कृषि मंत्रालय और फिक्की ने कृषि में पीपीपी परियोजनाओं को आकर्षित करने के लिए संयुक्त पहल का शुभारम्भ किया
- केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 8 सितम्बर को नई दिल्ली में सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) पर परियोजना प्रबंधन इकाई (पीएमयू) का शुभारम्भ किया।
- इस अवसर पर, श्री तोमर ने कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने की जरूरत पर जोर दिया, क्योंकि इससे दूसरे क्षेत्रों को भी मजबूत बनाने में सहायता मिलेगी।
- उन्होंने कहा कि पीपीपी मॉडल कृषि क्षेत्र में विकास के लिए आदर्श मॉडल हो सकता है और पीपीपी परियोजनाओं में आय बढ़ाकर किसानों को लाभान्वित करने पर जोर दिया जाना चाहिए। श्री तोमर ने कहा कि व्यापार और उद्योग क्षेत्र मजबूत और संगठित है, उनके पास हर साधन है, वे कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन दे सकते हैं।
- इस दिशा में सरकार एक लाख करोड़ रुपये के एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड, 10,000 कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसी विभिन्न योजना के माध्यम से कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने की दिशा में लगातार कदम उठा रही है।
- उल्लेखनीय है कि सरकार को कृषि क्षेत्र में निवेश को सुविधाजनक बनाने में एक उत्प्रेरक भूमिका निभानी चाहिए। निजी क्षेत्र और गैर सरकारी संगठनों को एक साथ आना चाहिए और कृषि क्षेत्र की परियोजनाओं में सरकार के साथ साझेदारी करनी चाहिए, जिससे उनका प्रभाव खासा बढ़ जाएगा।
- कृषि क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए कृषि में निवेश और कृषि में सकल पूंजी निर्माण में बढ़ोतरी अहम है।
कृषि क्षेत्र में PPP मॉडल के लाभ / क्यों लाया जाना चाहिए?
- इस पीपीपी पहल का मुख्य उद्देश्य अतिरिक्त मूल्य तैयार करके छोटे किसानों की आय बढ़ाना है, जिसमें गुणवत्तापूर्ण बीज, खाद जैसे इनपुट, बाजार से जोड़ने के लिए तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाना और मूल्य वर्धन शामिल है।
- अतः सरकार पैदावार में सुधार, हानि को कम करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि क्षेत्र में पीपीपी पहल को प्रोत्साहित करने के लिए उत्सुक है।
- पीपीपी पहल से कृषि में निजी पूंजी में बढ़ोतरी होगी, सार्वजनिक निवेश का लाभ मिलेगा और इस क्षेत्र में गतिशील और मूल्य वर्धित विकास की साझा दृष्टि के साथ केंद्र और राज्य सरकारों, निजी क्षेत्र और किसान एक साथ आएंगे।
- पीपीपी पहल से किसानों को लाभ पहुंचाने और उनके प्रभाव में सुधार करने के लिए विभिन्न योजनाओं को एक साथ लाया जाएगा।
- पीपीपी पहलों से कृषि प्रक्रियाओं के आधुनिकीकरण, जलवायु अनुकूल फसलों में अनुसंधान को बढ़ावा देने, कृषि और ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास और कृषि निर्यात में वृद्धि की भी उम्मीद है।
Note: यह सूचना प्री में एवं मेंस के GS -3, के “कृषि उपज का भंडारण, परिवहन और विपणन से जुड़े मुद्दे और संबंधित बाधाएं; किसानों की सहायता के लिए ई–प्रौद्योगिकी” वाले पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ है।