनज़र लागू किये गए यात्रा प्रतिबंधों के बीच विदेश में फँसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिये VBM सबसे बड़ा नागरिक निकासी अभियान है।
- यह खाड़ी युद्ध की शुरुआत में वर्ष 1990 में एयरलिफ्ट किये गए 1,77,000 लोगों की संख्या से भी आगे निकल गया है।
- इस ऑपरेशन में भारतीय नौसेना के पोत जलश्व, ऐरावत, शार्दुल और मगर ने भाग लिया।
- कोविड-19 के प्रसार के बीच पड़ोसी देशों में फँसे लगभग 4000 भारतीय नागरिकों को सफलतापूर्वक भारत वापस भेज दिया गया।
- भारतीय नौसेना ने इससे पहले वर्ष 2006 (बेरूत) में ऑपरेशन सुकून और वर्ष 2015 में ऑपरेशन राहत (यमन) के रूप में इसी तरह के निकासी अभियान चलाए हैं।
ऑपरेशन समुद्र सेतु-II
- इस ऑपरेशन के हिस्से के रूप में सात भारतीय नौसेना जहाज़ों अर्थात् कोलकाता, कोच्चि, तलवार, टाबर, त्रिकंड, जलश्व तथा ऐरावत को विभिन्न देशों से लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन-फील्ड क्रायोजेनिक कंटेनर्स और संबंधित मेडिकल इक्विपमेंट की शिपमेंट के लिये तैनात किया गया है।
- दो जहाज़ INS कोलकाता और INS तलवार, मुंबई के लिये 40 टन तरल ऑक्सीजन लाने हेतु मनामा और बहरीन के बंदरगाहों में प्रवेश कर चुके हैं।
- INS जलाश्व और INS ऐरावत भी इसी प्रकार के मिशन के साथ क्रमशः बैंकॉक और सिंगापुर के मार्ग पर हैं।
मिशन सागर (MISSION SAGAR)
10 मई, 2020 को COVID-19 महामारी के दौरान भारतीय नौसेना ने मालदीव, मॉरीशस, सेशल्स, मेडागास्कर एवं कोमोरोस देशों को सहायता पहुँचाने के लिये ‘मिशन सागर’ (MISSION SAGAR) प्रारंभ किया।
प्रमुख बिंदु :
- इस मिशन के तहत भारतीय नौसेना के जहाज़ ‘केसरी’ को हिन्द महासागरीय देशों में खाद्य वस्तुएँ, COVID-19 से संबंधित दवाएँ, विशेष आयुर्वेदिक दवाएँ एवं चिकित्सा सहायता दलों के साथ भेजा गया है।
- यह अभियान भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय एवं अन्य एजेंसियों के साथ नज़दीकी समन्वय के साथ शुरू किया गया है।
- यह मिशन प्रधानमंत्री की ‘सागर’ (Security and Growth for All in the Region -SAGAR) पहल के अनुरूप है जो भारत द्वारा उसके पड़ोसी देशों के साथ संबंधों के महत्त्व को रेखांकित करता है एवं मौजूदा संबंधों को और मज़बूत करता है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.2
चंडीगढ़ का पहला पराग कैलेंडर एलर्जी उत्पन्न करने वाले
सम्भावित कारकों की पहचान
चंडीगढ़ के पास अब अपना ऐसा पहला पराग कैलेंडर है, जो एलर्जी उत्पन्न करने वाले सम्भावित कारकों की पहचान कर सकता है और उच्च पराग भार वाले मौसमों में इससे होने वाले खतरों को सीमित करने में चिकित्सकों की मदद करने के साथ-साथ एलर्जी पीड़ितों को उनके कारणों के बारे में स्पष्ट समझ प्रदान कर सकता है।
भारत में लगभग 20-30% जनसंख्या परागज ज्वर अर्थात एलर्जिक राइनाइटिस/हे फीवर से पीड़ित है और लगभग 15% लोग दमे (अस्थमा) से पीड़ित हैं। पराग को एक प्रमुख बाहरी वायु के साथ प्रवाही एलर्जेन माना जाता है जो मनुष्यों में परागज ज्वर (एलर्जिक राइनाइटिस), अस्थमा और एग्जिमा अर्थात अटॉपिक डर्मेटाइटिस यानी त्वचा में खुजली और सूजन के लिए जिम्मेदार होते हैं। पराग कैलेंडर एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र में रेखांकित और वर्गीकृत किए गए वायुजन्य (एयरबोर्न) एलर्जी कारक पराग कणों के समय की गतिशीलता का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे एक ही चित्र में किसी विशिष्ट मौसम में अपनी उपस्थिति दर्ज करते हुए, पूरे वर्ष के दौरान मौजूद विभिन्न वायुजनित पराग कणों के बारे में आसानी से सुलभ दृश्य विवरण उपलब्ध कराते हैं। पराग कैलेंडर स्थान-विशिष्ट हैं और इनकी सांद्रता स्थानीय रूप से वितरित वनस्पतियों से निकटता से संबंधित हैं।
सामुदायिक चिकित्सा विभाग और जन स्वास्थ्य विद्यालय, स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसन्धान संस्थान (पीजीआईएमईआर), चंडीगढ़ ने वायुजन्य (एयरबोर्न) पराग स्पेक्ट्रम की मौसमी आवधिकताओं की जांच की और चंडीगढ़ शहर के लिए पहला पराग कैलेंडर विकसित किया। यह प्रारंभिक परामर्श तैयार करने और मीडिया चैनलों के माध्यम से नागरिकों तक इन्हें प्रसारित करने में मदद करेगा ताकि वे उस अवधि के दौरान सुरक्षात्मक उपकरणों का उपयोग कर सकें जब एलर्जीकारक परागकणों की सांद्रता अधिक होगी। यह संवेदनशील लोगों के लिए एक निवारक उपकरण भी है, जब विशिष्ट अवधि के दौरान एयरो-पराग के स्तर अधिक होने पर जोखिम बढ़ जाता है।
यह सामुदायिक चिकित्सा विभाग और जन स्वास्थ्य विद्यालय, स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसन्धान संस्थान (पीजीआईएमईआर), चंडीगढ़ में डॉ रवींद्र खैवाल के नेतृत्व में एक टीम द्वारा संभव बनाया गया था। इसमें डॉ. आशुतोष अग्रवाल, प्रोफेसर, और प्रमुख, पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़, के फुफ्फुस औषधि (पल्मोनरी मेडिसिन) विभाग के प्रोफेसर डॉ. आशुतोष अग्रवाल और पर्यावरण अध्ययन विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़, की अध्यक्ष और एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. सुमन मोर के साथ-साथ शोधार्थी सुश्री अक्षी गोयल और श्री साहिल कुमार शामिल थे।
इस समूह ने चंडीगढ़ में मुख्य पराग ऋतुओं, उनकी तीव्रताओं, विविधताओं और एरोबायोलॉजिकल रूप से महत्वपूर्ण पराग कणों के प्रकारों की खोज की। उनके अध्ययन ने चंडीगढ़ के लिए वैज्ञानिक पराग कैलेंडर तैयार कर इसके बारे में नवीनतम (अप-टू-डेट) जानकारी प्रदान की और विभिन्न मौसमों में महत्वपूर्ण पराग कणों के प्रकारों की परिवर्तनशीलता पर भी प्रकाश डाला। वायुजन्य पराग कणों की अधिकता वाले प्रमुख मौसम वसंत और शरद ऋतु थेI इनकी अधिकतम प्रजातियां तब सामने आती हैं जब ऋतूजैविकीय (फेनोलॉजिकल) और मौसम संबंधी मानकों को पराग कणों के विकास, फैलाव (विसरण) और संचरण के लिए अनुकूल माना जाता है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.3
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार
27 अगस्त, 2021 को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 16.663 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 633.558 अरब डॉलर पर पहुँच गया है। विश्व में सर्वाधिक विदेशी मुद्रा भंडार वाले देशों की सूची में भारत चौथे स्थान पर है, इस सूची में चीन पहले स्थान पर है।
विदेशी मुद्रा भंडार
इसे फोरेक्स रिज़र्व या आरक्षित निधियों का भंडार भी कहा जाता है भुगतान संतुलन में विदेशी मुद्रा भंडारों को आरक्षित परिसंपत्तियाँ’ कहा जाता है तथा ये पूंजी खाते में होते हैं। ये किसी देश की अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति का एक महत्त्वपूर्ण भाग हैं। इसमें केवल विदेशी रुपये, विदेशी बैंकों की जमाओं, विदेशी ट्रेज़री बिल और अल्पकालिक अथवा दीर्घकालिक सरकारी परिसंपत्तियों को शामिल किया जाना चाहिये परन्तु इसमें विशेष आहरण अधिकारों, सोने के भंडारों और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की भंडार अवस्थितियों को शामिल किया जाता है। इसे आधिकारिक अंतर्राष्ट्रीय भंडार अथवा अंतर्राष्ट्रीय भंडार की संज्ञा देना अधिक उचित है।
27 अगस्त, 2021 को विदेशी मुद्रा भंडार
विदेशी मुद्रा संपत्ति (एफसीए) : $571.6 बिलियन
गोल्ड रिजर्व : $37.441 बिलियन
आईएमएफ के साथ एसडीआर : $19.407 बिलियन
आईएमएफ के साथ रिजर्व की स्थिति : $5.11 बिलियन
क्या है विदेशी मुद्रा भंडार?
विदेशी मुद्रा भंडार देश के केंद्रीय बैंकों द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है वहीं भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि मुख्यतः प्रत्यक्ष और पोर्टफोलियो निवेश के कारण है, क्योंकि सामान्यतः हमारा भुगतान शेष तो भारी घाटे में ही रहता है। ऐसे में विदेशी मुद्रा भंडार की मात्रा से ज्यादा हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि इसके बढ़ने के स्रोत क्या हैं?
विदेशी मुद्रा का आरक्षित भंडार (जिसे फोरेक्स रिज़र्व्स या एफएक्स (FX) आरक्षित निधियों का भंडार भी कहा जाता है) दरअसल सही मायने में वे केवल विदेशी मुद्रा जमा राशि और केंद्रीय बैंक तथा मौद्रिक अधिकारियों के पास सुरक्षित बांड हैं। हालांकि, लोकप्रिय व्यवहार में आमतौर पर इस शब्द में साधारणतया विदेशी मुद्रा और सोना, एसडीआर (SDR) एवं आईएमएफ (IMF) की आरक्षित भण्डार की अवस्थितियां शामिल हैं। यह व्यापक आंकड़ा आसानी से उपलब्ध तो है, लेकिन और भी अधिक सही अर्थों में इसे आधिकारिक अंतरराष्ट्रीय आरक्षित निधियां या अंतरराष्ट्रीय आरक्षित निधियां माना गया है। ये केंद्रीय बैंक के कब्जे में सुरक्षित परिसंपत्तियां हैं जो विभिन्न मुद्राओं में आरक्षित है, ज्यादातर अमेरिकी डॉलर में और कुछ कम हद तक यूरो, ब्रिटिश पाउंड और जापानी येन, चीन युआन में अपनी देयताओं के पृष्ठपोषण में व्यवहृत होते हैं, उदाहरण के लिए जो स्थानीय मुद्रा जारी की गयी है और सरकार या वित्तीय संस्थानों द्वारा केंद्रीय बैंक के पास जमा जो विभिन्न बैंक की आरक्षित निधियां हैं।
परिभाषा ‘विशेष आहरण अधिकार – एसडीआर’ सदस्य देशों के मौजूदा भंडार के लिए एक पूरक के रूप में संचालित है, जो 1969 में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा बनाई गई मौद्रिक आरक्षित मुद्रा के एक अंतरराष्ट्रीय प्रकार, अंतरराष्ट्रीय खातों को निपटाने का एकमात्र साधन के रूप में सोने की सीमाओं और डॉलर के बारे में चिंताओं के जवाब में बनाया, एसडीआर मानक आरक्षित मुद्राओं सप्लीमेंट द्वारा अंतरराष्ट्रीय तरलता बढ़ाने के लिए तैयार कर रहे हैं।
SOURCE-AMAR UJALA
PAPER-G.S.3
क्या कोरोना वायरस के ‘एंडेमिक’ बनने से ख़त्म हो जाएगा संक्रमण का ख़तरा
भारत में कोरोना के मामले एक बार फिर बढ़ रहे हैं। देश में तीसरे लहर के आने की संभावना भी जतायी जा रही है। इसी बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रमुख वैज्ञानिक डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि “भारत में कोविड-19, एंडेमिक की अवस्था में पहुंचता हुआ प्रतीत हो रहा है, जहां वायरस का ट्रांसमिशन लो से मीडियम स्तर तक होगा।”
डॉक्टर स्वामीनाथन ने ये बात ऐसे वक़्त में कही है जब भारत में कोरोना के रोज़ाना 40 हज़ार तक मामले सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य मामलों के जानकार, लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं। एंडेमिक क्या है, इससे लोगों पर क्या प्रभाव होगा और भारत में कोरोना के एंडेमिक बन जाने के क्या मायने होंगे? इन सभी सवालों के जवाब हमने वायरोलॉजिस्ट्स की मदद से समझने की कोशिश की।
एंडेमिक क्या है?
देश के जाने-माने वायरोलॉजिस्ट डॉक्टर टी जैकब ज़ॉन ने मार्च 2020 में ही एक साइंस पेपर लिखा था जिसमें उन्होंने तथ्यों के आधार पर ये आशंका जताई थी कि ये बीमारी पैनडेमिक से एंडेमिक बन सकती है।
एंडेमिक किसी भी बीमारी की वो अवस्था है जो लोगों के बीच हमेशा के लिए बनी रहती है।
डॉक्टर जॉन कहते हैं, “हमारे बीच कई ऐसी बीमारी हैं जो एंडेमिक बन कर अब हमारे बीच ही है और वो पूरी तरह ख़त्म नहीं होती। जो बीमारियां इंसानों से इंसानों में पहुंचती है वो एंडेमिक बन जाती है। जैसे- ख़सरा, साधारण फ्लू, हेपेटाइटिस-ए, हेपेटाइटिस-बी, चेचक ये सभी एंडेमिक हैं।”
कोविड-19 जानवरों से इंसानों में आया है या नहीं इसे लेकर कोई पुख़्ता सबूत नहीं है, ऐसे में कोविड-19 एंडेमिक बन पाएगा? इस सवाल के जवाब में डॉक्टर जॉन कहते हैं, “अभी कोरोना वायरस इंसानों से ही इंसानों में फैल रहा है तो ये एंडेमिक बन रहा है। ये हो सकता है कि एक वक़्त में ये जानवर से इंसान में आया हो लेकिन अब ये इंसान से ही इंसान में फैल रहा है।”
पैनडेमिक का अर्थ है वो बीमारी जो लोगों को बड़े स्तर पर संक्रमित करे और जिसका आउटब्रेक हो। वहीं एंडेमिक का अर्थ है वो बीमारी जो लोगों के बीच बनी रहे और मानव समुदाय में लंबे वक़्त तक टिकी रह जाए। ये एक जगह से दूसरी जगह फैल सकती है।
भारत में कोरोना कब तक एंडेमिक बन जाएगा?
वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील कहते हैं, “कोरोना वायरस धीरे-धीरे एंडेमिक बन जाएगा, ज्यादातर वायरस एंडेमिक बन जाते हैं। जैसे जैसे लोग संक्रमित होते जाएंगे या वैक्सीन लगवा लेंगे आप देखेंगे कि संक्रमण तो हो रहा है लेकिन ये उतनी बड़ी तादाद में नहीं होगा जितना हमने अतीत में देखा है।”
“आप ब्रिटेन का उदाहरण देखिए जहां 60 फ़ीसदी लोगों को वैक्सीन लगी है, वहां गंभीर संक्रमण और मौत के मामले सामने नहीं आ रहे लेकिन वायरस का संक्रमण हो रहा है।”
जानकार मानते हैं कि भारत जैसी बड़ी आबादी वाले देश में जहां सिर्फ़ 15 फ़ीसद लोगों को ही वैक्सीन लगी है वहां वायरस 6 महीने या साल भर में एंडेमिक बन जाएगा ये कहना थोड़ी जल्दबाज़ी होगी।
हालांकि डॉक्टर जॉन मानते हैं कि एंडेमिक बीमारियों का भी आउटब्रेक हो सकता है और वो पैनडेमिक बन सकती हैं। वो कहते हैं, “ये आम लोगों के व्यवहार पर निर्भर करता है अगर लोग बिलकुल भी सावधानी नहीं बरतेंगे तो मामले तेज़ी से बढ़ेंगे। लेकिन अभी एवरेज केस 40 हज़ार हैं और वो संख्या बहुत तेज़ी से बढ़ती नहीं दिख रही है। ऐसे में भारत में कोविड एंडेमिक की स्टेज में पहुंच रहा है ये मेरा मानना है।”
कोरोना की तीसरी लहर की आशंका कितनी ज़्यादा है? डॉक्टर जॉन इस सवाल का जवाब देते हुए कहते हैं – मुझे नहीं लगता की बड़ी तीसरी लहर आएगी लेकिन ये वायरस है तो कुछ भी पक्के तौर पर तो नहीं कहा जा सकता।
वो कहते हैं, “जब देश में कोरोना की पहली लहर आई तो केस तेज़ी से बढ़े. संक्रमण का ये उतार चढ़ाव पैनडेमिक कहलाता है। इसी तरह दूसरी लहर में भी केस तेज़ी से बढ़े और फिर घटे तो ये पैनडेमिक था। अगर तीसरी बार भी संक्रमण की संख्या में उछाल आता है तो ये पैनडेमिक होगा। लेकिन कोरोना की इस लहर के बीच में संक्रमण के कुछ मामले लागातार आते रहे, ये नए केस आना बंद नहीं हुए ये अवस्था ही एंडेमिक है।”
“जब कोरोना वायरस साल 2020 में आया तो लोगों से पूछना शुरू किया कि क्या ये पैनडेमिक है जो चला जाएगा? उस वक़्त ही मैंने ये कहा था कि ये वायरस हमारे साथ बना रहेगा और ये बीमारी एंडेमिक हो सकती है।”
क्या कोरोना के एंडेमिक होने पर वैक्सीन बूस्टर की ज़रूरत होगी?
अमेरिका सहित दुनिया के कुछ देशों ने कोरोना वैक्सीन का बूस्टर डोज़ लोगों को देना शुरू किया है। भारत में अभी बूस्टर डोज़ शुरू तो नहीं हुए हैं लेकिन हाल ही में कोवैक्सीन के तीसरे डोज़ के ट्रायल को अनुमति दी गई है। ऐसे में सवाल ये भी उठ रहा है कि जब कोरोना एंडेमिक बन जाएगा और इसके संक्रमण की दर कम होगी तो क्या बूस्टर डोज़ लेने की ज़रूरत होगी?
इसका जवाब देते हुए डॉक्टर जॉन कहते हैं, “हां! खसरा और बाक़ी कई ऐसे एंडेमिक हैं जिनका टीका लगाया जाता रहा है, तब तक जब तक बीमारी पूरी तरह ख़त्म ना हो जाए, इसके टीके लगने चाहिए। वैसे भी जिन लोगों को डायबटीज़ और ब्लड प्रेशर की परेशानी है या जो बुज़ुर्ग हैं उनकी कमज़ोर रोग प्रतिरोधक क्षमता, वैक्सीन से ही मज़बूत करके गंभीर संक्रमण से बचाया जा सकता है।”
इस वजह से टीके और बूस्टर डोज़ हमेशा ही ज़रूरी होंगे।
भारत सरकार क्या कह रही है?
भारत सरकार लोगों से सावधानी बरतने की अपील कर रही है। ज़ाहिर तौर भारत में संक्रमित लोगों की संख्या में बड़ी गिरावट आई है और कई राज्यों में लॉकडाउन में राहत दी जा रही है। लेकिन सरकार के स्वास्थ्य अधिकारी बार-बार लोगों को तीसरी लहर की चेतावनी देते रहे हैं। कुछ रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर में भारत में कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है।
अब तक के आँकड़ों के मुताबिक़ भारत दुनियाभर में कोरोना संक्रमण के मामले में दूसरे नंबर पर है। आधिकारिक आंकड़े कहते हैं कि भारत में 4 लाख 35 हज़ार लोग की मौत कोविड-19 बीमारी से हुई है।
SOURCE-BBC NEWS
PAPER-G.S.2