Current Affairs – 8 September, 2021
कैबिनेट ने द इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) और द चैंबर ऑफ़ ऑडिटर्स ऑफ द रिपब्लिक ऑफ़ अज़रबैजान (सीएएआर) के बीच समझौता ज्ञापन
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने द इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) और द चैंबर ऑफ़ ऑडिटर्स ऑफ द रिपब्लिक ऑफ़ अज़रबैजान (सीएएआर) के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये जाने को मंजूरी दी है।
विवरण :
द इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) और द चैंबर ऑफ़ ऑडिटर्स ऑफ द रिपब्लिक ऑफ़ अज़रबैजान (सीएएआर) के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने से सदस्य प्रबंधन, व्यावसायिक नैतिकता, तकनीकी अनुसंधान, सीपीडी, व्यावसायिक लेखा प्रशिक्षण, लेखा गुणवत्ता निगरानी, लेखा ज्ञान की उन्नति, व्यावसायिक और बौद्धिक विकास आदि क्षेत्रों में पारस्परिक सहयोग को स्थापित करने में सहायता मिलेगी।
कार्यान्वयन रणनीति और लक्ष्य :
आईसीएआई और सीएएआर दोनों लेखा, वित्त और लेखा पेशेवरों के प्रशिक्षण के क्षेत्र में आपसी सहयोग को मजबूत करना चाहते हैं। आईसीएआई और सीएएआर व्यावसायिक संगठनों द्वारा प्रकाशित पुस्तकों, पत्रिकाओं और अन्य प्रकाशनों का आदान-प्रदान करना चाहते हैं; पत्रिकाओं में और दोनों पक्षों की वेबसाइट पर लेखा और लेखा परीक्षण संबंधी लेखों का पारस्परिक प्रकाशन करना चाहते हैं तथा संयुक्त सम्मेलनों; संगोष्ठियों; गोलमेज बैठकों; लेखा परीक्षण, वित्त और लेखा के विकास पर प्रशिक्षण का आयोजन व वित्तपोषण करने की इच्छा रखते हैं। आईसीएआई और सीएएआर लेखा और लेखा परीक्षण के क्षेत्र में नए अभिनव तरीकों के उपयोग पर अध्ययन करना चाहते हैं, जिसमें ब्लॉकचेन, स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम, पारंपरिक लेखा के साथ क्लाउड आधारित लेखा को अपनाना शामिल हैं एवं दोनों पक्ष भ्रष्टाचार और धन शोधन के खिलाफ लड़ाई में संयुक्त रूप से सहयोग करना चाहते हैं।
प्रभाव :
आईसीएआई के सदस्य विभिन्न देशों के संगठनों में मध्य से शीर्ष स्तर के पदों पर कार्यरत हैं और वे किसी देश के संबंधित संगठनों के निर्णय/नीति निर्माण रणनीतियों को प्रभावित कर सकते हैं। यह समझौता ज्ञापन ज्ञान के आदान-प्रदान पर ध्यान केंद्रित करेगा और लेखांकन के क्षेत्र में अभिनव प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग समेत दोनों पक्षों के क्षेत्राधिकारों में सर्वोत्तम तौर-तरीकों को मजबूत करेगा।
लाभ :
आईसीएआई दुनिया के 45 देशों के 69 शहरों में अपने चैप्टर व प्रतिनिधि कार्यालयों के विशाल नेटवर्क के माध्यम से इन देशों में प्रचलित प्रथाओं को साझा करके एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि भारत सरकार द्वारा विदेशी निवेश को आकर्षित करने एवं विदेशी संस्थाओं को भारत में अपने कार्यालय स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके तथा उन देशों की सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाया जा सके। यह समझौता ज्ञापन आईसीएआई लेखांकन व लेखा परीक्षण में सेवाओं का निर्यात करके अज़रबैजान के साथ साझेदारी को और मजबूत करने में सक्षम होगा।
पृष्ठभूमि :
द इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) भारत में लेखांकन व लेखा परीक्षण कार्य के नियमन के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट्स अधिनियम, 1949 के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है। आईसीएआई ने लेखांकन व लेखा परीक्षण कार्य को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षा, व्यावसायिक विकास, उच्च लेखांकन का प्रबंधन, लेखा परीक्षण और नैतिक मानकों के क्षेत्र में अत्यधिक योगदान दिया है, जिसे विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त है। अज़रबैजान गणराज्य में लेखांकन व लेखा परीक्षण कार्य को विनियमित करने के लिए लॉ ऑफ़ ऑडिट, 1994 संशोधित, 2004 के तहत द चैंबर ऑफ़ ऑडिटर्स ऑफ द रिपब्लिक ऑफ़ अज़रबैजान (सीएएआर) की स्थापना की गयी थी।
कार्य :
- ICAI परिषद : संस्थान के कार्यों का कार्यान्वयन चार्टर्ड अकाउंटेंट्स अधिनियम 1949 के तहत गठित एक परिषद द्वारा किया जाता है।
- परिषद में 32 निर्वाचित सदस्य होते हैं जिसमें से 8 सदस्यों को भारत सरकार द्वारा नामित किया जाता है।
- परिषद के सदस्यों का निर्वाचन, संस्थान के सदस्यों द्वारा एकल हस्तांतरणीय मतदान प्रणाली द्वारा किया जाता है।
- परिषद अपने 4 स्थायी समितियों एवं 37 अस्थायी समितियों के माध्यम से कार्य करती है।
- सदस्यता : संस्थान के सदस्यों को चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के रूप में जाना जाता है। चार्टर्ड अकाउंटेंट्स अर्थात् संस्थान का सदस्य बनने के लिये निर्धारित परीक्षाओं, तीन साल की प्रेक्टिकल ट्रेंनिग और इस अधिनियम एवं विनियमों के तहत अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने की ज़रूरत होती है।
- चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के निम्नलिखित कार्य हैं :
- चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को कंपनी अधिनियम 2013 एवं आयकर अधिनियम 1961 के तहत वित्तीय विवरण के ऑडिट हेतु सांविधिक एकाधिकार प्राप्त है।
- विशेषज्ञता वाले क्षेत्रों में वित्तीय रिपोर्टिंग, लेखा परीक्षा, कॉर्पोरेट फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट बैंकिंग, फाइनेंस मॉडलिंग, इक्विटी रिसर्च, कोष प्रबंधन, क्रेडिट विश्लेषण, पूंजी बाज़ार, मध्यस्थता, जोखिम प्रबंधन, अर्थव्यवस्था, रणनीतिक/प्रबंधन परामर्श, प्रबंधन अकाउंटिंग, इंफॉर्मेशन सिस्टम ऑडिट, निगम कानून, प्रत्यक्ष कर,अप्रत्यक्ष कर एवं व्यापार का मूल्यांकन आदि शामिल हैं।
- अज़रबैजान या अज़रबाइजान कॉकेशस के पूर्वी भाग में एक गणराज्य है, पूर्वी यूरोप और एशिया के मध्य में बसा हुआ। भौगोलिक रूप से यह एशिया का ही भाग है। इसके सीमांत देश हैं : अर्मेनिया, जॉर्जिया, रूस, ईरान, तुर्की और इसका तटीय भाग कैस्पियन सागर से लगता हुआ है। यह १९९१ तक भूतपूर्व सोवियत संघ का भाग था।
- अज़रबैजान एक धर्मनिरपेक्ष देश है और वर्ष २००१ से काउंसिल का सदस्य है। अधिकांश जनसंख्या इस्लाम धर्म की अनुयायी है और यह देश इस्लामी सम्मेलन संघ का सदस्य राष्ट्र भी है। यह देश धीरे-धीरे औपचारिक लेकिन सत्तावादी लोकतंत्र की ओर बढ़ रहा है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.2
सरकार ने फिर बढ़ाई रबी फसलों की एमएसपी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में रबी विपणन मौसम 2022-23 के लिए रबी फसलों की एमएसपी निर्धारित करने का निर्णय आज लिया गया। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि हर बार की तरह एक बार फिर मोदी सरकार ने फसलों की एमएसपी बढ़ाकर तय की है, इससे देश के करोड़ों किसानों को लाभ मिलेगा। सरकार के इस फैसले से उन कतिपय लोगों को भी सीख लेना चाहिए जो यह भ्रम फैला रहे हैं कि एमएसपी समाप्त कर दी जाएगी। प्रधानमंत्री जी के कुशल नेतृत्व में भारत सरकार देश के किसानों के कल्याण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री जी कई बार आश्वस्त कर चुके हैं कि एमएसपी थी, है और आगे भी रहेगी।
श्री तोमर ने कहा कि एमएसपी पर तरह-तरह के झूठ बोले गए एवं भ्रम फैलाने के भरसक प्रयास हुए लेकिन नए कृषि सुधार कानूनों के पारित होने के उपरांत न केवल एमएसपी की दरें बढ़ी हैं अपितु सरकार द्वारा उपार्जन (खरीद) में भी निरंतर बढ़ोत्तरी हुई है। इसलिए अब एमएसपी को लेकर किसी के मन में कोई भी शंका नहीं होनी चाहिए, न ही भ्रम फैलाया जाना चाहिए।
श्री तोमर ने बताया कि मोदी सरकार ने 6 रबी फसलों – गेहूं, जौ, चना, मसूर, रेपसीड/सरसों तथा कुसुम्भ (सूरजमुखी) की एमएसपी बढ़ाने का फैसला किया है।
श्री तोमर ने बताया कि रबी विपणन मौसम (आरएमएस) 2022-23 हेतु गेहूं की एमएसपी में वृद्धि पर कुल खर्च 92,910 करोड़ रूपये का आंकलन किया गया है, जिसका वहन खाद्यान्न सब्सिडी के रूप में भारत सरकार द्वारा किया जाएगा। वर्तमान खरीफ विपणन मौसम (केएमएस) 2020-21 एमएसपी पर विगत वर्ष के 773 लाख मीट्रिक टन की तुलना में 890 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई। आरएमएस 2021-22 में विगत वर्ष 390 लाख मीट्रिक टन खरीद की तुलना में 433 लाख मीट्रिक टन की गेहूं की खरीद की गई है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य
एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) वह कीमत है जिस पर सरकार किसानों से फसल की खरीद करती है। इस समय सरकार खरीफ और रबी सीजन के 23 फसलों के लिए एमएसपी तय करती है। रबी फसलों की बुआई अक्टूबर में खरीफ फसल की कटाई के तुरंत बाद होती है। गेहूं और सरसों रबी सीजन के दो मुख्य फसल हैं।
फसल | आरएमएस 2021-22 के लिए एमएसपी | आरएमएस 2022-23 के लिए उत्पादन लागत | आरएमएस 2022-23 के लिए एमएसपी | एमएसपी में वृद्धि (वास्तविक) |
लागत पर मुनाफा (प्रतिशत) |
गेहूं | 1975 | 1008 | 2015 | 40 | 100 |
जौ | 1600 | 1019 | 1635 | 35 | 60 |
चना | 5100 | 3004 | 5230 | 130 | 74 |
लेंटिल (मसूर) | 5100 | 3079 | 5500 | 400 | 79 |
रेपसीड/ सरसों |
4650 | 2523 | 5050 | 400 | 100 |
कुसुम्भ (सूरजमुखी) | 5327 | 3627 | 5441 | 114 | 50 |
आधिकारी रूप से दी गई जानकारी में कहा गया है कि सीसीईए ने 2021-22 फसल वर्ष और 2022-23 मार्केटिंग सीजन के लिए छह रबी फसलों की एमएसपी बढ़ाई है। गेहूं की एमएसपी इस साल 40 रुपए बढ़ाकर प्रति क्विंटल 2,015 रुपए कर दी गई है, जो कि पिछले सीजन में 1,975 रुपए थी। प्रति क्विंटल गेहूं की अनुमानित लागत 1008 रुपए प्रति क्विंटल है। सरकार ने 2021-22 खरीद सीजन में रिकॉर्ड 4.3 करोड़ टन गेहूं की खरीद की थी।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.3
‘पीएलआई योजना’
‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन की दिशा में एक और अहम कदम आगे बढ़ाते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने 10,683 करोड़ रुपये के बजटीय परिव्यय के साथ एमएमएफ परिधान, एमएमएफ फैब्रिक और तकनीकी वस्त्रों के 10 खंडों/उत्पादों हेतु वस्त्र उद्योग के लिए ‘पीएलआई योजना’ को मंजूरी दे दी है। वस्त्र उद्योग के लिए पीएलआई के साथ-साथ आरओएससीटीएल, आरओडीटीईपी या रोडटेप और इस क्षेत्र में सरकार के अन्य उपायों जैसे कि प्रतिस्पर्धी कीमतों पर कच्चा माल उपलब्ध कराने, कौशल विकास, इत्यादि से वस्त्र उत्पादन में एक नए युग की शुरुआत होगी।
वस्त्र उद्योग के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय वाली पीएलआई योजना केन्द्रीय बजट 2021-22 में 13 क्षेत्रों के लिए पहले घोषित की गई पीएलआई योजनाओं का हिस्सा है। 13 क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजनाओं की घोषणा के साथ, भारत में न्यूनतम उत्पादन पांच वर्षों में लगभग 37.5 लाख करोड़ रुपये का होगा और पांच वर्षों में कम से कम लगभग 1 करोड़ रोजगार पैदा होने की उम्मीद है।
इस योजना से देश में अधिक मूल्य वाले एमएमएफ फैब्रिक, गारमेंट्स और तकनीकी वस्त्रों के उत्पादन को काफी बढ़ावा मिलेगा। इसके तहत प्रोत्साहन संबंधी संरचना कुछ इस प्रकार से तैयार की गई है जिससे उद्योग इन खंडों या क्षेत्रों में नई क्षमताओं में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होगा। ऐसे में बड़ी तेजी से उभरते अधिक मूल्य वाले एमएमएफ सेगमेंट को काफी बढ़ावा मिलेगा जो रोजगार एवं व्यापार के नए अवसर सृजित करने में कपास और अन्य प्राकृतिक फाइबर आधारित वस्त्र उद्योग के प्रयासों में पूरक के तौर पर व्यापक योगदान करेगा। इसके परिणामस्वरूप भारत को वैश्विक वस्त्र व्यापार में अपना ऐतिहासिक प्रभुत्व फिर से हासिल करने में काफी मदद मिलेगी।
तकनीकी वस्त्र दरअसल नए जमाने का वस्त्र है, जिसका उपयोग अवसंरचना, जल, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता, रक्षा, सुरक्षा, ऑटोमोबाइल, विमानन सहित अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में होने से अर्थव्यवस्था के इन सभी क्षेत्रों में दक्षता काफी बढ़ जाएगी। सरकार ने इस क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास संबंधी प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए अतीत में एक ‘राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन’ भी शुरू किया है। पीएलआई इस खंड में निवेश आकर्षित करने में और भी अधिक मदद करेगी।
प्रोत्साहन संबंधी संरचना के अलग-अलग सेट को देखते हुए दो प्रकार के निवेश संभव हैं। कोई भी व्यक्ति (जिसमें फर्म/कंपनी शामिल है), जो निर्धारित खंडों (एमएमएफ फैब्रिक्स, गारमेंट) के उत्पादों और तकनीकी वस्त्र के उत्पादों के उत्पादन के लिए संयंत्र, मशीनरी, उपकरण और निर्माण कार्यों (भूमि और प्रशासनिक भवन की लागत को छोड़कर) में न्यूनतम 300 करोड़ रुपये निवेश करने को तैयार है, वह इस योजना के पहले भाग में भागीदारी के लिए आवेदन करने का पात्र होगा। दूसरे भाग में, कोई भी व्यक्ति (जिसमें फर्म/कंपनी शामिल है), जो न्यूनतम 100 करोड़ रुपये निवेश करने का इच्छुक है, वह योजना के इस भाग में भागीदारी के लिए आवेदन करने का पात्र होगा। इसके अलावा आकांक्षी जिलों, टियर 3, टियर 4 शहरों या कस्बों, और ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश को प्राथमिकता दी जाएगी और इस प्राथमिकता के मद्देनजर इस उद्योग को पिछड़े क्षेत्र में जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इस योजना से विशेषकर गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा इत्यादि राज्यों पर सकारात्मक असर होगा।
यह अनुमान है कि पांच वर्षों की अवधि में ‘वस्त्र उद्योग के लिए पीएलआई योजना’ से 19,000 करोड़ रुपये से भी अधिक का नया निवेश होगा, इस योजना के तहत 3 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक का संचयी कारोबार होगा, और इस सेक्टर या क्षेत्र में 7.5 लाख से भी अधिक लोगों के लिए अतिरिक्त रोजगारों के साथ-साथ सहायक गतिविधियों के लिए भी कई लाख और रोजगार सृजित होंगे। वस्त्र उद्योग मुख्य रूप से महिलाओं को रोजगार देता है, अत: यह योजना महिलाओं को सशक्त बनाएगी और औपचारिक अर्थव्यवस्था में उनकी भागीदारी बढ़ाएगी।
उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजना
लक्ष्य :
- इस योजना के तहत घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और मोबाइल फोन के विनिर्माण तथा एसेम्बली (Assembly), परीक्षण (Testing), मार्किंग (Marking) एवं पैकेजिंग (Packaging) इकाइयों सहित विशिष्ट इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जों के क्षेत्र में व्यापक निवेश आकर्षित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
मुख्य बिंदु :
- इस योजना के तहत भारत में निर्मित तथा लक्षित खंडों के दायरे में आने वाली वस्तुओं की वृद्धिशील बिक्री (आधार वर्ष पर) पर पात्र कंपनियों को आधार वर्ष के बाद पाँच वर्षों की अवधि के दौरान 4-6% की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी।
- इस योजना से मोबाइल विनिर्माण एवं विशिष्ट इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जों के क्षेत्र में कार्यरत 5-6 प्रमुख वैश्विक कंपनियों एवं कुछ घरेलू कंपनियों के लाभान्वित होने तथा भारत में बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण होने की संभावना है।
योजना लागत :
- इस योजना की कुल लागत लगभग 40,995 करोड़ रुपए है जिसमें लगभग 40,951 करोड़ रुपए का प्रोत्साहन परिव्यय और 44 करोड़ रुपए का प्रशासनिक व्यय शामिल हैं।
लाभ :
- इस योजना में अगले पाँच वर्षों में 2,00,000 से अधिक प्रत्यक्ष तथा इसके तीन गुना अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित करने की क्षमता है। इस प्रकार इस योजना में कुल रोज़गार सृजन क्षमता लगभग 8,00,000 है।
गौरतलब है कि भारत में मोबाइल उत्पादन मूल्य वित्त वर्ष 2014-15 के लगभग 18,900 करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2018-19 में लगभग 1,70,000 करोड़ रुपए हो गया और मोबाइल फोन की घरेलू मांग की आपूर्ति घरेलू उत्पादन से ही की जा रही है। इस प्रकार विश्व के लिये ‘असेम्बल इन इंडिया’ को ‘मेक इन इंडिया’ से एकीकृत कर भारत इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्षेत्र में व्यापक वृद्धि कर सकता है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.3
विद्यांजलि पोर्टल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 सितंबर, 2021 को विद्यांजलि पोर्टल (Vidyanjali Portal) और शिक्षा क्षेत्र में कई अन्य पहलों को लांच किया।
मुख्य बिंदु
- यह पहलें भारत के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
- ‘शिक्षक पर्व’ के सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए यह पहलें लांच की गई।
- विद्यांजलि पोर्टल स्कूल विकास के लिए शिक्षा स्वयंसेवकों, दाताओं या CSR योगदानकर्ताओं की सुविधा के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
विद्यांजलि पोर्टल (Vidyanjali Portal)
विद्यांजलि पोर्टल समुदाय या स्वयंसेवकों को उनकी पसंद के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों से सीधे जुड़कर योगदान करने में सक्षम बनाने के लिए लांच किया गया है।
योगदान करने के तरीके
शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो भारत का नागरिक है, NRI, PIO या भारत में पंजीकृत कोई भी संगठन, संस्थान, कंपनी और समूह निम्नलिखित दो तरीकों से स्वेच्छा से योगदान दे सकता है :
- सेवाएं/गतिविधियां : संपत्ति या सामग्री या उपकरण जैसे बुनियादी नागरिक बुनियादी ढांचा, कक्षा समर्थन सामग्री और उपकरण, बुनियादी विद्युत बुनियादी ढांचा, डिजिटल बुनियादी ढांचा, पाठ्येतर गतिविधियों के लिए उपकरण, खेल, योग और स्वास्थ्य आदि।
- सेवारत और सेवानिवृत्त शिक्षक, वैज्ञानिक, सरकारी या अर्ध-सरकारी अधिकारी, स्व-रोजगार और वेतनभोगी पेशेवर, सेवानिवृत्त सशस्त्र बल कर्मी, शैक्षणिक संस्थानों के पूर्व छात्र, गृहिणी और अन्य साक्षर व्यक्ति अनुरोध पर स्कूल में स्वयंसेवा के रूप में योगदान दे सकते हैं।
शिक्षक पर्व-2021
शिक्षा पर्व-2021 को शिक्षा मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया था। इसका उत्सव 5 सितंबर को शुरू हुआ और 17 सितंबर, 2021 को समाप्त होगा। यह शिक्षकों के मूल्यवान योगदान को सम्मान देने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को आगे ले जाने के लिए आयोजित किया जा रहा है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.2
‘प्राण’ पोर्टल
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने 7 सितंबर, 2021 को ‘प्राण’ नामक एक पोर्टल लॉन्च किया।
मुख्य बिंदु
- ‘प्राण’ पोर्टल का उपयोग राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Programme – NCAP) की प्रगति को ट्रैक करने के लिए किया जाएगा ताकि सभी को स्वच्छ हवा और नीला आसमान सुनिश्चित करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का पालन किया जा सके।
- इस पोर्टल को गैर-प्राप्ति शहरों (Non-attainment Cities – NC) में ‘International Day of Clean Air for Blue Skies’ के अवसर पर लॉन्च किया गया था।
- गैर-प्राप्ति वाले शहर वे शहर हैं जो 5 साल की अवधि में राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा करने में विफल रहे।
- भारत के प्रयासों से 2019 में 86 शहरों ने बेहतर वायु गुणवत्ता दिखाई और 2020 में यह बढ़कर 104 शहरों तक पहुंच गई।
भारत का लक्ष्य
पर्यावरण मंत्रालय और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) 2024 तक भारत में पार्टिकुलेट मैटर (PM10 के साथ-साथ PM2.5) सांद्रता में 20-30% की कमी हासिल करना चाहता है।
भारत अपने लक्ष्य को कैसे प्राप्त करेगा?
इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, भारत ने 132 NC/मिलियन प्लस शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए शहर-विशिष्ट कार्य योजनाओं को तैयार किया है और इसे लागू किया जा रहा है। यह मिट्टी और सड़क की धूल, वाहन, घरेलू ईंधन, निर्माण सामग्री और उद्योगों जैसे शहर-विशिष्ट वायु प्रदूषण स्रोतों को लक्षित करता है।
प्राण पोर्टल
‘प्राण’ पोर्टल शहर की हवा कार्य योजना के कार्यान्वयन की भौतिक और वित्तीय स्थिति पर नज़र रखने में मदद करेगा। यह जनता को वायु गुणवत्ता के बारे में जानकारी भी प्रसारित करेगा।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.3