IISC, बेंगलूरू के वैज्ञानिकों ने ‘जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप’ के आंकड़ों से आभासी एक्सो-मून्स का
पता लगाने के लिए मॉडल तैयार किया
- भारतीय अंतरिक्ष भौतिकी संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स), बेंगलुरु के वैज्ञानिकों ने प्रदर्शित किया है कि हाल ही में प्रक्षेपित किया गया जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (जेडब्ल्यूएसटी) फोटोमेट्रिक प्रकाश वलयों (लाइट कर्व्स) ऐसे चंद्रमाओं को धारण करने वाले (मून्स होस्टिंग) एक्सोप्लैनेट्स में एक्सोमून्स के पारगमन संकेतों (ट्रांजिट सिग्नल्स) का पता लगाने के लिए पर्याप्त रूप से शक्तिशाली है। इससे भविष्य में रहने योग्य एक्सो–मून्स का पता लगाने और अपने सौर–मंडल से परे नई दुनिया को समझने में भी मदद मिल सकती है।
‘जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST)’:
- जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप को 25 दिसंबर 2021 को फ्रेंच गुयाना के कौरु, से एरियन 5 रॉकेट पर लॉन्च किया गया था।
- यह टेलीस्कोप ‘हबल’, जो नासा के प्रमुख मिशन के रूप में है, का उत्तराधिकारी है।
- यह नासा के नेतृत्व में उसके सहयोगियों, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी के साथ एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम है ।
हबल स्पेस टेलीस्कोप (HST):
- हबल स्पेस टेलीस्कोप नासा का एक स्पेस टेलीस्कोप है जिसे 1990 में ‘लो अर्थ ऑरबिट (LEO)’ में लॉन्च किया गया था और यह आज भी संचालन में है।
कार्टव्हील गैलेक्सी (Cartwheel Galaxy)
- नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने कार्टव्हील गैलेक्सी की संरचना में परिवर्तन को देखा है, जिससे तारों गठन और आकाशगंगा के केंद्रीय ब्लैक होल के बारे में नए विवरण सामने आए हैं। JWST की शक्तिशाली इन्फ्रारेड तकनीक ने एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया है कि कैसे कार्टव्हील गैलेक्सी अरबों वर्षों में बदल गया है।
- कार्टव्हील गैलेक्सी, स्कल्पचर कॉन्स्टेलशन (मूर्तिकार तारामंडल) में लगभग 500 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर स्थित एक दुर्लभ दृश्य है।
Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के GS -3, के “अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी” वाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।